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पदार्थ (भारतीय दर्शन) और श्रीधराचार्य

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

पदार्थ (भारतीय दर्शन) और श्रीधराचार्य के बीच अंतर

पदार्थ (भारतीय दर्शन) vs. श्रीधराचार्य

मनुष्य सर्वदा से ही विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक वस्तुओं द्वारा चारों तरफ से घिरा हुआ है। सृष्टि के आविर्भाव से ही वह स्वयं की अन्त:प्रेरणा से परिवर्तनों का अध्ययन करता रहा है- परिवर्तन जो गुण व्यवहार की रीति इत्यादि में आये हैं- जो प्राकृतिक विज्ञान के विकास का कारक बना। सम्भवत: इसी अन्त: प्रेरणा के कारण महर्षि कणाद ने 'वैशेषिक दर्शन' का आविर्भाव किया। महर्षि कणाद ने भौतिक राशियों (अमूर्त) को द्रव्य, गुण, कर्म, सामान्य, विशेष और समवाय के रूप में नामांकित किया है। यहाँ 'द्रव्य' के अन्तर्गत ठोस (पृथ्वी), द्रव (अप्), ऊर्जा (तेजस्), गैस (वायु), प्लाज्मा (आकाश), समय (काल) एवं मुख्यतया सदिश लम्बाई के सन्दर्भ में दिक्, 'आत्मा' और 'मन' सम्मिलित हैं। प्रकृत प्रसंग में वैशेषिक दर्शन का अधिकारपूर्वक कथन है कि उपर्युक्त द्रव्यों में प्रथम चार सृष्टि के प्रत्यक्ष कारक हैं, और आकाश, दिक् और काल, सनातन और सर्वव्याप्त हैं। वैशेषिक दर्शन 'आत्मा' और 'मन' को क्रमश: इन्द्रिय ज्ञान और अनुभव का कारक मानता है, अर्थात् 'आत्मा' प्रेक्षक है और 'मन' अनुभव प्राप्त करने का उसका उपकरण। इस हेतु पदार्थमय संसार की भौतिक राशियों की सीमा से बहिष्कृत रहने पर भी, वैशेषिक दर्शन द्वारा 'आत्मा' और 'मन' को भौतिक राशियों में सम्मिलित करना न्याय संगत प्रतीत होता है, क्योंकि ये तत्व प्रेक्षण और अनुभव के लिये नितान्त आवश्यक हैं। तथापि आधुनिक भौतिकी के अनुसार 'आत्मा' और 'मन' के व्यतिरिक्त, प्रस्तुत प्रबन्ध में 'पृथ्वी' से 'दिक्' पर्यन्त वैशेषिकों के प्रथम सात द्रव्यों की विवेचना करते हुए भौतिकी में उल्लिखित उनके प्रतिरूपों के साथ तुलनात्मक अघ्ययन किया जायेगा। . श्रीधराचार्य (जन्म: ७५० ई) प्राचीन भारत के एक महान गणितज्ञ थे। इन्होंने शून्य की व्याख्या की तथा द्विघात समीकरण को हल करने सम्बन्धी सूत्र का प्रतिपादन किया। उनके बारे में हमारी जानकारी बहुत ही अल्प है। उनके समय और स्थान के बारे में निश्चित रूप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। किन्तु ऐसा अनुमान है कि उनका जीवनकाल ८७० ई से ९३० ई के बीच था; वे वर्तमान हुगली जिले में उत्पन्न हुए थे; उनके पिताजी का नाम बलदेवाचार्य औरा माताजी का नाम अच्चोका था। .

पदार्थ (भारतीय दर्शन) और श्रीधराचार्य के बीच समानता

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