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पण्य

सूची पण्य

अर्थशास्त्र में, पण्य एक विपणीक्रिय चीज़ है, जिसका उत्पादन इच्छाओं और आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए होता है। अक़्सर, यह चीज़ प्रतिमोच्य होती है। आर्थिक पण्यों में वस्तु और सेवाएँ सम्मिलित होते हैं। .

4 संबंधों: चाय, प्रतिमोच्यता, वस्तु (अर्थशास्त्र), अर्थशास्त्र

चाय

चाय एक लोकप्रिय पेय है। यह चाय के पौधों की पत्तियों से बनता है।भारतीय.

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प्रतिमोच्यता

प्रतिमोच्यता (Fungibility, फ़ंजिबिलिटी) किसी ऐसे प्रकार के माल या जिन्स जिसकी इकाईयाँ एक-दूसरे से सरलता से बदली जा सकें। उदाहरण के लिये एक किलो लोहा की एक इकाई किसी भी अन्य एक किलो लोहे के लगभग बराबर ही मानी जा सकती है। तेल, गेंहू, दस रुपये के नोट, इत्यादि ऐसी अन्य प्रतिमोच्य चीज़ों के उदाहरण हैं। .

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वस्तु (अर्थशास्त्र)

अर्थव्यवस्था में, वस्तु एक माल है, जो मानवीय चाहों को संतुष्ट करता है, और उपयोगिता प्रदान करता है, उदाहरणार्थ, ऐसे उपभोक्ता को, जो पर्याप्त-संतोषजनक उत्पाद पाते वक़्त, क्रय कर रहा हो। एक आम अन्तर "वस्तुओं" और "सेवाओं" के बीच किया जाता है कि वस्तु मूर्त सम्पत्ति होते हैं, और सेवाएँ अभौतिक होती हैं। वस्तु एक उपभोज्य चीज़ है, जो लोगों के लिए उपयोगी है, पर माँग की तुलना में दुर्लभ है, जिससे उसे प्राप्त करने के लिए मानवीय उद्यम की आवश्यकता होती है। इसके विपरीत, मुफ़्त वस्तु, जैसे कि हवा, प्राकृतिक रूप से प्रचुर आपूर्ति में हैं, और उन्हें प्राप्त करने के लिए किसी अभिज्ञ उद्यम की ज़रुरत नहीं पड़ती। पण्य, आर्थिक वस्तुओं के लिए समानार्थी के रूप में उपयुक्त हो सकते हैं, पर अक़्सर उनका सन्दर्भ विपणीक्रिय कच्चे माल और प्राथमिक उत्पादों से होता हैं। यद्यपि आर्थिक सिद्धान्त में, सभी वस्तु मूर्त माने जाते हैं, पर वास्तव में, कुछ वस्तुओं के वर्ग जैसे कि सूचना केवल अमूर्त रूप लेते हैं। उदाहरणार्थ, अन्य वस्तुओं के बीच, सेब एक मूर्त वस्तु है, जबकि समाचार, वस्तुओं के अमूर्त वर्ग का हिस्सा हैं, जो किसी साधन जैसे कि प्रिंट या दूरदर्शन के माध्यम से ही दृष्टिगोचर हो सकता हैं। .

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अर्थशास्त्र

---- विश्व के विभिन्न देशों की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर (सन २०१४) अर्थशास्त्र सामाजिक विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण, विनिमय और उपभोग का अध्ययन किया जाता है। 'अर्थशास्त्र' शब्द संस्कृत शब्दों अर्थ (धन) और शास्त्र की संधि से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ है - 'धन का अध्ययन'। किसी विषय के संबंध में मनुष्यों के कार्यो के क्रमबद्ध ज्ञान को उस विषय का शास्त्र कहते हैं, इसलिए अर्थशास्त्र में मनुष्यों के अर्थसंबंधी कायों का क्रमबद्ध ज्ञान होना आवश्यक है। अर्थशास्त्र का प्रयोग यह समझने के लिये भी किया जाता है कि अर्थव्यवस्था किस तरह से कार्य करती है और समाज में विभिन्न वर्गों का आर्थिक सम्बन्ध कैसा है। अर्थशास्त्रीय विवेचना का प्रयोग समाज से सम्बन्धित विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे:- अपराध, शिक्षा, परिवार, स्वास्थ्य, कानून, राजनीति, धर्म, सामाजिक संस्थान और युद्ध इत्यदि। प्रो.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

जिन्स, कमोडिटी

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