लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
इंस्टॉल करें
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

नेपोलियन बोनापार्ट और लाइपत्सिग का युद्ध

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

नेपोलियन बोनापार्ट और लाइपत्सिग का युद्ध के बीच अंतर

नेपोलियन बोनापार्ट vs. लाइपत्सिग का युद्ध

नेपोलियन बोनापार्ट (15 अगस्त 1769 - 5 मई 1821) (जन्म नाम नेपोलियोनि दि बोनापार्टे) फ्रान्स की क्रान्ति में सेनापति, 11 नवम्बर 1799 से 18 मई 1804 तक प्रथम कांसल के रूप में शासक और 18 मई 1804 से 6 अप्रैल 1814 तक नेपोलियन I के नाम से सम्राट रहा। वह पुनः 20 मार्च से 22 जून 1815 में सम्राट बना। वह यूरोप के अन्य कई क्षेत्रों का भी शासक था। इतिहास में नेपोलियन विश्व के सबसे महान सेनापतियों में गिना जाता है। उसने एक फ्रांस में एक नयी विधि संहिता लागू की जिसे नेपोलियन की संहिता कहा जाता है। वह इतिहास के सबसे महान विजेताओं में से एक था। उसके सामने कोई रुक नहीं पा रहा था। जब तक कि उसने 1812 में रूस पर आक्रमण नहीं किया, जहां सर्दी और वातावरण से उसकी सेना को बहुत क्षति पहुँची। 18 जून 1815 वॉटरलू के युद्ध में पराजय के पश्चात अंग्रज़ों ने उसे अन्ध महासागर के दूर द्वीप सेंट हेलेना में बन्दी बना दिया। छः वर्षों के अन्त में वहाँ उसकी मृत्यु हो गई। इतिहासकारों के अनुसार अंग्रेज़ों ने उसे संखिया (आर्सीनिक) का विष देकर मार डाला। . लाइपत्सिग का युद्ध (Battle of Leipzig या Battle of the Nations) सैक्सोनी के लाइपत्सिग नामक स्थान पर १६ से १९ अक्टूबर, १८१३ को लड़ा गया था। रूस, प्रशा, आस्ट्रिया और स्वीडेन कि संयुक्त सेनाओं ने रूस के जार अलेक्सांदर प्रथम के नेतृत्व नेपोलियन को पराजित कर दिया। इस युद्ध में लगभग 600,000 सैनिकों ने भाग लिया, इस प्रकार प्रथम विश्वयुद्ध के पहले यूरोप की यह सबसे बड़ी लड़ाई थी। रूस अभियान में नेपोलियन की असफलता का समाचार पाते ही जर्मनी में फ्रांस से प्रतिशोध लेने की भावना जागने लगी। लोग देश को नेपोलियन के नियंत्रण से मुक्त करने के लिए संघर्ष के लिए तैयार हो गए। राष्ट्रीयता का जबर्दस्त उबाल आया। इस तरह 1813 में प्रशा ने फ्रांस के विरूद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। किन्तु प्रशा की सेना को नेपोलियन ने पीछे ढलेल दिया। 1813 ई. में प्रशा, आस्ट्रिया, इंग्लैंड, रूस तथा स्वीडन ने मिलकर नेपोलियन के विरूद्ध एक गुट का निर्माण किया और नेपोलियन के विरूद्ध दक्षिणी जर्मनी के लाइपत्सिग के युद्ध में उसे पराजित किया इसे “राष्ट्रों के युद्ध” (वार ऑफ नेशन्स) के नाम से जाना जाता है। लाइपत्सिग की पराजय ने नेपोलियन के समूचे तंत्र को ध्वस्त कर दिया, महाद्वीपीय व्यवस्था समाप्त हो गई। अंततः नेपोलियन ने आत्मसमर्पण कर दिया और फ्रांस के सिंहासन से अपने समस्त अधिकार त्याग दिए। उसे इटली के पश्चिम में एल्बा द्वीप देकर वहां का स्वतंत्र शासक बना दिया गया और फ्रांस में लुई 18वें को सम्राट नियुक्त किया गया। नेपोलियन से छुटकारा पाने के बाद यूरोप की समस्याओं को सुलझाने के लिए 1814 ई. में ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में मेटरनिख की अध्यक्षता में एक सम्मेलन हुआ जिसे वियना कांग्रेस के नाम से जाना जाता है। फ्रांस की भौगोलिक सीमा वही रखी गई जो 1792 में थी और वहां बूर्वो वंश के शासन को पुनर्स्थापित किया गया। फ्रांस में लुई 18वें अव्यवस्थित शासन से जनता असंतुष्ट थी। नेपोलियन को इन परिस्थितियों की सूचना मिली तो एक बार पुनः वह फ्रांस पर अधिकार करने के लिए मार्च 1815 में एल्बा से चलकर फ्रांस आया। वहां की जनता ने उसका स्वागत किया। अतः लुई 18वां फ्रांस छोड़कर भाग गया और नेपोलियन पुनः फ्रांस का सम्राट बन बैठा। किन्तु उसके बाद केवल 100 दिन की वह शासन कर सका। नेपोलियन के पुनः गद्दी प्राप्त करने की सूचना जब यूरोप में पहुंची तो सब लोग चौकन्ना हो गए। वियना कांगे्रस को एक बार फिर नेपोलियन के भूत का भय सताने लगा। अतः अपने मतभेद भूलकर एकजुट हो नेपोलियन का मुकाबला करने का निश्चय किया। अतः जून 1815 में नेपोलियन और मित्र राष्ट्रों के बीच अंतिम निर्णायक युद्ध वाटरलू के मैदान में हुआ जिसमें नेपोलियन पराजित हुआ। उसे बंदी बनाकर सुदूर अटलांटिक महासागर के सुनसान द्वीप सेंट हेलेना में निर्वासित जीवन जीने को भेज दिया गया और वहीं 6 वर्ष बाद 2 मई 1821 को उसकी मृत्यु हो गई। श्रेणी:यूरोप का इतिहास.

नेपोलियन बोनापार्ट और लाइपत्सिग का युद्ध के बीच समानता

नेपोलियन बोनापार्ट और लाइपत्सिग का युद्ध आम में 9 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): नेपोलियन का रूस पर आक्रमण, प्रशिया, महाद्वीपीय व्यवस्था, रूस, सन्त हेलेना, जर्मनी, ऑस्ट्रिया, इटली, अटलांटिक महासागर

नेपोलियन का रूस पर आक्रमण

नेपोलियन की साम्राज्यवादी आकांक्षा तथा महाद्वीपीय व्यवस्था के प्रश्न पर रूस के साथ उसके संबंध पुनः बिगड़ गए। फलस्वरूप 1812 ई. में नेपोलियन ने रूस पर आक्रमण कर दिया। फ्रांस में इसे 'रूसी अभियान' कहा जाता है जबकि रूस में इसे '१८१२ का देशभक्तिपूर्ण युद्ध'। नेपोलियन की सेना ने नोमेन नदी पार कर रूस की सीमा में प्रवेश किया। रूसी सेनाओं ने फसलों, भंडारों को नष्ट करते हुए पीछे हटने तथा छापामार हमले करते रहने की नीति अपनाई। अनेक कठिनाईयों का सामना करते हुए किसी तरह जब नेपोलियन मास्को पहुुंचा तो उसने पूरे शहर को वीरान पाया। वास्तव में अभी तक फ्रांसीसी सेना अपना खर्च पराजित प्रदेशों से निकालती थी किन्तु इस युद्ध पद्धति और रणनीति से यह संभव नहीं हो सका। नेपोलियन को आशा थी कि जार आत्मसमर्पण कर देगा परन्तु जार आत्मसमर्पण के बजाय साइबेरिया चला गया। नेपोलियन मास्कों में लगभग दो महीने तक शांति प्रस्ताव की प्रतीक्षा में रहा, तभी उसके सैनिकों के लिए खाद्य सामग्री का संकट पैदा हो गया तथा महामारी फैल गई। अतः नेपोलियन को लाचार होकर मॉस्को से लौटाना पड़ा। सेना को भूख, ठंड और रूसियों ने परेशान किया। इस तरह जब नेपोलियन ने रूस की सीमा छोड़ी तब वह अपने 6 लाख में से 5 लाख सैनिक खो चुका था। इस तरह से यह अभियान निरर्थक सिद्ध हुआ। इसकी असफलता का कारण नेपोलियन की हठधर्मिता और रूसी सैनिकों की पीछे हटने की कूटनीति को न समझ पाना था। .

नेपोलियन का रूस पर आक्रमण और नेपोलियन बोनापार्ट · नेपोलियन का रूस पर आक्रमण और लाइपत्सिग का युद्ध · और देखें »

प्रशिया

अपने चरम पर प्रशा प्रशिया, प्रुशिया या प्रशा, (Preußen), उत्तरी यूरोप का एक जर्मन ऐतिहासिक राज्य था। प्रशिया, अपनी राजधानी कोइनिजबर्ग और 1701 से बर्लिन के साथ, जर्मनी के इतिहास को निर्णायक रूप से आकार दिया है। 18वीं और 19वीं शताब्दियों में यह राज्य अपने चरम पर था। .

नेपोलियन बोनापार्ट और प्रशिया · प्रशिया और लाइपत्सिग का युद्ध · और देखें »

महाद्वीपीय व्यवस्था

महाद्वीपीय व्यवस्था (Continental System) या महाद्वीपीय नाकाबन्दी (Continental Blockade) नेपोलियन युद्धों के समय ग्रेट ब्रिटेन विरुद्ध संघर्ष में नेपोलियन प्रथम की विदेश नीति थी। ब्रिटेन की सरकार ने १६ मई १८०६ को फ्रेंच कोस्ट की नाकेबन्दी की थी। उसी के जवाब में नेपोलियन ने २१ नवम्बर १८०६ को 'बर्लिन डिक्री' का ऐलान किया जिसके द्वारा ब्रिटेन के विरुद्ध बड़े पैमाने पर व्यापार-प्रतिबन्ध (embargo) लगा दिये गये। यह प्रतिबन्ध लगभग आधे समय ही प्रभावी था। इसका अन्त ११ अप्रैल १८१४ को हुआ जब नेपोलियन ने पहली बार पदत्याग किया। इस प्रतिबन्ध से ब्रिटेन को कोई खास आर्थिक क्षति नहीं हुई। जब नेपोलियन को पता चला कि अधिकांश व्यापार स्पेन और रूस के रास्ते हो रहा है, तो उसने उन दोनों देशों पर आक्रमण कर दिया। .

नेपोलियन बोनापार्ट और महाद्वीपीय व्यवस्था · महाद्वीपीय व्यवस्था और लाइपत्सिग का युद्ध · और देखें »

रूस

रूस (रूसी: Росси́йская Федера́ция / रोस्सिज्स्काया फ़ेदेरात्सिया, Росси́я / रोस्सिया) पूर्वी यूरोप और उत्तर एशिया में स्थित एक विशाल आकार वाला देश। कुल १,७०,७५,४०० किमी२ के साथ यह विश्व का सब्से बड़ा देश है। आकार की दृष्टि से यह भारत से पाँच गुणा से भी अधिक है। इतना विशाल देश होने के बाद भी रूस की जनसंख्या विश्व में सातवें स्थान पर है जिसके कारण रूस का जनसंख्या घनत्व विश्व में सब्से कम में से है। रूस की अधिकान्श जनसंख्या इसके यूरोपीय भाग में बसी हुई है। इसकी राजधानी मॉस्को है। रूस की मुख्य और राजभाषा रूसी है। रूस के साथ जिन देशों की सीमाएँ मिलती हैं उनके नाम हैं - (वामावर्त) - नार्वे, फ़िनलैण्ड, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, पोलैण्ड, बेलारूस, यूक्रेन, जॉर्जिया, अज़रबैजान, कजाकिस्तान, चीन, मंगोलिया और उत्तर कोरिया। रूसी साम्राज्य के दिनों से रूस ने विश्व में अपना स्थान एक प्रमुख शक्ति के रूप में किया था। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद सोवियत संघ विश्व का सबसे बड़ा साम्यवादी देश बना। यहाँ के लेखकों ने साम्यवादी विचारधारा को विश्व भर में फैलाया। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सोवियत संघ एक प्रमुख सामरिक और राजनीतिक शक्ति बनकर उभरा। संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ इसकी वर्षों तक प्रतिस्पर्धा चली जिसमें सामरिक, आर्थिक, राजनैतिक और तकनीकी क्षेत्रों में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ थी। १९८० के दशक से यह आर्थिक रूप से क्षीण होता चला गया और १९९१ में इसका विघटन हो गया जिसके फलस्वरूप रूस, सोवियत संघ का सबसे बड़ा राज्य बना। वर्तमान में रूस अपने सोवियत संघ काल के महाशक्ति पद को पुनः प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है। यद्यपि रूस अभी भी एक प्रमुख देश है लेकिन यह सोवियत काल के पद से भी बहुत दूर है। .

नेपोलियन बोनापार्ट और रूस · रूस और लाइपत्सिग का युद्ध · और देखें »

सन्त हेलेना

सेंट हेलेना सेंट हेलेना ऑफ कान्सन्टपोल के नाम पर रखा गया दक्षिण अटलांटिक महासागर में ज्वालामुखी के माध्यम से विकसित हुआ एक द्वीप है। यह ब्रिटिश प्रवासी क्षेत्र सेंट हेलेना, एसेन्शन और त्रिस्तान द कुन्हा का एक हिस्सा है। इसकी राजधानी जेम्सटाउन है तथा यहां की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। इस द्वीप का इतिहास महज 500 साल पुराना है, जब 1502 में पुर्तगालियों ने इस निर्जन द्वीप की खोज की थी। बरमूडा के बाद ब्रिटेन की बची हुई दूसरी सबसे पुरानी कालोनी सेंट हेलेना दुनिया का सबसे दुर्गम क्षेत्र है, जिसका यूरोप से एशिया और दक्षिण अफ्रीका जाने वाले जहाजों के लिए काफी सामरिक महत्व हुआ करता था। कई सदियों तक इस द्वीप का इस्तेमाल ब्रिटेन द्वारा निर्वासितों को रखने के लिए किया गया, जिसमें नेपोलियन बोनापार्ट जैसे व्यक्ति भी शामिल हैं।.

नेपोलियन बोनापार्ट और सन्त हेलेना · लाइपत्सिग का युद्ध और सन्त हेलेना · और देखें »

जर्मनी

कोई विवरण नहीं।

जर्मनी और नेपोलियन बोनापार्ट · जर्मनी और लाइपत्सिग का युद्ध · और देखें »

ऑस्ट्रिया

ऑस्ट्रिया (जर्मन: Österreich एओस्तेराइख़, अर्थात पूर्वी राज्य) मध्य यूरोप में स्थित एक स्थल रुद्ध देश है। इसकी राजधानी वियना है। इसकी (मुख्य- और राज-) भाषा जर्मन भाषा है। देश का ज़्यादातर हिस्सा ऐल्प्स पर्वतों से ढका हुआ है। यूरोपीय संघ के इस देश की मुद्रा यूरो है। इसकी सीमाएं उत्तर में जर्मनी और चेक गणराज्य से, पूर्व में स्लोवाकिया और हंगरी से, दक्षिण में स्लोवाकिया और इटली और पश्चिम में स्विटजरलैंड और लीश्टेनश्टाइन से मिलती है। इस देश का उद्भव नौवीं शताब्दी के दौरान ऊपरी और निचले हिस्से में आबादी के बढ़ने के साथ हुआ। Ostarrichi शब्द का पहले पहल इस्तेमाल 996 में प्रकाशित आधिकारिक लेख में किया गया, जो बाद में Österreich एओस्तेराइख़ में बदल गया। आस्ट्रिया में पूर्वी आल्प्स की श्रेणियाँ फैली हुई हैं। इस पर्वतीय देश का पश्चिमी भाग विशेष पहाड़ी है जिसमें ओट्जरस्टुवार्ड, जिलरतुल आल्प्स (१,२४६ फुट) आदि पहाड़ियाँ हैं। पूर्वी भाग की पहाड़ियां अधिक ऊँची नहीं हैं। देश के उत्तर पूर्वी भाग में डैन्यूब नदी पश्चिम से पूर्व को (३३० किमी लंबी) बहती है। ईन, द्रवा आदि देश की सारी नदियां डैन्यूब की सहायक हैं। उत्तरी पश्चिमी सीमा पर स्थित कांस्टैंस, दक्षिण पूर्व में स्थित न्यूडिलर तथा अतर अल्फ गैंग, आसे आदि झीलें देश की प्राकृतिक शोभा बढ़ाती हैं। आस्ट्रिया की जलवायु विषम है। यहां ग्रर्मियों में कुछ अधिक गर्मी तथा जाड़ों में अधिक ठंडक पड़ती है। यहां पछुआ तथा उत्तर पश्चिमी हवाओं से वर्षा होती है। आल्प्स की ढालों पर पर्याप्त तथा मध्यवर्ती भागों में कम पानी बरसता है। यहाँ की वनस्पति तथा पशु मध्ययूरोपीय जाति के हैं। यहाँ देश के ३८ प्रतिशत भाग में जंगल हैं जिनमें ७१ प्रतिशत चीड़ जाति के, १९ प्रतिशत पतझड़ वाले तथा १० प्रतिशल मिश्रित जंगल हैं। आल्प्स के भागों में स्प्रूस (एक प्रकार का चीड़) तथा देवदारु के वृक्ष तथा निचले भागों में चीड़, देवदारु तथा महोगनी आदि जंगली वृक्ष पाए जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि आस्ट्रिया का प्रत्येक दूसरा वृक्ष सरो है। इन जंगलों में हिरन, खरगोश, रीछ आदि जंगली जानवर पाए जाते हैं। देश की संपूर्ण भूमि के २९ प्रतिशत पर कृषि होती है तथा ३० प्रतिशत पर चारागाह हैं। जंगल देश की बहुत बड़ी संपत्ति है, जो शेष भूमि को घेरे हुए है। लकड़ी निर्यात करनेवाले देशों में आस्ट्रिया का स्थान छठा है। ईजबर्ग पहाड़ के आसपास लोहे तथा कोयले की खानें हैं। शक्ति के साधनों में जलविद्युत ही प्रधान है। खनिज तैल भी निकाला जाता है। यहां नमक, ग्रैफाइट तथा मैगनेसाइट पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। मैगनेसाइट तथा ग्रैफाइट के उत्पादन में आस्ट्रिया का संसार में क्रमानुसार दूसरा तथा चौथा स्थान है। तांबा, जस्ता तथा सोना भी यहां पाया जाता है। इन खनिजों के अतिरिक्त अनुपम प्राकृतिक दृश्य भी देश की बहुत बड़ी संपत्ति हैं। आस्ट्रिया की खेती सीमित है, क्योंकि यहां केवल ४.५ प्रतिशत भूमि मैदानी है, शेष ९२.३ प्रतिशत पर्वतीय है। सबसे उपजाऊ क्षेत्र डैन्यूब की पार्श्ववर्ती भूमि (विना का दोआबा) तथा वर्जिनलैंड है। यहां की मुख्य फसलें राई, जई (ओट), गेहूँ, जौ तथा मक्का हैं। आलू तथा चुकंदर यहां के मैदानों में पर्याप्त पैदा होते हैं। नीचे भागों में तथा ढालों पर चारेवाली फसलें पैदा होती हैं। इनके अतिरिक्त देश के विभिन्न भागों में तीसी, तेलहन, सन तथा तंबाकू पैदा किया जाता है। पर्वतीय फल तथा अंगूर भी यहाँ होता है। पहाड़ी क्षेत्रों में पहाड़ों को काटकर सीढ़ीनुमा खेत बने हुए हैं। उत्तरी तथा पूर्वी भागों में पशुपालन होता है तथा यहाँ से वियना आदि शहरों में दूध, मक्खन तथा चीज़ पर्याप्त मात्रा में भेजा जाता है। जोरारलबर्ग देश का बहुत बड़ा संघीय पशुपालन केंद्र है। यहां बकरियां, भेड़ें तथा सुअर पर्याप्त पाले जाते हैं जिनसे मांस, दूध तथा ऊन प्राप्त होता है। आस्ट्रिया की औद्योगिक उन्नति महत्वपूर्ण है। लोहा, इस्पात तथा सूती कपड़ों के कारखाने देश में फैले हुए हैं। रासायनिक वस्तुएँ बनाने के बहुत से कारखाने हैं। यहाँ धातुओं के छोटे मोटे सामान, वियना में विविध प्रकार की मशीनें तथा कलपुर्जे बनाने के कारखाने हैं। लकड़ी के सामान, कागज की लुग्दी, कागज एवं वाद्यतंत्र बनाने के कारखाने यहां के अन्य बड़े धंधे हैं। जलविद्युत् का विकास खूब हुआ है। देश को पर्यटकों का भी पर्याप्त लाभ होता है। पहाड़ी देश होने पर भी यहाँं सड़कों (कुल सड़कें ४१,६४९ कि.मी.) तथा रेलवे लाइनों (५,९०८ कि.मी.) का जाल बिछा हुआ है। वियना यूरोप के प्राय: सभी नगरों से संबद्ध है। यहां छह हवाई अड्डे हैं जो वियना, लिंज, सैल्बर्ग, ग्रेज, क्लागेनफर्ट तथा इंसब्रुक में हैं। यहां से निर्यात होनेवाली वस्तुओं में इमारती लकड़ी का बना सामान, लोहा तथा इस्पात, रासायनिक वस्तुएं और कांच मुख्य हैं। विभिन्न विषयों की उच्चतम शिक्षा के लिए आस्ट्रिया का बहुत महत्व है। वियना, ग्रेज तथा इंसब्रुक में संसारप्रसिद्ध विश्वविद्यालय हैं। आस्ट्रिया में गणतंत्र राज्य है। यूरोप के ३६ राज्यों में, विस्तार के अनुसार, आस्ट्रिया का स्थान १९वाँ है। यह नौ प्रांतों में विभक्त है। वियना प्रांत में स्थित वियना नगर देश की राजधानी है। आस्ट्रिया की संपूर्ण जनसंख्या का १/४ भाग वियना में रहता है जो संसार का २२वाँ सबसे बड़ा नगर है। अन्य बड़े नगर ग्रेज, जिंज, सैल्जबर्ग, इंसब्रुक तथा क्लाजेनफर्ट हैं। अधिकांश आस्ट्रियावासी काकेशीय जाति के हैं। कुछ आलेमनों तथा बवेरियनों के वंशज भी हैं। देश सदा से एक शासक देश रहा है, अत: यहां के निवासी चरित्रवान् तथा मैत्रीपूर्ण व्यवहारवाले होते हैं। यहाँ की मुख्य भाषा जर्मन है। आस्ट्रिया का इतिहास बहुत पुराना है। लौहयुग में यहाँ इलिरियन लोग रहते थे। सम्राट् आगस्टस के युग में रोमन लोगों ने देश पर कब्जा कर लिया था। हूण आदि जातियों के बाद जर्मन लोगों ने देश पर कब्जा कर लिया था (४३५ ई.)। जर्मनों ने देश पर कई शताब्दियों तक शासन किया, फलस्वरूप आस्ट्रिया में जर्मन सभ्यता फैली जो आज भी वर्तमान है। १९१९ ई. में आस्ट्रिया वासियों की प्रथम सरकार हैप्सबर्ग राजसत्ता को समाप्त करके, समाजवादी नेता कार्ल रेनर के प्रतिनिधित्व में बनी। १९३८ ई. में हिटलर ने इसे महान् जर्मन राज्य का एक अंग बना लिया। द्वितीय विश्वयुद्ध में इंग्लैंड आदि देशों ने आस्ट्रिया को स्वतंत्र करने का निश्चय किया और १९४५ ई. में अमरीकी, ब्रितानी, फ्रांसीसी तथा रूसी सेनाओं ने इसे मुक्त करा लिया। इससे पूर्व अक्टूबर, १९४३ ई. की मास्को घोषणा के अंतर्गत ब्रिटेन, अमरीका तथा रूस आस्ट्रिया को पुन: एक स्वतंत्र तथा प्रभुसत्तासंपन्न राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित कराने का अपना निश्चय व्यक्त कर चुके थे। २७ अप्रैल, १९४५ को डा.

ऑस्ट्रिया और नेपोलियन बोनापार्ट · ऑस्ट्रिया और लाइपत्सिग का युद्ध · और देखें »

इटली

इटली यूरोप महाद्वीप के दक्षिण में स्थित एक देश है जिसकी मुख्यभूमि एक प्रायद्वीप है। इटली के उत्तर में आल्प्स पर्वतमाला है जिसमें फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रिया तथा स्लोवेनिया की सीमाएँ आकर लगती हैं। सिसली तथा सार्डिनिया, जो भूमध्य सागर के दो सबसे बड़े द्वीप हैं, इटली के ही अंग हैं। वेटिकन सिटी तथा सैन मरीनो इटली के अंतर्गत समाहित दो स्वतंत्र देश हैं। इटली, यूनान के बाद यूरोप का दूसरा का दूसरा प्राचीनतम राष्ट्र है। रोम की सभ्यता तथा इटली का इतिहास देश के प्राचीन वैभव तथा विकास का प्रतीक है। आधुनिक इटली 1861 ई. में राज्य के रूप में गठित हुआ था। देश की धीमी प्रगति, सामाजिक संगठन तथा राजनितिक उथल-पुथल इटली के 2,500 वर्ष के इतिहास से संबद्ध है। देश में पूर्वकाल में राजतंत्र था जिसका अंतिम राजघराना सेवाय था। जून, सन् 1946 से देश एक जनतांत्रिक राज्य में परिवर्तित हो गया। इटली की राजधानी रोम प्राचीन काल के एक शक्ति और प्रभाव से संपन्न रोमन साम्राज्य की राजधानी रहा है। ईसा के आसपास और उसके बाद रोमन साम्राज्य ने भूमध्य सागर के क्षेत्र में अपनी प्रभुता स्थापित की थी जिसके कारण यह संस्कृति और अन्य क्षेत्रों में आधुनिक यूरोप की आधारशिला के तौर पर माना जाता है। तथा मध्यपूर्व (जिसे भारतीय परिप्रेक्ष्य में मध्य-पश्च भी कह सकते हैं) के इतिहास में भी रोमन साम्राज्य ने अपना प्रभाव डाला था और उनसे प्रभावित भी हुआ था। आज के इटली की संस्कृति पर यवनों (ग्रीक) का भी प्रभाव पड़ा है। इटली की जनसंख्या २००८ में ५ करोड़ ९० लाख थी। देश का क्षेत्रफल ३लाख वर्ग किलोमीटर के आसपास है। १९९१ में यहाँ की सरकार के शीर्ष पदस्थ अधिकारियों में व्याप्त भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ जिसके बाद यहाँ की राजनैतिक सत्ता और प्रशासन में कई बदलाव आए हैं। रोम यहाँ की राजधानी है और अन्य प्रमुख नगरों में वेनिस, मिलान इत्यादि का नाम लिया जा सकता है। .

इटली और नेपोलियन बोनापार्ट · इटली और लाइपत्सिग का युद्ध · और देखें »

अटलांटिक महासागर

ग्लोब पर अंध महासागर की स्थिति अन्ध महासागर या अटलांटिक महासागर उस विशाल जलराशि का नाम है जो यूरोप तथा अफ्रीका महाद्वीपों को नई दुनिया के महाद्वीपों से पृथक करती है। क्षेत्रफल और विस्तार में दुनिया का दूसरे नंबर का महासागर है जिसने पृथ्वी का १/५ क्षेत्र घेर रखा है। इस महासागर का नाम ग्रीक संस्कृति से लिया गया है जिसमें इसे नक्शे का समुद्र भी बोला जाता है। इस महासागर का आकार लगभग अंग्रेजी अक्षर 8 के समान है। लंबाई की अपेक्षा इसकी चौड़ाई बहुत कम है। आर्कटिक सागर, जो बेरिंग जलडमरूमध्य से उत्तरी ध्रुव होता हुआ स्पिट्सबर्जेन और ग्रीनलैंड तक फैला है, मुख्यतः अंधमहासागर का ही अंग है। इस प्रकार उत्तर में बेरिंग जल-डमरूमध्य से लेकर दक्षिण में कोट्सलैंड तक इसकी लंबाई १२,८१० मील है। इसी प्रकार दक्षिण में दक्षिणी जार्जिया के दक्षिण स्थित वैडल सागर भी इसी महासागर का अंग है। इसका क्षेत्रफल इसके अंतर्गत समुद्रों सहित ४,१०,८१,०४० वर्ग मील है। अंतर्गत समुद्रों को छोड़कर इसका क्षेत्रफल ३,१८,१४,६४० वर्ग मील है। विशालतम महासागर न होते हुए भी इसके अधीन विश्व का सबसे बड़ा जलप्रवाह क्षेत्र है। उत्तरी अंधमहासागर के पृष्ठतल की लवणता अन्य समुद्रों की तुलना में पर्याप्त अधिक है। इसकी अधिकतम मात्रा ३.७ प्रतिशत है जो २०°- ३०° उत्तर अक्षांशों के बीच विद्यमान है। अन्य भागों में लवणता अपेक्षाकृत कम है। .

अटलांटिक महासागर और नेपोलियन बोनापार्ट · अटलांटिक महासागर और लाइपत्सिग का युद्ध · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

नेपोलियन बोनापार्ट और लाइपत्सिग का युद्ध के बीच तुलना

नेपोलियन बोनापार्ट 30 संबंध है और लाइपत्सिग का युद्ध 18 है। वे आम 9 में है, समानता सूचकांक 18.75% है = 9 / (30 + 18)।

संदर्भ

यह लेख नेपोलियन बोनापार्ट और लाइपत्सिग का युद्ध के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »