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नेपाल का साहित्य

सूची नेपाल का साहित्य

नेपाल का साहित्य नेपाल का विभिन्न भाषाऔं में लिखा हुआ साहित्य है। इन साहित्यौं में संस्कृत, पाळि, नेपालभाषा, मैथिली, नेपाली, भोजपुरी, तिब्बती आदि भाषायें प्रमुख है। नेपालभाषा ही एक ऐसी भाषा है जिसका प्रयोजन् नेपाल के साहित्य के सभी युगों में हुआ है। .

7 संबंधों: त्रिपिटक, नेपालभाषा, नेपाली भाषाएँ एवं साहित्य, नेपाली साहित्य, सिद्धिदास महाजु, संस्कृत भाषा, अष्टसाहस्रिका प्रज्ञापारमिता

त्रिपिटक

त्रिपिटक (पाली:तिपिटक; शाब्दिक अर्थ: तीन पिटारी) बौद्ध धर्म का प्रमुख ग्रंथ है जिसे सभी बौद्ध सम्प्रदाय (महायान, थेरवाद, बज्रयान, मूलसर्वास्तिवाद, नवयान आदि) मानते है। यह बौद्ध धर्म के प्राचीनतम ग्रंथ है जिसमें भगवान बुद्ध के उपदेश संग्रहीत है। यह ग्रंथ पालि भाषा में लिखा गया है और विभिन्न भाषाओं में अनुवादित है। इस ग्रंथ में भगवान बुद्ध द्वारा बुद्धत्त्व प्राप्त करने के समय से महापरिनिर्वाण तक दिए हुए प्रवचनों को संग्रहित किया गया है। त्रिपीटक का रचनाकाल या निर्माणकाल ईसा पूर्व 100 से ईसा पूर्व 500 है। .

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नेपालभाषा

नेपालभाषा, नेपाली भाषा से भिन्न भाषा है; इनमें भ्रमित न हों। ---- नेपाल भाषा ('नेवारी' अथवा 'नेपाल भाय्') नेपाल की एक प्रमुख भाषा है। यह भाषा चीनी-तिब्बती भाषा-परिवार के अन्तर्गत तिब्बती-बर्मेली समूह मे संयोजित है। यह देवनागरी लिपि मे भी लिखी जाने वाली एक मात्र चीनी-तिब्बती भाषा है। यह भाषा दक्षिण एशिया की सबसे प्राचीन इतिहास वाली तिब्बती-बर्मेली भाषा है और तिब्बती बर्मेली भाषा में चौथी सबसे प्राचीन काल से उपयोग में लाई जाने वाली भाषा। यह भाषा १४वीं शताब्दी से लेकर १८वीं शताब्दी के अन्त तक नेपाल की प्रशासनिक भाषा थी। .

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नेपाली भाषाएँ एवं साहित्य

नेपाल में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं, जैसे किराँती, गुरुंग, तामंग, मगर, नेवारी, गोरखाली आदि। काठमांडो उपत्यका में सदा से बसी हुई नेवार जाति, जो प्रागैतिहासिक गंधर्वों और प्राचीन युग के लिच्छवियों की आधुनिक प्रतिनिधि मानी जा सकती है, अपनी भाषा को नेपाल भाषा कहती रही है जिसे बोलनेबालों की संख्या उपत्यका में लगभग 65 प्रतिशत है। नेपाली, तथा अंग्रेजी भाषाओं में प्रकाशित समाचार पत्रों के ही समान नेवारी भाषा के दैनिक पत्र का भी प्रकाशन होता है, तथापि आज नेपाल की सर्वमान्य राष्ट्रभाषा नेपाली ही है जिसे पहले परवतिया "गोरखाली" या खस-कुरा (खस (संस्कृत: कश्यप; कुराउ, संस्कृत: काकली) भी कहते थे। .

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नेपाली साहित्य

नेपाली साहित्य नेपाली भाषा का साहित्य है। यह साहित्य नेपाल, सिक्किम, दार्जिलिंग, भूटान, उत्तराखण्ड,असम आदि स्थानौं में प्रमुखतः लिखे जाते हैं। इस साहित्य में ज्यादातार पहाडी खस ब्राह्मण अर्थात बाहुन जाति के हैं। आदिकवि भानुभक्त आचार्य, महाकवि लक्ष्मी प्रसाद देवकोटा, कविशिरोमणि लेखनाथ पौड्याल, राष्ट्रकवि माधव प्रसाद घिमिरे, मोतीराम भट्ट, हास्यकार भैरव अर्याल, आदि श्रेष्ठतम नेपाली साहित्यकार बाहुन (पहाडी ब्राह्मण) समुदाय के थे। भारत का पड़ोसी देश होने के नाते नेपाल में भी भारत से चली खुलेपन की ताज़ी हवा बराबर पहुँचती रही है और उसके साहित्य पर भी समय-समय पर विभिन्न वादों और साहित्यिक आंदोलनों का पराभूत प्रभाव रहा है। हिन्दी कविता की तरह नेपाली कविता में भी छायावाद,रहस्यवाद, प्रगतिवाद और प्रयोगवाद की तमाम विशेषताएँ मिलती है। प्रकृति, सौन्दर्य, शृंगार और नारी-मन की सुकोमल अभिव्यक्ति के साथ ही जीवन-संघर्ष की आधुनिकतम समस्याओं को वाणी देने में भी नेपाली कवि किसी से पीछे नहीं रहे हैं। आज नेपाली कविता में समय-सापेक्षता, सामाजर्थिक दबाब तथा जीवन का व्यर्थता बोध आदि प्रबरीतियों को जो प्रमुखता मिली हुयी है, वह उसकी इसी शानदार विरासत का प्रतिफल है। .

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सिद्धिदास महाजु

सिद्धिदास महाजु (सिद्धिदास अमात्य) नेपालभाषा के महाकवि है। उन्हे नेपालभाषा पुनर्जागरण का चार स्तम्भ मै एक के रूप मै भी लेते है। नेपालभाषा मै आधुनिक कविता एवम्‌ आधुनिक कथा लेखन के सुरुवात मै इनका बडा हात था। उन्हौंने रामायण को नेपालभाषा मै अनुवाद किया था। .

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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अष्टसाहस्रिका प्रज्ञापारमिता

मानवीकृत 'अष्टसाहस्रिका प्रज्ञापारमिता' प्रज्ञापारमिता-बोधिसत्व (जावा, इण्डोनेशिया) अष्टसाहस्रिका प्रज्ञापारमिता आठ हजार श्लोकोंवाला यह महायान बौद्ध ग्रंथ प्रज्ञा की पारमिता (पराकाष्ठा) के माहात्म्य का वर्णन करता है। प्रज्ञापारमिता को मूर्त रूप में अवतरित कर उसके चमत्कार दिखाए गए हैं। इसमें ३२ परिच्छेद हैं जिनमें प्राय: गृद्धकूट पर्वत पर भगवान्‌ बुद्ध अपने सुभूति, सारिपुत्र, पूर्ण मैत्रायणीपुत्र जैसे शिष्यों को उपदेश देते हुए उपस्थित हैं। आगे चलकर इस ग्रंथ के कई छोटै और बड़े संस्करण बने। अष्टसाहस्रिका प्रज्ञापारमिता की रचना सम्भवतः ईसापूर्व पहली शताब्दी में हुई। .

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