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निज़ामी गंजवी और फ़ारसी भाषा

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

निज़ामी गंजवी और फ़ारसी भाषा के बीच अंतर

निज़ामी गंजवी vs. फ़ारसी भाषा

निज़ामी निज़ामी (1141-1209, इलियास यूसफ़ ओग्लु) एक फ़ारसी तथा अज़ेरी कवि थे जो लैली व मजनूं (लैला मजनू) तथा 'सात सुंदरियां' जैसी किताबों के लिए प्रसिद्ध हैं। इनका जन्म 12वीं सदी में वर्तमान आज़रबैजान के गंजा में हुआ था। इन्होंने बाद के कई फ़ारसी शायरों पर अपना प्रभाव डाला था जिनमें हफ़ीज़ शिराज़ी, रुमी तथा अमीर ख़ुसरो का नाम भी शामिल है। निज़ामी की प्रसिद्धि पाँच काव्यों के पर आधारित है जो सामूहिक रूप से खम्सा (पंचक) के नाम से विख्यात है। यह सामान्य रूप से प्रचलित है कि निज़ामी फिरदौसी के पश्चात् फारसी का सबसे महान् मसनवी लेखक हुआ है। वह अपनी शैली की प्रांजलता, अपने काव्यमय लाक्षणिक चित्रण और अपनी अनेक साहित्यिक सूझों के कौशलमय प्रयोग में अद्वितीय है। इससे उत्तरकालीन अनेक कवियों की स्पर्धा एवं श्लाघा प्रबुद्ध हुई है, जैसे दिल्ली के अमीर खुसरो और बगदाद के फुज़ूली ने इसका उत्तर लिखा है। उनमें से सर्वोत्तम, निस्संदेह रूप से खुसरू का है जिसे पंजगंज भी कहा जाता है। खम्सा पर अनेक भाष्य एवं टिप्पणियाँ लिखी गई हैं, और कविताएँ भिन्न -भिन्न भाषाओं में पूर्णतः या आंशिक रूप से अनूदित की गई हैं। निजामुद्दीन अबू मुहम्मद इलियास बिन यूसुफ का जन्म ११४०-४१ ई. में हुआ था। जब वे अभी छोटे बालक ही थे तभी उनके पिता का देहान्त हो गया। उनका और उनके भाई दोनों का लालन पालन उनके चाचा ने किया और उन्हें शिक्षित भी कराया। बाद में उनके भाई भी कवि के रूप में प्रसिद्ध हुए और 'क़िवामी मुतर्रिज़ी' उपनाम से लिखते थे। निज़ामी के तीन विवाह हुए किन्तु उनके केवल एक ही पुत्र मुहम्मद का नाम ज्ञात है। वह अधिकतर शांत, स्थिर एवं विरक्त जीवन व्यतीत करते थे। उनकी लगभग सभी कृतियाँ समकालीन शाहजादों को ही समर्पित की गई थीं यद्यपि वे कभी भी नियमित रूप से जानेवाले दरबारी नहीं थे। ६३ वर्ष से अधिक अवस्था में १२०३-४ ई. में उनकी मृत्यु हुई। . फ़ारसी, एक भाषा है जो ईरान, ताजिकिस्तान, अफ़गानिस्तान और उज़बेकिस्तान में बोली जाती है। यह ईरान, अफ़ग़ानिस्तान, ताजिकिस्तान की राजभाषा है और इसे ७.५ करोड़ लोग बोलते हैं। भाषाई परिवार के लिहाज़ से यह हिन्द यूरोपीय परिवार की हिन्द ईरानी (इंडो ईरानियन) शाखा की ईरानी उपशाखा का सदस्य है और हिन्दी की तरह इसमें क्रिया वाक्य के अंत में आती है। फ़ारसी संस्कृत से क़ाफ़ी मिलती-जुलती है और उर्दू (और हिन्दी) में इसके कई शब्द प्रयुक्त होते हैं। ये अरबी-फ़ारसी लिपि में लिखी जाती है। अंग्रेज़ों के आगमन से पहले भारतीय उपमहाद्वीप में फ़ारसी भाषा का प्रयोग दरबारी कामों तथा लेखन की भाषा के रूप में होता है। दरबार में प्रयुक्त होने के कारण ही अफ़गानिस्तान में इस दारी कहा जाता है। .

निज़ामी गंजवी और फ़ारसी भाषा के बीच समानता

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निज़ामी गंजवी और फ़ारसी भाषा के बीच तुलना

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संदर्भ

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