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नाभिकीय ईंधन चक्र

सूची नाभिकीय ईंधन चक्र

नाभिकीय ईंधन का जीवनक्रम खुला ईंधन चक्र नाभिकीय ईंधन क्रमिक रूप से कई चरणों से होकर गुजरता है। इसे ही नाभिकीय ईंधन चक्र (nuclear fuel cycle) कहते हैं। इसमें ईंधन की खोज, उसका खनन, से लेकर ईंधन के पैलेट बनाना, उसके 'जल' जाने के बाद उसका पुनर्सन्साधन करना एवं अन्त में उसको निपटाना (डिस्पोजल) आदि सहित बहुत से चरण आते हैं। नाभिकीय ईंधन चक्र दो प्रकार का हो सकता है - खुला ईंधन चक्र एवं बंद ईंधन चक्र। .

3 संबंधों: नाभिकीय पुनर्सन्साधन, नाभिकीय ईन्धन, खनन

नाभिकीय पुनर्सन्साधन

नाभिकीय पुनर्सन्साधन (nuclear reprocessing) एक रासायनिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा विखण्ड-योग्य (fissionable) प्लूटोनियम और यूरेनियम को पहले से ही प्रयोग किये गये नाभिकीय ईन्धन से अलग किया जाता है। यह एक ख़तरनाक और कठिन प्रक्रिया है। नाभिकीय पुनर्सन्साधन द्वारा मिले प्लूटोनियम व यूरेनियम को फिर से नाभिकीय ईन्धन की तरह प्रयोग किया जा सकता है लेकिन इस से परमाणु हथियार भी बनाये जा सकते हैं। .

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नाभिकीय ईन्धन

नाभिकीय ईधन (nuclear fuel) या परमाणु ईधन (atomic fuel) उस सामग्री को कहते हैं जिसे विखण्डन (फिज़न) या नाभिकीय संलयन (फ़्युज़न) की प्रक्रियाओं द्वारा नाभिकीय ऊर्जा बनाने के लिये प्रयोग किया जाता है। यूरेनियम-२३५ और प्लूटोनियम-२३९ सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाले नाभिकीय ईधन हैं। .

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खनन

सरलीकृत विश्व खनन मानचित्र पृथ्वी के गर्भ से धातुओं, अयस्कों, औद्योगिक तथा अन्य उपयोगी खनिजों को बाहर निकोलना खनिकर्म या खनन (mining) हैं। आधुनिक युग में खनिजों तथा धातुओं की खपत इतनी अधिक हो गई है कि प्रति वर्ष उनकी आवश्यकता करोड़ों टन की होती है। इस खपत की पूर्ति के लिए बड़ी-बड़ी खानों की आवश्यकता का उत्तरोत्तर अनुभव हुआ। फलस्वरूप खनिकर्म ने विस्तृत इंजीनियरों का रूप धारण कर लिया है। इसको खनन इंजीनियरी कहते हैं। संसार के अनेक देशों में, जिनमें भारत भी एक है, खनिकर्म बहुत प्राचीन समय से ही प्रचलित है। वास्तव में प्राचीन युग में धातुओं तथा अन्य खनिजों की खपत बहुत कम थी, इसलिए छोटी-छोटी खान ही पर्याप्त थी। उस समय ये खानें 100 फुट की गहराई से अधिक नहीं जाती थीं। जहाँ पानी निकल आया करता था वहाँ नीचे खनन करना असंभव हो जाता था; उस समय आधुनिक ढंग के पंप आदि यंत्र नहीं थे। .

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