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नाट्यदर्पण और संस्कृत ग्रन्थों की सूची

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

नाट्यदर्पण और संस्कृत ग्रन्थों की सूची के बीच अंतर

नाट्यदर्पण vs. संस्कृत ग्रन्थों की सूची

नाट्यदर्पण, नाट्यशास्त्र का प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इसकी रचना आचार्य रामचन्द्र और आचार्य गुणचन्द्र ने सम्मिलित रूप से की थी। ये दोनो आचार्य हेमचन्द्र के शिष्य हैं। इनका कार्यकाल गुजरात के सिद्धराज, कुमारपाल और अजयपाल तीनों राजाओं के शासनकाल में रहा है। कहा जाता है कि अन्तिम राजा अजयपाल ने किसी कारण से क्रोधित होकर इन्हें प्राणदण्ड दे दिया था। आचार्य गुणचन्द्र का “नाट्यदर्पण” के अलावा और कोई दूसरा ग्रंथ नहीं मिलता है। लेकिन कहा जाता है कि आचार्य रामचन्द्र ने कुल लगभग 190 ग्रंथों की रचना की थी। इनके द्वारा विरचित 11 नाटकों के उद्धरण “नाट्यदर्पण” में देखने को मिलते हैं। इसके अतिरिक्त “नाट्यशास्त्र” के इस ग्रंथ में अनेक दुर्लभ नाटकों के भी उद्धरण आए हैं, यथा विशाखदत्त द्वारा विरचित “देवीचन्द्र गुप्त”। “नाट्यदर्पण” की रचना कारिका शैली में की गयी है। इसकी वृत्ति भी इन्हीं दोनों आचार्यों ने लिखी है। यह ग्रंथ चार “विवेकों” में विभक्त है। इसमें नाटक, प्रकरण आदि रूपक, रस, अभिनव एवं रूपक से सम्बन्धित अन्य विषयों का भी निरूपण किया गया है। . निम्नलिखित सूची अंग्रेजी (रोमन) से मशीनी लिप्यन्तरण द्वारा तैयार की गयी है। इसमें बहुत सी त्रुटियाँ हैं। विद्वान कृपया इन्हें ठीक करने का कष्ट करे। .

नाट्यदर्पण और संस्कृत ग्रन्थों की सूची के बीच समानता

नाट्यदर्पण और संस्कृत ग्रन्थों की सूची आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): नाट्य शास्त्र, साहित्य दर्पण, हेमचन्द्राचार्य

नाट्य शास्त्र

250px नाटकों के संबंध में शास्त्रीय जानकारी को नाट्य शास्त्र कहते हैं। इस जानकारी का सबसे पुराना ग्रंथ भी नाट्यशास्त्र के नाम से जाना जाता है जिसके रचयिता भरत मुनि थे। भरत मुनि का काल ४०० ई के निकट माना जाता है। संगीत, नाटक और अभिनय के संपूर्ण ग्रंथ के रूप में भारतमुनि के नाट्य शास्त्र का आज भी बहुत सम्मान है। उनका मानना है कि नाट्य शास्त्र में केवल नाट्य रचना के नियमों का आकलन नहीं होता बल्कि अभिनेता रंगमंच और प्रेक्षक इन तीनों तत्वों की पूर्ति के साधनों का विवेचन होता है। 37 अध्यायों में भरतमुनि ने रंगमंच अभिनेता अभिनय नृत्यगीतवाद्य, दर्शक, दशरूपक और रस निष्पत्ति से संबंधित सभी तथ्यों का विवेचन किया है। भरत के नाट्य शास्त्र के अध्ययन से यह स्पष्ट हो जाता है कि नाटक की सफलता केवल लेखक की प्रतिभा पर आधारित नहीं होती बल्कि विभिन्न कलाओं और कलाकारों के सम्यक के सहयोग से ही होती है। .

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साहित्य दर्पण

साहित्य दर्पण संस्कृत भाषा में लिखा गया साहित्य विषयक ग्रन्थ है जिसके लेखक पण्डित विश्वनाथ हैं। विश्वनाथ का समय 14वीं शताब्दी ठहराया जाता है। मम्मट के काव्यप्रकाश के समान ही साहित्यदर्पण भी साहित्यालोचना का एक प्रमुख ग्रन्थ है। काव्य के श्रव्य एवं दृश्य दोनों प्रभेदों के संबंध में इस ग्रन्थ में विचारों की विस्तृत अभिव्यक्ति हुई है। इसक विभाजन 10 परिच्छेदों में है। .

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हेमचन्द्राचार्य

ताड़पत्र-प्रति पर आधारित '''हेमचन्द्राचार्य''' की छवि आचार्य हेमचन्द्र (1145-1229) महान गुरु, समाज-सुधारक, धर्माचार्य, गणितज्ञ एवं अद्भुत प्रतिभाशाली मनीषी थे। भारतीय चिंतन, साहित्य और साधना के क्षेत्रमें उनका नाम अत्यंत महत्वपूर्ण है। साहित्य, दर्शन, योग, व्याकरण, काव्यशास्त्र, वाड्मयके सभी अंड्गो पर नवीन साहित्यकी सृष्टि तथा नये पंथको आलोकित किया। संस्कृत एवं प्राकृत पर उनका समान अधिकार था। संस्कृत के मध्यकालीन कोशकारों में हेमचंद्र का नाम विशेष महत्व रखता है। वे महापंडित थे और 'कालिकालसर्वज्ञ' कहे जाते थे। वे कवि थे, काव्यशास्त्र के आचार्य थे, योगशास्त्रमर्मज्ञ थे, जैनधर्म और दर्शन के प्रकांड विद्वान् थे, टीकाकार थे और महान कोशकार भी थे। वे जहाँ एक ओर नानाशास्त्रपारंगत आचार्य थे वहीं दूसरी ओर नाना भाषाओं के मर्मज्ञ, उनके व्याकरणकार एवं अनेकभाषाकोशकार भी थे। समस्त गुर्जरभूमिको अहिंसामय बना दिया। आचार्य हेमचंद्र को पाकर गुजरात अज्ञान, धार्मिक रुढियों एवं अंधविश्र्वासों से मुक्त हो कीर्ति का कैलास एवं धर्मका महान केन्द्र बन गया। अनुकूल परिस्थिति में कलिकाल सर्वज्ञ आचार्य हेमचंद्र सर्वजनहिताय एवं सर्वापदेशाय पृथ्वी पर अवतरित हुए। १२वीं शताब्दी में पाटलिपुत्र, कान्यकुब्ज, वलभी, उज्जयिनी, काशी इत्यादि समृद्धिशाली नगरों की उदात्त स्वर्णिम परम्परामें गुजरात के अणहिलपुर ने भी गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त किया। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

नाट्यदर्पण और संस्कृत ग्रन्थों की सूची के बीच तुलना

नाट्यदर्पण 3 संबंध है और संस्कृत ग्रन्थों की सूची 253 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 1.17% है = 3 / (3 + 253)।

संदर्भ

यह लेख नाट्यदर्पण और संस्कृत ग्रन्थों की सूची के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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