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नागरी लिपि और प्राचीन भारत

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

नागरी लिपि और प्राचीन भारत के बीच अंतर

नागरी लिपि vs. प्राचीन भारत

नागरी लिपि से ही देवनागरी, नंदिनागरी आदि लिपियों का विकास हुआ है। इसका पहले प्राकृत और संस्कृत भाषा को लिखने में उपयोग किया जाता था। कई बार 'नागरी लिपि' का अर्थ 'देवनागरी लिपि' भी लगाया जाता है। नागरी लिपि का विकास ब्राह्मी लिपि से हुआ है। कुछ अनुसन्धानों से पता चला कि नागरी लिपि का विकास प्राचीन भारत में पहली से चौथी शताब्दी में गुजरात में हुआ था। सातवीं शताब्दी में यह लिपि आमतौर पर उपयोग की जाती थी और कई शताब्दियों के पश्चात इसके स्थान पर देवनागरी और नंदिनागरी का उपयोग होने लगा। . मानव के उदय से लेकर दसवीं सदी तक के भारत का इतिहास प्राचीन भारत का इतिहास कहलाता है। .

नागरी लिपि और प्राचीन भारत के बीच समानता

नागरी लिपि और प्राचीन भारत आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): संस्कृत भाषा

संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

नागरी लिपि और संस्कृत भाषा · प्राचीन भारत और संस्कृत भाषा · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

नागरी लिपि और प्राचीन भारत के बीच तुलना

नागरी लिपि 8 संबंध है और प्राचीन भारत 132 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 0.71% है = 1 / (8 + 132)।

संदर्भ

यह लेख नागरी लिपि और प्राचीन भारत के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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