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धैवत और राग हिंडोल

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

धैवत और राग हिंडोल के बीच अंतर

धैवत vs. राग हिंडोल

भारतीय शास्त्रीय संगीत के सात स्वरों में से छठा स्वर। श्रेणी:भारतीय संगीत के स्वर. राग हिंडोल 16वीं शती का एक लघुचित्रराग हिंडोल या राग हिंदोल का जन्म कल्याण थाट से माना गया है। इसमें मध्यम तीव्र तथा निषाद व गंधार कोमल लगते हैं। ऋषभ तथा पंचम वर्जित है। इसकी जाति ओड़व ओड़व है तथा वादी स्वर धैवत व संवादी स्वर गांधार है। गायन का समय प्रातःकाल है। शुद्ध निषाद, रिषभ और पंचम इस स्वर इसमें वर्ज्य हैं। तीव्र मध्यम वाला यह एक ही राग है जिसको प्रातःकाल गाया जाता है। अन्य सभी तीव्र मध्यम वाले रागों का गायन समय रात्रि में होता है। राग हिंदोल में निषाद को बहुत कम महत्व दिया गया है। इतना ही नहीं, आरोह में उसे वर्ज्य करके अवरोह में भी सां ध इन दो स्वरों के बीच में छुपाना पड़ता है क्यों कि म ध नि सा लेने से सोहनी और सां नि, ध म लेने से पूरिया राग की छाया इसमें आने लगती है। इसको सोहनी और पूरिया से बचाने के लिए मध सांध, धम गसा ध सां ऐसी पकड़ लेने से इसका स्वरूप स्पष्ट होता है। इस राग में जब सां ध ऐसे स्वर आते हैं तब सां से ध स्वर पर आते समय बीच के निषाद को धैवत में जोड़ दिया जाता है। राग चिकित्सा में इस राग को जोड़ों के दर्द के लिए लाभकारी माना गया है। .

धैवत और राग हिंडोल के बीच समानता

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धैवत और राग हिंडोल के बीच तुलना

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संदर्भ

यह लेख धैवत और राग हिंडोल के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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