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द्विवेदी और महावीर प्रसाद द्विवेदी

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

द्विवेदी और महावीर प्रसाद द्विवेदी के बीच अंतर

द्विवेदी vs. महावीर प्रसाद द्विवेदी

द्विवेदी एक भारतीय उपनाम है। ब्राह्मण जाति में एक उप जाति जो द्विवेदी, दूबे, दबे के उप-नाम से विभिन्न स्थानों में निवास करती है। ब्राम्हण की इस उप-जाति का उद्गम स्थान अधिकतर लोग उ॰ प्र॰ के गोरखपुर जिले के "समदरिया एवं सरार" को मानते हैं। यह एक यर्जुवेदिय मध्यान्धनी शाखा के ब्राम्हण होते हैं। जिनमें प्रमुख गोत्र बत्स, भारद्वाज, शान्डिल्य इत्यादि होते हैं। द्विबेदी अथवा दूबे उप-नाम से विशेष कर उ॰प्र॰ में गोरखपुर,Siddharth nagar देवरिया, मदरिया, वाराणसी, लखनऊ, कानपुर (कान्यकुब्ज दूबे) म॰ प्र॰ में इन्दौर, भोपाल, जबलपुर, सतना, रीवा; पंजाब में होशियारपुर,नांगल एवं गुजरात में नन्दियाड़, भावनगर में द्विबेदी अथवा दूबे, दबे उप-नाम से निवास करते हैं। द्विवेदी उप-नाम में महत्व पूर्ण व्यक्तित्व प्रमुख लेखक, कवी संत एवं विद्वान-संत तुलसी दास, महाबीर प्रसाद द्विवेदी, हजारी प्रसाद द्विवेदी, बाल गोबिन्द द्विवेदी, लाल बहादुर दुबे, रेवा प्रसाद द्विवेदी प्रसिद्ध हैं। श्रेणी:भारतीय उपनाम. आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी (1864–1938) हिन्दी के महान साहित्यकार, पत्रकार एवं युगप्रवर्तक थे। उन्होने हिंदी साहित्य की अविस्मरणीय सेवा की और अपने युग की साहित्यिक और सांस्कृतिक चेतना को दिशा और दृष्टि प्रदान की। उनके इस अतुलनीय योगदान के कारण आधुनिक हिंदी साहित्य का दूसरा युग 'द्विवेदी युग' (1900–1920) के नाम से जाना जाता है। उन्होने सत्रह वर्ष तक हिन्दी की प्रसिद्ध पत्रिका सरस्वती का सम्पादन किया। हिन्दी नवजागरण में उनकी महान भूमिका रही। भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन को गति व दिशा देने में भी उनका उल्लेखनीय योगदान रहा। .

द्विवेदी और महावीर प्रसाद द्विवेदी के बीच समानता

द्विवेदी और महावीर प्रसाद द्विवेदी आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): ब्राह्मण

ब्राह्मण

ब्राह्मण का शब्द दो शब्दों से बना है। ब्रह्म+रमण। इसके दो अर्थ होते हैं, ब्रह्मा देश अर्थात वर्तमान वर्मा देशवासी,द्वितीय ब्रह्म में रमण करने वाला।यदि ऋग्वेद के अनुसार ब्रह्म अर्थात ईश्वर को रमण करने वाला ब्राहमण होता है। । स्कन्दपुराण में षोडशोपचार पूजन के अंतर्गत अष्टम उपचार में ब्रह्मा द्वारा नारद को द्विज की उत्त्पत्ति बताई गई है जन्मना जायते शूद्रः संस्कारात् द्विज उच्यते। शापानुग्रहसामर्थ्यं तथा क्रोधः प्रसन्नता। ब्राह्मण (आचार्य, विप्र, द्विज, द्विजोत्तम) यह वर्ण व्‍यवस्‍था का वर्ण है। एेतिहासिक रूप हिन्दु वर्ण व्‍यवस्‍था में चार वर्ण होते हैं। ब्राह्मण (ज्ञानी ओर आध्यात्मिकता के लिए उत्तरदायी), क्षत्रिय (धर्म रक्षक), वैश्य (व्यापारी) तथा शूद्र (सेवक, श्रमिक समाज)। यस्क मुनि की निरुक्त के अनुसार - ब्रह्म जानाति ब्राह्मण: -- ब्राह्मण वह है जो ब्रह्म (अंतिम सत्य, ईश्वर या परम ज्ञान) को जानता है। अतः ब्राह्मण का अर्थ है - "ईश्वर का ज्ञाता"। सन:' शब्द के भी तप, वेद विद्या अदि अर्थ है | निरंतारार्थक अनन्य में भी 'सना' शब्द का पाठ है | 'आढ्य' का अर्थ होता है धनी | फलतः जो तप, वेद, और विद्या के द्वारा निरंतर पूर्ण है, उसे ही "सनाढ्य" कहते है - 'सनेन तपसा वेदेन च सना निरंतरमाढ्य: पूर्ण सनाढ्य:' उपर्युक्त रीति से 'सनाढ्य' शब्द में ब्राह्मणत्व के सभी प्रकार अनुगत होने पर जो सनाढ्य है वे ब्राह्मण है और जो ब्राह्मण है वे सनाढ्य है | यह निर्विवाद सिद्ध है | अर्थात ऐसा कौन ब्राह्मण होगा, जो 'सनाढ्य' नहीं होना चाहेगा | भारतीय संस्कृति की महान धाराओं के निर्माण में सनाढ्यो का अप्रतिभ योगदान रहा है | वे अपने सुखो की उपेक्षा कर दीपबत्ती की तरह तिलतिल कर जल कर समाज के लिए मिटते रहे है | .

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द्विवेदी और महावीर प्रसाद द्विवेदी के बीच तुलना

द्विवेदी 7 संबंध है और महावीर प्रसाद द्विवेदी 45 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 1.92% है = 1 / (7 + 45)।

संदर्भ

यह लेख द्विवेदी और महावीर प्रसाद द्विवेदी के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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