लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सेना और द्वितीय विश्वयुद्ध

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सेना और द्वितीय विश्वयुद्ध के बीच अंतर

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सेना vs. द्वितीय विश्वयुद्ध

अन्य अवधियों के लिए भारतीय सेना (1895-1947) देखें 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सेना में मात्र 200,000 लोग शामिल थे। सुमनेर, पी.25 युद्ध के अंत तक यह इतिहास की सबसे बड़ी स्वयंसेवी सेना बन गई जिसमें कार्यरत लोगों की संख्या बढ़कर अगस्त 1945 तक 25 लाख से अधिक हो गई। पैदल सेना (इन्फैन्ट्री), बख्तरबंद और अनुभवहीन हवाई बल के डिवीजनों के रूप में अपनी सेवा प्रदान करते हुए उन्होंने अफ्रीका, यूरोप और एशिया के महाद्वीपों में युद्ध किया। भारतीय सेना ने इथियोपिया में इतालवी सेना के खिलाफ; मिस्र, लीबिया और ट्यूनीशिया में इतालवी और जर्मन सेना के खिलाफ; और इतालवी सेना के आत्मसमर्पण के बाद इटली में जर्मन सेना के खिलाफ युद्ध किया। हालांकि अधिकांश भारतीय सेना को जापानी सेना के खिलाफ लड़ाई में झोंक दिया गया था, सबसे पहले मलाया में हार और उसके बाद बर्मा से भारतीय सीमा तक पीछे हटने के दौरान; और आराम करने के बाद ब्रिटिश साम्राज्य की अब तक की विशालतम सेना के एक हिस्से के रूप में बर्मा में फिर से विजयी अभियान पर आगे बढ़ने के दौरान. द्वितीय विश्वयुद्ध १९३९ से १९४५ तक चलने वाला विश्व-स्तरीय युद्ध था। लगभग ७० देशों की थल-जल-वायु सेनाएँ इस युद्ध में सम्मलित थीं। इस युद्ध में विश्व दो भागों मे बँटा हुआ था - मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र। इस युद्ध के दौरान पूर्ण युद्ध का मनोभाव प्रचलन में आया क्योंकि इस युद्ध में लिप्त सारी महाशक्तियों ने अपनी आर्थिक, औद्योगिक तथा वैज्ञानिक क्षमता इस युद्ध में झोंक दी थी। इस युद्ध में विभिन्न राष्ट्रों के लगभग १० करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया, तथा यह मानव इतिहास का सबसे ज़्यादा घातक युद्ध साबित हुआ। इस महायुद्ध में ५ से ७ करोड़ व्यक्तियों की जानें गईं क्योंकि इसके महत्वपूर्ण घटनाक्रम में असैनिक नागरिकों का नरसंहार- जिसमें होलोकॉस्ट भी शामिल है- तथा परमाणु हथियारों का एकमात्र इस्तेमाल शामिल है (जिसकी वजह से युद्ध के अंत मे मित्र राष्ट्रों की जीत हुई)। इसी कारण यह मानव इतिहास का सबसे भयंकर युद्ध था। हालांकि जापान चीन से सन् १९३७ ई. से युद्ध की अवस्था में था किन्तु अमूमन दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत ०१ सितम्बर १९३९ में जानी जाती है जब जर्मनी ने पोलैंड पर हमला बोला और उसके बाद जब फ्रांस ने जर्मनी पर युद्ध की घोषणा कर दी तथा इंग्लैंड और अन्य राष्ट्रमंडल देशों ने भी इसका अनुमोदन किया। जर्मनी ने १९३९ में यूरोप में एक बड़ा साम्राज्य बनाने के उद्देश्य से पोलैंड पर हमला बोल दिया। १९३९ के अंत से १९४१ की शुरुआत तक, अभियान तथा संधि की एक शृंखला में जर्मनी ने महाद्वीपीय यूरोप का बड़ा भाग या तो अपने अधीन कर लिया था या उसे जीत लिया था। नाट्सी-सोवियत समझौते के तहत सोवियत रूस अपने छः पड़ोसी मुल्कों, जिसमें पोलैंड भी शामिल था, पर क़ाबिज़ हो गया। फ़्रांस की हार के बाद युनाइटेड किंगडम और अन्य राष्ट्रमंडल देश ही धुरी राष्ट्रों से संघर्ष कर रहे थे, जिसमें उत्तरी अफ़्रीका की लड़ाइयाँ तथा लम्बी चली अटलांटिक की लड़ाई शामिल थे। जून १९४१ में युरोपीय धुरी राष्ट्रों ने सोवियत संघ पर हमला बोल दिया और इसने मानव इतिहास में ज़मीनी युद्ध के सबसे बड़े रणक्षेत्र को जन्म दिया। दिसंबर १९४१ को जापानी साम्राज्य भी धुरी राष्ट्रों की तरफ़ से इस युद्ध में कूद गया। दरअसल जापान का उद्देश्य पूर्वी एशिया तथा इंडोचायना में अपना प्रभुत्व स्थापित करने का था। उसने प्रशान्त महासागर में युरोपीय देशों के आधिपत्य वाले क्षेत्रों तथा संयुक्त राज्य अमेरीका के पर्ल हार्बर पर हमला बोल दिया और जल्द ही पश्चिमी प्रशान्त पर क़ब्ज़ा बना लिया। सन् १९४२ में आगे बढ़ती धुरी सेना पर लगाम तब लगी जब पहले तो जापान सिलसिलेवार कई नौसैनिक झड़पें हारा, युरोपीय धुरी ताकतें उत्तरी अफ़्रीका में हारीं और निर्णायक मोड़ तब आया जब उनको स्तालिनग्राड में हार का मुँह देखना पड़ा। सन् १९४३ में जर्मनी पूर्वी युरोप में कई झड़पें हारा, इटली में मित्र राष्ट्रों ने आक्रमण बोल दिया तथा अमेरिका ने प्रशान्त महासागर में जीत दर्ज करनी शुरु कर दी जिसके कारणवश धुरी राष्ट्रों को सारे मोर्चों पर सामरिक दृश्टि से पीछे हटने की रणनीति अपनाने को मजबूर होना पड़ा। सन् १९४४ में जहाँ एक ओर पश्चिमी मित्र देशों ने जर्मनी द्वारा क़ब्ज़ा किए हुए फ़्रांस पर आक्रमण किया वहीं दूसरी ओर से सोवियत संघ ने अपनी खोई हुयी ज़मीन वापस छीनने के बाद जर्मनी तथा उसके सहयोगी राष्ट्रों पर हमला बोल दिया। सन् १९४५ के अप्रैल-मई में सोवियत और पोलैंड की सेनाओं ने बर्लिन पर क़ब्ज़ा कर लिया और युरोप में दूसरे विश्वयुद्ध का अन्त ८ मई १९४५ को तब हुआ जब जर्मनी ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया। सन् १९४४ और १९४५ के दौरान अमेरिका ने कई जगहों पर जापानी नौसेना को शिकस्त दी और पश्चिमी प्रशान्त के कई द्वीपों में अपना क़ब्ज़ा बना लिया। जब जापानी द्वीपसमूह पर आक्रमण करने का समय क़रीब आया तो अमेरिका ने जापान में दो परमाणु बम गिरा दिये। १५ अगस्त १९४५ को एशिया में भी दूसरा विश्वयुद्ध समाप्त हो गया जब जापानी साम्राज्य ने आत्मसमर्पण करना स्वीकार कर लिया। .

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सेना और द्वितीय विश्वयुद्ध के बीच समानता

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सेना और द्वितीय विश्वयुद्ध आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): पहला विश्व युद्ध, सोवियत संघ, इरित्रिया

पहला विश्व युद्ध

पहला विश्व युद्ध 1914 से 1918 तक मुख्य तौर पर यूरोप में व्याप्त महायुद्ध को कहते हैं। यह महायुद्ध यूरोप, एशिया व अफ़्रीका तीन महाद्वीपों और समुंदर, धरती और आकाश में लड़ा गया। इसमें भाग लेने वाले देशों की संख्या, इसका क्षेत्र (जिसमें यह लड़ा गया) तथा इससे हुई क्षति के अभूतपूर्व आंकड़ों के कारण ही इसे विश्व युद्ध कहते हैं। पहला विश्व युद्ध लगभग 52 माह तक चला और उस समय की पीढ़ी के लिए यह जीवन की दृष्टि बदल देने वाला अनुभव था। क़रीब आधी दुनिया हिंसा की चपेट में चली गई और इस दौरान अंदाज़न एक करोड़ लोगों की जान गई और इससे दोगुने घायल हो गए। इसके अलावा बीमारियों और कुपोषण जैसी घटनाओं से भी लाखों लोग मरे। विश्व युद्ध ख़त्म होते-होते चार बड़े साम्राज्य रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी (हैप्सबर्ग) और उस्मानिया ढह गए। यूरोप की सीमाएँ फिर से निर्धारित हुई और अमेरिका निश्चित तौर पर एक 'महाशक्ति ' बन कर उभरा। .

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सेना और पहला विश्व युद्ध · द्वितीय विश्वयुद्ध और पहला विश्व युद्ध · और देखें »

सोवियत संघ

सोवियत संघ (रूसी भाषा: Сове́тский Сою́з, सोवेत्स्की सोयूज़; अंग्रेज़ी: Soviet Union), जिसका औपचारिक नाम सोवियत समाजवादी गणतंत्रों का संघ (Сою́з Сове́тских Социалисти́ческих Респу́блик, Union of Soviet Socialist Republics) था, यूरेशिया के बड़े भूभाग पर विस्तृत एक देश था जो १९२२ से १९९१ तक अस्तित्व में रहा। यह अपनी स्थापना से १९९० तक साम्यवादी पार्टी (कोम्युनिस्ट पार्टी) द्वारा शासित रहा। संवैधानिक रूप से सोवियत संघ १५ स्वशासित गणतंत्रों का संघ था लेकिन वास्तव में पूरे देश के प्रशासन और अर्थव्यवस्था पर केन्द्रीय सरकार का कड़ा नियंत्रण रहा। रूसी सोवियत संघीय समाजवादी गणतंत्र (Russian Soviet Federative Socialist Republic) इस देश का सबसे बड़ा गणतंत्र और राजनैतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक केंद्र था, इसलिए पूरे देश का गहरा रूसीकरण हुआ। यही कारण रहा कि विदेश में भी सोवियत संघ को अक्सर गलती से 'रूस' बोल दिया जाता था। .

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सेना और सोवियत संघ · द्वितीय विश्वयुद्ध और सोवियत संघ · और देखें »

इरित्रिया

पठार पर एक ट्रेन सुरंग। इरित्रिया (अरबी: إرتريا Iritriya) पूर्वोत्तर अफ्रीका में स्थित एक देश है, जिसे आधिकारिक तौर पर इरित्रिया राज्य के नाम से जाना जाता है। इसके पश्चिम में सूडान, दक्षिण में इथियोपिया और दक्षिणपूर्व में जिबूती स्थित है। देश के पूर्व और उत्तर पूर्व भाग में सऊदी अरब और यमन के सीध में लाल सागर की विशाल तटरेखा है। धालक द्वीपसमूह और हनीश द्वीप समूह के अनेक भाग इरित्रिया का हिस्सा हैं। 1,18,000 वर्ग किमी से छोटे इस देश की आबादी करीबन 5 लाख है। देश की राजधानी असमारा है। .

इरित्रिया और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सेना · इरित्रिया और द्वितीय विश्वयुद्ध · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सेना और द्वितीय विश्वयुद्ध के बीच तुलना

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सेना 22 संबंध है और द्वितीय विश्वयुद्ध 60 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 3.66% है = 3 / (22 + 60)।

संदर्भ

यह लेख द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सेना और द्वितीय विश्वयुद्ध के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »