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द्रवचालित संचरण प्रणाली

सूची द्रवचालित संचरण प्रणाली

द्रवचालित प्रणाली में बल एवं बलाघूर्ण शक्तिप्रेषण की विधियों में द्रवचालित प्रणाली (हाइड्रॉलिक सिस्टम) सबसे आधुनिक है। द्रवचालित प्रणाली में शक्ति एक तरल की सहायता से प्रेषित की जाती है। यह तरल बहुधा तेल होता है, किंतु कभी कभी जल का भी व्यवहार किया जाता है। द्रवचालित प्रणाली को दो विभागों में विभाजित किया जा सकता है: द्रवचालित स्थितिज प्रणाली और द्रवचालित गतिज प्रणाली। .

7 संबंधों: ट्रैक्टर, तेल, पास्कल का सिद्धान्त, शक्ति, संचरण (यांत्रिकी), जल, जलचालित मशीन

ट्रैक्टर

सामान से भरी ट्रॉली खींचता हुआ कर्षित्र ट्रैक्टर (कर्षित्र) आधुनिक कृषि के उपयोग में आने वाला प्रमुख उपकरण है। यह एक ऐसी गाड़ी है जो कम चाल पर अधिक कर्षण बल (ट्रैक्टिव इफर्ट) प्रदान करने के लिये डिजाइन की गयी होती है। यह अपने पीछे जुडी हुई कृषि उपकरण, सामान लदी ट्रैलर, ट्राली आदि खींचने का कार्य भी करता है। इसके ऊपर कुछ ऐसे कृषि उपकरण भी लगाये जाते हैं जिन्हें ट्रैक्टर से प्राप्त शक्ति से चलाया जाता है। .

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तेल

तेल से तात्पर्य निम्नलिखित वस्तुओं से होता है-.

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पास्कल का सिद्धान्त

पास्कल का सिद्धान्त: जल-स्तम्भ के दबाव के कारण पीपे (barrel) का फटना। सन् १६४६ में पास्कल ने यही प्रयोग किया था। पास्कल का सिद्धान्त या पास्कल का नियम द्रवस्थैतिकी में दाब से सम्बन्धित एक महत्वपूर्ण सिद्धान्त है। इसे फ्रांसीसी गणितज्ञ ब्लेज पास्कल ने प्रतिपादित किया था। यह सिद्धान्त इस प्रकार है - .

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शक्ति

भौतिकी में कार्य करने की दर को शक्ति (पावर/Power) कहते हैं। इसकी इकाई वाट होती है जो १ जूल प्रति सेकेण्ड के बराबर होती है। इसके अलावा 'शक्ति' शब्द का अन्य अर्थों में भी उपयोग होता है, जैसे 'देवी', राजनीतिक शक्ति, सैन्य शक्ति आदि। .

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संचरण (यांत्रिकी)

पवनचक्की में शक्ति संचरण लाइन शाफ्ट शक्ति का यांत्रिक संचरण पट्टे (belt) या रज्जु (rope) की सहायता से शैफ्ट (shaft) द्वारा, अथवा यंत्रिचक्र (wheel gearing) और जंजीर (chain) की सहायता से होता है। परिस्थिति के अनुसार शक्ति को संचारित करने के लिए ये तरीके अलग अलग, या एक दूसरे के साथ, व्यवहृत किए जाते हैं। मूल चालक के अनुसार शक्तिसंचरण के यांत्रिक उपकरणों का अभिकल्प (डिजाइन) एवं निर्माण किया जाता है। मूल चालक के गतिपालक चक्र (flywheel) पर लगे हुए पट्टे द्वारा, शक्ति को रेखा शैफ्ट (line shaft) में संचारित किया जाता है। रेखा शैफ्ट पर अभिकल्प के अनुसार घिरनियाँ (pulleys) लगी रहती हैं। उन घिरनियों पर लगे हुए पट्टे द्वारा शक्ति को रेखाशैफ्ट से विभिन्न यंत्रों में संचारित किया जाता है। इस प्रकार की प्रणाली में सबसे बड़ा अवगुण यह है कि किसी भी कारणवश रेखाशैफ्ट का चलना बंद होते ही सभी यंत्र, जिन्हें रेखाशैफ्ट से शक्ति संचरित की जाती है, बेकार हो जाते हैं। इस प्रकार के शक्तिसंचरण का मात्रात्मक विश्लेषण करने के लिए इंजन के क्रैंक शेफ्ट को संचरण का आरंभ बिंदु एवं यंत्र के प्रथम गतिमान शैफ्ट को संचरण का अंतिम बिंदु मान लिया जाता है। यह अनुमान विशिष्ट यत्र के लिए उपयुक्त है। मान लिया कि इंजन की गति N परिक्रमण (revolutions) प्रति मिनट है। इस गति पर चलते हुए इंजन क्रैंकशैफ्ट पर लगातार बल आधूर्ण (torque) डालता रहता है। मान लिया कि बल आधूर्ण की मात्रा T किलोग्राम प्रति मीटर है। इस अवस्था में इंजन की कोणीय (angular) गति w, का मूल्य होगा 2 x पाई x N / 60। यहाँ w की ईकाई रेडियन प्रति सेकंड है। अत: इंजन क्रैंक शैफ्ट द्वारा किए गए कार्य की दर wT किलोग्राम प्रति मीटर प्रति सेकंड है। सुविधा के लिए मान लिया, क्रैंक शैफ्ट से प्राप्त संपूर्ण शक्ति एक ही यंत्र को संचरित होती है। मान लिया, उस यंत्र पर डाला जानेवाला बल आघूर्ण T1 किलोग्राम प्रति मीटर है और w1 रेडियन प्रति सेकंड यंत्र की कोणीय गति है, तब उस यंत्र द्वारा प्राप्त ऊर्जा की दर होगी w1T1 किलोग्राम मीटर प्रति सेकंड। घर्षण एवं अन्य अवरोधों को अभिभूत (overcome) करने के लिए ऊर्जा का कुछ अंश संचरणयंत्र द्वारा अवशोषित (absorbed) होता है। यदि ऐसा नहीं हो, तो यंत्र द्वारा ऊर्जा अवशोषण की दर मूल चालक द्वारा उत्पन्न ऊर्जा की दर के समतुल्य होगी। किंतु व्यवहार में ऐसा नहीं होता है। .

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जल

जल या पानी एक आम रासायनिक पदार्थ है जिसका अणु दो हाइड्रोजन परमाणु और एक ऑक्सीजन परमाणु से बना है - H2O। यह सारे प्राणियों के जीवन का आधार है। आमतौर पर जल शब्द का प्प्रयोग द्रव अवस्था के लिए उपयोग में लाया जाता है पर यह ठोस अवस्था (बर्फ) और गैसीय अवस्था (भाप या जल वाष्प) में भी पाया जाता है। पानी जल-आत्मीय सतहों पर तरल-क्रिस्टल के रूप में भी पाया जाता है। पृथ्वी का लगभग 71% सतह को 1.460 पीटा टन (पीटी) (1021 किलोग्राम) जल से आच्छदित है जो अधिकतर महासागरों और अन्य बड़े जल निकायों का हिस्सा होता है इसके अतिरिक्त, 1.6% भूमिगत जल एक्वीफर और 0.001% जल वाष्प और बादल (इनका गठन हवा में जल के निलंबित ठोस और द्रव कणों से होता है) के रूप में पाया जाता है। खारे जल के महासागरों में पृथ्वी का कुल 97%, हिमनदों और ध्रुवीय बर्फ चोटिओं में 2.4% और अन्य स्रोतों जैसे नदियों, झीलों और तालाबों में 0.6% जल पाया जाता है। पृथ्वी पर जल की एक बहुत छोटी मात्रा, पानी की टंकिओं, जैविक निकायों, विनिर्मित उत्पादों के भीतर और खाद्य भंडार में निहित है। बर्फीली चोटिओं, हिमनद, एक्वीफर या झीलों का जल कई बार धरती पर जीवन के लिए साफ जल उपलब्ध कराता है। जल लगातार एक चक्र में घूमता रहता है जिसे जलचक्र कहते है, इसमे वाष्पीकरण या ट्रांस्पिरेशन, वर्षा और बह कर सागर में पहुॅचना शामिल है। हवा जल वाष्प को स्थल के ऊपर उसी दर से उड़ा ले जाती है जिस गति से यह बहकर सागर में पहँचता है लगभग 36 Tt (1012किलोग्राम) प्रति वर्ष। भूमि पर 107 Tt वर्षा के अलावा, वाष्पीकरण 71 Tt प्रति वर्ष का अतिरिक्त योगदान देता है। साफ और ताजा पेयजल मानवीय और अन्य जीवन के लिए आवश्यक है, लेकिन दुनिया के कई भागों में खासकर विकासशील देशों में भयंकर जलसंकट है और अनुमान है कि 2025 तक विश्व की आधी जनसंख्या इस जलसंकट से दो-चार होगी।.

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जलचालित मशीन

इस द्रवचालित भूमिखोदक में बेलन (सिलिण्डर) दिखाई पड़ रहे हैं। हाइड्रालिक बल एवं बलयुग्म (टॉर्क) पिस्टनयुक्त अथवा बेलनदार प्रत्यागमनी (रेसिप्रोकेटिंग) और धुरे पर लगी पंखुड़ीयुक्त घूमनेवाली उन सब मशीनों को जलचालित मशीनें (Hydraulic machines) कहते हैं जो उच्च दाब के जल के माध्यम से बड़ी ही मंद गति से चलती हैं। मंद गति से चलने के कारण इनकी चाल पर बड़ी सरलता से सही सही नियंत्रण रखा जा सकता है। हविस तथा लिफ्ट (Hoists and lifts), क्रेन और जैक (Cranes and Jacks), गढ़ाई का दाब यंत्र, गढ़ाई प्रेस (Forging Press), रिबेट (Rivet) प्रेस, छेद करने (punching) और प्लेट मोड़ने के जलचालित यंत्र, परीक्षण यंत्र (Testing machines), जल शक्ति चालित इतस्ततोगामी इंजन (reciprocating engine) एवं अन्य बहुत से यंत्र जलचालित बनाये जाते हैं। .

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