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दोलमा

सूची दोलमा

दोल्मा बाल्कन, काकेशस, रूस और मध्य एशिया के समेत मध्य पूर्व और आसपास के इलाक़ों में बनता आम सब्ज़ी वाला पकवान है। भराई सामग्री की आम सब्ज़ियों में टमाटर, मिर्च, प्याज़, शकरकन्द, बैंगन, और लहसुन शामिल हैं। भराई में गोश्त को शामिल करना ज़रूरी नहीं है। गोश्त दोमा को आम तौर पर गर्मा-गर्म अंडा-नींबू या लहसुन की चटनी से परोसा जाता है और बिना गोश्त वालों को ठण्डा परोसा जाता है। भराई सामग्री की सब्ज़ियों को इटालवी पकवान में ripieni "रिपिएनी" कहते है। अंगूर या गोभी पत्तों के पकवान जिसको भरत से भी लपेटा होता है, उसको दोलमा या यपर्क दोलमा (पत्तों का दोलमा) भी कहते है। .

28 संबंधों: चावल, टमाटर, तुर्कीयाई भाषा, दाल, नीबू, प्याज, बाल्कन, बैंगन, मध्य एशिया, मध्य पूर्व, मांस, मिर्च, रूस, लहसुन, शकरकन्द, सब्ज़ी, जैतून का तेल, ईरान, गोभी, इटली, काकेशस पर्वत शृंखला, किशमिश, कीमा, अण्डा, अनाज, अल्जीरिया, अंगूर, उस्मानी साम्राज्य

चावल

मिश्रित चावल: सफेद चावल, भूरा चावल, लाल चावल और जंगली चावल चावल विभिन्न आकार, रंग, रूप में आते हैं। धान से लेकर सफेद चावल बनाने की प्रक्रिया धान के बीज को चावल कहते हैं। यह धान से ऊपर का छिलका हटाने से प्राप्त होता है। चावल सम्पूर्ण पूर्वी जगत में प्रमुख रूप से खाए जाने वाला अनाज है। भारत में भात, खिचड़ी सहित काफी सारे पक्वान्न बनते हैं। चावल का चलन दक्षिण भारत और पूर्वी-दक्षिणी भारत में उत्तर भारत से अधिक है। इसे संस्कृत में 'तण्डुल' कहा जाता है और तमिल में 'अरिसि' कहा जाता है। इसे कभी-कभार 'षड्रस' भी कहा जाता है, क्योंकि में स्वाद के छहों प्रमुख रस मौजूद हैं। सांस्कृतिक हिंदी में पके हुए चावल को भात कहा जाता है, किन्तु अधिकतर हिन्दी भाषी 'भात' शब्द का प्रयोग कम ही करते हैं। चावल की फ़सल को धान कहते हैं। बासमती चावल भारत का प्रसिद्ध चावल जो विदेशों को निर्यात भी किया जाता है। .

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टमाटर

टमाटर विश्व में सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाली सब्जी है। इसका पुराना वानस्पतिक नाम लाइकोपोर्सिकान एस्कुलेंटम मिल है। वर्तमान समय में इसे सोलेनम लाइको पोर्सिकान कहते हैं। बहुत से लोग तो ऐसे हैं जो बिना टमाटर के खाना बनाने की कल्पना भी नहीं कर सकते। इसकी उत्पति दक्षिण अमेरिकी ऐन्डीज़ में हुआ। मेक्सिको में इसका भोजन के रूप में प्रयोग आरम्भ हुआ और अमेरिका के स्पेनिस उपनिवेश से होते हुये विश्वभर में फैल गया। .

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तुर्कीयाई भाषा

तुर्की-भाषी क्षेत्र: '''गहरा नीला''': वे क्षेत्र जहाँ तुर्की भाषा को राजभाषा का दर्जा प्राप्त है, '''हल्का नीला''': जहाँ तुर्की भाषा को अल्पसंख्यक भाषा की मान्यता प्राप्त है। तुर्की भाषा (Türkçe), आधुनिक तुर्की और साइप्रस की प्रमुख भाषा है। पूरे विश्व में कोई 6.3 करोड़ लोग इस मातृभाषा के रूप में बोलते हैं। यह तुर्क भाषा परिवार की सबसे व्यापक भाषा है जिसका मूल मध्य एशिया माना जाता है। बाबर, जो मूल रूप से मध्य एशिया (आधुनिक उज़्बेकिस्तान) का वासी था, चागताई भाषा बोलता था जो तुर्क भाषा परिवार में ही आती है। .

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दाल

भारत में कई प्रकार की दालें प्रयोग की जाती हैं। दालें अनाज में आतीं हैं। इन्हें पैदा करने वाली फसल को दलहन कहा जाता है। दालें हमारे भोजन का सबसे महत्वपूर्ण भाग होती हैं। दुर्भाग्यवश आज आधुनिकता की दौड़ में फास्ट फूड के प्रचलन से हमारे भोजन में दालों का प्रयोग कम होता जा रहा है, जिसका दुष्प्रभाव लोगों, विशेषकर बच्चों एवं युवा वर्ग के स्वास्थ्य पर पड़रहा है। दालों की सर्व प्रमुख विशेषता यह होती है कि आँच पर पकने के बाद भी उनके पौष्टिक तत्व सुरक्षित रहते हैं। इनमें प्रोटीन और विटामिन बहुतायत में पाए जाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख दालें हैं.

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नीबू

नीबू का वृक्ष नीबू (Citrus limon, Linn.) छोटा पेड़ अथवा सघन झाड़ीदार पौधा है। इसकी शाखाएँ काँटेदार, पत्तियाँ छोटी, डंठल पतला तथा पत्तीदार होता है। फूल की कली छोटी और मामूली रंगीन या बिल्कुल सफेद होती है। प्रारूपिक (टिपिकल) नीबू गोल या अंडाकार होता है। छिलका पतला होता है, जो गूदे से भली भाँति चिपका रहता है। पकने पर यह पीले रंग का या हरापन लिए हुए होता है। गूदा पांडुर हरा, अम्लीय तथा सुगंधित होता है। कोष रसयुक्त, सुंदर एवं चमकदार होते हैं। नीबू अधिकांशत: उष्णदेशीय भागों में पाया जाता है। इसका आदिस्थान संभवत: भारत ही है। यह हिमालय की उष्ण घाटियों में जंगली रूप में उगता हुआ पाया जाता है तथा मैदानों में समुद्रतट से 4,000 फुट की ऊँचाई तक पैदा होता है। इसकी कई किस्में होती हैं, जो प्राय: प्रकंद के काम में आती हैं, उदाहरणार्थ फ्लोरिडा रफ़, करना या खट्टा नीबू, जंबीरी आदि। कागजी नीबू, कागजी कलाँ, गलगल तथा लाइम सिलहट ही अधिकतर घरेलू उपयोग में आते हैं। इनमें कागजी नीबू सबसे अधिक लोकप्रिय है। इसके उत्पादन के स्थान मद्रास, बंबई, बंगाल, पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र हैदराबाद, दिल्ली, पटियाला, उत्तर प्रदेश, मैसूर तथा बड़ौदा हैं। नीबू की उपयोगिता जीवन में बहुत अधिक है। इसका प्रयोग अधिकतर भोज्य पदार्थों में किया जाता है। इससे विभिन्न प्रकार के पदार्थ, जैसे तेल, पेक्टिन, सिट्रिक अम्ल, रस, स्क्वाश तथा सार (essence) आदि तैयार किए जाते हैं। .

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प्याज

हरीप्याज प्याज प्याज़ एक वनस्पति है जिसका कन्द सब्ज़ी के रूप में प्रयोग किया जाता है। भारत में महाराष्ट्र में प्याज़ की खेती सबसे ज्यादा होती है। यहाँ साल मे दो बार प्याज़ की फ़सल होती है - एक नवम्बर में और दूसरी मई के महीने के क़रीब होती है। प्याज़ भारत से कई देशों में निर्यात होता है, जैसे कि नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, इत्यादि। प्याज़ की फ़सल कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल मध्य प्रदेश जैसी जगहों पर अलग-अलग समय पर तैयार होती है। विश्व में प्याज 1,789 हजार हेक्टर क्षेत्रफल में उगाई जाती हैं, जिससे 25,387 हजार मी.

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बाल्कन

दक्षिण-पूर्वी यूरोप का बाल्कन प्रायद्वीप बाल्कन या बाल्कन प्रायद्वीप दक्षिण-पूर्वी यूरोप का एक क्षेत्र है जो भौगोलिक तथा ऐतिहासिक दृष्टि से अपना अलग पहचान बना चुका है। इसका कुल क्षेत्रफल 5,50,000 वर्ग किलोमीटर तथा जनसंख्या लगभग साढ़े 5 करोड़ है। इसे बाल्कन प्रायद्वीप भी कहा जाता है जिसका कारण इसकी भौगोलिक स्थिति है। दक्षिणी यूरोप का यह सबसे पूर्वी प्रायद्वीप है। यह तीन ओर से समुद्र से घिरा हुआ है - इसके पूर्व में काला सागर, ईजियन सागर, मरमरा सागर, दक्षिण में भूमध्यसागर, पश्चिम में इयोनियन सागर तथा एड्रियाटिक सागर हैं तथा उत्तर में सावा, कूपा और डैन्यूब नदियाँ बहती हैं। इस प्रकार संपूर्ण अल्बानिया, यूनान, बुल्गारिया, यूगोस्लाविया और रोमानिया के कुछ भाग को बॉल्कन प्रायद्वीप कहा जाता है। इन छह देशों को 'बॉल्कन स्टेट' भी कहा जाता है। यह पहाड़ी क्षेत्र है तथा इसकी मुख्य पर्वतमालाएँ डिनैरिक ऐल्प्स, बॉल्कन पर्वत तथा रोड़ोषे पर्वत हैं। यहाँ की मुख्य नदियाँ मोरावा, वारदार, स्ट्रूमा (struma), मेस्ता तथा मैरित्सा हैं। जलवायु महाद्वीपीय है परंतु एड्रिऐटिक, इयोनियन तथा इजिऐन समुद्रों के तट पर रूमसागरीय जलवायु पाई जाती है, यह संपूर्ण क्षेत्र कृषिप्रधान है। इसके अलावा यहाँ पर लोहा, कोयला, मैंगनीज, ताँबा, जस्ता तथा सीस आदि के कीमती खनिज भी पाए जाते हैं। यहाँ पर अनेक मानव जातियाँ बसी हुई हैं। ऐतिहासिक दृष्टि से यह कई बड़े संघर्षों तथा आन्दोलनों का केन्द्र रहा है। .

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बैंगन

बैंगन का फला हुआ पौधा सब्ज़ी जिसके सिर पर ताज है:- '''बैंगन''' बैगन (Brinjal) एक सब्जी है। बैंगन भारत में ही पैदा हुआ और आज आलू के बाद दूसरी सबसे अधिक खपत वाली सब्जी है। विश्व में चीन (54 प्रतिशत) के बाद भारत बैंगन की दूसरी सबसे अधिक पैदावार (27 प्रतिशत) वाले देश हैं। यह देश में 5.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में उगाया जाता है। बैंगन का पौधा २ से ३ फुट ऊँचा खड़ा लगता है। फल बैंगनी या हरापन लिए हुए पीले रंग का, या सफेद होता है और कई आकार में, गोल, अंडाकार, या सेव के आकार का और लंबा तथा बड़े से बड़ा फुटबाल गेंद सा हो सकता है। लंबाई में एक फुट तक का हो सकता है। बैंगन भारत का देशज है। प्राचीन काल से भारत से इसकी खेती होती आ रही है। ऊँचे भागों को छोड़कर समस्त भारत में यह उगाया जाता है। .

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मध्य एशिया

मध्य एशिया एशिया के महाद्वीप का मध्य भाग है। यह पूर्व में चीन से पश्चिम में कैस्पियन सागर तक और उत्तर में रूस से दक्षिण में अफ़ग़ानिस्तान तक विस्तृत है। भूवैज्ञानिकों द्वारा मध्य एशिया की हर परिभाषा में भूतपूर्व सोवियत संघ के पाँच देश हमेशा गिने जाते हैं - काज़ाख़स्तान, किरगिज़स्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़बेकिस्तान। इसके अलावा मंगोलिया, अफ़ग़ानिस्तान, उत्तरी पाकिस्तान, भारत के लद्दाख़ प्रदेश, चीन के शिनजियांग और तिब्बत क्षेत्रों और रूस के साइबेरिया क्षेत्र के दक्षिणी भाग को भी अक्सर मध्य एशिया का हिस्सा समझा जाता है। इतिहास में मध्य एशिया रेशम मार्ग के व्यापारिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। चीन, भारतीय उपमहाद्वीप, ईरान, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच लोग, माल, सेनाएँ और विचार मध्य एशिया से गुज़रकर ही आते-जाते थे। इस इलाक़े का बड़ा भाग एक स्तेपी वाला घास से ढका मैदान है हालाँकि तियान शान जैसी पर्वत शृंखलाएँ, काराकुम जैसे रेगिस्तान और अरल सागर जैसी बड़ी झीलें भी इस भूभाग में आती हैं। ऐतिहासिक रूप मध्य एशिया में ख़ानाबदोश जातियों का ज़ोर रहा है। पहले इसपर पूर्वी ईरानी भाषाएँ बोलने वाली स्किथी, बैक्ट्रियाई और सोग़दाई लोगों का बोलबाला था लेकिन समय के साथ-साथ काज़ाख़, उज़बेक, किरगिज़ और उईग़ुर जैसी तुर्की जातियाँ अधिक शक्तिशाली बन गई।Encyclopædia Iranica, "CENTRAL ASIA: The Islamic period up to the Mongols", C. Edmund Bosworth: "In early Islamic times Persians tended to identify all the lands to the northeast of Khorasan and lying beyond the Oxus with the region of Turan, which in the Shahnama of Ferdowsi is regarded as the land allotted to Fereydun's son Tur.

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मध्य पूर्व

मध्य पूर्व का राजनीतिक नक्शा मध्य पूर्व (या पूर्व में ज्यादा प्रचलित पूर्व के करीब (Near East)) दक्षिण पश्चिम एशिया, दक्षिण पूर्वी यूरोप और उत्तरी पूर्वी अफ़्रीका में विस्तारित क्षेत्र है। इसकी कोई स्पष्ट सीमा रेखा नहीं है, अक्सर इस शब्द का प्रयोग पूर्व के पास (Near East) के एक पर्याय के रूप में प्रयोग किया जाता, ठीक सुदूर पूर्व (Far East) के विपरित। मध्य पूर्व शब्द का प्रचलन १९०० के आसपास के यूनाइटेड किंगडम में शुरू हुआ। .

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मांस

मांस के विभिन्न प्रकार मांस का कीमा मांस, माँस या गोश्त उन जीव ऊतकों और मुख्यतः मांसपेशियों को कहते हैं, जिनका सेवन भोजन के रूप में किया जाता है। मांस शब्द, को आम बोलचाल और व्यावसायिक वर्गीकरण के आधार पर भूमि पर रहने वाले पशुओं के गोश्त के संदर्भ मे प्रयोग किया जाता है (मुख्यत: कशेरुकी: स्तनधारी, पक्षी और सरीसृप), जलीय मतस्य जीवों का मांस मछली की श्रेणी में जबकि अन्य समुद्री जीव जैसे कि क्रसटेशियन, मोलस्क आदि समुद्री भोजन की श्रेणी में आते हैं। वैसे यह वर्गीकरण पूर्णत: लागू नहीं होता और कई समुद्री स्तनधारी जीवों को कभी मांस तो कभी मछली माना जाता है। पोषाहार की दृष्टि से मानव के भोजन में मांस, प्रोटीन, वसा और खनिजों का एक आम और अच्छा स्रोत है। सभी पशुओं और पौधों से प्राप्त भोजनों में, मांस को सबसे उत्तम के साथ सबसे अधिक विवादास्पद खाद्य पदार्थ भी माना जाता है। जहां पोषण की दृष्टि से मांस एक पोषाहार हैं वहीं विभिन्न धर्म इसके सेवन से अपने अनुयायियों को दूर रहने की सलाह देते हैं। जो पशु पूर्ण रूप से अपने भोजन के लिए मांस पर निर्भर होते हैं उन्हें मांसाहारी कहा जाता है, इसके विपरीत, वनस्पति खाने वाले पशुओं को शाकाहारी कहते हैं। जो पौधे छोटे जीवों और कीड़े का सेवन करते हैं मांसभक्षी पादप कहलाते है। .

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मिर्च

मिर्च मिर्च कैप्सिकम वंश के एक पादप का फल है, तथा यह सोलेनेसी (Solanaceae) कुल का एक सदस्य है। वनस्पति विज्ञान में इस पौधे को एक बेरी की झाड़ी समझा जाता है। स्वाद, तीखापन और गूदे की मात्रा, के अनुसार इनका उपयोग एक सब्जी (शिमला मिर्च) या एक मसाले (लाल मिर्च) के रूप में किया जाता है। मिर्च प्राप्त करने के लिए इसकी खेती की जाती है। मिर्च का जन्म स्थान दक्षिण अमेरिका है जहाँ से यह पूरे विश्व में फैली। अब इनकी विभिन्न किस्में पूरे विश्व में उगायी जा रही हैं। मिर्च का प्रयोग एक औषधि के रूप में भी होता है। मिर्ची का तीखापन केप्सेसिन के कारण होता है। .

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रूस

रूस (रूसी: Росси́йская Федера́ция / रोस्सिज्स्काया फ़ेदेरात्सिया, Росси́я / रोस्सिया) पूर्वी यूरोप और उत्तर एशिया में स्थित एक विशाल आकार वाला देश। कुल १,७०,७५,४०० किमी२ के साथ यह विश्व का सब्से बड़ा देश है। आकार की दृष्टि से यह भारत से पाँच गुणा से भी अधिक है। इतना विशाल देश होने के बाद भी रूस की जनसंख्या विश्व में सातवें स्थान पर है जिसके कारण रूस का जनसंख्या घनत्व विश्व में सब्से कम में से है। रूस की अधिकान्श जनसंख्या इसके यूरोपीय भाग में बसी हुई है। इसकी राजधानी मॉस्को है। रूस की मुख्य और राजभाषा रूसी है। रूस के साथ जिन देशों की सीमाएँ मिलती हैं उनके नाम हैं - (वामावर्त) - नार्वे, फ़िनलैण्ड, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, पोलैण्ड, बेलारूस, यूक्रेन, जॉर्जिया, अज़रबैजान, कजाकिस्तान, चीन, मंगोलिया और उत्तर कोरिया। रूसी साम्राज्य के दिनों से रूस ने विश्व में अपना स्थान एक प्रमुख शक्ति के रूप में किया था। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद सोवियत संघ विश्व का सबसे बड़ा साम्यवादी देश बना। यहाँ के लेखकों ने साम्यवादी विचारधारा को विश्व भर में फैलाया। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सोवियत संघ एक प्रमुख सामरिक और राजनीतिक शक्ति बनकर उभरा। संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ इसकी वर्षों तक प्रतिस्पर्धा चली जिसमें सामरिक, आर्थिक, राजनैतिक और तकनीकी क्षेत्रों में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ थी। १९८० के दशक से यह आर्थिक रूप से क्षीण होता चला गया और १९९१ में इसका विघटन हो गया जिसके फलस्वरूप रूस, सोवियत संघ का सबसे बड़ा राज्य बना। वर्तमान में रूस अपने सोवियत संघ काल के महाशक्ति पद को पुनः प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है। यद्यपि रूस अभी भी एक प्रमुख देश है लेकिन यह सोवियत काल के पद से भी बहुत दूर है। .

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लहसुन

लहसुन (Garlic) प्याज कुल (एलिएसी) की एक प्रजाति है। इसका वैज्ञानिक नाम एलियम सैटिवुम एल है। इसके करीबी रिश्तेदारो में प्याज, इस शलोट और हरा प्याज़ शामिल हैं। लहसुन पुरातन काल से दोनों, पाक और औषधीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग किया जा रहा है। इसकी एक खास गंध होती है, तथा स्वाद तीखा होता है जो पकाने से काफी हद तक बदल कर मृदुल हो जाता है। लहसुन की एक गाँठ (बल्ब), जिसे आगे कई मांसल पुथी (लौंग या फाँक) में विभाजित किया जा सकता इसके पौधे का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला भाग है। पुथी को बीज, उपभोग (कच्चे या पकाया) और औषधीय प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जाता है। इसकी पत्तियां, तना और फूलों का भी उपभोग किया जाता है आमतौर पर जब वो अपरिपक्व और नर्म होते हैं। इसका काग़ज़ी सुरक्षात्मक परत (छिलका) जो इसके विभिन्न भागों और गाँठ से जुडी़ जड़ों से जुडा़ रहता है, ही एकमात्र अखाद्य हिस्सा है। इसका इस्तेमाल गले तथा पेट सम्बन्धी बीमारियों में होता है। इसमें पाये जाने वाले सल्फर के यौगिक ही इसके तीखे स्वाद और गंध के लिए उत्तरदायी होते हैं। जैसे ऐलिसिन, ऐजोइन इत्यादि। लहसुन सर्वाधिक चीन में उत्पादित होता है उसके बाद भारत में। लहसुन में रासायनिक तौर पर गंधक की अधिकता होती है। इसे पीसने पर ऐलिसिन नामक यौगिक प्राप्त होता है जो प्रतिजैविक विशेषताओं से भरा होता है। इसके अलावा इसमें प्रोटीन, एन्ज़ाइम तथा विटामिन बी, सैपोनिन, फ्लैवोनॉइड आदि पदार्थ पाये जाते हैं। .

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शकरकन्द

शकरकन्द शकरकंद (sweet potato; वैज्ञानिक नाम: Ipomoea batatas - ईपोमोएआ बातातास्) कॉन्वॉल्वुलेसी (Convolvulaceae - कोन्वोल्वूलाकेऐ) कुल का एकवर्षी पौधा है, पर यह अनुकूल परिस्थिति में बहुवर्षी सा व्यवहार कर सकता है। यह एक सपुष्पक पौधा है। इसके रूपान्तरित जड़ की उत्पत्ति तने के पर्वसन्धियों से होती है जो जमीन के अन्दर प्रवेश कर फूल जाती है। जड़ का रंग लाल अथवा भूरा होता है एवं यह अपने अन्दर भोजन संग्रह करती है। यह उष्ण अमरीका का देशज है। अमरीका से फिलिपीन होते हुए, यह चीन, जापान, मलयेशिया और भारत आया, जहाँ व्यापक रूप से तथा सभी अन्य उष्ण प्रदेशों में इसको खेती होती है। यह ऊर्जा उत्पादक आहार है। इसमें अनेक विटामिन रहते हैं विटामिन "ए' और "सी' की मात्रा सर्वाधिक है। इसमें आलू की अपेक्षा अधिक स्टार्च रहता है। यह उबालकर, या आग में पकाकर, खाया जाता है। कच्चा भी खाया जा सकता है। सूखे में यह खाद्यान्न का स्थान ले सकता है। इससे स्टार्च और ऐल्कोहॉल भी तैयार होता है। बिहार और उत्तर प्रदेश में विशेष रूप से इसकी खेती होती है। फलाहारियों का यह बहुमूल्य आहार है। इसका पौधा गरमी सहन कर सकता है, पर तुषार से श्घ्रीा मर जाता है। शकरकंद सुचूर्ण तथा अच्छी जोती हुई भूमि में अच्छा उपजता है। इसके लिए मिट्टी बलुई से बलुई दुमट तथा कम पोषक तत्ववाली अच्छी होती है। भारी और बहुत समृद्ध मिट्टी में इसकी उपज कम और जड़ें निम्नगुणीय होती हैं। शकरकंद की उपज के लिए भूमि की अम्लता विशेष बाधक नहीं है। यह पीएच ५.० से ६.८ तक में पनप सकता है। इसकी उपज के लिए प्रति एकड़ लगभग ५० पाउंड नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है। फ़ॉस्फ़ेट और पौटैश उर्वरक लाभप्रद होते हैं। पौधा बेल के रूप में उगता है। पौधा में कदाचित ही फूल और बीज लगते हैं। शकरकंद का रोपण आषाढ़-सावन महीने में कलम द्वारा होता है। कलमें पिछले मौसम में बोई गई फसलों से प्राप्त की जाती हैं। ये लगभग १ फुट से १ फुट लंबी होती हैं। इनको २ से ३ फुट की दूरी पर मेड़ों पर रोपना चाहिए। हलकी बौछार के बाद रोपण करना अच्छा होता है। रोपण की साधारणतया तीन रीति प्रचलित हैं: १. लगभग एक फुट लंबी कलमें, मेड़ों पर एक से डेढ़ फुट की दूरी पर, ५ से ६ इंच गहरी तथा ६०° का कोण बनाते हुए, दी जाती हैं। २. कलमें मेड़ों के ऊपर एक कतार में लिटा दी जाती हैं। फिर दोनों सिरों पर लगभग ४ इंच खुला छोड़कर, बाकी हिस्सा मिट्टी से ढँक दिया जाता है। ३. कलमें उपर्युक्त रीति से ही रोपित की जाती हैं, किंतु वे मेड़ पर न होकर उसकी दोनों ढाल पर होती हैं। यह रीति अन्य दो रीतियों से अधिक उपज देती है। बरसात में बेल को सींचा नहीं जाता, पर बरसात के बाद हल्की भूमि को तीन या चार बार सींचा जाता है। जब तक भूमि बेलों से पूरी ढँक नहीं जाती, तब तक हलकी जुताई या अन्य रीतियों से खेत को खरपतवार से साफ रखना चाहिए। साधारणतया दो बार मिट्टी चढ़ाई जाती है। बेलों की छँटाई निश्चित रूप से हानिकारक है। चार से पाँच मास में फसल तैयार हो जाती है, फिर भी कंद को बड़े हो जाने पर खोदा जाता है। परिपक्व हो जाने पर ही उपज अधिक होती है और शकरकंद अच्छे गुण का होता है। शकरकंद के परिपक्व हो जाने पर, उसका ऊपरी भाग हवा में जल्द सूख जाता है। शकरकंद की तीन जातियाँ, पीली, श्वेत और लाल, ही साधारणतया उगाई जाती हैं। पीली जाति के गूदे में पानी का अंश कम रहता है और विटामिन "ए' की मात्रा अधिक रहती है। श्वेत जातियों में जल की मात्रा अधिक रहती है। लाल जातियाँ साधारणतया खुरखुरी होती है, पर भूमि के दृष्टिकोण से अन्य जातियों से अधिक शक्तिशाली या सहनशील होती हैं। कुछ नई लाल जातियाँ भी अनुसंधान द्वारा विकसित की गई हैं। एक अमरीकी जाति इंडियन ऐग्रिकल्चरल रिसर्च इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली, से प्राप्त हो सकती है। औसत उपज १२०-१५० मन प्रति एकड़ है। .

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सब्ज़ी

तिब्बत के ल्हासा शहर में सब्ज़ियों की एक मंडी कुछ सब्ज़ियाँ सब्ज़ी किसी पौधे के खाए जाने वाले हिस्से को बोलते हैं, हालाँकि बीजों और मीठे फलों को आम-तौर से सब्ज़ी नहीं बुलाया जाता। खाए जाने वाले पत्ते, तने, डंठल और जड़े अक्सर सब्ज़ी बुलाए जाते हैं। सांस्कृतिक नज़रिए से 'सब्ज़ी' की परिभाषा स्थानीय प्रथा के हिसाब से बदलती है। उदाहरण के लिए बहुत से लोग कुकुरमुत्तों (मशरूमों) को सब्ज़ी मानते हैं (हालाँकि जीववैज्ञानिक दृष्टि से यह पौधे नहीं समझे जाते) जबकि अन्य लोगों के अनुसार यह सब्ज़ी नहीं बल्कि एक अन्य खाने की श्रेणी है। कुछ सब्ज़ियाँ कच्ची खाई जा सकती हैं जबकि अन्य सब्ज़ियों को पकाना पड़ता है। आम-तौर पर सब्ज़ियों को नमक या खट्टाई के साथ पकाया जाता है लेकिन कुछ सब्ज़ियाँ ऐसी भी हैं जिन्हें चीनी के साथ पकाकर उनकी मिठाई या हलवे बनाए जाते हैं (मसलन गाजर)। .

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जैतून का तेल

जैतून का तेल (इटली से) जैतून का तेल (Olive oil) जैतून के फलों से प्राप्त किया जाता है। यह खाना पकाने में, सौंदर्य प्रसाधन के लिये, दवाओं के निर्माण में, साबुन निर्माण में तथा पारम्परिक दीपों को जलाने के लिये तेल के रूप में प्रयुक्त होता है। जैतून का तेल लगभग पूरे विश्व में प्रयुक्त होता है किन्तु भूमध्य सागरीय क्षेत्रों में इसका प्रयोग अधिक होता है। .

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ईरान

ईरान (جمهوری اسلامی ايران, जम्हूरीए इस्लामीए ईरान) जंबुद्वीप (एशिया) के दक्षिण-पश्चिम खंड में स्थित देश है। इसे सन १९३५ तक फारस नाम से भी जाना जाता है। इसकी राजधानी तेहरान है और यह देश उत्तर-पूर्व में तुर्कमेनिस्तान, उत्तर में कैस्पियन सागर और अज़रबैजान, दक्षिण में फारस की खाड़ी, पश्चिम में इराक और तुर्की, पूर्व में अफ़ग़ानिस्तान तथा पाकिस्तान से घिरा है। यहां का प्रमुख धर्म इस्लाम है तथा यह क्षेत्र शिया बहुल है। प्राचीन काल में यह बड़े साम्राज्यों की भूमि रह चुका है। ईरान को १९७९ में इस्लामिक गणराज्य घोषित किया गया था। यहाँ के प्रमुख शहर तेहरान, इस्फ़हान, तबरेज़, मशहद इत्यादि हैं। राजधानी तेहरान में देश की १५ प्रतिशत जनता वास करती है। ईरान की अर्थव्यवस्था मुख्यतः तेल और प्राकृतिक गैस निर्यात पर निर्भर है। फ़ारसी यहाँ की मुख्य भाषा है। ईरान में फारसी, अजरबैजान, कुर्द और लूर सबसे महत्वपूर्ण जातीय समूह हैं .

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गोभी

दो प्रकार की सब्जियाँ होती हैं:-.

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इटली

इटली यूरोप महाद्वीप के दक्षिण में स्थित एक देश है जिसकी मुख्यभूमि एक प्रायद्वीप है। इटली के उत्तर में आल्प्स पर्वतमाला है जिसमें फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रिया तथा स्लोवेनिया की सीमाएँ आकर लगती हैं। सिसली तथा सार्डिनिया, जो भूमध्य सागर के दो सबसे बड़े द्वीप हैं, इटली के ही अंग हैं। वेटिकन सिटी तथा सैन मरीनो इटली के अंतर्गत समाहित दो स्वतंत्र देश हैं। इटली, यूनान के बाद यूरोप का दूसरा का दूसरा प्राचीनतम राष्ट्र है। रोम की सभ्यता तथा इटली का इतिहास देश के प्राचीन वैभव तथा विकास का प्रतीक है। आधुनिक इटली 1861 ई. में राज्य के रूप में गठित हुआ था। देश की धीमी प्रगति, सामाजिक संगठन तथा राजनितिक उथल-पुथल इटली के 2,500 वर्ष के इतिहास से संबद्ध है। देश में पूर्वकाल में राजतंत्र था जिसका अंतिम राजघराना सेवाय था। जून, सन् 1946 से देश एक जनतांत्रिक राज्य में परिवर्तित हो गया। इटली की राजधानी रोम प्राचीन काल के एक शक्ति और प्रभाव से संपन्न रोमन साम्राज्य की राजधानी रहा है। ईसा के आसपास और उसके बाद रोमन साम्राज्य ने भूमध्य सागर के क्षेत्र में अपनी प्रभुता स्थापित की थी जिसके कारण यह संस्कृति और अन्य क्षेत्रों में आधुनिक यूरोप की आधारशिला के तौर पर माना जाता है। तथा मध्यपूर्व (जिसे भारतीय परिप्रेक्ष्य में मध्य-पश्च भी कह सकते हैं) के इतिहास में भी रोमन साम्राज्य ने अपना प्रभाव डाला था और उनसे प्रभावित भी हुआ था। आज के इटली की संस्कृति पर यवनों (ग्रीक) का भी प्रभाव पड़ा है। इटली की जनसंख्या २००८ में ५ करोड़ ९० लाख थी। देश का क्षेत्रफल ३लाख वर्ग किलोमीटर के आसपास है। १९९१ में यहाँ की सरकार के शीर्ष पदस्थ अधिकारियों में व्याप्त भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ जिसके बाद यहाँ की राजनैतिक सत्ता और प्रशासन में कई बदलाव आए हैं। रोम यहाँ की राजधानी है और अन्य प्रमुख नगरों में वेनिस, मिलान इत्यादि का नाम लिया जा सकता है। .

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काकेशस पर्वत शृंखला

अंतरिक्ष से कॉकस पर्वतों का दृश्य - बर्फ़-ढके महाकॉकस की शृंखला उत्तर-पश्चिम में कृष्ण सागर से चलकर दक्षिण-पूर्व में कैस्पियन सागर तक पहुँचती साफ़ नज़र आ रही है काकेशस पर्वत शृंखला यूरोप और एशिया की सीमा पर स्थित, कृष्ण सागर और कैस्पियन सागर के दरमियान के कॉकस क्षेत्र की एक पर्वत शृंखला है, जिसमें यूरोप का सब से ऊंचा पहाड़, एल्ब्रुस पर्वत, भी शामिल है। कॉकस पर्वतों के दो मुख्य भाग हैं - महाकॉकस पर्वत शृंखला और हीनकॉकस पर्वत शृंखला। महाकॉकस पर्वत कृष्ण सागर के उत्तरपूर्वी छोर पर बसे रूस के सोची शहर से शुरू होकर पूर्व के ओर कैस्पियन सागर पर बसी अज़रबैजान की राजधानी बाकू तक पहुँचते हैं। हीनकॉकस इनके दक्षिण में १०० किमी की दूरी पर साथ-साथ चलते हैं। जॉर्जिया की मेसख़ेती पर्वत शृंखला हीनकॉकस का ही एक हिस्सा हैं। .

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किशमिश

अंगूर सुखाने से उनके अन्दर की चीनी बिल्लौर (क्रिस्टल) बना लेती है अलग-अलग जाति के अंगूरों से बने किशमिश किशमिश सूखे अंगूरों को कहा जाता है। पारम्परिक रूप से बड़े अकार के अंगूरों की किशमिश को हिन्दी में मुनक़्क़ा कहा जाता है।, Neera Verma, pp.

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कीमा

कीमा एक अवधी व्यंजन है। श्रेणी:उत्तर भारत का खाना.

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अण्डा

विभिन्न पक्षियों के अण्डे मुर्गी का अंडा (बायें) तथा बटेर का अण्डा (दायें) अण्डा गोल या अण्डाकार जीवित वस्तु है जो बहुत से प्राणियों के मादा द्वारा पैदा की जाती है। अधिकांश जानवरों के अंडों के ऊपर एक कठोर आवरण होता है जो अण्डे की सुरक्षा करता है। यद्यपि अण्डा जीवधारियों द्वारा अपनी संताने पैदा करने का मार्ग है, किन्तु अण्डा खाने के काम भी आता है। पोषक तत्वों की दृष्टि से इसमें प्रोटीन एवं चोलाइन भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं। .

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अनाज

अनाज खाद्य कृषि उत्पाद होते हैं, जिन्हें उनके फार के बीज के लिए उत्पादन किया जाता है। ये एकबीजपत्री परिवार से होते हैं।;देखें::श्रेणी:अनाज यह भी देखें:दाल श्रेणी:अनाज श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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अल्जीरिया

अल्जीरिया (الجزائر, अल-ज़ज़ायर; Algérie; बर्बर: ⴷⵣⴰⵢⴻⵔ जायेर), अधिकारिक तौर पर अल्जीरिया का जन-लोकतंत्रीय गणराज्य और जिसको रसमी तौर पर लोकतंत्रीय और लोग-प्यारा अलजीरियायी गणराज्य भी कहा जाता है, अफ़्रीका के मघरेब क्षेत्र में स्थित एक देश है जिसकी राजधानी और सबसे अधिक आबादी वाला शहर अल्जीयर्स है। वर्तमान अल्जीरिया का क्षेत्र बहुत सारी प्राचीन सभ्यताएँ, जैसे अतेर्यायी और कैपसियन, की पृष्ठभूमि थी। इस इलाक़े पर बहुत सल्तनतों और राज्य-कुलों का शासन रहा है जिस में नुमिदियायी, करथागिन्यायी, रोमन, वंडल, बिज़ांतीन, अरबी उमय्यद, बर्बर फ़ातिमीद और अलमोहाद और पीछे के तुर्की ओटोमन शामिल हैं। आळ्जीरिया 48 सूबों और 1541 प्रगणों वाला अर्द्ध राष्ट्रपति प्रधान गणराज्य है। 3.7 करोड़ से अधिक आबादी से यह विश्व का 34वाँ सबसे बढ़ आबादी वाला देश है। भाषाई तौर पर यह अरबी मुल्क है जिसकी कुछ स्थानिक बोलियाँ (उपभाषाएँ) हैं। इसकी अर्थ व्यवस्था तेल-आधारित है जो डच रोग (अर्थ-शात्र की एक धारणा) से प्रभावित है। सोनातराच, जो कि राष्ट्रीय तेल-कंपनी है, अफ्रीका में सबसे बड़ी है। इसकी सेना अफ्रीका और अरब-जगत में मिस्र के बाद सबसे बड़ी है और रूस और चीन इसके युद्धनैतिक एहतियाती मुल्क और सस्तर पूर्तिकर्ता हैं। 2,381,741 वर्ग कि॰मी के क्षेत्रफ़ल से यह दुनिया का दसवाँ सबसे बड़ा मुल्क है। इसकी सीमाएँ उत्तर-पूर्व में ट्यूनीशिया, पूर्व में लीबिया, पश्चिम में मोरक्को, दक्षिण-पश्चिम में पश्चिमी सहारा, मारिटेनिया और माली, दक्षिण-पूर्व में नाइजर और उत्तर में भू-मध्य सागर से लगती हैं। अन्दाज़े के अनुसार 2012 तक इसकी कुल आबादी 3.79 करोड़ है । यह अफ़्रीकी संघ, अरब संगठन, तेल निरयाती मुल्कों का संगठन और संयुक्त राष्ट्र का सदस्य और अरब मघरेब संघ का संस्थापिक सदस्य है। .

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अंगूर

अंगूर अंगूर (संस्कृत: द्राक्षा) एक फल है। अंगूर एक बलवर्द्धक एवं सौन्दर्यवर्धक फल है। अंगूर फल माँ के दूध के समान पोषक है। फलों में अंगूर सर्वोत्तम माना जाता है। यह निर्बल-सबल, स्वस्थ-अस्वस्थ आदि सभी के लिए समान उपयोगी होता है। ये अंगूर की बेलों पर बड़े-बड़े गुच्छों में उगता है। अंगूर सीधे खाया भी जा सकता है, या फिर उससे अंगूरी शराब भी बनायी जा सकती है, जिसे हाला (अंग्रेज़ी में "वाइन") कहते हैं, यह अंगूर के रस का ख़मीरीकरण करके बनायी जाती है। .

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उस्मानी साम्राज्य

उस्मानी सलतनत (१२९९ - १९२३) (या उस्मानी साम्राज्य या तुर्क साम्राज्य, उर्दू में सल्तनत-ए-उस्मानिया, उस्मानी तुर्कीयाई:دَوْلَتِ عَلِيّهٔ عُثمَانِیّه देव्लेत-इ-आलीय्ये-इ-ऑस्मानिय्ये) १२९९ में पश्चिमोत्तर अनातोलिया में स्थापित एक तुर्क राज्य था। महमद द्वितीय द्वारा १४९३ में क़ुस्तुंतुनिया जीतने के बाद यह एक साम्राज्य में बदल गया। प्रथम विश्वयुद्ध में १९१९ में पराजित होने पर इसका विभाजन करके इस पर अधिकार कर लिया गया। स्वतंत्रता के लिये संघर्ष के बाद २९ अक्तुबर सन् १९२३ में तुर्की गणराज्य की स्थापना पर इसे समाप्त माना जाता है। उस्मानी साम्राज्य सोलहवीं-सत्रहवीं शताब्दी में अपने चरम शक्ति पर था। अपनी शक्ति के चरमोत्कर्ष के समय यह एशिया, यूरोप तथा उत्तरी अफ़्रीका के हिस्सों में फैला हुआ था। यह साम्राज्य पश्चिमी तथा पूर्वी सभ्यताओं के लिए विचारों के आदान प्रदान के लिए एक सेतु की तरह था। इसने १४५३ में क़ुस्तुन्तुनिया (आधुनिक इस्ताम्बुल) को जीतकर बीज़ान्टिन साम्राज्य का अन्त कर दिया। इस्ताम्बुल बाद में इनकी राजधानी बनी रही। इस्ताम्बुल पर इसकी जीत ने यूरोप में पुनर्जागरण को प्रोत्साहित किया था। .

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