लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

देवगुप्त और प्राचीन भारत

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

देवगुप्त और प्राचीन भारत के बीच अंतर

देवगुप्त vs. प्राचीन भारत

देवगुप्तप्राचीन भारत में तीसरी सदी से पाँचवी सदी तक मगध के शासन थे। इस वंश के परवर्ती गुप्त नरेशों ने भी उत्तरी भारत में शासन किया। यद्यपि 'देवगुप्त' तथा इन अन्य राजाओं के नामों के अंत में 'गुप्त' शब्द जुड़ा है तथापि यह सिद्ध करना कठिन है कि अनुवर्ती गुप्त नरेश विख्यात गुप्त सम्राटों के वंशज थे। देवगुप्त का नाम 'हर्षचरित' तथा अभिलेखों में आता है जिस आधार पर इसे परवर्ती गुप्त राजा मानते हैं। बिहार के गया नगर के समीप अफसद से प्राप्त एक लेख में परवर्ती नरेशों की वंशावली उल्लिखित है। इस वंश के छठे राजा महासेन गुप्त का ज्येष्ठ पुत्र देवगुप्त ही था। हर्षचरित में कहा गया है कि महासेन गुप्त ने पूर्वी मालवा पर गुप्तकुल की प्रतिष्ठापना की, उसी के बाद देवगुप्त वहाँ का शासक हो गया। छठी शती के चार प्रमुख राजकुलों में पुष्पभूति तथा परवर्ती गुप्त वंशों में मैत्री थी तथा देवगुप्त और गौड़ नरेश कन्नौज के मौखरिवंश से ईर्षा रखते थे। देव गुप्त ने शशांक से मिलकर मौखरि राजा ग्रहवर्मा का बध कर डाला। हर्षचरित में ग्रहवर्मा का घातक मालवराज कहा गया है जिसे कालांतर में राज्यवर्धन ने परास्त किया। वर्धन ताम्रपट्टों के अनुसार राज्यवर्धन ने देवगुप्त को हाराया था (राजानोयुधिदुष्टवाजिन इव श्रीदेवगुप्तादय) अतएव मालव नरेश देवगुप्त ही ठहरता है। इससे भिन्न देववर्णाक अभिलेख में वर्णित देवगुप्त आदित्यसेन का पुत्र कहा गया है। उसे ६८० ई. में चालुक्य नरेश विनयादित्य ने परास्त किया था। उसे 'सकलोत्तरापथनाथ' भी कहा गया है, पर इस देवगुप्त की समता प्रसिद्ध मालव नरेश देवगुप्त से नहीं की जा सकती। दोनों दो भिन्न व्यक्ति थे। श्रेणी:प्राचीन भारत का इतिहास श्रेणी:भारतीय राजा. मानव के उदय से लेकर दसवीं सदी तक के भारत का इतिहास प्राचीन भारत का इतिहास कहलाता है। .

देवगुप्त और प्राचीन भारत के बीच समानता

देवगुप्त और प्राचीन भारत आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): चालुक्य राजवंश, मगध महाजनपद, गुप्त राजवंश

चालुक्य राजवंश

चालुक्य प्राचीन भारत का एक प्रसिद्ध क्षत्रिय राजवंश है। इनकी राजधानी बादामी (वातापि) थी। अपने महत्तम विस्तार के समय (सातवीं सदी) यह वर्तमान समय के संपूर्ण कर्नाटक, पश्चिमी महाराष्ट्र, दक्षिणी मध्य प्रदेश, तटीय दक्षिणी गुजरात तथा पश्चिमी आंध्र प्रदेश में फैला हुआ था। .

चालुक्य राजवंश और देवगुप्त · चालुक्य राजवंश और प्राचीन भारत · और देखें »

मगध महाजनपद

मगध प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक था। आधुनिक पटना तथा गया ज़िला इसमें शामिल थे। इसकी राजधानी गिरिव्रज (वर्तमान राजगीर) थी। भगवान बुद्ध के पूर्व बृहद्रथ तथा जरासंध यहाँ के प्रतिष्ठित राजा थे। अभी इस नाम से बिहार में एक प्रंमडल है - मगध प्रमंडल। (२) सुमसुमार पर्वत के भाग, (३) केसपुत्र के कालाम, (४) रामग्राम के कोलिय, (५) कुशीमारा के मल्ल, (६) पावा के मल्ल, (७) पिप्पलिवन के मौर्य, (८) आयकल्प के बुलि, (९) वैशाली के लिच्छवि, (१०) मिथिला के विदेह। -- .

देवगुप्त और मगध महाजनपद · प्राचीन भारत और मगध महाजनपद · और देखें »

गुप्त राजवंश

गुप्त राज्य लगभग ५०० ई इस काल की अजन्ता चित्रकला गुप्त राजवंश या गुप्त वंश प्राचीन भारत के प्रमुख राजवंशों में से एक था। मौर्य वंश के पतन के बाद दीर्घकाल तक भारत में राजनीतिक एकता स्थापित नहीं रही। कुषाण एवं सातवाहनों ने राजनीतिक एकता लाने का प्रयास किया। मौर्योत्तर काल के उपरान्त तीसरी शताब्दी इ. में तीन राजवंशो का उदय हुआ जिसमें मध्य भारत में नाग शक्‍ति, दक्षिण में बाकाटक तथा पूर्वी में गुप्त वंश प्रमुख हैं। मौर्य वंश के पतन के पश्चात नष्ट हुई राजनीतिक एकता को पुनस्थापित करने का श्रेय गुप्त वंश को है। गुप्त साम्राज्य की नींव तीसरी शताब्दी के चौथे दशक में तथा उत्थान चौथी शताब्दी की शुरुआत में हुआ। गुप्त वंश का प्रारम्भिक राज्य आधुनिक उत्तर प्रदेश और बिहार में था। गुप्त वंश पर सबसे ज्यादा रिसर्च करने वाले इतिहासकार डॉ जयसवाल ने इन्हें जाट बताया है।इसके अलावा तेजराम शर्माhttps://books.google.co.in/books?id.

गुप्त राजवंश और देवगुप्त · गुप्त राजवंश और प्राचीन भारत · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

देवगुप्त और प्राचीन भारत के बीच तुलना

देवगुप्त 10 संबंध है और प्राचीन भारत 132 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 2.11% है = 3 / (10 + 132)।

संदर्भ

यह लेख देवगुप्त और प्राचीन भारत के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »