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दृग्विषय और माइसनर प्रभाव

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

दृग्विषय और माइसनर प्रभाव के बीच अंतर

दृग्विषय vs. माइसनर प्रभाव

दियासलाई की तिल्ली का जलना एक ऐसी घटना है जिसे देखा जा सकता है; अत: यह एक परिघटना है। observed as appearing differently. दृग्विषय या परिघटना (phenomenon, बहुवचन phenomena, phainomenon, phainein क्रिया से) कोई वह चीज़ हैं जो स्वयं प्रकट होती हैं। भले सदैव नहीं, पर आम तौर पर दृग्विषयों को "चीजें जो दृष्टिगोचर होती हैं" या संवेदन-समर्थ जीवों के "अनुभव" समझे जाते हैं, या वे जो सैद्धान्तिक रूप से हो सकते हैं। यह शब्द इमानुएल काण्ट के द्वारा आधुनिक दार्शनिक प्रयोग में आया, जिन्होंने इसे मनस्विषय के विपरीत बताया। दृग्विषय के विपरीत, मनस्विषय अन्वेषण के द्वारा प्रत्यक्ष रूप से अभिगम्य नहीं हैं। काण्ट Gottfried Wilhelm Leibniz के दर्शन के इस भाग से बेहद प्रभावित थे, जिसमें, दृग्विषय और मनस्विषय पारस्पारिक तकनीकी शब्द थे। श्रेणी:तत्वमीमांसा की अवधारणाएँ. माइसनर प्रभाव का आरेख - चित्र में चुम्बकीय-क्षेत्र-रेखाओं को तीर से दिखाया गया है। देख सकते हैं कि जब गोलाकार पदार्थ क्रांतिक ताप से नीचे आने के कारण अतिचालक हो गया है तब क्षेत्र-रेखाएँ गोले से होकर नहीं जा रही हैं। जब कोई पदार्थ अपने क्रांतिक ताप से नीचे आकर अतिचालक अवस्था को प्राप्त होता है तो इसके अन्दर चुम्बकीय क्षेत्र शून्य हो जाता है। इसे माइसनर प्रभाव (Meissner effect) कहते हैं। इस परिघटना की खोज जर्मनी के भौतिकशास्त्री वाल्थर माइसनर (Walther Meissner) तथा रॉबर्ट आक्सेनफिल्ड (Robert Ochsenfeld) ने सन् १९३३ में की थी। परमाणु में इलेक्ट्रॉन अंडाकार पथ में परिक्रमा करते हैं और इस दृष्टि से वे चुंबक जैसा कार्य करते हैं। बाहरी चुंबकीय क्षेत्र से इन चुंबकों का आघूर्ण (मोमेंट) कम हो जाता है। दूसरे शब्दों में, परमाणु विषम चुंबकीय प्रभाव दिखाते हैं। यदि ताप तास किसी पदार्थ को उपयुक्त चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाए तो उस सुचालक का आंतरिक चुंबकीय क्षेत्र नष्ट हो जाता है, अर्थात् वह एक विषम चुंबकीय पदार्थ जैसा कार्य करने लगता है। तलपृष्ठ पर बहने वाली विद्युत धाराओं के कारण आंतरिक क्षेत्र का मान शून्य ही रहता है। इसे माइसनर का प्रभाव कहते हैं। यदि अतिचालक पदार्थ को धीरे-धीरे बढ़ने वाले चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाए तो क्षेत्र के एक विशेष मान पर, जिसे देहली मान (थ्रेशोल्ड वैल्यू) कहते हैं, इसका प्रतिरोध पुनः अपने पूर्व मान के बराबर हो जाता है। .

दृग्विषय और माइसनर प्रभाव के बीच समानता

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दृग्विषय और माइसनर प्रभाव के बीच तुलना

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संदर्भ

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