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दुर्बल अन्योन्य क्रिया

सूची दुर्बल अन्योन्य क्रिया

दुर्बल अन्योन्य क्रिया (अक्सर दुर्बल बल व दुर्बल नाभिकीय बल के नाम से भी जाना जाता है) प्रकृति की चार मूलभूत अन्योन्य क्रियाओं में से एक है, अन्य चार अन्योन्य क्रियाएं गुरुत्वाकर्षण, विद्युत चुम्बकीय अन्योन्य क्रिया और प्रबल अन्योन्य क्रिया हैं। यह अन्योन्य क्रिया, उप-परमाणविक कणों के रेडियोधर्मी क्षय और नाभिकीय संलयन के लिए उत्तरदायी है। सभी ज्ञात फर्मिऑन (वे कण जिनका स्पिन अर्द्ध-पूर्ण संख्या होती है) यह अन्योन्य क्रिया करते हैं। कण भौतिकी मेंमानक प्रतिमान के अनुसार दुर्बल अन्योन्य क्रिया Z अथवा W बोसॉन के विनिमय (उत्सर्जन अथवा अवशोषण) से होती है और अन्य तीन बलों की भांती यह भी अस्पृशी बल माना जाता है। बीटा क्षय रेडियोधर्मिता का एक उदाहरण इस क्रिया का सबसे ज्ञात उदाहरण है। W व Z बोसॉनों का द्रव्यमान प्रोटोन व न्यूट्रोन की तुलना में बहुत अधीक होता है और यह भारीपन ही दुर्बल बल की परास कम होने का मुख्य कारण है। इसे दुर्बल बल कहने का कारण इस बल का अन्य दो बलों विद्युत चुम्बकीय व प्रबल की तुलना में इसका मान का परिमाण की कोटि कई गुणा कम होना है। अधिकतर कण समय के साथ दुर्बल बल के अधीन क्षय होते हैं। क्वार्क फ्लेवर परिवर्तन भी केवल इस बल के अधीन ही होता है। .

21 संबंधों: चार्म क्वार्क, टाऊ न्यूट्रिनो, टॉप क्वार्क, डाउन क्वार्क, नाभिकीय संलयन, प्रबल अन्योन्य क्रिया, फर्मिऑन, बॉटम क्वार्क, मानक प्रतिमान, म्यूऑन, म्यूऑन न्यूट्रिनो, समता (भौतिकी), विचित्र क्वार्क, विद्युत्चुम्बकत्व, गुरुत्वाकर्षण, गेज बोसॉन, इलेक्ट्रॉन, इलेक्ट्रॉन न्यूट्रिनो, कण भौतिकी, अप क्वार्क, अवपरमाणुक कण

चार्म क्वार्क

यह क्वार्क का एक फ्लेवर है अथवा एक प्रकार का क्वार्क है जिसका आवेश +(2/3)e, द्रव्यमान 1.27 GeV/c2 तथा प्रचक्रण 1/2 होता है। .

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टाऊ न्यूट्रिनो

टाऊ न्यूट्रिनो एक मूलभूत कण है। इसका प्रतीक चिह्न है। इसका आवेश शून्य होता है अर्थात यह एक उदासीन कण है। न्यूट्रिनों तीन प्रकार के होते हैं जिनमें से यह टाऊ से सम्बद्ध लेप्टॉनों की श्रेणी में आता है। इसका द्रव्यमान लगभग शून्य माना जाता है, प्रायोगिक तौर पर इसका सीमान्त मान 15.5 Mev/c2 से कम है। इसका प्रचक्रण 1/2 होता है। यह दो फ्लेवर के साथ पाया जाता है जो कण और प्रतिकण हैं अर्थात टाऊ न्यूट्रिनो एवं टाऊ प्रतिन्यूट्रिनो। ज्ञात कणों में केवल न्यूट्रिनों ही ऐसे कण हैं जो केवल दुर्बल अन्योन्य क्रिया में भाग लेते हैं। न्यूट्रिनो प्रबल अन्योन्य क्रिया एवं विद्युत चुम्बकीय अन्योन्य क्रियाओं में भाग नहीं लेते। द्रव्यामान अज्ञात होने के कारण इनकी गुरुत्वीय अन्योन्य क्रिया का सही मान प्राप्त करना मुश्किल है। .

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टॉप क्वार्क

यह क्वार्क का एक फ्लेवर है अथवा एक प्रकार का क्वार्क है जिसका आवेश +(2/3)e, द्रव्यमान 171.2 GeV/c2 तथा प्रचक्रण 1/2 होता है। टाॅप क्वार्क अब तक पाये गये फर्मियान कणों में सबसे भारी कण है। इसका द्रव्यमान टंगस्टन के परमाणु के लगभग बराबर होता है और यह चारों आधारभूत बलों गुरुत्वाकर्षण, विद्युत-चुम्बकीय, क्षीण नाभिकीय बल और प्रबल नाभिकीय बल को अनुभव करता है। .

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डाउन क्वार्क

यह क्वार्क का एक फ्लेवर है अथवा एक प्रकार का क्वार्क है जिसका आवेश -(1/3)e, द्रव्यमान 4.8 MeV/c2 तथा प्रचक्रण 1/2 होता है। .

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नाभिकीय संलयन

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प्रबल अन्योन्य क्रिया

प्रबल अन्योन्य क्रिया (अक्सर प्रबल बल, प्रबल नाभिकीय बल और कलर अन्योन्य क्रिया के नाम से भी जाना जाता है) (Strong Interaction.) प्रकृति की चार मूलभूत अन्योन्य क्रियाओं में से एक है, अन्य तीन अन्योन्य क्रियाएं गुरुत्वाकर्षण, विद्युत चुम्बकीय अन्योन्य क्रिया और दुर्बल अन्योन्य क्रिया हैं। नाभिकीय स्तर पर यह अन्योन्य क्रिया विद्यत चुम्बकीय अन्योन्य क्रिया से १०० गुना प्रबल है अतः दुर्बल व गुरुत्वीय अन्योन्य क्रियाओं से यह बहुत ज्यादा प्रबल है। इस अन्योन्य क्रिया को प्रोटोनों व न्यूट्रोनों के बन्धन बल के रूप में भी पहचाना जाता है। .

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फर्मिऑन

सांख्यिकीय व्यवहार के आधार पर भौतिकी में कणों को दो भागों में बांटा जाता है: बोसॉन एवं फर्मिऑन। फर्मिऑन (fermion):- वे कण जो फर्मी-डिराक सांख्यिकी के अनुसार व्यवहार करते है, जिनका प्रचक्रण विषम अर्ध पूर्णांक (१/२, ३/२, ----) होता है और जो पाउली अपवर्जन नियम का पालन करते है, फर्मिऑन कहलाते है। मूलकण क्वार्क और लेप्टॉन एवं संयोजित कण प्रोटॉन और न्यूट्रॉन इसके उदाहरण है। .

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बॉटम क्वार्क

यह क्वार्क का एक फ्लेवर है अथवा एक प्रकार का क्वार्क है जिसका आवेश -(1/3)e, द्रव्यमान 4.2 GeV/c2 तथा प्रचक्रण 1/2 होता है। .

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मानक प्रतिमान

मूलभूत कणों का, आमान बोसॉनों (सबसे दायां स्तम्भ) के साथ मानक प्रतिमान। मानक प्रतिमान या मानक मॉडल, भौतिकशास्त्र का एक सिद्धान्त है जिसका संबंध विद्युत्-चुम्बकीय, दुर्बल तथा प्रबल नाभिकीय अन्तःक्रियाओं से है। ये ऐसी अन्तःक्रियाएँ हैं, जो कि ज्ञात उपपारमाण्विक कणों की गतिकी की व्याख्या करती हैं। इसका विकास बीसवीं सदी के मध्य से लेकर देर-सदी तक हुआ। ये कई हाथों से बुना हुआ एक पट है, जो कि कभी तो नई प्रायोगिक खोजों से आगे बढ़ा तो कभी सैद्धान्तिक प्रगतियों से। इसका विकास सही अर्थों में सहकार के साथ हुआ है, जो महाद्वीपों और दशकों में विस्तृत है। इसका आज का प्रारूप 1970 के दशक के मध्य में बना, जबकि क्वार्क का अस्तित्व सुनिश्चित किया गया। उसके बाद तो तल क्वार्क (1977), शीर्ष क्वार्क (1995) और टॉ क्वार्क (2000) की खोज ने मानक प्रतिमान की साख और बढ़ा दी। अधिक हाल की घटना के रूप में 2011-2012 में हिग्स बोसॉन की खोज ने इसके सारे अनुमानित कणों का समुच्चय पूरा कर दिया है। प्रायोगिक परिणामों की दीर्घ शृंख्ला की सफलतापूर्वक व्याख्या कररने के कारण मानक प्रतिमान को कभी कभी "लगभग सबकुछ का सिद्धान्त" भी कहा जाता है। मानक प्रतिमान मौलिक अन्तःक्रियाओं का सम्पूर्ण सिद्धान्त होते होते रह जाता है, क्योंकि इसमें से गुरुत्वाकर्षण का समूचा सिद्धान्त ही गायब है, साथ ही यह विश्व के त्वरित विस्तार की भविष्यवाणी भी नहीं करता है (जैसा कि अन्धकार-ऊर्जा द्वारा वर्णित है)। .

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म्यूऑन

म्यूऑन एक मूलभूत कण है। इसका प्रतीक चिह्न &muon; है। इसका आवेश इकाई (e) होता है अर्थात इलेक्ट्रॉन के समान होता है। विद्युतणु की भाँति यह कण भी लेप्टॉनों की श्रेणी में आता है। इसका द्रव्यमान 105.7 Mev/c2 है। इसका प्रचक्रण 1/2 होता है। आवेश के कारण यह दो फ्लेवर के साथ पाया जाता है जो एक दूसरे के प्रतिकण होते हैं अर्थात म्यूऑन एवं प्रतिम्यूऑन। म्यूऑन लेप्टॉन श्रेणी में आता है अतः यह दुर्बल अन्योन्य क्रिया में भाग लेता है। चूँकि यह एक आवेशित कण है अतः विद्युत चुम्बकीय अन्योन्य क्रियाओं में भी भाग लेता है। .

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म्यूऑन न्यूट्रिनो

म्यूऑन न्यूट्रिनो एक मूलभूत कण है। इसका प्रतीक चिह्न है। इसका आवेश शून्य होता है अर्थात यह एक उदासीन कण है। न्यूट्रिनों तीन प्रकार के होते हैं जिनमें से यह म्यूऑन से सम्बद्ध लेप्टॉनों की श्रेणी में आता है। इसका द्रव्यमान लगभग शून्य माना जाता है, प्रायोगिक तौर पर इसका सीमान्त मान 0.17 Mev/c2 से कम है। इसका प्रचक्रण 1/2 होता है। यह दो फ्लेवर के साथ पाया जाता है जो कण और प्रतिकण हैं अर्थात म्यूऑन न्यूट्रिनो एवं म्यूऑन प्रतिन्यूट्रिनो। ज्ञात कणों में केवल न्यूट्रिनों ही ऐसे कण हैं जो केवल दुर्बल अन्योन्य क्रिया में भाग लेते हैं। न्यूट्रिनो प्रबल अन्योन्य क्रिया एवं विद्युत चुम्बकीय अन्योन्य क्रियाओं में भाग नहीं लेते। द्रव्यामान अज्ञात होने के कारण इनकी गुरुत्वीय अन्योन्य क्रिया का सही मान प्राप्त करना मुश्किल है। .

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समता (भौतिकी)

समता (अंग्रेजी: Parity) एक भौतिक राशी है। समता रूपांतरण (अथवा समता व्युत्क्रमण) कार्तिय निर्देशाकों का चिह्न परिवर्तन है। त्रिविम में, सामान्यतः तीनों कार्तिय निर्देंशाकों के एक साथ चिह्न परिवर्तन से भी समझाया जाता है: यह घटना की काइरलता (इंगिता) को समझने का विचार है, जिसमें इसके वृहत चित्रण में काइरल घटना, समता व्युत्क्रम को निरूपित करती है। किसी अकाइरल वस्तु पर समता रूपांरतण को इकाई (तत्समक) रूपांतरण कहते हैं।.

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विचित्र क्वार्क

यह क्वार्क का एक फ्लेवर है अथवा एक प्रकार का क्वार्क है जिसका आवेश -(1/3)e, द्रव्यमान 104 MeV/c2 तथा प्रचक्रण 1/2 होता है। .

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विद्युत्चुम्बकत्व

'''चिद्युत्चुम्बक''': विद्युत्चुम्बकीय बल के अनुप्रयोग का एक उदाहरण है। विद्युत्चुम्बकत्व (Electromagnetism) या विद्युतचुम्बकीय बल (electromagnetic force) प्रकृति में पाये जाने वाले चार प्रकार के मूलभूत बलों या अन्तःक्रियाओं में से एक है। अन्य तीन मूलभूत बल हैं - प्रबल अन्योन्यक्रिया, दुर्बल अन्योन्यक्रिया तथा गुरुत्वाकर्षण। विद्युत्चुम्बकीय बल को विद्युत्चुंबकीय क्षेत्र की सहायता से अभिव्यक्त किया जाता है। विद्युतचुम्बकीय बल कई रूपों में देखने को मिलता है, जैसे विद्युत आवेशित कणों के बीच बल, चुम्बकीय क्षेत्र में रखे विद्युतवाही चालक पर लगने वाला बल आदि। विद्युत्चुम्बकीय बल को प्रायः दो प्रकार का बताया जाता है-.

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गुरुत्वाकर्षण

गुरुत्वाकर्षण के कारण ही ग्रह, सूर्य के चारों ओर चक्कर लगा पाते हैं और यही उन्हें रोके रखती है। गुरुत्वाकर्षण (ग्रैविटेशन) एक पदार्थ द्वारा एक दूसरे की ओर आकृष्ट होने की प्रवृति है। गुरुत्वाकर्षण के बारे में पहली बार कोई गणितीय सूत्र देने की कोशिश आइजक न्यूटन द्वारा की गयी जो आश्चर्यजनक रूप से सही था। उन्होंने गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत का प्रतिपादन किया। न्यूटन के सिद्धान्त को बाद में अलबर्ट आइंस्टाइन द्वारा सापेक्षता सिद्धांत से बदला गया। इससे पूर्व वराह मिहिर ने कहा था कि किसी प्रकार की शक्ति ही वस्तुओं को पृथिवी पर चिपकाए रखती है। .

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गेज बोसॉन

मानक प्रतिमान के अनुसार मूलभूत कण, यहाँ चतुर्थ स्तम्भ में गेज बोसॉन हैं। कण भौतिकी में, गेज बोसॉन (gauge boson) एक बोसॉनिक कण है जो प्रक्रिति के मूलभूत बलो के वाहक की भूमिका निभाता है अर्थात यह एक प्रकार का बल वाहक कण (force carrier particle) है। * श्रेणी:मूलकण श्रेणी:कण भौतिकी श्रेणी:बोसोन.

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इलेक्ट्रॉन

इलेक्ट्रॉन या विद्युदणु (प्राचीन यूनानी भाषा: ἤλεκτρον, लैटिन, अंग्रेज़ी, फ्रेंच, स्पेनिश: Electron, जर्मन: Elektron) ऋणात्मक वैद्युत आवेश युक्त मूलभूत उपपरमाणविक कण है। यह परमाणु में नाभिक के चारो ओर चक्कर लगाता हैं। इसका द्रव्यमान सबसे छोटे परमाणु (हाइड्रोजन) से भी हजारगुना कम होता है। परम्परागत रूप से इसके आवेश को ऋणात्मक माना जाता है और इसका मान -१ परमाणु इकाई (e) निर्धारित किया गया है। इस पर 1.6E-19 कूलाम्ब परिमाण का ऋण आवेश होता है। इसका द्रव्यमान 9.11E−31 किग्रा होता है जो प्रोटॉन के द्रव्यमान का लगभग १८३७ वां भाग है। किसी उदासीन परमाणु में विद्युदणुओं की संख्या और प्रोटानों की संख्या समान होती है। इनकी आंतरिक संरचना ज्ञात नहीं है इसलिए इसे प्राय:मूलभूत कण माना जाता है। इनकी आंतरिक प्रचक्रण १/२ होती है, अतः यह फर्मीय होते हैं। इलेक्ट्रॉन का प्रतिकणपोजीट्रॉन कहलाता है। द्रव्यमान के अलावा पोजीट्रॉन के सारे गुण यथा आवेश इत्यादि इलेक्ट्रॉन के बिलकुल विपरीत होते हैं। जब इलेक्ट्रॉन और पोजीट्रॉन की टक्कर होती है तो दोंनो पूर्णतः नष्ट हो जाते हैं एवं दो फोटॉन उत्पन्न होती है। इलेक्ट्रॉन, लेप्टॉन परिवार के प्रथम पीढी का सदस्य है, जो कि गुरुत्वाकर्षण, विद्युत चुम्बकत्व एवं दुर्बल प्रभाव सभी में भूमिका निभाता है। इलेक्ट्रॉन कण एवं तरंग दोनो तरह के व्यवहार प्रदर्शित करता है। बीटा-क्षय के रूप में यह कण जैसा व्यवहार करता है, जबकि यंग का डबल स्लिट प्रयोग (Young's double slit experiment) में इसका किरण जैसा व्यवहार सिद्ध हुआ। चूंकि इसका सांख्यिकीय व्यवहार फर्मिऑन होता है और यह पॉली एक्सक्ल्युसन सिध्दांत का पालन करता है। आइरिस भौतिकविद जॉर्ज जॉनस्टोन स्टोनी (George Johnstone Stoney) ने १८९४ में एलेक्ट्रों नाम का सुझाव दिया था। विद्युदणु की कण के रूप में पहचान १८९७ में जे जे थॉमसन (J J Thomson) और उनकी विलायती भौतिकविद दल ने की थी। कइ भौतिकीय घटनाएं जैसे-विध्युत, चुम्बकत्व, उष्मा चालकता में विद्युदणु की अहम भूमिका होती है। जब विद्युदणु त्वरित होता है तो यह फोटान के रूप मेंऊर्जा का अवशोषण या उत्सर्जन करता है।प्रोटॉन व न्यूट्रॉन के साथ मिलकर यह्परमाणु का निर्माण करता है।परमाणु के कुल द्रव्यमान में विद्युदणु का हिस्सा कम से कम् 0.0६ प्रतिशत होता है। विद्युदणु और प्रोटॉन के बीच लगने वाले कुलाम्ब बल (coulomb force) के कारण विद्युदणु परमाणु से बंधा होता है। दो या दो से अधिक परमाणुओं के विद्युदणुओं के आपसी आदान-प्रदान या साझेदारी के कारण रासायनिक बंध बनते हैं। ब्रह्माण्ड में अधिकतर विद्युदणुओं का निर्माण बिग-बैंग के दौरान हुआ है, इनका निर्माण रेडियोधर्मी समस्थानिक (radioactive isotope) से बीटा-क्षय और अंतरिक्षीय किरणो (cosmic ray) के वायुमंडल में प्रवेश के दौरान उच्च ऊर्जा टक्कर के कारण भी होता है।.

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इलेक्ट्रॉन न्यूट्रिनो

इलेक्ट्रॉन न्यूट्रिनो एक मूलभूत कण है। इसका प्रतीक चिह्न है। इसका आवेश शून्य होता है अर्थात यह एक उदासीन कण है। न्यूट्रिनों तीन प्रकार के होते हैं जिनमें से यह इलेक्ट्रॉन से सम्बद्ध लेप्टॉनों की श्रेणी में आता है। इसका द्रव्यमान लगभग शून्य माना जाता है, प्रायोगिक तौर पर इसका सीमान्त मान 2.2 Mev/c2 से कम है। इसका प्रचक्रण 1/2 होता है। यह दो फ्लेवर के साथ पाया जाता है जो कण और प्रतिकण हैं अर्थात इलेक्ट्रॉन न्यूट्रिनो एवं इलेक्ट्रॉन प्रतिन्यूट्रिनो। ज्ञात कणों में केवल न्यूट्रिनों ही ऐसे कण हैं जो केवल दुर्बल अन्योन्य क्रिया में भाग लेते हैं। न्यूट्रिनो प्रबल अन्योन्य क्रिया एवं विद्युत चुम्बकीय अन्योन्य क्रियाओं में भाग नहीं लेते। द्रव्यामान अज्ञात होने के कारण इनकी गुरुत्वीय अन्योन्य क्रिया का सही मान प्राप्त करना मुश्किल है। .

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कण भौतिकी

कण भौतिकी, भौतिकी की एक शाखा है जिसमें मूलभूत उप परमाणविक कणो के पारस्परिक संबन्धो तथा उनके अस्तित्व का अध्ययन किया जाता है, जिनसे पदार्थ तथा विकिरण निर्मित हैं। हमारी अब तक कि समझ के अनुसार कण क्वांटम क्षेत्रों के उत्तेजन (excitations) हैं। दूसरे कणों के साथ इनकी अन्तःक्रिया की अपनी गतिकी है। कण भौतिकी के क्षेत्र में अधिकांश रुचि मूलभूत क्षेत्रों (fundamental fields) में है। मौलिक क्षेत्रों और उनकी गतिशीलताओ के सार को सिद्धान्त के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इसिलिये कण भौतिकी में अधिकतर स्टैंडर्ड मॉडल (Standard Model) के मूल कणों तथा उनके सम्भावित विस्तार के बारे में अध्यन किया जाता है। .

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अप क्वार्क

यह क्वार्क का एक फ्लेवर है अथवा एक प्रकार का क्वार्क है जिसका आवेश +(2/3)e, द्रव्यमान 2.4 MeV/c2 तथा प्रचक्रण 1/2 होता है। .

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अवपरमाणुक कण

अवपरमाणुक कणों का सोपान (हाइरार्की) भौतिकी में अवपरमाणुक कण (subatomic particles) उन कणों को कहते हैं जिनसे मिलकर न्युक्लियॉन (nucleons) और परमाणु बने हैं। अवपरमाणुक कण दो प्रकार के हैं -.

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