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दादा साहब फाल्के सम्मान और भुपेन हजारिका

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

दादा साहब फाल्के सम्मान और भुपेन हजारिका के बीच अंतर

दादा साहब फाल्के सम्मान vs. भुपेन हजारिका

दादा साहब फाल्के सम्मान सिनेमा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला वार्षिक सम्मान है। इसकी स्थापना वर्ष १९६९ में की गई थी।RAJAT KUSHWAH . भुपेन हजारिका (ভূপেন হাজৰিকা भूपेन हाजोरिका) (8 सितंबर, 1926- ५ नवम्बर २०११) भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम से एक बहुमुखी प्रतिभा के गीतकार, संगीतकार और गायक थे। इसके अलावा वे असमिया भाषा के कवि, फिल्म निर्माता, लेखक और असम की संस्कृति और संगीत के अच्छे जानकार भी रहे थे। वे भारत के ऐसे विलक्षण कलाकार थे जो अपने गीत खुद लिखते थे, संगीतबद्ध करते थे और गाते थे। उन्हें दक्षिण एशिया के श्रेष्ठतम जीवित सांस्कृतिक दूतों में से एक माना जाता है। उन्होंने कविता लेखन, पत्रकारिता, गायन, फिल्म निर्माण आदि अनेक क्षेत्रों में काम किया। भूपेन हजारिका के गीतों ने लाखों दिलों को छुआ। हजारिका की असरदार आवाज में जिस किसी ने उनके गीत "दिल हूम हूम करे" और "ओ गंगा तू बहती है क्यों" सुना वह इससे इंकार नहीं कर सकता कि उसके दिल पर भूपेन दा का जादू नहीं चला। अपनी मूल भाषा असमिया के अलावा भूपेन हजारिका हिंदी, बंगला समेत कई अन्य भारतीय भाषाओं में गाना गाते रहे थे। उनहोने फिल्म "गांधी टू हिटलर" में महात्मा गांधी का पसंदीदा भजन "वैष्णव जन" गाया था। उन्हें पद्मभूषण सम्मान से भी सम्मानित किया गया था। .

दादा साहब फाल्के सम्मान और भुपेन हजारिका के बीच समानता

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संदर्भ

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