दशरथ शर्मा और मुनि जिनविजय के बीच समानता
दशरथ शर्मा और मुनि जिनविजय आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): राजस्थान, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, राजस्थान साहित्य अकादमी।
राजस्थान
राजस्थान भारत गणराज्य का क्षेत्रफल के आधार पर सबसे बड़ा राज्य है। इसके पश्चिम में पाकिस्तान, दक्षिण-पश्चिम में गुजरात, दक्षिण-पूर्व में मध्यप्रदेश, उत्तर में पंजाब (भारत), उत्तर-पूर्व में उत्तरप्रदेश और हरियाणा है। राज्य का क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग कि॰मी॰ (132139 वर्ग मील) है। 2011 की गणना के अनुसार राजस्थान की साक्षरता दर 66.11% हैं। जयपुर राज्य की राजधानी है। भौगोलिक विशेषताओं में पश्चिम में थार मरुस्थल और घग्गर नदी का अंतिम छोर है। विश्व की पुरातन श्रेणियों में प्रमुख अरावली श्रेणी राजस्थान की एक मात्र पर्वत श्रेणी है, जो कि पर्यटन का केन्द्र है, माउंट आबू और विश्वविख्यात दिलवाड़ा मंदिर सम्मिलित करती है। पूर्वी राजस्थान में दो बाघ अभयारण्य, रणथम्भौर एवं सरिस्का हैं और भरतपुर के समीप केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान है, जो सुदूर साइबेरिया से आने वाले सारसों और बड़ी संख्या में स्थानीय प्रजाति के अनेकानेक पक्षियों के संरक्षित-आवास के रूप में विकसित किया गया है। .
दशरथ शर्मा और राजस्थान · मुनि जिनविजय और राजस्थान ·
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान
राजस्थान स्थापना। राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान (Rajasthan Oriental Research Institute / RORI) राजस्थान सरकार द्वारा स्थापित एक संस्थान है जो राजस्थानी संस्कृति एवं विरासत को संरक्षित रखने एवं उसकी उन्नति करने के उद्देश्य से स्थापित किया है। इसकी स्थापना १९५४ में मुनि जिनविजय के मार्गदर्शन में की गयी थी। मुनि जिनविजय रॉयल एशियाटिक सोसायटी के सदस्य थे। भारत के राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने १९५५ में इसकी आधारशिला रखी। १४ सितम्बर १९५८ को इसका उद्घाटन हुआ। इसका मुख्यालय जोधपुर में है। पालि, प्राकृत, अपभ्रंश, संस्कृत और अन्य भाषाओँ में लिखे गए विभिन्न अप्रकाशित पांडुलिपियों और प्राचीन ग्रंथों की खोज और उनके प्रकाशन के लिए उत्तरदायी राजस्थान शासन द्वारा जोधपुर में सन १९५० में संस्थापित एक पंजीकृत स्वायत्तशासी समिति (सांस्कृतिक संस्थान) है जिसके संस्थापक निदेशक पद्मश्री मुनि जिनविजय थे। यहाँ संरक्षित कुछ पांडुलिपियाँ इस लिंक पर देखी जा सकती हैं- .
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राजस्थान साहित्य अकादमी
राजस्थान साहित्य अकादमी की स्थापना २८ जनवरी १९५८ ई. राज्य सरकार द्वारा राज्य में साहित्य के विकास, प्रोत्साहन व प्रचार-प्रसार के उद्धेश्य से एक शासकीय इकाई के रूप में की गई और ८ नवम्बर १९६२ को इसे स्वायत्तता प्रदान की गई। तब से यह यह संस्थान अपने संविधान के अनुसार राजस्थान में साहित्य की प्रोन्नति तथा साहित्यिक संचेतना के प्रचार-प्रसार के लिए सतत् सक्रिय है। राजस्थान में सृजित साहित्य और यहां के साहित्यकारों की हिन्दी साहित्य के राष्ट्रीय फलक पर विशिष्ट पहचान स्थापित हुई है। अकादमी की स्वीकृत और अधिकृत योजनाओं की स्पष्टतः कुछ आधारभूत विशेषताएं हैं। अकादमी में रचनाधर्मियों की वाणी और विचार सृजन की स्वतंत्रता को पूरी तरह से संरक्षित और प्रोत्साहित किया गया है। अकादमी किसी भी प्रकार के वादों, घेरों, सम्प्रदायों और राजनीतिक दलबन्दियों से परे है। अकादमी को प्रारम्भ से ही उसका स्वरूप और व्यक्तित्व प्रदान किया गया है और इसका ध्येय, वाक्य और मुद्रा स्वीकृत है। राजस्थान साहित्य अकादमी की स्थापना साहित्य जगत हेतु एक सुखद अनुभूति है और राजस्थान के सांस्कृतिक और साहित्यिक पुनर्निर्माण एवं विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। .
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दशरथ शर्मा और मुनि जिनविजय के बीच तुलना
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संदर्भ
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