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दमा और मोतियाबिंद

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

दमा और मोतियाबिंद के बीच अंतर

दमा vs. मोतियाबिंद

अस्थमा (दमा) (ग्रीक शब्द ἅσθμα, ásthma, "panting" से) श्वसन मार्ग का एक आम जीर्ण सूजन disease वाला रोग है जिसे चर व आवर्ती लक्षणों, प्रतिवर्ती श्वसन बाधा और श्वसनी-आकर्षसे पहचाना जाता है। आम लक्षणों में घरघराहट, खांसी, सीने में जकड़न और श्वसन में समस्याशामिल हैं। दमा को आनुवांशिक और पर्यावरणीय कारकों का संयोजन माना जाता है।इसका निदान सामान्यतया लक्षणों के प्रतिरूप, समय के साथ उपचार के प्रति प्रतिक्रिया और स्पाइरोमेट्रीपर आधारित होता है। यह चिकित्सीय रूप से लक्षणों की आवृत्ति, एक सेकेन्ड में बलपूर्वक निःश्वसन मात्रा (FEV1) और शिखर निःश्वास प्रवाह दर के आधार पर वर्गीकृत है।दमे को अटॉपिक (वाह्य) या गैर-अटॉपिक (भीतरी) की तरह भी वर्गीकृत किया जाता है जहां पर अटॉपी को टाइप 1 अतिसंवेदनशीलता प्रतिक्रियाओं के विकास की ओर पहले से अनुकूलित रूप में सन्दर्भित किया गया है। गंभीर लक्षणों का उपचार आम तौर पर एक अंतःश्वसन वाली लघु अवधि मे काम करे वाली बीटा-2 एगोनिस्ट (जैसे कि सॉल्ब्यूटामॉल) और मौखिक कॉर्टिकोस्टरॉएड द्वारा किया जाता है। प्रत्येक गंभीर मामले में अंतःशिरा कॉर्टिकोस्टरॉएड, मैग्नीशियम सल्फेट और अस्पताल में भर्ती करना आवश्यक हो सकता है। लक्षणों को एलर्जी कारकों और तकलीफ कारकों जैसे उत्प्रेरकों से बचाव करके तथा कॉर्टिकोस्टरॉएड के उपयोग से रोका जा सकता है। यदि अस्थमा लक्षण अनियंत्रित रहते हैं तो लंबी अवधि से सक्रिय हठी बीटा (LABA) या ल्यूकोट्रीन प्रतिपक्षी को श्वसन किये जाने वाले कॉर्टिकोस्टरॉएड को उपयोग किया जा सकता है। 1970 के बाद से अस्थमा के लक्षण महत्वपूर्ण रूप से बढ़ गये हैं। 2011 तक, पूरे विश्व में 235-300 मिलियन लोग इससे प्रभावित थे, जिनमें लगभग 2,50,000 मौतें शामिल हैं। . मानव आंख का क्रॉस-सेक्शनल दृश्य, जिसमें लेन्स की स्थिति दिखाई गई है। सौजन्य:NIH मोतियाबिंद आंखों का एक सामान्य रोग है। प्रायः पचपन वर्ष की आयु से अधिक के लोगों में मोतियाबिंद होता है, किन्तु युवा लोग भी इससे प्रतिरक्षित नहीं हैं। मोतियाबिंद विश्व भर में अंधत्‍व के मुख्य कारण हैं। 60 से अधिक आयु वालों में ४० प्रतिशत लोगों में मोतियाबिंद विकसित होता है। शल्‍य क्रिया ही इसका एकमात्र इलाज़ है, जो सुरक्षित एवं आसान प्रक्रिया है। आंखों के लेंस आँख से विभिन्‍न दूरियों की वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। समय के साथ लेंस अपनी पारदर्शिता खो देता है तथा अपारदर्शी हो जाता है। लेंस के धुंधलेपन को मोतियाबिंद कहा जाता है। दृष्टिपटल तक प्रकाश नहीं पहुँच पाता है एवं धीरे-धीरे दृष्टि में कमी अन्धता के बिंदु तक हो जाती है। ज्यादातर लोगों में अंतिम परिणाम धुंधलापन एवं विकृत दृष्टि होते है। मोतियाबिंद का निश्चित कारण अभी तक ज्ञात नहीं है। मोतियाबिंद के विभिन्न प्रकार होते हैं, जिनमें सबसे आम वृद्धावस्था का मोतियाबिंद है, जो ५० से अधिक आयुवाले लोगों में विकसित होता है। इस परिवर्तन में योगदान देने वाले कारकों में रोग, आनुवांशिकी, बुढ़ापा, या नेत्र की चोट शामिल है। वे लोग जो सिगरेट के धुएँ, पराबैंगनी विकिरण (सूर्य के प्रकाश सहित), या कुछ दवाएं के सम्पर्क मे रह्ते हैं, उन्हें भी मोतियाबिंद होने का खतरा होता है। मुक्त कण और ऑक्सीकरण एजेंट्स भी आयु-संबंधी मोतियाबिंद के होने से जुड़े हैं। इसके लक्षणों में समय के साथ दृष्टि में क्रमिक गिरावट, वस्‍तुयें धुंधली, विकृत, पीली या अस्‍पष्‍ट दिखाई देती हैं। रात में अथवा कम रोशनी में दृष्टि में कमी होना। रात में रंग मलिन दिखाई दे सकते हैं या रात की दृष्टि कमजोर हो सकती है। धूप या तेज रोशनी में दृष्टि चमक से प्रभावित होती है। चमकदार रोशनी के चारों ओर कुण्‍डल दिखाई देते हैं। मोतियाबिंद से खुजली, आंसू आना या सिर दर्द नहीं होता है। .

दमा और मोतियाबिंद के बीच समानता

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दमा और मोतियाबिंद के बीच तुलना

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संदर्भ

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