दक्खिनी और मराठवाडा
शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
दक्खिनी और मराठवाडा के बीच अंतर
दक्खिनी vs. मराठवाडा
दखनी या दक्कनी या दखिनी:Dakhni (Hindi: दक्खिनी), और Dakkhani, ये बोली उर्दू ज़बान की एक अहम बोली है, जो जनूबी हिंदूस्तान में बोली जाती है। दखनी हिंदी मूलतः हिंदी का ही पूर्व रूप है जिसका विकास ईसा की १४वी शती से १८बी शती तक दक्खिन के बहमनी, क़ुतुब शाही और आदिल शाही आदि राज्यों के सुल्तानों के संरक्षण मैं हुआ था। वह मूलतः दिल्ली के आस पास की हरियाणी एवं खडी बोली ही थी जिस पर ब्रजभाषा, अवधी और पंजाबी के साथ-साथ मराठी, गुजराती तथा दक्षिण की सहवर्ती भाषाओं तेलुगु तथा कन्नड आदि का भी प्रभाव पडा था और इसने अरबी फारसी तथा तुर्की आदि के भी शब्द ग्रहण किए थे। यह मुख्यत फारसी लिपि में ही लिखी जाती थी। इसके कवियों ने इस भाषा को मुख्यत 'हिंदवी', हिंदी और 'दक्खिनी' ही कहा था। इसे एक प्रकार से आधुनिक हिंदी और उर्दु की पूर्वगामी भाषा कहा जा सकता है। . मराठवाडा: मध्य महाराष्ट्र का एक संभाग है जो गोदावरी के घाटी में बसे आठ जिलों से बना है। इस संभाग का मुख्य शहर औरंगाबाद है। नांदेड, लातूर इस इलाके के अन्य महानगर है। मराठवाडा हमेशा से गुलाम रहा है। मराठवाडा के ऊपर निजामोंने जूर्म किया। और अब हम महाराष्ट्र में बिन शर्त शामिल हुए क्योंकी हमें विकास की जरूरत थी। फिर भी हमारे ऊपर जुर्म कम नही हुआ । इसलिए अब मराठवाडा राज्य होना ही चाहिए .
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संदर्भ
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