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द किंग्स स्पीच और विन्सटन चर्चिल

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

द किंग्स स्पीच और विन्सटन चर्चिल के बीच अंतर

द किंग्स स्पीच vs. विन्सटन चर्चिल

द किंग्स स्पीच (The King's Speech) 2010 की एक ब्रिटिश ऐतिहासिक ड्रामा फ़िल्म है जिसका निर्देशन टॉम हूपर ने किया और इसकी पटकथा डेविड सीडलर ने लिखा है। कॉलिन फर्थ ने किंग जॉर्ज VI की भूमिका निभाई है, जो अपनी हकलाने की समस्या को दूर करने के लिए एक ऑस्ट्रेलियाई भाषा चिकित्सक लायोनल लॉग से मिलता है, जिसकी भूमिका ज्योफ्री रश ने निभाई है। ये दोनों व्यक्ति साथ में काम करते-करते मित्र बन जाते हैं और अपने भाई के राजा के पद-त्याग के बाद, द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत में, नए राजा की सहायता लॉग उसका रेडियो प्रसारण बनाने में करते हैं। डेविड सीडलर ने अपनी युवावस्था के दौरान अपनी हकलाने की समस्या पर काबू करने के बाद जॉर्ज षष्ठम (VI) के बारे में पढ़ना शुरू किया और उन्होंने सूचित कल्पना का उपयोग करते हुए दोनों पुरुषों के संबंधों के बारे में लिखा। फ़िल्म बनाने से नौ हफ्ते पहले लॉग की पुस्तिकाओं को खोजा गया और इनमें से उद्धरणों को लेकर पटकथा में शामिल किया गया। फोटोग्राफी का काम मुख्य रूप से नवंबर 2009 और जनवरी 2010 में लन्दन और ब्रिटेन के अन्य स्थानों में किया गया। इस फ़िल्म को संयुक्त राज्य अमेरिका में 24 दिसम्बर 2010 को और संयुक्त राष्ट्र में 7 जनवरी 2011 को रिलीज़ किया गया। प्रारंभ में इसे ब्रिटेन में "15" की रेटिंग के साथ वर्गीकृत किया गया, क्योंकि भाषा चिकित्सा के सन्दर्भ में इसमें भाषा का प्रबल उपयोग किया गया था; इसके विरोध के पश्च्यात इसकी रेटिंग कम कर दी गई। द किंग्स स्पीच ब्रिटिश बॉक्स ऑफिस पर लगातार तीन सप्ताहांतों के लिए सबसे ज्यादा कमाई करने वाली एक फ़िल्म थी। आलोचकों ने दृश्य शैली, कला निर्देशन और अभिनय के लिए इस फ़िल्म की काफी सराहना की। अन्य टिप्पणीकारों ने इस फ़िल्म के द्वारा चित्रित की गयी ऐतिहासिक घटनाओं की गलत अभिव्यक्ति की चर्चा की, विशेष रूप से पद त्याग के लिए विंस्टन चर्चिल के विरोध के बारे में बात की गयी। फ़िल्म को कई पुरस्कार और नामांकन मिले, प्रमुख रूप से कॉलिन फर्थ को अपने अभिनय के लिए काफी पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। फ़िल्म में फर्थ को सात गोल्डन ग्लोब पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता-ड्रामा के लिए नामांकित किया गया। इसके अलावा, फ़िल्म को चौदह बाफ्टा के लिए भी नामांकित किया गया, इसमें सर्वश्रेष्ठ पिक्चर, फर्थ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और क्रमशः ज्योफ्री रश और हेलेना बोनहेम कार्टर के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता और सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के पुरस्कार शामिल थे। फ़िल्म को बारह अकादमी पुरस्कारों के लिए भी नामांकित किया गया और अंत में इसने उत्तम श्रेणी के चार पुरस्कार जीते। इन पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ पिक्चर, टॉम हूपर के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, फर्थ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और डेविड सीडलर के लिए सर्वश्रेष्ठ मूल पटकथा के पुरस्कार शामिल थे। . विन्सटन चर्चिल विन्सटन चर्चिल(30 नवंबर, 1874-24 जनवरी, 1965) अंग्रेज राजनीतिज्ञ। द्वितीय विश्वयुद्ध, 1940-1945 के समय इंगलैंड के प्रधानमंत्री था। चर्चिल प्रसिद्ध कूटनीतिज्ञ और प्रखर वक्ता था। वो सेना में अधिकारी रह चुका था, साथ ही वह इतिहासकार, लेखक और कलाकार भी था। वह एकमात्र प्रधानमंत्री था जिसे नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। अपने आर्मी कैरियर के दौरान चर्चिल भारत, सूडान और द्वितीय विश्वयुद्ध में अपना जौहर दिखाया था। उसने युद्ध संवाददाता के रूप में ख्याति पाई थी। प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उसने ब्रिटिश सेना में अहम जिम्मेदारी संभाली थी। राजनीतिज्ञ के रूप में उन्होंने कई पदों पर कार्य किया। विश्वयुद्ध से पहले वे गृहमंत्रालय में व्यापार बोर्ड के अध्यक्ष रहे। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान वे लॉर्ड ऑफ एडमिरिल्टी बने रहे। युद्ध के बाद उन्हें शस्त्र भंडार का मंत्री बनाया गया। 10 मई 1940 को उन्हें युनाइटेड किंगडम का प्रधानमंत्री बनाया गया और उन्होंने धूरी राष्ट्रों के खिलाफ लड़ाई जीती। चर्चिल प्रखर वक्ता थे। .

द किंग्स स्पीच और विन्सटन चर्चिल के बीच समानता

द किंग्स स्पीच और विन्सटन चर्चिल आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): द्वितीय विश्वयुद्ध, पहला विश्व युद्ध, जर्मनी

द्वितीय विश्वयुद्ध

द्वितीय विश्वयुद्ध १९३९ से १९४५ तक चलने वाला विश्व-स्तरीय युद्ध था। लगभग ७० देशों की थल-जल-वायु सेनाएँ इस युद्ध में सम्मलित थीं। इस युद्ध में विश्व दो भागों मे बँटा हुआ था - मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र। इस युद्ध के दौरान पूर्ण युद्ध का मनोभाव प्रचलन में आया क्योंकि इस युद्ध में लिप्त सारी महाशक्तियों ने अपनी आर्थिक, औद्योगिक तथा वैज्ञानिक क्षमता इस युद्ध में झोंक दी थी। इस युद्ध में विभिन्न राष्ट्रों के लगभग १० करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया, तथा यह मानव इतिहास का सबसे ज़्यादा घातक युद्ध साबित हुआ। इस महायुद्ध में ५ से ७ करोड़ व्यक्तियों की जानें गईं क्योंकि इसके महत्वपूर्ण घटनाक्रम में असैनिक नागरिकों का नरसंहार- जिसमें होलोकॉस्ट भी शामिल है- तथा परमाणु हथियारों का एकमात्र इस्तेमाल शामिल है (जिसकी वजह से युद्ध के अंत मे मित्र राष्ट्रों की जीत हुई)। इसी कारण यह मानव इतिहास का सबसे भयंकर युद्ध था। हालांकि जापान चीन से सन् १९३७ ई. से युद्ध की अवस्था में था किन्तु अमूमन दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत ०१ सितम्बर १९३९ में जानी जाती है जब जर्मनी ने पोलैंड पर हमला बोला और उसके बाद जब फ्रांस ने जर्मनी पर युद्ध की घोषणा कर दी तथा इंग्लैंड और अन्य राष्ट्रमंडल देशों ने भी इसका अनुमोदन किया। जर्मनी ने १९३९ में यूरोप में एक बड़ा साम्राज्य बनाने के उद्देश्य से पोलैंड पर हमला बोल दिया। १९३९ के अंत से १९४१ की शुरुआत तक, अभियान तथा संधि की एक शृंखला में जर्मनी ने महाद्वीपीय यूरोप का बड़ा भाग या तो अपने अधीन कर लिया था या उसे जीत लिया था। नाट्सी-सोवियत समझौते के तहत सोवियत रूस अपने छः पड़ोसी मुल्कों, जिसमें पोलैंड भी शामिल था, पर क़ाबिज़ हो गया। फ़्रांस की हार के बाद युनाइटेड किंगडम और अन्य राष्ट्रमंडल देश ही धुरी राष्ट्रों से संघर्ष कर रहे थे, जिसमें उत्तरी अफ़्रीका की लड़ाइयाँ तथा लम्बी चली अटलांटिक की लड़ाई शामिल थे। जून १९४१ में युरोपीय धुरी राष्ट्रों ने सोवियत संघ पर हमला बोल दिया और इसने मानव इतिहास में ज़मीनी युद्ध के सबसे बड़े रणक्षेत्र को जन्म दिया। दिसंबर १९४१ को जापानी साम्राज्य भी धुरी राष्ट्रों की तरफ़ से इस युद्ध में कूद गया। दरअसल जापान का उद्देश्य पूर्वी एशिया तथा इंडोचायना में अपना प्रभुत्व स्थापित करने का था। उसने प्रशान्त महासागर में युरोपीय देशों के आधिपत्य वाले क्षेत्रों तथा संयुक्त राज्य अमेरीका के पर्ल हार्बर पर हमला बोल दिया और जल्द ही पश्चिमी प्रशान्त पर क़ब्ज़ा बना लिया। सन् १९४२ में आगे बढ़ती धुरी सेना पर लगाम तब लगी जब पहले तो जापान सिलसिलेवार कई नौसैनिक झड़पें हारा, युरोपीय धुरी ताकतें उत्तरी अफ़्रीका में हारीं और निर्णायक मोड़ तब आया जब उनको स्तालिनग्राड में हार का मुँह देखना पड़ा। सन् १९४३ में जर्मनी पूर्वी युरोप में कई झड़पें हारा, इटली में मित्र राष्ट्रों ने आक्रमण बोल दिया तथा अमेरिका ने प्रशान्त महासागर में जीत दर्ज करनी शुरु कर दी जिसके कारणवश धुरी राष्ट्रों को सारे मोर्चों पर सामरिक दृश्टि से पीछे हटने की रणनीति अपनाने को मजबूर होना पड़ा। सन् १९४४ में जहाँ एक ओर पश्चिमी मित्र देशों ने जर्मनी द्वारा क़ब्ज़ा किए हुए फ़्रांस पर आक्रमण किया वहीं दूसरी ओर से सोवियत संघ ने अपनी खोई हुयी ज़मीन वापस छीनने के बाद जर्मनी तथा उसके सहयोगी राष्ट्रों पर हमला बोल दिया। सन् १९४५ के अप्रैल-मई में सोवियत और पोलैंड की सेनाओं ने बर्लिन पर क़ब्ज़ा कर लिया और युरोप में दूसरे विश्वयुद्ध का अन्त ८ मई १९४५ को तब हुआ जब जर्मनी ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया। सन् १९४४ और १९४५ के दौरान अमेरिका ने कई जगहों पर जापानी नौसेना को शिकस्त दी और पश्चिमी प्रशान्त के कई द्वीपों में अपना क़ब्ज़ा बना लिया। जब जापानी द्वीपसमूह पर आक्रमण करने का समय क़रीब आया तो अमेरिका ने जापान में दो परमाणु बम गिरा दिये। १५ अगस्त १९४५ को एशिया में भी दूसरा विश्वयुद्ध समाप्त हो गया जब जापानी साम्राज्य ने आत्मसमर्पण करना स्वीकार कर लिया। .

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पहला विश्व युद्ध

पहला विश्व युद्ध 1914 से 1918 तक मुख्य तौर पर यूरोप में व्याप्त महायुद्ध को कहते हैं। यह महायुद्ध यूरोप, एशिया व अफ़्रीका तीन महाद्वीपों और समुंदर, धरती और आकाश में लड़ा गया। इसमें भाग लेने वाले देशों की संख्या, इसका क्षेत्र (जिसमें यह लड़ा गया) तथा इससे हुई क्षति के अभूतपूर्व आंकड़ों के कारण ही इसे विश्व युद्ध कहते हैं। पहला विश्व युद्ध लगभग 52 माह तक चला और उस समय की पीढ़ी के लिए यह जीवन की दृष्टि बदल देने वाला अनुभव था। क़रीब आधी दुनिया हिंसा की चपेट में चली गई और इस दौरान अंदाज़न एक करोड़ लोगों की जान गई और इससे दोगुने घायल हो गए। इसके अलावा बीमारियों और कुपोषण जैसी घटनाओं से भी लाखों लोग मरे। विश्व युद्ध ख़त्म होते-होते चार बड़े साम्राज्य रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी (हैप्सबर्ग) और उस्मानिया ढह गए। यूरोप की सीमाएँ फिर से निर्धारित हुई और अमेरिका निश्चित तौर पर एक 'महाशक्ति ' बन कर उभरा। .

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जर्मनी

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द किंग्स स्पीच और विन्सटन चर्चिल के बीच तुलना

द किंग्स स्पीच 28 संबंध है और विन्सटन चर्चिल 15 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 6.98% है = 3 / (28 + 15)।

संदर्भ

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