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तेगअली और होली

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

तेगअली और होली के बीच अंतर

तेगअली vs. होली

उस्ताद तेगअली भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के समकालीन हिन्दी (भोजपुरी) साहित्यकार थे। उनके जन्म-मरण के संबंध में केवल इतना ही ज्ञात है कि वे भारतेंदु जी के समकालीन थे और उनकी मंडली में उठते-बैठते थे। काशी के तेलिया नाले और भदऊँनामक मुहल्ले में उनका निवासस्थान बताया जाता है। वेशभूषा, रहन सहन और बोलचाल में बनारसी थे। कोई शिक्षा-दीक्षा नहीं हुई थी। रचनाएँ 'काशिकी' में हुई हैं। कहीं-कहीं उर्दू शब्दों का प्रयोग हुआ है और 'अमरदपस्ती' में कुछ मुसलमानी संस्कारों की बू होने के बावजूद निर्गुण और सूफी विचारधारा से ओतप्रोत हैं। रचनाओं की शब्दावली सरल, सुबोध एवं भाषा चलती हुई बनारसी या काशिकी है। इनकी रचनाएँ होली, कजली के दंगलों में चाव से पढ़ी जाती थीं। ये स्वयं भी उनमें भाग लेते थे। रचनाओं में बनारसी संस्कृति और जीवन का चित्रण बनारसी शैली में मिलता है। तेगअली ने अपनी रचनाओं में अपना उपनाम 'राजा' रखा है। रामकृष्ण वर्मा ने उनकी गजलों का प्रथम प्रकाशन 'बदमाश दर्पण' में किया था। उपलब्ध रचनाओं का संकलन 'रुद्र' काशिकेय ने 'तेगअली और काशिका' नामक संग्रह में प्रकाशित किया है। इसमें बिरहा ९, चैती ५, कजली ३, भजन ५, गज़ल २३ संग्रहीत हैं। उदाहरण-- श्रेणी:हिन्दी साहित्यकार. होली (Holi) वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का त्यौहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रंगों का त्यौहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। यह प्रमुखता से भारत तथा नेपाल में मनाया जाता है। यह त्यौहार कई अन्य देशों जिनमें अल्पसंख्यक हिन्दू लोग रहते हैं वहाँ भी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। पहले दिन को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते हैं। दूसरे दिन, जिसे प्रमुखतः धुलेंडी व धुरड्डी, धुरखेल या धूलिवंदन इसके अन्य नाम हैं, लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेंकते हैं, ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और फिर से दोस्त बन जाते हैं। एक दूसरे को रंगने और गाने-बजाने का दौर दोपहर तक चलता है। इसके बाद स्नान कर के विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहन कर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं, गले मिलते हैं और मिठाइयाँ खिलाते हैं। राग-रंग का यह लोकप्रिय पर्व वसंत का संदेशवाहक भी है। राग अर्थात संगीत और रंग तो इसके प्रमुख अंग हैं ही पर इनको उत्कर्ष तक पहुँचाने वाली प्रकृति भी इस समय रंग-बिरंगे यौवन के साथ अपनी चरम अवस्था पर होती है। फाल्गुन माह में मनाए जाने के कारण इसे फाल्गुनी भी कहते हैं। होली का त्यौहार वसंत पंचमी से ही आरंभ हो जाता है। उसी दिन पहली बार गुलाल उड़ाया जाता है। इस दिन से फाग और धमार का गाना प्रारंभ हो जाता है। खेतों में सरसों खिल उठती है। बाग-बगीचों में फूलों की आकर्षक छटा छा जाती है। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी और मनुष्य सब उल्लास से परिपूर्ण हो जाते हैं। खेतों में गेहूँ की बालियाँ इठलाने लगती हैं। बच्चे-बूढ़े सभी व्यक्ति सब कुछ संकोच और रूढ़ियाँ भूलकर ढोलक-झाँझ-मंजीरों की धुन के साथ नृत्य-संगीत व रंगों में डूब जाते हैं। चारों तरफ़ रंगों की फुहार फूट पड़ती है। गुझिया होली का प्रमुख पकवान है जो कि मावा (खोया) और मैदा से बनती है और मेवाओं से युक्त होती है इस दिन कांजी के बड़े खाने व खिलाने का भी रिवाज है। नए कपड़े पहन कर होली की शाम को लोग एक दूसरे के घर होली मिलने जाते है जहाँ उनका स्वागत गुझिया,नमकीन व ठंडाई से किया जाता है। होली के दिन आम्र मंजरी तथा चंदन को मिलाकर खाने का बड़ा माहात्म्य है। .

तेगअली और होली के बीच समानता

तेगअली और होली आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): चैती

चैती

चैती उत्तर प्रदेश का, चैत माह पर केंद्रित लोक-गीत है। इसे अर्ध-शास्त्रीय गीत विधाओं में भी सम्मिलित किया जाता है तथा उपशास्त्रीय बंदिशें गाई जाती हैं। चैत्र के महीने में गाए जाने वाले इस राग का विषय प्रेम, प्रकृति और होली रहते है। चैत श्री राम के जन्म का भी मास है इसलिए इस गीत की हर पंक्ति के बाद अक्सर रामा यह शब्द लगाते हैं। संगीत की अनेक महफिलों केवल चैती, टप्पा और दादरा ही गाए जाते है। ये अक्सर राग वसंत या मिश्र वसंत में निबद्ध होते हैं। चैती, ठुमरी, दादरा, कजरी इत्यादि का गढ़ पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा मुख्यरूप से वाराणसी है। पहले केवल इसी को समर्पित संगीत समारोह हुआ करते थे जिसे चैता उत्सव कहा जाता था। आज यह संस्कृति लुप्त हो रही है, फिर भी चैती की लोकप्रियता संगीत प्रेमियों में बनी हुई है। बारह मासे में चैत का महीना गीत संगीत के मास के रूप में चित्रित किया गया है। उदाहरण चैती चढ़त चइत चित लागे ना रामा/ बाबा के भवनवा/ बीर बमनवा सगुन बिचारो/ कब होइहैं पिया से मिलनवा हो रामा/ चढ़ल चइत चित लागे ना रामा .

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तेगअली और होली के बीच तुलना

तेगअली 12 संबंध है और होली 159 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 0.58% है = 1 / (12 + 159)।

संदर्भ

यह लेख तेगअली और होली के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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