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तुर्वसु और यदु

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

तुर्वसु और यदु के बीच अंतर

तुर्वसु vs. यदु

तुर्वसु देवयानी और ययाति का द्वितीय पुत्र तथा यदु का छोटा भाई था। पिता को अपना यौवन देने से अस्वीकार करने पर ययाति ने उसे संतानहीन और म्लेच्छ राजा होने का शाप दिश था (महाभारत आदिपर्व ८४)। पौराणिक तुर्वसु, वैदिक तुर्वश का परवर्ती रूप माना जाता है जिसका ऋग्वेद में यदु (१.१७४), सुदास (७.१८), इंद्र, दिवोदास (१.३६) और वृची वंतों के साथ अनेक बार उल्लेख हुआ है। उन संदर्भों के आधार पर इसे किसी परवर्ती आर्यकुल और उसके योद्धा नामक दोनों के रूप में स्वीकार किया जाता है। परवर्ती वैदिक साहित्य में तुर्वश पांचालों के सहायक रूप में वर्णित हुए हैं (शतपथ ब्राह्मण १३-५)। अनेक प्रसंगों के आधार पर इस आर्य जाति का उत्तर-पशिचम से कुरु पांचाल तथा भरत के लोगों की राज्यसीमा तक आना सिद्ध होता है। वैदिक तथ पौराणिक उल्लेखों में आर्य जाति तथा आर्यकुल के पूर्वज योद्धा के रूप में तुर्वसु की स्थिति विवादास्पद है। अग्निपुराण के अनुसार द्रुुहयु वंश, तुर्वसु वंश की शाखा थी जो आगे चलकर पौरव कुल में मिल गई। कहा जाता है कि पांड्य तथा चोल आदि राजवंश की स्थापना तुर्वशों ने की थी। . महराजा यदु एक राजा थे। वे यदुकुल के प्रथम सदस्य माने जाते है। उनके वंशज जो कि यादव के नाम से जाने जाते हैं, भारत एवं निकटवर्ती देशो मे काफ़ी संख्या मे पाये जाते हैं। उनके वंशजो मे सर्वाधिक प्रसिद्ध हैं.महराज यदु यायाती के पुत्र थे श्रेणी:यदुकुल अत्रि ने ब्रह्मा पुत्र कर्दम की पुत्री अनुसूया से विवाह किया था। अनुसूया की माता का नाम देवहूति था। अत्रि को अनुसूया से एक पुत्र जन्मा जिसका नाम दत्तात्रेय था। अत्रि-दंपति की तपस्या और त्रिदेवों की प्रसन्नता के फलस्वरूप विष्णु के अंश से महायोगी दत्तात्रेय, ब्रह्मा के अंश से चन्द्रमा तथा शंकर के अंश से महामुनि दुर्वासा, महर्षि अत्रि एवं देवी अनुसूया के पुत्र रूप में आविर्भूत हुए। इनके ब्रह्मावादिनी नाम की कन्या भी थी। अत्रि पुत्र चन्द्रमा ने बृहस्पति की पत्नी तारा से विवाह किया जिससे उसे बुध नाम का पुत्र उत्पन्न हुआ, जो बाद में क्षत्रियों के चंद्रवंश का प्रवर्तक हुआ। इस वंश के राजा खुद को चंद्रवंशी कहते थे। चूंकि चंद्र अत्रि ऋषि की संतान थे इसलिए आत्रेय भी चंद्रवंशी ही हुए। ब्राह्मणों में एक उपनाम होता है आत्रेय अर्थात अत्रि से संबंधित या अत्रि की संतान। चंद्रवंश के प्रथम राजा का नाम भी सोम माना जाता है जिसका प्रयाग पर शासन था। अत्रि से चंद्रमा, चंद्रमा से बुध, बुध से पुरुरवा, पुरुरवा से आयु, आयु से नहुष, नहुष से यति, ययाति, संयाति, आयति, वियाति और कृति नामक छः महाबल-विक्रमशाली पुत्र हुए। नहुष के बड़े पुत्र यति थे, जो संन्यासी हो गए इसलिए उनके दुसरे पुत्र ययाति राजा हुए। ययाति के पुत्रों से ही समस्त वंश चले। ययाति के 5 पुत्र थे। देवयानी से यदु और तुर्वसु तथा शर्मिष्ठा से द्रुह्मु, अनु एवं पुरु हुए। यदु से यादव, तुर्वसु से यवन, द्रहुयु से भोज, अनु से मलेच्छ और पुरु से पौरव वंश की स्थापना हुई।.

तुर्वसु और यदु के बीच समानता

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तुर्वसु और यदु के बीच तुलना

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संदर्भ

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