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तुयुहुन राज्य

सूची तुयुहुन राज्य

तुयुहुन राज्य (Tuyuhun Kingdom) या अझ़ा ('Azha, बिन्दुयुक्त 'झ़' के उच्चारण पर ध्यान दें) प्राचीनकाल में तिब्बत से पूर्वोत्तर कोको नूर नामक झील (आधुनिक काल में चिंगहई झील) के क्षेत्र में चिलियन पर्वतों और पीली नदी (ह्वांगहो) की ऊपरी घाटी के इलाक़ों में रहने वाले शियानबेई लोगों से सम्बन्धित ख़ानाबदोश क़बीलों द्वारा स्थापित एक राज्य का नाम था।, Barbara A. West, pp.

15 संबंधों: चिलियन पर्वत शृंखला, चिंगहई झील, चीन, झ़, तांग राजवंश, तिब्बत, तिब्बती साम्राज्य, पूर्ण राजशाही, बंजारा, मध्य एशिया, शियानबेई लोग, स्रोङ्चन गम्पो, ह्वांगहो, ख़ान (उपाधि), ख़ागान

चिलियन पर्वत शृंखला

चिलियन पर्वत शृंखला चिलियन पर्वत शृंखला (祁连山, चिलियन शान; Qilian Mountains) या नान शान (南山, Nan Shan) कुनलुन पर्वत शृंखला की एक उत्तरी शाखा है जो जनवादी गणराज्य चीन की वर्तमान चिंगहई और गांसू प्रान्तों के बीच की सरहद पर स्थित है। यह तिब्बत के पठार की उत्तरी सीमा भी है। यह दुनहुआंग शहर के दक्षिण से शुरू होकर ८०० किमी दक्षिण-पूर्व को चलती है जहां यह हेशी गलियारे की दक्षिणी सरहद भी बनती हैं। .

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चिंगहई झील

अंतरिक्ष से कोको नूर (उर्फ़ चिंगहई झील) झील पर एक परिंदों वाला द्वीप चिंगहई झील (चीनी भाषा: 青海湖, Qinghai), कोको नूर या कूकूनोर (मंगोल: Кукунор, Koko Nur) चीन के चिंगहई प्रान्त में स्थित एक खारे पानी की झील है जो चीन की सबसे बड़ी झील भी है। मंगोल भाषा में 'कोको नूर' का मतलब 'नीली झील' होता है और चीनी भाषा में 'चिंग हई' का अर्थ भी यही है, हालांकि इस झील का मूल नाम मंगोल-भाषा वाला ही था। चिंगहई झील चिंगहई की राजधानी शिनिंग से १०० किमी पश्चिम में तिब्बत के पठार पर ३,२०५ मीटर (१०,५१५ फ़ुट) की ऊँचाई पर एक द्रोणी में स्थित है। तिब्बती लोग इस क्षेत्र को आमदो (ཨ༌མདོ, Amdo) बुलाते हैं।, Ying Liu, China Intercontinental Press, 2007, ISBN 978-7-5085-1104-7,...

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चीन

---- right चीन विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक है जो एशियाई महाद्वीप के पू‍र्व में स्थित है। चीन की सभ्यता एवं संस्कृति छठी शताब्दी से भी पुरानी है। चीन की लिखित भाषा प्रणाली विश्व की सबसे पुरानी है जो आज तक उपयोग में लायी जा रही है और जो कई आविष्कारों का स्रोत भी है। ब्रिटिश विद्वान और जीव-रसायन शास्त्री जोसफ नीधम ने प्राचीन चीन के चार महान अविष्कार बताये जो हैं:- कागज़, कम्पास, बारूद और मुद्रण। ऐतिहासिक रूप से चीनी संस्कृति का प्रभाव पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों पर रहा है और चीनी धर्म, रिवाज़ और लेखन प्रणाली को इन देशों में अलग-अलग स्तर तक अपनाया गया है। चीन में प्रथम मानवीय उपस्थिति के प्रमाण झोऊ कोऊ दियन गुफा के समीप मिलते हैं और जो होमो इरेक्टस के प्रथम नमूने भी है जिसे हम 'पेकिंग मानव' के नाम से जानते हैं। अनुमान है कि ये इस क्षेत्र में ३,००,००० से ५,००,००० वर्ष पूर्व यहाँ रहते थे और कुछ शोधों से ये महत्वपूर्ण जानकारी भी मिली है कि पेकिंग मानव आग जलाने की और उसे नियंत्रित करने की कला जानते थे। चीन के गृह युद्ध के कारण इसके दो भाग हो गये - (१) जनवादी गणराज्य चीन जो मुख्य चीनी भूभाग पर स्थापित समाजवादी सरकार द्वारा शासित क्षेत्रों को कहते हैं। इसके अन्तर्गत चीन का बहुतायत भाग आता है। (२) चीनी गणराज्य - जो मुख्य भूमि से हटकर ताईवान सहित कुछ अन्य द्वीपों से बना देश है। इसका मुख्यालय ताइवान है। चीन की आबादी दुनिया में सर्वाधिक है। प्राचीन चीन मानव सभ्यता के सबसे पुरानी शरणस्थलियों में से एक है। वैज्ञानिक कार्बन डेटिंग के अनुसार यहाँ पर मानव २२ लाख से २५ लाख वर्ष पहले आये थे। .

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झ़

thumb झ़ की ध्वनि सुनिए झ़ देवनागरी लिपि का एक वर्ण है। इसका प्रयोग हिंदी-उर्दू (उर्दू: ژ) में केवल गिनती के ही शब्दों में होता है, जैसे की "झ़ुझ़" (जो एक प्रकार की सेह या पोर्क्युपाइन होती है) और "अझ़दहा" (जिसे अंग्रेज़ी में ड्रैगन या dragon कहते हैं)। अंग्रेज़ी में इसका प्रयोग बहुत सारे शब्दों में होता है, जैसे की "टॅलिविझ़न" (television), "ट्रॅझ़र" (treasure यानि ख़ज़ाना), "विझ़न" (vision यानि दृष्टि या नज़र), "डिसिझ़न" (decision यानि फ़ैसला) और "डिविझ़न" (division यानि बाँटना या किसी चीज़ का भाग करना)। प्रथा के अनुसार "झ़" को कभी-कभी "ज़" लिख दिया जाता है जैसे की television को अक्सर "टेलिविज़न" लिख दिया जाता है हालाँकि यह पूरा सही नहीं है। अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला में इसके उच्चारण को ʒ के चिन्ह से लिखा जाता है और उर्दू में इसे ژ लिखा जाता है, जिस अक्षर का नाम "झ़े" है। .

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तांग राजवंश

तांग राजवंश (चीनी: 唐朝, तांग चाओ) चीन का एक राजवंश था, जिसका शासनकाल सन् ६१८ ईसवी से सन्न ९०७ ईसवी तक चला। इनसे पहले सुई राजवंश का ज़ोर था और इनके बाद चीन में पाँच राजवंश और दस राजशाहियाँ नाम का दौर आया। तांग राजवंश की नीव 'ली' (李) नामक परिवार ने रखी जिन्होनें सुई साम्राज्य के पतनकाल में सत्ता पर क़ब्ज़ा कर लिए। इस राजवंश के शासन में लगभग १५ साल का एक अंतराल आया था, जो ८ अक्टूबर ६९० से ३ मार्च ७०५ तक चला, जिसमें दुसरे झऊ राजवंश की महारानी वू ज़ेतियाँ ने कुछ समय के लिए राजसिंहासन पर नियंत्रण हासिल कर लिया।, Tonia Eckfeld, Psychology Press, 2005, ISBN 978-0-415-30220-3, Dora Shu-fang Dien, Wu hou (Empress of China), Nova Science Publishers, 2003, ISBN 978-1-59033-804-9 तांग साम्राज्य ने शिआन के शहर को अपनी राजधानी बनाया और इस समय शिआन दुनिया का सब से बड़ा नगर था। इस दौर को चीनी सभ्यता की चरम सीमा माना जाता है। चीन में पूर्व के हान राजवंश को इतनी इज़्ज़त से याद किया जाता है कि उनके नाम पर चीनी जाति को हान चीनी बुलाया जाने लगा, लेकिन तांग राजवंश को उनके बराबर का या उनसे भी महान वंश समझा जाता है। ७वीं और ८वीं शताब्दियों में तांग साम्राज्य ने चीन में जनगणना करवाई और उन से पता चलता है कि उस समय चीन में लगभग ५ करोड़ नागरिकों के परिवार पंजीकृत थे। ९वीं शताब्दी में वे जनगणना पूरी तो नहीं करवा पाए लेकिन अनुमान लगाया जाता है कि देश में ख़ुशहाली होने से आबादी बढ़कर ८ करोड़ तक पहुँच चुकी थी। इस बड़ी जनसँख्या से तांग राजवंश लाखों सैनिकों की बड़ी फौजें खड़ी कर पाया, जिनसे मध्य एशिया के इलाक़ों में और रेशम मार्ग के बहुत मुनाफ़े वाले व्यापारिक रास्तों पर यह वंश अपनी धाक जमाने लगी। बहुत से क्षेत्रों के राजा तांग राजवंश को अपना मालिक मानने पर मजबूर हो गए और इस राजवंश का सांस्कृतिक प्रभाव दूर-दराज़ में कोरिया, जापान और वियतनाम पर भी महसूस किया जाने लगा। तांग दौर में सरकारी नौकरों को नियुक्त करने के लिए प्रशासनिक इम्तिहानों को आयोजित किया जाता था और उस आधार पर उन्हें सेवा में रखा जाता था। योग्य लोगों के आने से प्रशासन में बेहतरी आई। संस्कृति के क्षेत्र में इस समय को चीनी कविया का सुनहरा युग समझा जाता है, जिसमें चीन के दो सब से प्रसिद्ध कवियों - ली बाई और दू फ़ू - ने अपनी रचनाएँ रची। हान गान, झांग शुआन और झऊ फ़ंग जैसे जाने-माने चित्रकार भी तांग ज़माने में ही रहते थे। इस युग के विद्वानों ने कई ऐतिहासिक साहित्य की पुस्तकें, ज्ञानकोश और भूगोल-प्रकाश लिखे जो आज तक पढ़े जाते हैं। इसी दौरान बौद्ध धर्म भी चीन में बहुत फैला और विकसित हुआ।तांग राजवंश के काल में काफी विकास हुआ और स्थिरता आई चीन में, सिवाय अन लुशान विद्रोह और केन्द्रीय सत्ता के कमजोर होने के बाद जो के साम्राज्य के अंतिम वर्षो में हुआ। तांग शासकों ने जिएदूशी नाम के क्षेत्रीय सामंतो को नियुक्त किया अलग अलग प्रान्तों में पर ९वी सदी के अंत तक इन्होने तांग साम्राज्य के विरुद्ध युद्ध शुरू कर दिया और खुदके स्वतंत्र राज्य स्थापित किये। .

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तिब्बत

तिब्बत का भूक्षेत्र (पीले व नारंगी रंगों में) तिब्बत के खम प्रदेश में बच्चे तिब्बत का पठार तिब्बत (Tibet) एशिया का एक क्षेत्र है जिसकी भूमि मुख्यतः उच्च पठारी है। इसे पारम्परिक रूप से बोड या भोट भी कहा जाता है। इसके प्रायः सम्पूर्ण भाग पर चीनी जनवादी गणराज्य का अधिकार है जबकि तिब्बत सदियों से एक पृथक देश के रूप में रहा है। यहाँ के लोगों का धर्म बौद्ध धर्म की तिब्बती बौद्ध शाखा है तथा इनकी भाषा तिब्बती है। चीन द्वारा तिब्बत पर चढ़ाई के समय (1955) वहाँ के राजनैतिक व धार्मिक नेता दलाई लामा ने भारत में आकर शरण ली और वे अब तक भारत में सुरक्षित हैं। .

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तिब्बती साम्राज्य

तिब्बती साम्राज्य (तिब्बती: བོད་, बोड) ७वीं से ९वीं सदी ईसवी तक चलने वाला एक साम्राज था। तिब्बत-नरेश द्वारा शासित यह साम्राज्य तिब्बत के पठार से कहीं अधिक विस्तृत क्षेत्रों पर फैला हुआ था। अपने चरम पर पश्चिम में आधुनिक अफ़ग़ानिस्तान, उज़बेकिस्तान, कश्मीर और हिमाचल प्रदेश से लेकर बंगाल और युन्नान प्रान्त के कई भाग इसके अधीन थे।, Saul Mullard, pp.

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पूर्ण राजशाही

पूर्ण राजशाही (absolute monarchy) किसी राज्य की उस शासन-प्रणाली को कहते हैं जिसमें शासक पर किसी संविधान या क़ानून का अंकुश नहीं होता। वह अपनी मनमानी के अनुसार राज करता है। उसका अपने राज्य और उसके नागरिकों पर पूरा अधिकार होता है। आमतौर पर पूर्ण राजशाही में सिंहासन पिता से पुत्र को जाता है हालाँकि कुछ में उत्तराधिकारी का अन्य सिद्धांतो पर चुनाव होना भी इतिहास में देखा गया है। ऐसे राज्यों में नागरिकों की कोई संसद या अन्य सभा यदि अस्तित्व में हो भी तो उसे राजा के निर्णयों को मंज़ूरी देने के सिवा कोई विषेश अधिकार नहीं होता। आधुनिक युग में सउदी अरब और स्वाज़ीलैंड ऐसे देशों के उदाहरण हैं जहाँ पूर्ण राजशाही है।, BBC NewsWorld and Its Peoples: the Arabian Peninsula, page 78, Marshall Cavendish, 2007, ISBN 978-0-7614-7571-2 .

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बंजारा

तिब्बत की लगभग ४०% आबादी खानाबदोश है। बंजारा या 'खानाबदोश' (Nomadic people) मानवों का ऐसा समुदाय है जो एक ही स्थान पर बसकर जीवन-यापन करने के बजाय एक स्थान से दूसरे स्थान पर निरन्तर भ्रमणशील रहता है। एक आकलन के अनुसार विश्व में कोई ३-४ करोड़ बंजारे हैं। कई बंजारा समाजों ने बड़े-बड़े साम्राज्य तक स्थापित करने में सफलता पायी। .

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मध्य एशिया

मध्य एशिया एशिया के महाद्वीप का मध्य भाग है। यह पूर्व में चीन से पश्चिम में कैस्पियन सागर तक और उत्तर में रूस से दक्षिण में अफ़ग़ानिस्तान तक विस्तृत है। भूवैज्ञानिकों द्वारा मध्य एशिया की हर परिभाषा में भूतपूर्व सोवियत संघ के पाँच देश हमेशा गिने जाते हैं - काज़ाख़स्तान, किरगिज़स्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़बेकिस्तान। इसके अलावा मंगोलिया, अफ़ग़ानिस्तान, उत्तरी पाकिस्तान, भारत के लद्दाख़ प्रदेश, चीन के शिनजियांग और तिब्बत क्षेत्रों और रूस के साइबेरिया क्षेत्र के दक्षिणी भाग को भी अक्सर मध्य एशिया का हिस्सा समझा जाता है। इतिहास में मध्य एशिया रेशम मार्ग के व्यापारिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। चीन, भारतीय उपमहाद्वीप, ईरान, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच लोग, माल, सेनाएँ और विचार मध्य एशिया से गुज़रकर ही आते-जाते थे। इस इलाक़े का बड़ा भाग एक स्तेपी वाला घास से ढका मैदान है हालाँकि तियान शान जैसी पर्वत शृंखलाएँ, काराकुम जैसे रेगिस्तान और अरल सागर जैसी बड़ी झीलें भी इस भूभाग में आती हैं। ऐतिहासिक रूप मध्य एशिया में ख़ानाबदोश जातियों का ज़ोर रहा है। पहले इसपर पूर्वी ईरानी भाषाएँ बोलने वाली स्किथी, बैक्ट्रियाई और सोग़दाई लोगों का बोलबाला था लेकिन समय के साथ-साथ काज़ाख़, उज़बेक, किरगिज़ और उईग़ुर जैसी तुर्की जातियाँ अधिक शक्तिशाली बन गई।Encyclopædia Iranica, "CENTRAL ASIA: The Islamic period up to the Mongols", C. Edmund Bosworth: "In early Islamic times Persians tended to identify all the lands to the northeast of Khorasan and lying beyond the Oxus with the region of Turan, which in the Shahnama of Ferdowsi is regarded as the land allotted to Fereydun's son Tur.

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शियानबेई लोग

शियानबेई (चीनी भाषा: 鮮卑, अंग्रेज़ी: Xianbei) प्राचीनकाल में मंचूरिया, भीतरी मंगोलिया और पूर्वी मंगोलिया में बसने वाली एक मंगोल ख़ानाबदोश क़बीलों की जाति थी। माना जाता है कि ख़ान की उपाधि का इस्तेमाल सबसे पहली इन्ही लोगों में हुआ था। चीनी स्रोतों के अनुसार शियानबेई लोग दोंगहु लोगों के वंशज थे। प्रसिद्ध चीनी इतिहासकार सीमा चियान ने अपने महान इतिहासकार के अभिलेख नामक इतिहास-ग्रन्थ में दर्ज किया था कि शियानबेई लोग ६९९ ईसापूर्व से ६३२ ईसापूर्व के काल में भीतरी मंगोलिया में रहते थे। यह लोग पहले शियोंगनु लोगों की सेवा में थे, फिर इन्होनें चीन के हान राजवंश की शियोंगनु के विरुद्ध सहायता करी लेकिन उसके बाद स्वयं ही चीनी साम्राज्य पर आक्रमण का सिलसिला शुरू किया। इनका सबसे प्रसिद्ध राजा तान्शीहुआई (Tanshihuai) था जिसनें एक विस्तृत शियानबेई साम्राज्य की स्थापना की।, Emma C. Bunker, Arthur M. Sackler Museum, Arthur M. Sackler Foundation, 1997, ISBN 978-0-8109-6348-1,...

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स्रोङ्चन गम्पो

स्रोंचन गम्पो (སྲོང་བཙན་སྒམ་པོ།, Wylie: Srong btsan sgam po), के बाद से 617-698 ई० के समय में तिब्बती सम्राट थे। लिच्छबी शासक अंशुवर्मा के बाद बेटी भृकुटी के साथ नेपाल के संबंधों के साथ बंधे। स्रोंचन गम्पो का शासनकाल के दौरान सम्भोट लिपि केआविष्कार के बाद किया गया है करने के लिए भारत और नेपाल के बाद बौद्ध पाठ करने के लिए एस का तिब्बती भाषा में अनुवाद और लिपयन्तरण करने के लिए कार्रवाई भी शुरू हो जाएगा स्रोंचन गम्पो तीन तिब्बती धर्मराज से पहेला धर्मराज माना जाता है। .

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ह्वांगहो

ह्वांगहो या ह्वांगहे या ह्वांगहा जिसे पीली नदी भी कहा जाता है, चीन से होकर बहने वाली एक नदी है। लम्बाई के हिसाब से यह विश्व में सातवां स्थान रखती है। .

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ख़ान (उपाधि)

ओगदाई ख़ान, चंग़ेज़ ख़ान का तीसरा पुत्र ख़ान या ख़ाँ (मंगोल: хан, फ़ारसी:, तुर्की: Kağan) मूल रूप से एक अल्ताई उपाधि है तो शासकों और अत्यंत शक्तिशाली सिपहसालारों को दी जाती थी। यह समय के साथ तुर्की-मंगोल क़बीलों द्वारा पूरे मध्य एशिया में इस्तेमाल होने लगी। जब इस क्षेत्र के सैन्य बलों ने भारतीय उपमहाद्वीप, ईरान, अफ़्ग़ानिस्तान और अन्य क्षेत्रों पर क़ब्ज़ा कर के अपने साम्राज्य बनाने शुरू किये तो इसका प्रयोग इन क्षेत्रों की कई भाषाओँ में आ गया, जैसे कि हिन्दी-उर्दू, फ़ारसी, पश्तो, इत्यादि। इसका एक और रूप 'ख़ागान' है जिसका अर्थ है 'ख़ानों का ख़ान' या 'ख़ान-ए-ख़ाना', जो भारत में कभी प्रचलित नहीं हुआ। इसके बराबरी की स्त्रियों की उपाधियाँ ख़ानम और ख़ातून हैं।, Elena Vladimirovna Boĭkova, R. B. Rybakov, Otto Harrassowitz Verlag, 2006, ISBN 978-3-447-05416-4 .

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ख़ागान

कुबलई ख़ान मंगोल साम्राज्य का पाँचवा ख़ागान (सर्वोच्च ख़ान) था ख़ागान या ख़ाक़ान (मंगोल: хаган, फ़ारसी) मंगोलियाई और तुर्की भाषाओँ में 'सम्राट' के बराबर की एक शाही उपाधि थी। इसी तरह ख़ागानत इन्ही भाषाओँ में 'साम्राज्य' के लिए शब्द था। ख़ागान को कभी-कभी 'ख़ानों का ख़ान' या 'ख़ान-ए-ख़ाना' भी अनुवादित किया जाता है, जो 'महाराजाधिराज' (यानि 'राजाओं का राजा') या 'शहनशाह' (यानि 'शाहों का शाह') के बराबर है। जब मंगोल साम्राज्य विस्तृत हो गया था तो उसके भिन्न हिस्सों को अलग-अलग ख़ानों के सुपुर्द कर दिया था। इन सब ख़ानों से ऊपर के 'सर्वोच्च ख़ान' को 'ख़ागान' कहा जाता था।, Donald Ostrowski, Cambridge University Press, 2002, ISBN 978-0-521-89410-4,...

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निवर्तमानआने वाली
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