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तीन राजशाहियाँ

सूची तीन राजशाहियाँ

शु हान राज्यों में बंटा हुआ चीन शु हान राज्य का सम्राट लिऊ बेई तीन राजशाहियाँ (चीनी: 三國時代, सान्गुओ शिदाई; अंग्रेज़ी: Three Kingdoms) प्राचीन चीन के एक काल को कहते हैं जो हान राजवंश के सन् २२० ईसवी में सत्ता-रहित होने के फ़ौरन बाद शुरू हुआ और जिन राजवंश की सन् २६५ ईसवी में स्थापना तक चला। इस काल में तीन बड़े राज्यों - साओ वेई, पूर्वी वू और शु हान - के बीच चीन पर नियंत्रण प्राप्त करने के लिए खींचातानी चली। कभी-कभी इन राज्यों को सिर्फ़ 'वेई', 'वू' और 'शु' भी बुलाया जाता है। कुछ इतिहासकारों के अनुसार इस काल की शुरुआत वेई राज्य की २२० ई में स्थापना से हुई और अंत पूर्वी वू राज्य पर जिन राजवंश की २८० में विजय से हुआ। बहुत से चीनी इतिहासकार इस काल की शुरुआत सन् १८४ में हुए 'पीली पगड़ी विद्रोह' से करते हैं जो हान राजवंश काल का एक किसान विद्रोह था जिसमें ताओ धर्म के अनुयायी भी गुप्त रूप से मिले हुए थे।, J. Michael Farmer, SUNY Press, 2008, ISBN 978-0-7914-7164-7, Wolfram Eberhard, Plain Label Books, 1967, ISBN 978-1-60303-420-3 हालांकि तीन राजशाहियों का काल छोटा था और इसमें काफ़ी उथल-पुथल रही, फिर भी चीनी साहित्य की बहुत सी कथाएँ इस काल में आधारित हैं। इसपर कई नाटक, उपन्यास, टेलिविज़न धारावाहिक और वीडियो खेल भी बने हैं। इस काल में चीन ने युद्धों में बहुत ख़ून-ख़राबा देखा। इस वातावरण में भी चीनी विज्ञान ने तरक्की करी और सिंचाई, वाहनों और हथियारों के क्षेत्र में नई चीज़ों का आविष्कार हुआ। एक ऐसा भी 'दक्षिण-मुखी रथ' नामक यंत्र बनाया गया जो बिना चुम्बक के दिशा बता सकता था - इसका मुख अगर एक बार दक्षिण को कर दिया जाए तो कहीं भी जाने पर स्वयं मुड़कर दक्षिण की ओर ही रहता था।, Kimberly Ann Besio, Constantine Tung, SUNY Press, 2007, ISBN 978-0-7914-7011-4, Lo Kuan-Chung, Guanzhong Luo, C. H. Brewitt-Taylor, Robert E. Hegel, Tuttle Publishing, 2002, ISBN 978-0-8048-3467-4 .

10 संबंधों: चीन, चीन के राजवंश, चीनी भाषा, ताओ धर्म, पूर्वी वू राज्य (प्राचीन चीन), शु हान राज्य (प्राचीन चीन), साओ वेई राज्य (प्राचीन चीन), हान राजवंश, जिन राजवंश, अंग्रेज़ी भाषा

चीन

---- right चीन विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक है जो एशियाई महाद्वीप के पू‍र्व में स्थित है। चीन की सभ्यता एवं संस्कृति छठी शताब्दी से भी पुरानी है। चीन की लिखित भाषा प्रणाली विश्व की सबसे पुरानी है जो आज तक उपयोग में लायी जा रही है और जो कई आविष्कारों का स्रोत भी है। ब्रिटिश विद्वान और जीव-रसायन शास्त्री जोसफ नीधम ने प्राचीन चीन के चार महान अविष्कार बताये जो हैं:- कागज़, कम्पास, बारूद और मुद्रण। ऐतिहासिक रूप से चीनी संस्कृति का प्रभाव पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों पर रहा है और चीनी धर्म, रिवाज़ और लेखन प्रणाली को इन देशों में अलग-अलग स्तर तक अपनाया गया है। चीन में प्रथम मानवीय उपस्थिति के प्रमाण झोऊ कोऊ दियन गुफा के समीप मिलते हैं और जो होमो इरेक्टस के प्रथम नमूने भी है जिसे हम 'पेकिंग मानव' के नाम से जानते हैं। अनुमान है कि ये इस क्षेत्र में ३,००,००० से ५,००,००० वर्ष पूर्व यहाँ रहते थे और कुछ शोधों से ये महत्वपूर्ण जानकारी भी मिली है कि पेकिंग मानव आग जलाने की और उसे नियंत्रित करने की कला जानते थे। चीन के गृह युद्ध के कारण इसके दो भाग हो गये - (१) जनवादी गणराज्य चीन जो मुख्य चीनी भूभाग पर स्थापित समाजवादी सरकार द्वारा शासित क्षेत्रों को कहते हैं। इसके अन्तर्गत चीन का बहुतायत भाग आता है। (२) चीनी गणराज्य - जो मुख्य भूमि से हटकर ताईवान सहित कुछ अन्य द्वीपों से बना देश है। इसका मुख्यालय ताइवान है। चीन की आबादी दुनिया में सर्वाधिक है। प्राचीन चीन मानव सभ्यता के सबसे पुरानी शरणस्थलियों में से एक है। वैज्ञानिक कार्बन डेटिंग के अनुसार यहाँ पर मानव २२ लाख से २५ लाख वर्ष पहले आये थे। .

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चीन के राजवंश

इतिहास में चीन के विभिन्न राजवंशों द्वारा नियंत्रित क्षेत्र चीन में कई ऐतिहासिक राजवंश रहे हैं। कभी-कभी इनके वर्णनों में ऐसा प्रतीत होता है के चीन में एक राजवंश स्वयं ही समाप्त हो गया और नए राजवंश ने आगे बढ़कर शासन की बागडोर संभाल ली। वास्तव में ऐसा नहीं था। कोई भी राजवंश स्वेच्छा से ख़त्म नहीं हुआ। अक्सर ऐसा होता था के नया राजवंश शुरू तो हो जाता था लेकिन वह कुछ अरसे तक कम प्रभाव रखता था और पहले से स्थापित राजवंश से लड़ाइयाँ करता था। ऐसा भी होता था के कोई पराजित राजवंश हारने के बावजूद कुछ इलाक़ों में प्रभुत्व रखता था और चीन का सिंहासन वापस छीनने की कोशिश में जुटा रहता था। उदहारण के लिए सन् 1644 में मान्चु नस्ल वाले चिंग राजवंश ने बीजिंग पर क़ब्ज़ा जमा लिया और चीन को अपने अधीन कर लिया। लेकिन चिंग राजवंश सन् 1636 में ही शुरू हो चुका था और उस से भी पहले सन् 1616 में एक अन्य नाम ("उत्तरकालीन जिन राजवंश") के नाम से अस्तित्व में आ चुका था। मिंग राजवंश बीजिंग की राजसत्ता से तो 1644 में हाथ धो बैठा, लेकिन उनके वंशज 1662 तक सिंहासन पर अपना अधिकार जतलाते रहे और उसे वापस लेने के प्रयास करते रहे। .

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चीनी भाषा

चीनी भाषा (अंग्रेजी: Chinese; 汉语/漢語, पिनयिन: Hànyǔ; 华语/華語, Huáyǔ; या 中文 हुआ-यू, Zhōngwén श़ोंग-वॅन) चीन देश की मुख्य भाषा और राजभाषा है। यह संसार में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। यह चीन एवं पूर्वी एशिया के कुछ देशों में बोली जाती है। चीनी भाषा चीनी-तिब्बती भाषा-परिवार में आती है और वास्तव में कई भाषाओं और बोलियों का समूह है। मानकीकृत चीनी असल में एक 'मन्दारिन' नामक भाषा है। इसमें एकाक्षरी शब्द या शब्द भाग ही होते हैं और ये चीनी भावचित्र में लिखी जाती है (परम्परागत चीनी लिपि या सरलीकृत चीनी लिपि में)। चीनी एक सुरभेदी भाषा है। .

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ताओ धर्म

ताओ धर्म (चीनी: 道教 दाओ-ज्याओ) चीन का एक मूल धर्म और दर्शन है। असल में पहले ताओ एक धर्म नहीं बल्कि एक दर्शन और जीवनशैली थी। बाद में बौद्ध धर्म के चीन पहुँचने के बाद ताओ ने बौद्धों से कई धारणाएँ उधार लीं और एक "धर्म" बन गया। बौद्ध धर्म और ताओ धर्म में आपस में समय समय पर अहिंसात्मक संघर्ष भी होता रहा है। अब कई चीनी बौद्ध तथा ताओ दोनों धर्मों को एकसात मानती है। एक सर्वेक्षण के अनुसार चीन में 50% से 80% आबादी बौद्ध धर्म को मानती है। इसमें 50% बौद्ध और 30% ताओ आबादी हो सकती है। ताओ धर्म और दर्शन, दोनो का स्रोत दार्शनिक लाओ-त्सी द्वारा रचित ग्रन्थ दाओ-दे-चिंग और ज़ुआंग-ज़ी है। хуй вам! र्म है। सर्वोच्च देवी और देवता यिन और यांग हैं। देवताओं की पूजा के लिये कर्मकाण्ड किये जाते हैं और पशुओं और अन्य चीज़ों की बलि दी जाती है। चीन से निकली ज़्यादातर चीज़ें, जैसे चीनी व्यंजन, चीनी रसायनविद्या, चीनी कुंग-फ़ू, फ़ेंग-शुई, चीनी दवाएँ, आदि किसी न किसी रूप से ताओ धर्म से सम्बन्धित रही हैं। क्योंकि ताओ धर्म एक संगठित धर्म नहीं है, इसलिये इसके अनुयायियों की संख्या पता करना मुश्किल है। .

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पूर्वी वू राज्य (प्राचीन चीन)

सन् २६२ ईसवी में पूर्वी वू (Wu) राज्य के क्षेत्र (हरे रंग में) पूर्वी वू राज्य या सुन वू राज्य (चीनी भाषा: 吳, वू; अंग्रेज़ी: Eastern Wu) प्राचीन चीन के तीन राजशाहियों के काल में चीन पर नियंत्रण पाने के लिए जूझने वाला एक राज्य था। यह २२९ ईसवी से २८० ईसवी तक चला। यह यांग्त्से नदी की डेल्टा के जियांगनान क्षेत्र में स्थित था। इसकी राजधानी जिआनये (建業) थी, जो आधुनिक काल में जिआंगसु राज्य का नानजिंग शहर है लेकिन कभी-कभी राजधानी वुचंग (武昌) में भी हुआ करती थी, जो वर्तमान काल में हेबेई राज्य का एझोऊ शहर है। हान राजवंश के अंतिम समय में जियांगनान के वू-भाषी इलाक़े पर सुन चुआन (孫權, Sun Quan) नामक जागीरदार का क़ब्ज़ा था। नाम के लिए वह हान सम्राट शियान के अधीन था लेकिन असलियत में स्वतन्त्र था। उस काल में हान सम्राट पर साओ वेई राज्य के जागीरदारसाओ साओ का नियंत्रण था। जहाँ बाक़ी रियासतों के सरदार अपने आप को चीन का सम्राट बनाने की इच्छा रखते थे, वहाँ सुन चुआन को ऐसी कोई तमन्ना नहीं थी। फिर भी जबसाओ वेई के साओ पी और शु हान राज्य के लिऊ बेई अपने आपको सम्राट घोषित कर दिया तो सन् २२९ में सु चुआन ने भी वू राजवंश की स्थापना का ऐलान करते हुए अपने आप को सम्राट घोषित कर दिया।साओ वेई से बचने के लिए शु हान और वू राज्य ने संधि कर ली। वू कभी यांग्त्से नदी से उत्तर में कोई क्षेत्र नहीं ले पाया लेकिन न ही वेई यांग्त्से से दक्षिण में कोई इलाक़ा जीत पाया। सन् २८० में जिन राजवंश स्थापित हुआ जिसने वू पर क़ब्ज़ा कर लिया। इसके साथ-साथ तीन राजशाहियाँ ख़त्म हुईं और चीन फिर से संगठित हो गया।, Ann-ping Chin, Knopf, 1988, ISBN 978-0-394-57116-4,...

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शु हान राज्य (प्राचीन चीन)

सन् २६२ ईसवी में शु हान (Shu) राज्य के क्षेत्र (लाल रंग में) शु हान राज्य (चीनी भाषा: 蜀漢; अंग्रेज़ी: Shu Han) प्राचीन चीन के तीन राजशाहियों के काल में चीन पर नियंत्रण पाने के लिए जूझने वाला एक राज्य था। यह २२१ ईसवी से २६३ ईसवी तक चला। शु हान आधुनिक सिचुआन राज्य के क्षेत्र में स्थित था जिसे तब 'शु' के नाम से जाना जाता था। कुछ विद्वान यह दलील देते हैं कि शु हान का राजवंश वास्तव में हान राजवंश का अंतिम भाग था क्योंकि शु हान को स्थापित करने वाला सम्राट लिऊ बेई (劉備, Liu Bei) हान राजवंश का रिश्तेदार था और उन दोनों का पारिवारिक नाम 'हान' ही था। ध्यान दीजिये कि इसी इलाक़े में झोऊ राजवंश काल में १०४६ ईसापूर्व से ३१६ ईसापूर्व तक एक 'शु' नामक राज्य था लेकिन उसका शु हान से कोई लेना-देना नहीं है। जब हान राजवंश का अंतिम काल आ रहा था तो हान राजवंश का एक दूर का सम्बन्धी, लिऊ बेई, एक जागीरदार और फ़ौजी सरदार था। उसने जिंग प्रान्त (आधुनिक हुबेई और हुनान राज्यों के कुछ भाग) पर क़ब्ज़ा कर लिया और फिर आधुनिक सिचुआन में फैल कर वहाँ के मैदानी इलाक़ों पर भी नियंत्रण कर लिया। उसकी साओ वेई राज्य के राजा साओ साओ से झड़पें हुई और उसने पूर्वी वू राज्य के राजा सुन चुआन से मित्रता और संधि कर ली। यह संधि तब टूटी जब सुन चुआन ने २१९ ईसवी में अचानक जिंग प्रान्त पर हमला बोलकर उसपर क़ब्ज़ा कर लिया। २२० में साओ साओ के बेटे साओ पी ने हान सम्राट को सिंहासन छोड़ने पर मजबूर कर दिया और स्वयं को एक नए साओ वेई राजवंश का सम्राट घोषित कर दिया। इसके उत्तर में लिऊ बेई ने स्वयं को सम्राट घोषित कर लिया। उसने कहा कि उसका शु हान राजवंश नया नहीं है बल्कि पुराने हान राजवंश को जारी रख रहा है। उसने पूर्वी वू से जिंग प्रान्त वापस लेने की कोशिश करी लेकिन युद्ध के मैदान में ग़लतियों की वजह से असफल रहा। साओ वेई से ख़तरा बना हुआ था इसलिए समय के साथ-साथ वू और शु हान में फिर मित्रता हो गई। सन् २६३ में वेई ने आख़िरकर शु हान पर धावा बोलकर उसे जीत ही लिया और शु हान राज्य का अंत हो गया।, Wolfram Eberhard, Plain Label Books, 1967, ISBN 978-1-60303-420-3,...

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साओ वेई राज्य (प्राचीन चीन)

सन् २६२ ईसवी में साओ वेई (Wei) राज्य के क्षेत्र (पीले रंग में) साओ वेई राज्य (चीनी भाषा: 曹魏, अंग्रेज़ी: Cao Wei), जिसे कभी-कभी सिर्फ़ 'वेई राज्य' भी कहा जाता है, प्राचीन चीन के तीन राजशाहियों के काल में चीन पर नियंत्रण पाने के लिए जूझने वाला एक राज्य था। यह २२० ईसवी से २६५ ईसवी तक चला। इसकी स्थापना २२० ईसवी में साओ पी (曹丕, Cao Pi) ने की थी जिसनें अपने पिता साओ साओ की बनाई ज़मीनदारी रियासत का विस्तार करके इस राज्य को बनाया। वैसे तो साओ साओ की रियासत को सन् २१३ ईसवी में सिर्फ़ 'वेई' नाम दिया गया था, लेकिन इतिहासकार इसे चीनी इतिहास में आये बहुत से अन्य वेई नामक राज्यों से अलग बताने के लिए इसमें 'साओ' का पारिवारिक नाम जोड़कर इसे अक्सर 'साओ वेई' कहते हैं। ध्यान दीजिये कि यह राज्य झगड़ते राज्यों के काल वाले वेई राज्य और बाद में आने वाले उत्तरी वेई राज्य से भिन्न था। २२० ईसवी में साओ पी ने पूर्वी हान राजवंश के अंतिम सम्राट को सिंहासन से हटा दिया। उसने एक नए 'वेई' वंश को शुरू किया लेकिन उसपर 'सीमा' नामक परिवार ने २४९ ईसवी में क़ब्ज़ा कर लिया। २६५ में यह परिवार भी सत्ता से निकाला गया और साओ वेई राज्य जिन राजवंश का हिस्सा बन गया। एक समय पर हान चीनी जाती के दो-तिहाई लोग साओ वेई राज्य की सरहदों के अन्दर बसते थे।, Harold M. Tanner, Hackett Publishing, 2010, ISBN 978-1-60384-202-0,...

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हान राजवंश

चीन में हान साम्राज्य का नक़्शा एक मकबरे में मिला हानवंश के शासनकाल में निर्मित लैम्प हान काल में जारी किया गया एक वुशु (五銖) नाम का सिक्का हान काल में बना कांसे के गियर (दांतदार पहिये) बनाने का एक साँचा हान राजवंश (चीनी: 漢朝, हान चाओ; अंग्रेज़ी: Han Dynasty) प्राचीन चीन का एक राजवंश था जिसने चीन में २०६ ईसापूर्व से २२० ईसवी तक राज किया। हान राजवंश अपने से पहले आने वाले चिन राजवंश (राजकाल २२१-२०७ ईसापूर्व) को सत्ता से बेदख़ल करके चीन के सिंहासन पर विराजमान हुआ और उसके शासनकाल के बाद तीन राजशाहियों (२२०-२८० ईसवी) का दौर आया। हान राजवंश की नीव लिऊ बांग नाम के विद्रोही नेता ने रखी थी, जिसका मृत्यु के बाद औपचारिक नाम बदलकर सम्राट गाओज़ू रखा गया। हान काल के बीच में, ९ ईसवी से २३ ईसवी तक, शीन राजवंश ने सत्ता हथिया ली थी, लेकिन उसके बाद हान वंश फिर से सत्ता पकड़ने में सफल रहा। शीन राजवंश से पहले के हान काल को पश्चिमी हान राजवंश कहा जाता है और इसके बाद के हान काल को पूर्वी हान राजवंश कहा जाता है। ४०० से अधिक वर्षों का हान काल चीनी सभ्यता का सुनहरा दौर माना जाता है। आज तक भी चीनी नसल अपने आप को 'हान के लोग' या 'हान के बेटे' बुलाती है और हान चीनी के नाम से जानी जाती है। इसी तरह चीनी लिपि के भावचित्रों को 'हानज़ी' (यानि 'हान के भावचित्र') बुलाया जाता है।, Xiaoxiang Li, LiPing Yang, Asiapac Books Pte Ltd, 2005, ISBN 978-981-229-394-7,...

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जिन राजवंश

२८० ईसवी में चीन में जिन राजवंश के साम्राज्य (पीले रंग में) का नक़्शा जिन राजवंश (चीनी: 晉朝, जिन चाओ; अंग्रेज़ी: Jin Dynasty) प्राचीन चीन का एक राजवंश था जिसने चीन में २६५ ईसापूर्व से ४२० ईसवी तक राज किया। जिन काल से पहले चीन में तीन राजशाहियों का दौर था जो २२० ई से २६५ ई तक चला और जिसके अंत में सीमा यान (司馬炎, Sima Yan) ने पहले साओ वेई राज्य पर क़ब्ज़ा किया और फिर पूर्वी वू राज्य पर आक्रमण कर के उसे अपने अधीन कर लिया। फिर उन्होंने अपना नाम बदलकर सम्राट वू (晉武帝, Wu of Jin) रख लिया और चीन के नए जिन राजवंश की घोषणा कर दी। जिन राजकाल को दो हिस्सों में बांटा जाता है। पहला भाग पश्चिमी जिन (西晉, Western Jin, २६५ ई - ३१६ ई) कहलाता है और सीमा यान द्वारा लुओयांग को राजधानी बनाने से आरम्भ होता है। दूसरा भाग पूर्वी जिन (東晉, Eastern Jin, ३१७ ई - ४२० ई) कहलाता है और सीमा रुई (司馬睿, Sima Rui) द्वारा जिआनकांग को राजधानी बनाकर वंश आगे चलाने से आरम्भ होता है। जिन काल के ख़त्म होने के बाद चीन में उत्तरी और दक्षिणी राजवंश (४२० ई – ५८९ ई) का काल आया। ध्यान दीजिये कि चीन में १११५ ई से १२३४ ई तक भी एक जिन राजवंश चला था लेकिन इन दोनों राजवंशों का एक दुसरे से कोई लेना देना नहीं।, City University of HK Press, 2007, ISBN 978-962-937-140-1,...

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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