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तिलोत्तमा

सूची तिलोत्तमा

तिलोत्तमा को पाने के लिये आपस में लड़ते राक्षस सुन्द और उपसुन्द तिलोत्तमा एक प्रसिद्ध अप्सरा का नाम है। तिलोत्तमा कश्यप और अरिष्टा की कन्या जो पूर्वजन्म में ब्राह्मणी थी और जिसे असमय स्नान करने के अपराध में अप्सरा होने का शाप मिला था। एक दूसरी कथा के अनुसार यह कुब्जा नामक स्त्री थी जिसने अपनी तपस्या से वैकुंठ पद प्राप्त किया। उस समय सुंद और उपसुंद नामक राक्षसों का अत्याचार बहुत बढ़ गया था इसलिये उनके संहार के लिए ब्रह्मा ने विश्व की उत्तम वस्तुओं से तिल-तिल सौंदर्य लेकर इस अपूर्व सुंदरी की रचना की (इसी से तिलोत्तमा नाम पड़ा)। उसे देखते ही दोनों राक्षस उसे पाने के लिये आपस में लड़ने लगे और दोनों एक दूसरे द्वारा मारे गए। श्रेणी:अप्सरा.

6 संबंधों: ब्रह्मा, ब्राह्मण, राक्षस, कश्यप, अप्सरा, उपसुंद

ब्रह्मा

ब्रह्मा  सनातन धर्म के अनुसार सृजन के देव हैं। हिन्दू दर्शनशास्त्रों में ३ प्रमुख देव बताये गये है जिसमें ब्रह्मा सृष्टि के सर्जक, विष्णु पालक और महेश विलय करने वाले देवता हैं। व्यासलिखित पुराणों में ब्रह्मा का वर्णन किया गया है कि उनके चार मुख हैं, जो चार दिशाओं में देखते हैं।Bruce Sullivan (1999), Seer of the Fifth Veda: Kr̥ṣṇa Dvaipāyana Vyāsa in the Mahābhārata, Motilal Banarsidass, ISBN 978-8120816763, pages 85-86 ब्रह्मा को स्वयंभू (स्वयं जन्म लेने वाला) और चार वेदों का निर्माता भी कहा जाता है।Barbara Holdrege (2012), Veda and Torah: Transcending the Textuality of Scripture, State University of New York Press, ISBN 978-1438406954, pages 88-89 हिन्दू विश्वास के अनुसार हर वेद ब्रह्मा के एक मुँह से निकला था। ज्ञान, विद्या, कला और संगीत की देवी सरस्वती ब्रह्मा की पत्नी हैं। बहुत से पुराणों में ब्रह्मा की रचनात्मक गतिविधि उनसे बड़े किसी देव की मौजूदगी और शक्ति पर निर्भर करती है। ये हिन्दू दर्शनशास्त्र की परम सत्य की आध्यात्मिक संकल्पना ब्रह्मन् से अलग हैं।James Lochtefeld, Brahman, The Illustrated Encyclopedia of Hinduism, Vol.

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ब्राह्मण

ब्राह्मण का शब्द दो शब्दों से बना है। ब्रह्म+रमण। इसके दो अर्थ होते हैं, ब्रह्मा देश अर्थात वर्तमान वर्मा देशवासी,द्वितीय ब्रह्म में रमण करने वाला।यदि ऋग्वेद के अनुसार ब्रह्म अर्थात ईश्वर को रमण करने वाला ब्राहमण होता है। । स्कन्दपुराण में षोडशोपचार पूजन के अंतर्गत अष्टम उपचार में ब्रह्मा द्वारा नारद को द्विज की उत्त्पत्ति बताई गई है जन्मना जायते शूद्रः संस्कारात् द्विज उच्यते। शापानुग्रहसामर्थ्यं तथा क्रोधः प्रसन्नता। ब्राह्मण (आचार्य, विप्र, द्विज, द्विजोत्तम) यह वर्ण व्‍यवस्‍था का वर्ण है। एेतिहासिक रूप हिन्दु वर्ण व्‍यवस्‍था में चार वर्ण होते हैं। ब्राह्मण (ज्ञानी ओर आध्यात्मिकता के लिए उत्तरदायी), क्षत्रिय (धर्म रक्षक), वैश्य (व्यापारी) तथा शूद्र (सेवक, श्रमिक समाज)। यस्क मुनि की निरुक्त के अनुसार - ब्रह्म जानाति ब्राह्मण: -- ब्राह्मण वह है जो ब्रह्म (अंतिम सत्य, ईश्वर या परम ज्ञान) को जानता है। अतः ब्राह्मण का अर्थ है - "ईश्वर का ज्ञाता"। सन:' शब्द के भी तप, वेद विद्या अदि अर्थ है | निरंतारार्थक अनन्य में भी 'सना' शब्द का पाठ है | 'आढ्य' का अर्थ होता है धनी | फलतः जो तप, वेद, और विद्या के द्वारा निरंतर पूर्ण है, उसे ही "सनाढ्य" कहते है - 'सनेन तपसा वेदेन च सना निरंतरमाढ्य: पूर्ण सनाढ्य:' उपर्युक्त रीति से 'सनाढ्य' शब्द में ब्राह्मणत्व के सभी प्रकार अनुगत होने पर जो सनाढ्य है वे ब्राह्मण है और जो ब्राह्मण है वे सनाढ्य है | यह निर्विवाद सिद्ध है | अर्थात ऐसा कौन ब्राह्मण होगा, जो 'सनाढ्य' नहीं होना चाहेगा | भारतीय संस्कृति की महान धाराओं के निर्माण में सनाढ्यो का अप्रतिभ योगदान रहा है | वे अपने सुखो की उपेक्षा कर दीपबत्ती की तरह तिलतिल कर जल कर समाज के लिए मिटते रहे है | .

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राक्षस

The Army of Super Creatures राक्षस प्राचीन काल के प्रजाति का नाम है। राक्षस वह है जो विधान और मैत्री में विश्वास नहीं रखता और वस्तुओं को हडप करना चाहता है। रावण ने रक्ष संस्कृति या रक्ष धर्म की स्थापना की थी। रक्ष धर्म को मानने वाले गरीब, कमजोर, विकास के पीछे रह गए लोगों, किसानों व वंचितों की रक्षा करते थे। रक्ष धर्म को मानने वाले राक्षस थे। श्रेणी:रामायण.

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कश्यप

आंध्र प्रदेश में कश्यप प्रतिमा वामन अवतार, ऋषि कश्यप एवं अदिति के पुत्र, महाराज बलि के दरबार में। कश्यप ऋषि एक वैदिक ऋषि थे। इनकी गणना सप्तर्षि गणों में की जाती थी। हिन्दू मान्यता अनुसार इनके वंशज ही सृष्टि के प्रसार में सहायक हुए। .

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अप्सरा

अप्सरा तिलोत्तमा अप्सरा देव लोक में नृत्य संगीत करने वाली सुन्दरियाँ। इनमें से प्रमुख हैं उर्वशी, रम्भा, मेनका आदि। .

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उपसुंद

उपसुंद सुंद का छोटा भाई तथा हिरण्यकशिपु के वंशज निकुंभ अथवा निसुंद नामक राक्षस का छोटा पुत्र। सुंद तथा उपसुंद ने विंध्याचल पर कठोर तपस्या की जिससे प्रसन्न हो ब्रह्मा ने उन्हें वरदान दिया कि विश्व का कोई भी व्यक्ति उनका वध न कर सकेगा। वे मरेंगे तो परस्पर एक दूसरे के हाथ से। वरदान मिलने पर दोनों भाइयों ने अधिक अत्याचार किया कि उससे त्रस्त होकर देवताओं ने ब्रह्मा से कष्टहरण की प्रार्थना की। ब्रह्मा ने देवताओं का दु:ख मिटाने के लिए विश्वकर्मा को एक अनुपम सुंदरी के निर्माण की आज्ञा दी। विश्वकर्मा ने सृष्टि के समस्त सुंदर उपकरणों से तिल-तिल भर सौंदर्य लेकर तिलोत्तमा नाम की अप्सरा बनाई। तिलोत्तमा सुंद उपसुंद के पास पहुँची तो दोनों भाई उसपर आसक्त हो गए और परस्पर लड़कर एक दूसरे के हाथों मारे गए। श्रेणी:पौराणिक पात्र.

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