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तिब्बती लिपि और थोन्मि सम्भोट

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

तिब्बती लिपि और थोन्मि सम्भोट के बीच अंतर

तिब्बती लिपि vs. थोन्मि सम्भोट

तिब्बती बौद्धधर्म का मूल मंत्र: '''ॐ मणिपद्मे हूँ''' तिब्बती लिपि भारतीय मूल की ब्राह्मी परिवार की लिपि है। इसका उपयोग तिब्बती भाषा, लद्दाखी भाषा तथा कभी-कभी बलती भाषा को लिखने के लिये किया जाता है। इसकी रचना ७वीं शताब्दी में तिब्बत के धर्मराजा स्रोंचन गम्पो (तिब्बती: སྲོང་བཙན་སྒམ་པོ།, Wylie: srong btsan sgam po) के मंत्री थोन्मि सम्भोट (तिब्बती: ཐོན་མི་སམྦྷོ་ཊ།, Wyl. thon mi sam+b+ho Ta) ने की थी। इसलिये इसको सम्भोट लिपि भी कहते हैं। यह लिपि प्राचीन समय से ही तिब्बती, शेर्पा, लद्दाखी, भूटानी, भोटे, सिक्किमी आदि हिमाकयी भाषाओं को लिखने के लिये प्रयुक्त होती है। . थोन्मि सम्भोट (Thönmi Sambhoṭa, aka Tonmi Sambhodha;, Tib. ཐོན་མི་སམྦྷོ་ཊ་) को पारम्परिक रूप से तिब्बती लिपि के अन्वेषक माना जाता है तथा ७वीं सदी में सम कु पा और आरटैग्स क्यी 'जुग पा के लेखक थे। थोन्मि सम्भोट किसी भी पूराने तिब्बती इतिहास, अन्य प्राचीन सामग्री में उल्लेख नहीं मिलता। अमेरिकी भाषाविद रॉय एंड्रयू मिलर ने थोन्मि को ऐतिहासिक व्यक्ति के रूप में प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न लेख लिखे हैं। .

तिब्बती लिपि और थोन्मि सम्भोट के बीच समानता

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तिब्बती लिपि और थोन्मि सम्भोट के बीच तुलना

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संदर्भ

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