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तारणपंथ

सूची तारणपंथ

तारण पंथ, दिगंबर जैन धर्म का एक पंथ है। इसकी स्थापना संत तारण ने की थी। .

21 संबंधों: तारण तरण महासभा, तारण तरण जयंती, तारण तरण गुरु पर्वी, तारण पंथ दर्शन, दिगम्बर, निसई जी सूखा, निसई जी सेमरखेड़ी, निसईजी मल्हारगढ़, पुष्पावति बिल्हेरी, ब्र. बसंत, ब्र. आत्मानंद, ब्र.जयसागर जी, ब्र.ज्ञानानंद जी, ब्र.विमलादेवीजी, ब्र.गुलाबचंद्र जी, भोपाल, संत तारण तरण स्वामी, जय जिनेन्द्र, जैन धर्म, गंज बासौदा, ग्रंथ

तारण तरण महासभा

तारण तरण महासभा एक मंंडल है।इसका मुख्यालय निसईजी मल्हारगढ़ और सागर है।यह मंडल ही तारण पंथ में पदवी देता है।.

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तारण तरण जयंती

यह एक तारण पंथ का त्योहार है।इस दिन संत तारण का जन्म हुआ था।इनका जन्म अगहन सुदी सप्तमी दिन गुरुवार वि.सं.१५०५ ईसवी सन् १४४८ को पुष्पावति बिल्हेरी को हुआ था।इस दिन पालकी निकलती है व कहीं-कहीं केवल मंदिर विधि होती है।दमोह के फुटेरा कलां में इसे विशाल रूप से मनाई जाती है। .

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तारण तरण गुरु पर्वी

यह एक तारण पंथ का त्योहार है।इस दिन संत तारण की समाधि हुई थी।इस दिन निसईजी मल्हारगढ़/चांद में मेला महोत्सव होता है। .

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तारण पंथ दर्शन

संत तारण ने अपने ग्रंथों में लिखा है कि मैंने जो कहा है वह कुछ अलग से नहीं कहा है जो महावीर ने कहा है वही मैंने कहा है।तारण ने कहा है तू स्वयं भगवान है। तुझमें भगवान बनने की शक्ति है। भगवान कुछ अलग से नहीं होते यदि व्यक्ति पुरुषार्थ करे तो वह भी अरिहंत वह सिद्ध दशा को प्राप्त हो सकता है। संत तारण ने चौदह ग्रंथों की रचना की जो चारों अनुयोग के हैं।तारण ने मालारोहण में सम्यक दर्शन, पंडितपूजा में सम्यक ज्ञान व कमलबत्तीसी सम्यक चारित्र का विशेषता से वर्णन किया है।.

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दिगम्बर

गोम्मटेश्वर बाहुबली (श्रवणबेळगोळ में) दिगम्बर जैन धर्म के दो सम्प्रदायों में से एक है। दूसरा सम्प्रदाय है - श्वेताम्बर। दिगम्बर.

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निसई जी सूखा

दमोह जिले की पथरिया रेलवे स्टेशन से ७.५ कि.मी.

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निसई जी सेमरखेड़ी

यह तारणपंथ का तीर्थ क्षेत्र है।यह सिरोंज से सात व बासोदा से ४५ किलोमीटर दूर है।यह श्री गुरु तारण तरण मंडलाचार्य महाराज की दीक्षा स्थली साधना भूमि है।यहाँ प्रतिवर्ष बसंत पंचमी पर मेला महोत्सव होता है।यहाँ १५० सामान्य कमरे व ३० सर्वसुविधा युक्त कमरे हैं।यहाँ ५ अतिथिगृह भी हैं।यहाँ इन्हें जहर दिया जो अमृत बन गया।यहाँ मामा की हवेली,गुफाएं दर्शनीय हैं।यहाँ तारण पंथ का पहले बहुत प्रचार था।यहाँ इनको जहर दिया जो अमृत बन गया।.

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निसईजी मल्हारगढ़

बीना गुना लाइन पर मुंगावली तहसील से १४किलोमीटर दूर ग्राम मल्हारगढ़ में विशाल मंदिर व सर्वसुविधा युक्त धर्मशाला है।यहाँ स्वर्ण जड़ित वेदी पर मां जिनवाणी विराजमान हैं।यहाँ अभी तक कुल २५ मेले भरा चुके हैं।यह संत तारण का समाधि स्थल है। यहाँ प्रति वर्ष हजारों श्रद्धालु आते हैं।यहाँ से कुछ ही दूर बेतबा में टापू स्थित हैं। .

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पुष्पावति बिल्हेरी

कटनी से २० किलोमीटर दूर बिल्हेरी में विशाल मंदिर व धर्मशाला है। यह तारण स्वामी की जन्म भूमि है।यहां १५० कोठों की विशाल धर्मशाला है। .

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ब्र. बसंत

ब्र.

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ब्र. आत्मानंद

ब्र. आत्मानंद तारण पंथ के एक उत्कृष्ट साधक हैं।इनका जन्म गंजबासौदा में हुआ। इनका पूर्व नाम देवेन्द्र पांडे है।यह श्री संघ के संचालक हैं। यह दसम प्रतिमा धारी हैं।इन्होंने सप्तम प्रतिमा बासौदा एवं दशम प्रतिमा निसईजी मल्हारगढ़ में ली। आप श्री अत्यंत सरल स्वभाव के हैं। .

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ब्र.जयसागर जी

ब्र.

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ब्र.ज्ञानानंद जी

यह तारणपंथ के साधक थे।इनकी माता मथुराबाई और पिता चुन्नीलाल जी थे।इनका जन्म बरेली ज़िला रायसेन में हुआ।इन्होंने सन् १९७८ को ली व समाधि सन् २००२ को वारादेवी ग्राम पिपरिया जि़ला होशंगाबाद में हुई।.

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ब्र.विमलादेवीजी

श्रध्देय ब्र.विमलादेवी जी तारण पंथ की साध्वी थीं।इनका जन्म जन्माष्टमी सन् १९२६ में उत्तरप्रदेश के बांदा नगर में हुआ था।इनकी माता श्रीमती सुप्पीबाई व पिता श्री मान् बाबूलाल जी थे।इन्होंने विराशद की शिक्षा प्राप्त की।इन्होंने ब्रम्हचर्य व्रत वि.सं.१९९४ में ली थी।इन्होंने अन्न का आजीवन त्याग कर दिया।इनकी मृत्यु ३-५-१९९१ को बांदा में हुई। इनके लिए कोई ने दो पंक्तियां कहीं हैं। .

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ब्र.गुलाबचंद्र जी

यह तारण पंंथ के एक संंत थे।आपका जन्म सन् १९२३ में उत्तरप्रदेश के ललितपुर नगर में हुआ।आपके पिता लालदास व माता बेटीबाई थीं।आपका विवाह १९ वर्ष की आयु में में हुआ किंतु आपके विवाह के १२ वर्ष बाद आपकी पत्नी की मृत्यु हो गई।अब आपको वैराग्य आ गया।आपका देह परिवर्तन दिनांक १४ मार्च सन् १९९४ को हुआ।आपको तारण पंथ में धर्म दिवाकर की उपाधि मिली। .

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भोपाल

भोपाल भारत देश में मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी है और भोपाल ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। भोपाल को झीलों की नगरी भी कहा जाता है,क्योंकि यहाँ कई छोटे-बड़े ताल हैं। यह शहर अचानक सुर्ख़ियों में तब आ गया जब १९८४ में अमरीकी कंपनी, यूनियन कार्बाइड से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के रिसाव से लगभग बीस हजार लोग मारे गये थे। भोपाल गैस कांड का कुप्रभाव आज तक वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, जल प्रदूषण के अलावा जैविक विकलांगता एवं अन्य रूपों में आज भी जारी है। इस वजह से भोपाल शहर कई आंदोलनों का केंद्र है। भोपाल में भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) का एक कारखाना है। हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र ने अपना दूसरा 'मास्टर कंट्रोल फ़ैसिलटी' स्थापित की है। भोपाल में ही भारतीय वन प्रबंधन संस्थान भी है जो भारत में वन प्रबंधन का एकमात्र संस्थान है। साथ ही भोपाल उन छह नगरों में से एक है जिनमे २००३ में भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान खोलने का निर्णय लिया गया था तथा वर्ष २०१५ से यह कार्यशील है। इसके अतिरिक्त यहाँ अनेक विश्वविद्यालय जैसे राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय,बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय,अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय,मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय,माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय,भारतीय राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय। इसके अतिरिक्त अनेक राष्ट्रीय संस्थान जैसे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान,भारतीय वन प्रबंधन संस्थान,भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान,राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान मानित विश्वविद्यालय भोपाल इंजीनियरिंग महाविद्यालय,गाँधी चिकित्सा महाविद्यालय तथा अनेक शासकीय एवं पब्लिक स्कूल हैं। .

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संत तारण तरण स्वामी

भारत के मध्यप्रदेश में बुंदेलखंड की भू धरा पर जन्मे तारण पंथ के संस्थापक तारण तरण थे। .

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जय जिनेन्द्र

जय जिनेन्द्र! एक प्रख्यात अभिवादन है। यह मुख्य रूप से जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा प्रयोग किया जाता है। इसका अर्थ होता है  "जिनेन्द्र भगवान (तीर्थंकर) को नमस्कार"। यह दो संस्कृत अक्षरों के मेल से बना है: जय और जिनेन्द्र। .

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जैन धर्म

जैन ध्वज जैन धर्म भारत के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक है। 'जैन धर्म' का अर्थ है - 'जिन द्वारा प्रवर्तित धर्म'। जो 'जिन' के अनुयायी हों उन्हें 'जैन' कहते हैं। 'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से। 'जि' माने - जीतना। 'जिन' माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया और विशिष्ट ज्ञान को पाकर सर्वज्ञ या पूर्णज्ञान प्राप्त किया उन आप्त पुरुष को जिनेश्वर या 'जिन' कहा जाता है'। जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान्‌ का धर्म। अहिंसा जैन धर्म का मूल सिद्धान्त है। जैन दर्शन में सृष्टिकर्ता कण कण स्वतंत्र है इस सॄष्टि का या किसी जीव का कोई कर्ता धर्ता नही है।सभी जीव अपने अपने कर्मों का फल भोगते है।जैन धर्म के ईश्वर कर्ता नही भोगता नही वो तो जो है सो है।जैन धर्म मे ईश्वरसृष्टिकर्ता इश्वर को स्थान नहीं दिया गया है। जैन ग्रंथों के अनुसार इस काल के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव आदिनाथ द्वारा जैन धर्म का प्रादुर्भाव हुआ था। जैन धर्म की अत्यंत प्राचीनता करने वाले अनेक उल्लेख अ-जैन साहित्य और विशेषकर वैदिक साहित्य में प्रचुर मात्रा में हैं। .

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गंज बासौदा

गंजबासौदा, मध्य प्रदेश राज्य के विदिशा जिले की एक तहसील एवं नगर है। यह भोपाल से ९६ किमी उत्तर दिल्ली-मुम्बई मुख्य रेल मार्ग पर स्थित है। यहाँ की मण्डी और पत्थर का व्यापार प्रसिद्ध है। यहाँ की जनसंख्या 1लाख है।यहां मुख्यतः हिंदू जैन व मुश्लिम समुदाय निवास करते हैं।यहाँ बोलचाल की भाषा बुंदेली है। .

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ग्रंथ

ग्रंथ का अर्थ पुस्तक होता है। यह मुख्य रूप से धार्मिक और ऐतिहासिक पुस्तकों के लिए प्रयोग किया जाता है। .

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