ताजमहल और सूरा के बीच समानता
ताजमहल और सूरा आम में 16 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): मुहम्मद, या सिन, क़ुरआन, अत-तिन, अत-तकविर, अद-धुहा, अल-फतह, अल-बय्यिना, अल-मुर्सलात, अल-मुल्क, अल-इन्फितार, अल-इन्शिराह, अल-इखलास, अल-इंशिकाक, अश-शम्स, अज़-जु़मार।
मुहम्मद
हज़रत मुहम्मद (محمد صلی اللہ علیہ و آلہ و سلم) - "मुहम्मद इब्न अब्दुल्लाह इब्न अब्दुल मुत्तलिब" का जन्म सन ५७० ईसवी में हुआ था। इन्होंने इस्लाम धर्म का प्रवर्तन किया। ये इस्लाम के सबसे महान नबी और आख़िरी सन्देशवाहक (अरबी: नबी या रसूल, फ़ारसी: पैग़म्बर) माने जाते हैं जिन को अल्लाह ने फ़रिश्ते जिब्रईल द्वारा क़ुरआन का सन्देश' दिया था। मुसलमान इनके लिये परम आदर भाव रखते हैं। .
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या सिन
सूरा या-सीन (سورة يس) कुरान का 36वां अध्याय है। इसमें 83 आयतें हैं, एवं इसे मक्का में प्रकट किया गया था। इसे कुरान का हृदय माना जाता है। यह सूरा मुसलमानों द्वारा किसी की मृत्यु के समय पढा़ जाता है। .
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क़ुरआन
'''क़ुरान''' का आवरण पृष्ठ क़ुरआन, क़ुरान या कोरआन (अरबी: القرآن, अल-क़ुर्'आन) इस्लाम की पवित्रतम किताब है और इसकी नींव है। मुसलमान मानते हैं कि इसे अल्लाह ने फ़रिश्ते जिब्रील द्वारा हज़रत मुहम्मद को सुनाया था। मुसलमान मानते हैं कि क़ुरआन ही अल्लाह की भेजी अन्तिम और सर्वोच्च किताब है। यह ग्रन्थ लगभग 1400 साल पहले अवतरण हुई है। इस्लाम की मान्यताओं के मुताबिक़ क़ुरआन अल्लाह के फ़रिश्ते जिब्रील (दूत) द्वारा हज़रत मुहम्मद को सन् 610 से सन् 632 में उनकी मौत तक ख़ुलासा किया गया था। हालांकि आरंभ में इसका प्रसार मौखिक रूप से हुआ पर पैग़म्बर मुहम्मद की मौत के बाद सन् 633 में इसे पहली बार लिखा गया था और सन् 653 में इसे मानकीकृत कर इसकी प्रतियाँ इस्लामी साम्राज्य में वितरित की गईं थी। मुसलमानों का मानना है कि ईश्वर द्वारा भेजे गए पवित्र संदेशों के सबसे आख़िरी संदेश क़ुरआन में लिखे गए हैं। इन संदेशों की शुरुआत आदम से हुई थी। हज़रत आदम इस्लामी (और यहूदी तथा ईसाई) मान्यताओं में सबसे पहला नबी (पैग़म्बर या पयम्बर) था और इसकी तुलना हिन्दू धर्म के मनु से एक हद तक की जा सकती है। जिस तरह से हिन्दू धर्म में मनु की संतानों को मानव कहा गया है वैसे ही इस्लाम में आदम की संतानों को आदमी कहा जाता है। तौहीद, धार्मिक आदेश, जन्नत, जहन्नम, सब्र, धर्म परायणता (तक्वा) के विषय ऐसे हैं जो बारम्बार दोहराए गए। क़ुरआन ने अपने समय में एक सीधे साधे, नेक व्यापारी इंसान को, जो अपने परिवार में एक भरपूर जीवन गुज़ार रहा था। विश्व की दो महान शक्तियों (रोमन तथा ईरानी) के समक्ष खड़ा कर दिया। केवल यही नहीं उसने रेगिस्तान के अनपढ़ लोगों को ऐसा सभ्य बना दिया कि पूरे विश्व पर इस सभ्यता की छाप से सैकड़ों वर्षों बाद भी इसके निशान पक्के मिलते हैं। क़ुरआन ने युध्द, शांति, राज्य संचालन इबादत, परिवार के वे आदर्श प्रस्तुत किए जिसका मानव समाज में आज प्रभाव है। मुसलमानों के अनुसार कुरआन में दिए गए ज्ञान से ये साबित होता है कि हज़रत मुहम्मद एक नबी है | .
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अत-तिन
अंजीर का फलित वृक्ष जॉर्डन का जैतून वृक्ष सूरा अत-तिन (التين, अंजीर, अंजीर वृक्ष) कुरान का 95वां सूरा है। इसमें 8 आयतें हैं। .
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अत-तकविर
सूरा अत-तकविर (अरबी: سورة التكوير) (पदच्युत) कुरान का 81वां सूरा है। इसमें 29 आयतें हैं। इस सूरा की आयत 8,9 में लड़कियों की भ्रूण हत्या पर प्रतिबन्ध प्रकट किया गया है। "और स्त्री शिशु को जिंदा जलाना, जैसा कि अरबों की पगान जाति में होता था), का हिसाब लिया जायेगा, कि उसने क्या पाप किया था, जो उसे मारा गया? (9)" .
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अद-धुहा
rightसूरा अद-धुहा (الضحى, प्रातः समय, प्रातः प्रकाश) कुरान का 93वां सुर है। इसमें 11 आयतें हैं। कुछ ज्ञाताओं में मतभेद है, फिर भी यह सूरा मुहम्मद को प्रकट किया हुआ द्वितीय सूरा माना जाता है। प्रथम सूरा अल-अलक के प्राप्त होने के उपरांत एक शांत अंतराल था, जिसमें कोई वार्तालाप नहीं हुआ। इससे नये बने पैगम्बर को संदेह हुआ कि कहीं उन्होंने ईश्वर को नाराज़ तो नहीं कर दिया, कि वे इतनी देर से कोई भी सन्देश नहीं दे रहे हैं। इस सूरा ने उस शांति को भंग करते हुए, मुहम्मद को विश्वास दिलाया कि समय के साथ - साथ सब कुछ समझ में आता जायेगा। प्रातः काल का चित्र (अध-धुहा) इस सूरा का प्रथम शब्द है और इसे मुहम्मद के ईश्वर के पैगम्बर होने के "प्रथम दिवस" को चिह्नित करता है। साथ ही साथ जीवन के नये ढंग की शुरुआत का संकेत करता है, जो कि इस्लाम बनेगा। इस सूरा के बाद, मुहम्मद की मृत्यु पर्यंत जिब्राइल का प्रकटन, कुरान के शब्दों के साथ, नियमित रूप से होता रहा। विषय वस्तु, लम्बाई, शैली एवं कुरान में अपने नियोजन के कारण; यह सूरा प्रायः सूरा अल-इनशिराह के साथ युगल में आता है। इनको समकालीन प्रकटित माना जाता है। .
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अल-फतह
सूरा अल-फतह (अरबी: سورة الفتح) (विजय, जीत) कुरान का 48वां सूरा है। इसमें 29 आयतें हैं। यह मदीनी सूरा है। .
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अल-बय्यिना
सूरा अल-बय्यिना (अरबी: سورة البينة) (स्पष्ट साक्ष्य) कुरान का 98वां सूरा है। इसमें 8 आयतें हैं। .
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अल-मुर्सलात
सूरा अल-मुरसलात (سورة المرسلات.) (भेजी गईं हवाएं) कुरान का 77वां सूरा है। इसमें 50 आयतें हैं। .
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अल-मुल्क
सूरा उल-मुल्क (سورة الملك) (सार्वभौमिकता, नियंत्रण; शाब्दिक 'राज्य) कुरान का 67वां सूरा है। इसमें 30 आयतें हैं। इस सूरा का नाम मलिक अल मुल्क (مالك الملك) का हवाला देता है। पूर्ण सार्वभौमिकता का शासक्, शाब्दिक तौर पर "कायनात का बादशाह", यह अल्लाह के 99 नामों में से एक है। यह सूरा कहता है अल्लाह की असीम शक्तियों के बारे में और कहता है, कि जो भी अल्लाह की चेतावनी को नज़रन्दाज़ करेंगे, वे दहकती अग्नि के साथी बनेंगे, यानि उन्हें नर्क भोइगना पडे़गा। ऐसा हदीथ में बताया गया है, कि मुहम्मद ने कहा है, कि यदि हर रात सूरत उल-मुल्क बोला जाये, तो बोलने वाला कब्र की यातनाओं से बच जायेगा। .
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अल-इन्फितार
सूरा अल-इफ़्तियार (अरबी: سورة الانفطار) (टूट कर बिखर जाना) कुरान का 82वां सूरा है। इसमें 19 आयतें हैं। इस सूरा का अनुवाद ने अंग्रेजी में किया है: अल-इफ़्तियार ईश्वर के नाम पर, जो दयावान है:- जब जन्नत टुकडो में टूट जाता है; (1) जब तारे गिर कर बिखर जाते हैं; (2) और जब सागर आगे से फट जाते हैं; (3) और जब कब्रें उलटी होकर्, अन्दर वाले बाहर आ जाते हैं; (4) तब एक व्यक्ति को पता चलता है, कि उसके साथ क्या भेजा गया है और क्या पीछे छूट गया है (अच्छे और बुरे कर्मों में से) (5) हे मानव! वह क्या है, जिसने तुझे अपने उस उदार ईश्वर के प्रति लापरवाह बना दिया है? (6) किसने तुझे सजित किया, यह परिपूर्ण आकृति दी और तेरा अधिकृत अंश तुझे दिया; (7) In whatever form He willed, He put you together.
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अल-इन्शिराह
मक्का का नक्शा, सिरका, circa 1790. सूरा अल-इन्शिराह को मक्का में प्रकट किया गया 611 C.E के लगभग.सूरा अल-इन्शिराह (الإنشراح, सान्त्वना या आराम) कुरान का 94वां सूरा है। इसमें 8 आयतें हैं, तथा इसे मक्का में प्रकट किया गया था। .
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अल-इखलास
अल-इख़लास (अरबी: سورة الإخلاص) (ईमानदारी), आका अत-तौहीद (سورة التوحيد) (मोनोथीइज़म या अद्वैतवाद)। यह इख़लास श्रेणी:चित्र जोड़ें.
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अल-इंशिकाक
सूरा अल-इंशिकाक (अरबी: سورة الانشقاق) (अलग करना, विभाजित कर अलग कर देना) कुरान का 84वां सूरा है। इसमें 25 आयतें हैं। .
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अश-शम्स
rightसुरा अस-सम्स (الشمس, सूर्य)। यह कुरान का 91वां सूरा है। इसमें 15 शम्स.
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अज़-जु़मार
सूरा अज़-जुमर (अरबी: سورة الزمر) (भीड़, जमाव) कुरान का 39वां सूरा है। इसमें 75 आयतें हैं। .
सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब
- क्या ताजमहल और सूरा लगती में
- यह आम ताजमहल और सूरा में है क्या
- ताजमहल और सूरा के बीच समानता
ताजमहल और सूरा के बीच तुलना
ताजमहल 114 संबंध है और सूरा 120 है। वे आम 16 में है, समानता सूचकांक 6.84% है = 16 / (114 + 120)।
संदर्भ
यह लेख ताजमहल और सूरा के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: