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तरंगदैर्घ्य और सतत वर्णक्रम

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

तरंगदैर्घ्य और सतत वर्णक्रम के बीच अंतर

तरंगदैर्घ्य vs. सतत वर्णक्रम

साइन-आकारीय अनुप्रस्थ तरंग का तरंगदैर्घ्य, '''λ''' भौतिकी में, कोई साइन-आकार की तरंग, जितनी दूरी के बाद अपने आप को पुनरावृत (repeat) करती है, उस दूरी को उस तरंग का तरंगदैर्घ्य (wavelength) कहते हैं। 'दीर्घ' (. भौतिकी में सतत वर्णक्रम (continuous spectrum) ऊर्जा या तरंगदैर्घ्य जैसी किसी भौतिक राशि के सम्भव मूल्यों का ऐसा समुच्चय होता है जो वास्तविक संख्याओं का एक अंतराल हो। इसके विपरीत असतत वर्णक्रम (discrete spectrum) होता है जिसमें राशि का मूल्य किसी असतत समुच्चय का ही हो सकता है, यानि मूल्यों के बीच कुछ रिक्त स्थान होता है। सतत वर्णक्रम का एक बड़ा उदाहरण उत्सर्जन वर्णक्रम है, जिसमें उत्तेजित हाइड्रोजन परमाणुओं द्वारा उत्पन्न प्रकाश का तरंगदैर्घ्य (वेवलेन्थ) होता है। .

तरंगदैर्घ्य और सतत वर्णक्रम के बीच समानता

तरंगदैर्घ्य और सतत वर्णक्रम आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): भौतिक शास्त्र

भौतिक शास्त्र

भौतिकी के अन्तर्गत बहुत से प्राकृतिक विज्ञान आते हैं भौतिक शास्त्र अथवा भौतिकी, प्रकृति विज्ञान की एक विशाल शाखा है। भौतिकी को परिभाषित करना कठिन है। कुछ विद्वानों के मतानुसार यह ऊर्जा विषयक विज्ञान है और इसमें ऊर्जा के रूपांतरण तथा उसके द्रव्य संबन्धों की विवेचना की जाती है। इसके द्वारा प्राकृत जगत और उसकी आन्तरिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। स्थान, काल, गति, द्रव्य, विद्युत, प्रकाश, ऊष्मा तथा ध्वनि इत्यादि अनेक विषय इसकी परिधि में आते हैं। यह विज्ञान का एक प्रमुख विभाग है। इसके सिद्धांत समूचे विज्ञान में मान्य हैं और विज्ञान के प्रत्येक अंग में लागू होते हैं। इसका क्षेत्र विस्तृत है और इसकी सीमा निर्धारित करना अति दुष्कर है। सभी वैज्ञानिक विषय अल्पाधिक मात्रा में इसके अंतर्गत आ जाते हैं। विज्ञान की अन्य शाखायें या तो सीधे ही भौतिक पर आधारित हैं, अथवा इनके तथ्यों को इसके मूल सिद्धांतों से संबद्ध करने का प्रयत्न किया जाता है। भौतिकी का महत्व इसलिये भी अधिक है कि अभियांत्रिकी तथा शिल्पविज्ञान की जन्मदात्री होने के नाते यह इस युग के अखिल सामाजिक एवं आर्थिक विकास की मूल प्रेरक है। बहुत पहले इसको दर्शन शास्त्र का अंग मानकर नैचुरल फिलॉसोफी या प्राकृतिक दर्शनशास्त्र कहते थे, किंतु १८७० ईस्वी के लगभग इसको वर्तमान नाम भौतिकी या फिजिक्स द्वारा संबोधित करने लगे। धीरे-धीरे यह विज्ञान उन्नति करता गया और इस समय तो इसके विकास की तीव्र गति देखकर, अग्रगण्य भौतिक विज्ञानियों को भी आश्चर्य हो रहा है। धीरे-धीरे इससे अनेक महत्वपूर्ण शाखाओं की उत्पत्ति हुई, जैसे रासायनिक भौतिकी, तारा भौतिकी, जीवभौतिकी, भूभौतिकी, नाभिकीय भौतिकी, आकाशीय भौतिकी इत्यादि। भौतिकी का मुख्य सिद्धांत "उर्जा संरक्षण का नियम" है। इसके अनुसार किसी भी द्रव्यसमुदाय की ऊर्जा की मात्रा स्थिर होती है। समुदाय की आंतरिक क्रियाओं द्वारा इस मात्रा को घटाना या बढ़ाना संभव नहीं। ऊर्जा के अनेक रूप होते हैं और उसका रूपांतरण हो सकता है, किंतु उसकी मात्रा में किसी प्रकार परिवर्तन करना संभव नहीं हो सकता। आइंस्टाइन के सापेक्षिकता सिद्धांत के अनुसार द्रव्यमान भी उर्जा में बदला जा सकता है। इस प्रकार ऊर्जा संरक्षण और द्रव्यमान संरक्षण दोनों सिद्धांतों का समन्वय हो जाता है और इस सिद्धांत के द्वारा भौतिकी और रसायन एक दूसरे से संबद्ध हो जाते हैं। .

तरंगदैर्घ्य और भौतिक शास्त्र · भौतिक शास्त्र और सतत वर्णक्रम · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

तरंगदैर्घ्य और सतत वर्णक्रम के बीच तुलना

तरंगदैर्घ्य 14 संबंध है और सतत वर्णक्रम 12 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 3.85% है = 1 / (14 + 12)।

संदर्भ

यह लेख तरंगदैर्घ्य और सतत वर्णक्रम के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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