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डॉकयार्ड और द्वितीय विश्वयुद्ध

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

डॉकयार्ड और द्वितीय विश्वयुद्ध के बीच अंतर

डॉकयार्ड vs. द्वितीय विश्वयुद्ध

जर्मनी का एक डॉकयार्ड गोलाबारूद, ईंधन और माल की पूर्ति, कर्मिकों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं की व्यवस्था और जहाजों की मरम्मत करने के लिए प्रत्येक नौसेना के वास्ते स्थायी डॉकयार्ड तथा अड्डों का होना परमावश्यक है। व्यापारी बेड़ों के लिए भी ऐसे अड्डे आवश्यक हैं, यद्यपि उन्हें विश्व के सभी बड़े व्यापारी बंदरगाह और मरम्मती अड्डों की सेवा उपलब्ध हो सकती है। किंतु आधुनिक अर्थों में डॉकयार्ड रणपोतों का निर्माण और देखभाल करनेवाली राष्ट्रीय संस्था है। डॉकयार्ड में रणपोत का निर्माण, साजसज्जा और उसे डॉक में ले जाने की सारी सुविधाएँ होती हैं। यहाँ गोलाबारूद और शस्त्रास्त्रों के निर्माण तथा उनकी पूर्ति की ओर कर्मिकों के लिए बिसातबान, आहार, प्रशिक्षण, चिकित्सा आदि की व्यवस्थाएँ होती हैं। पूर्ण रूप से सुसज्जित डॉकयार्ड कम ही होते हैं और उनमें भी कुछ ही डॉकों में रणपोतों का वास्तविक निर्माण होता है। प्राय: सभी राजकीय डॉकयार्ड नए जहाजों को सुसज्जित करने, युद्धपोतों को युद्ध के लिए तैयार करने तथा जहाजी बेड़ों की देखभाल का काम करते हैं। प्राय: सभी देशों में तोप, कवच, इंजन, बॉयलर आदि का निर्माण व्यवसाय संघ करते हैं और अंतिम अवस्था तक जहाज का निर्माण कर समापन के लिए उसे सरकारी संस्थाओं को दे देते हैं। कुछ डॉकयार्डों में जहाज के निर्माण की कोई विशेष सुविधा नहीं रहती, पर उनमें बड़े-बड़े पोतों की देखभाल के लिए पूरी व्यवस्था रहती है। कुछ छोटे डॉकयार्ड साधारण मरम्मत, गोलाबारूद, इर्धंन और भंडार की पूर्ति करते हैं। ये वस्तुत: इर्धंन प्रदान करनेवाले सुदृढ़ नौसैनिक अड्डे होते हैं। सभी राजकीय डॉकयार्ड नौसैनिक अड्डे होते हैं, किंतु सभी नौसैनिक अड्डे डॉकयार्ड नहीं होते। आधुनिक बेड़ों के लिए अड्डों का होना आवश्यक है, जहाँ से वह अपना कार्य कर सकें। निरापद बंदरगाह अड्डे की प्राथमिक आवश्यकता है, जहाँ जहाज का सहायक जलयान पहुँचकर बिना किसी छेड़छाड़ के इर्धंन, गोलाबारूद और आवश्यक भंडार का पुनर्भरण कर सके। वहाँ श्रमिकों के विश्राम और मनोरंजन की व्यवस्था भी रहनी चाहिए। डॉकयार्ड या अड्डे को पनडुब्बी, तारपीडो और हवाई आक्रमणों से बचाने के लिए पर्याप्त रक्षासेनाओं की स्थायी व्यवस्था रहती है। समुद्री प्रभुता की रक्षा के लिए नियुक्त बेड़े की क्षमता पर ही डॉक या अड्डे की सुरक्षा निर्भर करती है। . द्वितीय विश्वयुद्ध १९३९ से १९४५ तक चलने वाला विश्व-स्तरीय युद्ध था। लगभग ७० देशों की थल-जल-वायु सेनाएँ इस युद्ध में सम्मलित थीं। इस युद्ध में विश्व दो भागों मे बँटा हुआ था - मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र। इस युद्ध के दौरान पूर्ण युद्ध का मनोभाव प्रचलन में आया क्योंकि इस युद्ध में लिप्त सारी महाशक्तियों ने अपनी आर्थिक, औद्योगिक तथा वैज्ञानिक क्षमता इस युद्ध में झोंक दी थी। इस युद्ध में विभिन्न राष्ट्रों के लगभग १० करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया, तथा यह मानव इतिहास का सबसे ज़्यादा घातक युद्ध साबित हुआ। इस महायुद्ध में ५ से ७ करोड़ व्यक्तियों की जानें गईं क्योंकि इसके महत्वपूर्ण घटनाक्रम में असैनिक नागरिकों का नरसंहार- जिसमें होलोकॉस्ट भी शामिल है- तथा परमाणु हथियारों का एकमात्र इस्तेमाल शामिल है (जिसकी वजह से युद्ध के अंत मे मित्र राष्ट्रों की जीत हुई)। इसी कारण यह मानव इतिहास का सबसे भयंकर युद्ध था। हालांकि जापान चीन से सन् १९३७ ई. से युद्ध की अवस्था में था किन्तु अमूमन दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत ०१ सितम्बर १९३९ में जानी जाती है जब जर्मनी ने पोलैंड पर हमला बोला और उसके बाद जब फ्रांस ने जर्मनी पर युद्ध की घोषणा कर दी तथा इंग्लैंड और अन्य राष्ट्रमंडल देशों ने भी इसका अनुमोदन किया। जर्मनी ने १९३९ में यूरोप में एक बड़ा साम्राज्य बनाने के उद्देश्य से पोलैंड पर हमला बोल दिया। १९३९ के अंत से १९४१ की शुरुआत तक, अभियान तथा संधि की एक शृंखला में जर्मनी ने महाद्वीपीय यूरोप का बड़ा भाग या तो अपने अधीन कर लिया था या उसे जीत लिया था। नाट्सी-सोवियत समझौते के तहत सोवियत रूस अपने छः पड़ोसी मुल्कों, जिसमें पोलैंड भी शामिल था, पर क़ाबिज़ हो गया। फ़्रांस की हार के बाद युनाइटेड किंगडम और अन्य राष्ट्रमंडल देश ही धुरी राष्ट्रों से संघर्ष कर रहे थे, जिसमें उत्तरी अफ़्रीका की लड़ाइयाँ तथा लम्बी चली अटलांटिक की लड़ाई शामिल थे। जून १९४१ में युरोपीय धुरी राष्ट्रों ने सोवियत संघ पर हमला बोल दिया और इसने मानव इतिहास में ज़मीनी युद्ध के सबसे बड़े रणक्षेत्र को जन्म दिया। दिसंबर १९४१ को जापानी साम्राज्य भी धुरी राष्ट्रों की तरफ़ से इस युद्ध में कूद गया। दरअसल जापान का उद्देश्य पूर्वी एशिया तथा इंडोचायना में अपना प्रभुत्व स्थापित करने का था। उसने प्रशान्त महासागर में युरोपीय देशों के आधिपत्य वाले क्षेत्रों तथा संयुक्त राज्य अमेरीका के पर्ल हार्बर पर हमला बोल दिया और जल्द ही पश्चिमी प्रशान्त पर क़ब्ज़ा बना लिया। सन् १९४२ में आगे बढ़ती धुरी सेना पर लगाम तब लगी जब पहले तो जापान सिलसिलेवार कई नौसैनिक झड़पें हारा, युरोपीय धुरी ताकतें उत्तरी अफ़्रीका में हारीं और निर्णायक मोड़ तब आया जब उनको स्तालिनग्राड में हार का मुँह देखना पड़ा। सन् १९४३ में जर्मनी पूर्वी युरोप में कई झड़पें हारा, इटली में मित्र राष्ट्रों ने आक्रमण बोल दिया तथा अमेरिका ने प्रशान्त महासागर में जीत दर्ज करनी शुरु कर दी जिसके कारणवश धुरी राष्ट्रों को सारे मोर्चों पर सामरिक दृश्टि से पीछे हटने की रणनीति अपनाने को मजबूर होना पड़ा। सन् १९४४ में जहाँ एक ओर पश्चिमी मित्र देशों ने जर्मनी द्वारा क़ब्ज़ा किए हुए फ़्रांस पर आक्रमण किया वहीं दूसरी ओर से सोवियत संघ ने अपनी खोई हुयी ज़मीन वापस छीनने के बाद जर्मनी तथा उसके सहयोगी राष्ट्रों पर हमला बोल दिया। सन् १९४५ के अप्रैल-मई में सोवियत और पोलैंड की सेनाओं ने बर्लिन पर क़ब्ज़ा कर लिया और युरोप में दूसरे विश्वयुद्ध का अन्त ८ मई १९४५ को तब हुआ जब जर्मनी ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया। सन् १९४४ और १९४५ के दौरान अमेरिका ने कई जगहों पर जापानी नौसेना को शिकस्त दी और पश्चिमी प्रशान्त के कई द्वीपों में अपना क़ब्ज़ा बना लिया। जब जापानी द्वीपसमूह पर आक्रमण करने का समय क़रीब आया तो अमेरिका ने जापान में दो परमाणु बम गिरा दिये। १५ अगस्त १९४५ को एशिया में भी दूसरा विश्वयुद्ध समाप्त हो गया जब जापानी साम्राज्य ने आत्मसमर्पण करना स्वीकार कर लिया। .

डॉकयार्ड और द्वितीय विश्वयुद्ध के बीच समानता

डॉकयार्ड और द्वितीय विश्वयुद्ध आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): पहला विश्व युद्ध, इंग्लैण्ड

पहला विश्व युद्ध

पहला विश्व युद्ध 1914 से 1918 तक मुख्य तौर पर यूरोप में व्याप्त महायुद्ध को कहते हैं। यह महायुद्ध यूरोप, एशिया व अफ़्रीका तीन महाद्वीपों और समुंदर, धरती और आकाश में लड़ा गया। इसमें भाग लेने वाले देशों की संख्या, इसका क्षेत्र (जिसमें यह लड़ा गया) तथा इससे हुई क्षति के अभूतपूर्व आंकड़ों के कारण ही इसे विश्व युद्ध कहते हैं। पहला विश्व युद्ध लगभग 52 माह तक चला और उस समय की पीढ़ी के लिए यह जीवन की दृष्टि बदल देने वाला अनुभव था। क़रीब आधी दुनिया हिंसा की चपेट में चली गई और इस दौरान अंदाज़न एक करोड़ लोगों की जान गई और इससे दोगुने घायल हो गए। इसके अलावा बीमारियों और कुपोषण जैसी घटनाओं से भी लाखों लोग मरे। विश्व युद्ध ख़त्म होते-होते चार बड़े साम्राज्य रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी (हैप्सबर्ग) और उस्मानिया ढह गए। यूरोप की सीमाएँ फिर से निर्धारित हुई और अमेरिका निश्चित तौर पर एक 'महाशक्ति ' बन कर उभरा। .

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इंग्लैण्ड

इंग्लैण्ड (अंग्रेज़ी: England), ग्रेट ब्रिटेन नामक टापू के दक्षिणी भाग में स्थित एक देश है। इसका क्षेत्रफल 50,331 वर्ग मील है। यह यूनाइटेड किंगडम का सबसे बड़ा निर्वाचक देश है। इंग्लैंड के अलावा स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तर आयरलैंड भी यूनाइटेड किंगडम में शामिल हैं। यह यूरोप के उत्तर पश्चिम में अवस्थित है जो मुख्य भूमि से इंग्लिश चैनल द्वारा पृथकीकृत द्वीप का अंग है। इसकी राजभाषा अंग्रेज़ी है और यह विश्व के सबसे संपन्न तथा शक्तिशाली देशों में से एक है। इंग्लैंड के इतिहास में सबसे स्वर्णिम काल उसका औपनिवेशिक युग है। अठारहवीं सदी से लेकर बीसवीं सदी के मध्य तक ब्रिटिश साम्राज्य विश्व का सबसे बड़ा और शकितशाली साम्राज्य हुआ करता था जो कई महाद्वीपों में फैला हुआ था और कहा जाता था कि ब्रिटिश साम्राज्य में सूर्य कभी अस्त नहीं होता। उसी समय पूरे विश्व में अंग्रेज़ी भाषा ने अपनी छाप छोड़ी जिसकी वज़ह से यह आज भी विश्व के सबसे अधिक लोगों द्वारा बोले व समझे जाने वाली भाषा है। .

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डॉकयार्ड और द्वितीय विश्वयुद्ध के बीच तुलना

डॉकयार्ड 6 संबंध है और द्वितीय विश्वयुद्ध 60 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 3.03% है = 2 / (6 + 60)।

संदर्भ

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