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झारखंड मुक्ति मोर्चा और सोलहवीं लोक सभा

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

झारखंड मुक्ति मोर्चा और सोलहवीं लोक सभा के बीच अंतर

झारखंड मुक्ति मोर्चा vs. सोलहवीं लोक सभा

झारखंड मुक्ति मोर्चा जे एम एम या झामुमो भारत की एक क्षेत्रीय राजनैतिक दल है जिसका प्रभाव क्षेत्र नव-सृजित झारखंड एवं उड़ीसा, बंगाल तथा छत्तीसगढ के कुछ आदिवासी इलाकों में है। . सोलहवीं लोक सभा के सदस्य 2014 के आम चुनाव के बाद चुने गए हैं जो कि 7 अप्रैल 2014 से 12 मई 2014 के मध्य 9 चरणों में संपन्न हुए थे। ये चुनाव भारतीय चुनाव आयोग द्वारा कराये गए। परिणाम 16 मई 2014 को आये। भारतीय जनता पार्टी (जो कि राजग का हिस्सा है) ने 543 में 282 सीटें प्राप्त कर पूर्ण बहुमत प्राप्त किया। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीद्वार नरेन्द्र मोदी ने 26 मई 2014 को भारत के पन्द्रहवें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को महज 44 सीटों से संतोष करना पड़ा। इस लोक सभा का पहला सत्र 4 जून से 11 जुलाई 2014 के मध्य हुआ। सोलहवीं लोक सभा विपक्ष का नेता कोई नहीं होगा क्योंकि भारतीय संसद के नियमानुसार, इस पद को पाने के लिए किसी दल के पास कम से कम लोक सभा के कुल सदस्यों का 10% सदस्य होना आवश्यक है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पास वर्तमान में 44 सीटें हैं जबकि ऑल इण्डिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के पास 37 सीटें हैं। .

झारखंड मुक्ति मोर्चा और सोलहवीं लोक सभा के बीच समानता

झारखंड मुक्ति मोर्चा और सोलहवीं लोक सभा आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): शिबू सोरेन

शिबू सोरेन

शिबू सोरेन (जन्म ११ जनवरी, १९४४) एक भारतीय राजनेता है। वे झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष है। २००४ में मनमोहन सिंह की सरकार में वे कोयला मंत्री बने लेकिन चिरूडीह कांड जिसमें 11 लोगों की ह्त्या हुई थी के सिलसिले में गिरफ़्तारी का वारंट जारी होने के बाद उन्हें केन्द्रीय मंत्रीमंडल से 24 जुलाई 2004 को इस्तीफ़ा देना पड़ा। आजकल वे झारखंड के दुमका लोकसभा सीट से छठी बार सांसद चुने गये हैं। शिबू का जन्म पुराने बिहार के हजारीबाग जिले में नामरा गाँव में हुआ था। उनकी स्कूली शिक्षा भी यहीं हुई। स्कूली शिक्षा समाप्त करने के बाद ही उनका विवाह हो गया और उन्होंने पिता को खेती के काम में मदद करने का निर्णय लिया। उनके राजनैतिक जीवन की शुरुआत 1970 में हुई। उन्होंने 23 जनवरी, 1975 को उन्होंने तथाकथित रूप से जामताड़ा जिले के चिरूडीह गाँव में "बाहरी" लोगों (आदिवासी जिन्हें "दिकू" नाम से बुलाते हैं) को खदेड़ने के लिये एक हिंसक भीड़ का नेतृत्व किया था। इस घटना में 11 लोग मारे गये थे। उन्हें 68 अन्य लोगों के साथ हत्या का अभियुक्त बनाया गया। शिबू पहली बार 1977 में लोकसभा के लिये चुनाव में खड़े हुये लेकिन उन्हें पराजय का मुँह देखना पड़ा। उनका यह सपना 1986 में पूरा हुआ। इसके बाद क्रमश: 1986, 1989, 1991, 1996 में भी चुनाव जीते। 2002 वे भाजपा की सहायता से राज्यसभा के लिये चुने गये। 2004 में वे दुमका से लोकसभा के लिये चुने गये और राज्यसभा की सीट से त्यागपत्र दे दिया। सन 2005 में झारखंड विधानसभा चुनावों के पश्चात वे विवादस्पद तरीक़े से झारखंड के मुख्यमंत्री बने, परंतु बहुमत साबित न कर सकने के कारण कुछ दिन पश्चात ही उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा। .

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झारखंड मुक्ति मोर्चा और सोलहवीं लोक सभा के बीच तुलना

झारखंड मुक्ति मोर्चा 7 संबंध है और सोलहवीं लोक सभा 66 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 1.37% है = 1 / (7 + 66)।

संदर्भ

यह लेख झारखंड मुक्ति मोर्चा और सोलहवीं लोक सभा के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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