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झारखंड का पर्यटन और भारत सारावली

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झारखंड का पर्यटन और भारत सारावली के बीच अंतर

झारखंड का पर्यटन vs. भारत सारावली

देवघर और दुमका में लाखों लोग धार्मिक यात्रा में मंदिरों में पूजा करने के लिए हर वर्ष यहाँ आते है। यह धार्मिक पर्यटन के विकास का अच्छा अवसर है। धर्म और कथा का एक साथ आना देवघर, भारत के प्राचीन हिंदू तीर्थ में से एक है। देवघर का शाब्दिक अर्थ है "परमेश्वर का निवास"| ऐसे कई धार्मिक महत्व के स्थल इस पवित्र शहर के आसपास है। रांची में, रांची पहाड़ी की ऊंचाई पर मंदिर है, जो वहां के स्थानीय लोगों के लिए पहाड़ी, पहाड़ी मंदिर के नाम से जाना जाता है। सामान्यतः यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। लेकिन प्रत्येक स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस पर मंदिर के उपरी छोर पर राष्ट्रीय तिरंगा फहराया जाता है जो उन लोगों के सम्मान की दिशा में किया जाता है जिन्होंने स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान अपने प्राणों का बलिदान दिया था। बहुत से स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में कहा गया है कि उन्हें यहाँ फाँसी दी गयी है। जब देश स्वतंत्र हुआ तो रांची के वासियों ने फैसला किया कि उन शहीदों को सम्मान देने के लिए पहाड़ी पर तिरंगा फहराया जायेगा और इसी तरह परंपरा चली आ रही है और यह वास्तव में इस मंदिर की अलग पहचान है; रांची से करीब ८० किलोमीटर दूर रामगढ -बोकारो मार्ग पर अवस्थित माँ छिन्नमस्तिका का मंदिर यहाँ अवस्थित है, जो देश भर में प्रसिद्ध है। पुराने मंदिर में सिरविहीन देवी कामदेव के शरीरपर खड़ी हुई और रति कमल के आसन पर विराजमान हैं। मन्नत मांगने व् पूरे होनेपर पुनः दर्शन करने यहाँ भक्त काफी संख्या में पहुचते हैं। सभी भगवान शिव के भक्तों का देवघर के महा श्रावणी मेला में स्वागत हैं, जो भगवान शिव का पवित्र स्थान है। श्रद्धालु सुल्तानगंज में उत्तर वाहिनी गंगा में डुबकी लगाने के बाद गंगा का पवित्र जल कांवर में लेकर, नंगे पांव 105 किलोमीटर की दूरी तय कर के देवघर जाते हैं।;जगन्नाथपुर मंदिर उड़ीसा की स्थापत्य कला पर निर्मित यह मंदिर झारखण्ड के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। पहाड़ी पर स्थित मंदिर को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि काफी ऊंचाई पर मणि एक किला विद्यमान हो। जून-जुलाई में यहाँ रथयात्रा के अवसर पर विशाल मेला लगता है। नागवंशी राजा ठाकुर एनी शाहदेव द्वारा १६९१ में रांची से १२ किलोमीटर की दूरी पर इस मंदिर का निर्माण कराया गया था। मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा की मूर्तियाँ मौजूद हैं।;सूर्य मंदिर रांची से ३९ किलोमीटर की दूरी पर रांची -टाटा रोड पर स्थित यह मंदिर बुंडू के समीप है। संगमरमर से निर्मित इस मंदिर का निर्माण १८ पहियों और ७ घोड़ों के रथ पर विद्यमान भगवान सूर्य के रूप में किया गाया है। २५ जनवरी को टुसू मेला के अवसर पर यहाँ विशेष मेले का आयोजन होता है। श्रधालुओं के विश्राम के लिए यहाँ एक धर्मशाला का निर्माण भी किया गया है।;अंगराबाड़ी रांची से ४० किलोमीटर दूर खूंटी के समीप स्थित यह मंदिर भगवान गणेश, राम-सीता, हनुमान और शिव के प्रति समर्पित है।;सबसे ऊंचा पठार झारखण्ड का सबसे ऊँचा पठार, जिसकी ऊंचाई समुद्रतल से ४४८० फीट है। यहाँ के मंदिर को जैनियों का सबसे पूज्य व पवित्र स्थान माना गया है। जैन मान्यता के अनुसार २४ तीर्थकरों में से २० को मोक्ष की प्राप्ति यहीं हुई है। श्रेणी:झारखंड का पर्यटन. भुवन में भारत भारतीय गणतंत्र दक्षिण एशिया में स्थित स्वतंत्र राष्ट्र है। यह विश्व का सातवाँ सबसे बड़ देश है। भारत की संस्कृति एवं सभ्यता विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति एवं सभ्यताओं में से है।भारत, चार विश्व धर्मों-हिंदू धर्म, सिख धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म के जन्मस्थान है और प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता का घर है। मध्य २० शताब्दी तक भारत अंग्रेजों के प्रशासन के अधीन एक औपनिवेशिक राज्य था। अहिंसा के माध्यम से महात्मा गांधी जैसे नेताओं ने भारत देश को १९४७ में स्वतंत्र राष्ट्र बनाया। भारत, १२० करोड़ लोगों के साथ दुनिया का दूसरे सबसे अधिक आबादी वाला देश और दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला लोकतंत्र है। .

झारखंड का पर्यटन और भारत सारावली के बीच समानता

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