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ज्वालामुखी और पर्यावरण भूगोल

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

ज्वालामुखी और पर्यावरण भूगोल के बीच अंतर

ज्वालामुखी vs. पर्यावरण भूगोल

तवुर्वुर का एक सक्रिय ज्वालामुखी फटते हुए, राबाउल, पापुआ न्यू गिनिया ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह पर उपस्थित ऐसी दरार या मुख होता है जिससे पृथ्वी के भीतर का गर्म लावा, गैस, राख आदि बाहर आते हैं। वस्तुतः यह पृथ्वी की ऊपरी परत में एक विभंग (rupture) होता है जिसके द्वारा अन्दर के पदार्थ बाहर निकलते हैं। ज्वालामुखी द्वारा निःसृत इन पदार्थों के जमा हो जाने से निर्मित शंक्वाकार स्थलरूप को ज्वालामुखी पर्वत कहा जाता है। ज्वालामुखी का सम्बंध प्लेट विवर्तनिकी से है क्योंकि यह पाया गया है कि बहुधा ये प्लेटों की सीमाओं के सहारे पाए जाते हैं क्योंकि प्लेट सीमाएँ पृथ्वी की ऊपरी परत में विभंग उत्पन्न होने हेतु कमजोर स्थल उपलब्ध करा देती हैं। इसके अलावा कुछ अन्य स्थलों पर भी ज्वालामुखी पाए जाते हैं जिनकी उत्पत्ति मैंटल प्लूम से मानी जाती है और ऐसे स्थलों को हॉटस्पॉट की संज्ञा दी जाती है। भू-आकृति विज्ञान में ज्वालामुखी को आकस्मिक घटना के रूप में देखा जाता है और पृथ्वी की सतह पर परिवर्तन लाने वाले बलों में इसे रचनात्मक बल के रूप में वर्गीकृत किया जाता है क्योंकि इनसे कई स्थलरूपों का निर्माण होता है। वहीं, दूसरी ओर पर्यावरण भूगोल इनका अध्ययन एक प्राकृतिक आपदा के रूप में करता है क्योंकि इससे पारितंत्र और जान-माल का नुकसान होता है। . पर्यावरण भूगोल (अंग्रेजी: Environmental geography) पर्यावरणीय दशाओं, उनकी कार्यशीलता और तकनीकी रूप से सबल आर्थिक मानव और पर्यावरण के बीच संबंधों का अध्यययन स्थानिक तथा कालिक (spatio-temporal) सन्दर्भों में करता है। यह एक तरह का संश्लेषणात्मक विज्ञान है और इसे इंटीग्रेटेड भूगोल (समन्वयात्मक भूगोल) के रूप में भी जाना जाता है। भूगोल कि यह शाखा एक प्रकार से भौतिक भूगोल और मानव भूगोल के विभाजन और बढ़ती दूरियों को कम करने का कार्य करती है| भूगोल सदैव ही मानव और उसके पर्यावरण का अध्ययन स्थान के सन्दर्भों में करता रहा है लेकिन 1950-1970 के बीच भौतिक भूगोल और मानव भूगोल के बीच बढती दूरियों ने इसे पर्यावरण के अध्ययन से विमुख कर दिया था और इस दौरान पर्यावरण के झण्डाबरदार जीव विज्ञानी रहे। बाद में तंत्र विश्लेषण और पारिस्थितिकीय उपागम के बढ़ते महत्व को भूगोल में तेजी से स्वीकृति मिली और पर्यावरण भूगोल, भौतिक और मानव भूगोल के बीच एक बहुआयामी संश्लेषण के रूप में उभरा। पर्यावरण भूगोल के अध्ययन का क्षेत्र: (1) पर्यावरण का एक पारितंत्र के रूप में संगठन और उसकी कार्यशीलता, (2) मानव-पारितंत्रीय संबंध विश्लेषण और पर्यावरणीय अवनयन, (3) पर्यावरणीय दशाओं और मानव-पर्यावरण संबंधों का स्थानिक संदर्भ में अध्ययन, तथा (4) पर्यावरण संरक्षण और प्रबंधन से जुड़े स्थानिक पहलू (5) भौगोलिक सूचना प्रणाली (जी॰ आइ॰ एस॰) और सुदूर संवेदन तकनीक का पर्यावरणीय अध्ययन में अनुप्रयोग कि दशा और दिशा निर्धारित करना है। अतः प्राकृतिक या भौतिक भूगोल और मानव भूगोल के मध्य समन्वय स्थापित करने और इनके बहु आयामी संश्लेषण के कारण पर्यावरण भूगोल को एक तीसरी नई शाखा के रूप में भी कुछ विद्वानों द्वारा देखा गया है। .

ज्वालामुखी और पर्यावरण भूगोल के बीच समानता

ज्वालामुखी और पर्यावरण भूगोल आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): पारितंत्र

पारितंत्र

पारितंत्र (ecosystem) या पारिस्थितिक तंत्र (ecological system) एक प्राकृतिक इकाई है जिसमें एक क्षेत्र विशेष के सभी जीवधारी, अर्थात् पौधे, जानवर और अणुजीव शामिल हैं जो कि अपने अजैव पर्यावरण के साथ अंतर्क्रिया करके एक सम्पूर्ण जैविक इकाई बनाते हैं। इस प्रकार पारितंत्र अन्योन्याश्रित अवयवों की एक इकाई है जो एक ही आवास को बांटते हैं। पारितंत्र आमतौर अनेक खाद्य जाल बनाते हैं जो पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर इन जीवों के अन्योन्याश्रय और ऊर्जा के प्रवाह को दिखाते हैं। क्रिस्टोफरसन, आरडब्ल्यू (1996) .

ज्वालामुखी और पारितंत्र · पर्यावरण भूगोल और पारितंत्र · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

ज्वालामुखी और पर्यावरण भूगोल के बीच तुलना

ज्वालामुखी 56 संबंध है और पर्यावरण भूगोल 10 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 1.52% है = 1 / (56 + 10)।

संदर्भ

यह लेख ज्वालामुखी और पर्यावरण भूगोल के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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