ज्यां-पाल सार्त्र और पाश्चात्य दर्शन
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ज्यां-पाल सार्त्र और पाश्चात्य दर्शन के बीच अंतर
ज्यां-पाल सार्त्र vs. पाश्चात्य दर्शन
ज्यां-पाल सार्त्र नोबेल पुरस्कार साहित्य विजेता, १९६४ ज्यां-पाल सार्त्र अस्तित्ववाद के पहले विचारकों में से माने जाते हैं। वह बीसवीं सदी में फ्रान्स के सर्वप्रधान दार्शनिक कहे जा सकते हैं। कई बार उन्हें अस्तित्ववाद के जन्मदाता के रूप में भी देखा जाता है। अपनी पुस्तक "ल नौसी" में सार्त्र एक ऐसे अध्यापक की कथा सुनाते हैं जिसे ये इलहाम होता है कि उसका पर्यावरण जिससे उसे इतना लगाव है वो बस कि़ंचित् निर्जीव और तत्वहीन वस्तुओं से निर्मित है। किन्तु उन निर्जीव वस्तुओं से ही उसकी तमाम भावनाएँ जन्म ले चुकी थीं। सार्त्र का निधन अप्रैल १५, १९८० को पेरिस में हआ। . अध्ययन की दृष्टि से पश्चिमी दर्शन तीन भागों में विभक्त कर सकते हैं- 1.
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संदर्भ
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