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जोनराज और राजतरंगिणी

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

जोनराज और राजतरंगिणी के बीच अंतर

जोनराज vs. राजतरंगिणी

जोनराज (देहांत: १४५९ ईसवी) १५वीं सदी के एक कश्मीरी इतिहासकार और संस्कृत कवि थे। उन्होंने 'द्वितीय राजतरंगिणी' नामक इतिहास-ग्रन्थ लिखा जिसमें उन्होंने कल्हण की राजतरंगिणी का सन् ११४९ तक का वृत्तान्त जारी रखते हुए अपने समकालीन सुल्तान ज़ैन-उल-अबिदीन​ (उर्फ़ 'बुड शाह') तक का वर्णन लिखा। बुड शाह का राज सन् १४२३ से १४७४ तक चला लेकिन जोनराज उनके शासनकाल का पूरा बखान नहीं लिख पाए क्योंकि उनके राजकाल के ३५वें वर्ष में ही जोनराज का देहांत हो गया। उनके शिष्य श्रीवर ने वृत्तांत आगे चलाया और उनकी कृति का नाम 'तृतीय राजतरंगिणी' था जो १४५९-१४८६ काल के बारे में है।, Rājānaka Jonarāja, Jogesh Chandra Dutt, Shyam Lal Sadhu, Atlantic Publishers & Distributors, 1993,... राजतरंगिणी, कल्हण द्वारा रचित एक संस्कृत ग्रन्थ है। 'राजतरंगिणी' का शाब्दिक अर्थ है - राजाओं की नदी, जिसका भावार्थ है - 'राजाओं का इतिहास या समय-प्रवाह'। यह कविता के रूप में है। इसमें कश्मीर का इतिहास वर्णित है जो महाभारत काल से आरम्भ होता है। इसका रचना काल सन ११४७ से ११४९ तक बताया जाता है। भारतीय इतिहास-लेखन में कल्हण की राजतरंगिणी पहली प्रामाणिक पुस्तक मानी जाती है। इस पुस्तक के अनुसार कश्मीर का नाम "कश्यपमेरु" था जो ब्रह्मा के पुत्र ऋषि मरीचि के पुत्र थे। राजतरंगिणी के प्रथम तरंग में बताया गया है कि सबसे पहले कश्मीर में पांडवों के सबसे छोटे भाई सहदेव ने राज्य की स्थापना की थी और उस समय कश्मीर में केवल वैदिक धर्म ही प्रचलित था। फिर सन 273 ईसा पूर्व कश्मीर में बौद्ध धर्म का आगमन हुआ। १९वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में औरेल स्टीन (Aurel Stein) ने पण्डित गोविन्द कौल के सहयोग से राजतरंगिणी का अंग्रेजी अनुवाद कराया। राजतरंगिणी एक निष्पक्ष और निर्भय ऐतिहासिक कृति है। स्वयं कल्हण ने राजतरंगिणी में कहा है कि एक सच्चे इतिहास लेखक की वाणी को न्यायाधीश के समान राग-द्वेष-विनिर्मुक्त होना चाहिए, तभी उसकी प्रशंसा हो सकती है- .

जोनराज और राजतरंगिणी के बीच समानता

जोनराज और राजतरंगिणी आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): संस्कृत भाषा, कल्हण, कश्मीर

संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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कल्हण

कल्हण कश्मीरी इतिहासकार तथा विश्वविख्यात ग्रंथ राजतरंगिनी (1148-50 ई.) के रचयिता थे। .

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कश्मीर

ये लेख कश्मीर की वादी के बारे में है। इस राज्य का लेख देखने के लिये यहाँ जायें: जम्मू और कश्मीर। एडवर्ड मॉलीनक्स द्वारा बनाया श्रीनगर का दृश्य कश्मीर (कश्मीरी: (नस्तालीक़), कॅशीर) भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे उत्तरी भौगोलिक क्षेत्र है। कश्मीर एक मुस्लिमबहुल प्रदेश है। आज ये आतंकवाद से जूझ रहा है। इसकी मुख्य भाषा कश्मीरी है। जम्मू और कश्मीर के बाक़ी दो खण्ड हैं जम्मू और लद्दाख़। .

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जोनराज और राजतरंगिणी के बीच तुलना

जोनराज 10 संबंध है और राजतरंगिणी 18 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 10.71% है = 3 / (10 + 18)।

संदर्भ

यह लेख जोनराज और राजतरंगिणी के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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