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जॉन रस्किन और महात्मा गांधी

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

जॉन रस्किन और महात्मा गांधी के बीच अंतर

जॉन रस्किन vs. महात्मा गांधी

जॉन रस्किन (8 फ़रवरी 1819 - 20 जनवरी 1 9 00) विक्टोरियन युग की प्रमुख अंग्रेजी कला आलोचक थे।, साथ ही एक आर्ट संरक्षक, ड्राफ्ट्समैन, वॉयल कॉरोलिस्ट, एक प्रमुख सामाजिक विचारक और परोपकारी थे। उन्होंने भूविज्ञान, वास्तुकला, मिथक, पक्षीविज्ञान, साहित्य, शिक्षा, वनस्पति विज्ञान और राजनीतिक अर्थव्यवस्था के रूप में विभिन्न विषयों पर लिखा था। उनकी लेखन शैलियों और साहित्यिक रूप समान रूप से भिन्न थे। उन्होंने निबंध और ग्रंथ, कविता और व्याख्यान, यात्रा गाइड और मैनुअल, पत्र और यहां तक ​​कि एक परियों की कहानी भी लिखी। उन्होंने विस्तृत स्केच और चट्टानों, पौधों, पक्षियों, परिदृश्य, और स्थापत्य संरचनाओं और अलंकरण के पेंटिंग भी बनाए। उनकी विस्तृत शैली, जिसने कला पर उनके शुरुआती लेखन को चित्रित किया, उन्होंने अपने विचारों को और अधिक प्रभावी ढंग से संवाद करने के लिए तैयार की गई सरल भाषा में समय दिया। अपने सभी लेखन में उन्होंने प्रकृति, कला और समाज के बीच संबंधों पर जोर दिया। वह 19 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में और प्रथम विश्व युद्ध तक बेहद प्रभावशाली थे। सापेक्ष गिरावट की अवधि के बाद, 1960 से अपने काम के कई शैक्षिक अध्ययनों के प्रकाशन के साथ उनकी प्रतिष्ठा में लगातार सुधार हुआ है। आज, उनके विचार और चिंताओं को पर्यावरणवाद, स्थिरता और शिल्प में अनुमानित रुचि के रूप में व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है। . मोहनदास करमचन्द गांधी (२ अक्टूबर १८६९ - ३० जनवरी १९४८) भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। वे सत्याग्रह (व्यापक सविनय अवज्ञा) के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की नींव सम्पूर्ण अहिंसा के सिद्धान्त पर रखी गयी थी जिसने भारत को आजादी दिलाकर पूरी दुनिया में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता के प्रति आन्दोलन के लिये प्रेरित किया। उन्हें दुनिया में आम जनता महात्मा गांधी के नाम से जानती है। संस्कृत भाषा में महात्मा अथवा महान आत्मा एक सम्मान सूचक शब्द है। गांधी को महात्मा के नाम से सबसे पहले १९१५ में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया था।। उन्हें बापू (गुजराती भाषा में બાપુ बापू यानी पिता) के नाम से भी याद किया जाता है। सुभाष चन्द्र बोस ने ६ जुलाई १९४४ को रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित करते हुए आज़ाद हिन्द फौज़ के सैनिकों के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ माँगीं थीं। प्रति वर्ष २ अक्टूबर को उनका जन्म दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में और पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाया जाता है। सबसे पहले गान्धी ने प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष हेतु सत्याग्रह करना शुरू किया। १९१५ में उनकी भारत वापसी हुई। उसके बाद उन्होंने यहाँ के किसानों, मजदूरों और शहरी श्रमिकों को अत्यधिक भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाने के लिये एकजुट किया। १९२१ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभालने के बाद उन्होंने देशभर में गरीबी से राहत दिलाने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार, धार्मिक एवं जातीय एकता का निर्माण व आत्मनिर्भरता के लिये अस्पृश्‍यता के विरोध में अनेकों कार्यक्रम चलाये। इन सबमें विदेशी राज से मुक्ति दिलाने वाला स्वराज की प्राप्ति वाला कार्यक्रम ही प्रमुख था। गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाये गये नमक कर के विरोध में १९३० में नमक सत्याग्रह और इसके बाद १९४२ में अंग्रेजो भारत छोड़ो आन्दोलन से खासी प्रसिद्धि प्राप्त की। दक्षिण अफ्रीका और भारत में विभिन्न अवसरों पर कई वर्षों तक उन्हें जेल में भी रहना पड़ा। गांधी जी ने सभी परिस्थितियों में अहिंसा और सत्य का पालन किया और सभी को इनका पालन करने के लिये वकालत भी की। उन्होंने साबरमती आश्रम में अपना जीवन गुजारा और परम्परागत भारतीय पोशाक धोती व सूत से बनी शाल पहनी जिसे वे स्वयं चरखे पर सूत कातकर हाथ से बनाते थे। उन्होंने सादा शाकाहारी भोजन खाया और आत्मशुद्धि के लिये लम्बे-लम्बे उपवास रखे। .

जॉन रस्किन और महात्मा गांधी के बीच समानता

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जॉन रस्किन और महात्मा गांधी के बीच तुलना

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संदर्भ

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