लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

जैन धर्म और लिङ्ग पुराण

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

जैन धर्म और लिङ्ग पुराण के बीच अंतर

जैन धर्म vs. लिङ्ग पुराण

जैन ध्वज जैन धर्म भारत के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक है। 'जैन धर्म' का अर्थ है - 'जिन द्वारा प्रवर्तित धर्म'। जो 'जिन' के अनुयायी हों उन्हें 'जैन' कहते हैं। 'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से। 'जि' माने - जीतना। 'जिन' माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया और विशिष्ट ज्ञान को पाकर सर्वज्ञ या पूर्णज्ञान प्राप्त किया उन आप्त पुरुष को जिनेश्वर या 'जिन' कहा जाता है'। जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान्‌ का धर्म। अहिंसा जैन धर्म का मूल सिद्धान्त है। जैन दर्शन में सृष्टिकर्ता कण कण स्वतंत्र है इस सॄष्टि का या किसी जीव का कोई कर्ता धर्ता नही है।सभी जीव अपने अपने कर्मों का फल भोगते है।जैन धर्म के ईश्वर कर्ता नही भोगता नही वो तो जो है सो है।जैन धर्म मे ईश्वरसृष्टिकर्ता इश्वर को स्थान नहीं दिया गया है। जैन ग्रंथों के अनुसार इस काल के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव आदिनाथ द्वारा जैन धर्म का प्रादुर्भाव हुआ था। जैन धर्म की अत्यंत प्राचीनता करने वाले अनेक उल्लेख अ-जैन साहित्य और विशेषकर वैदिक साहित्य में प्रचुर मात्रा में हैं। . अट्ठारह पुराणों में भगवान महेश्वर की महान महिमा का बखान करनेवाला लिंग पुराण विशिष्ट पुराण कहा गया है। भगवान शिव के ज्योर्ति लिंगों की कथा, ईशान कल्प के वृत्तान्त सर्वविसर्ग आदि दशा लक्षणों सहित वर्णित है। भगवान शिव की महिमा का बखान लिंग पुराण में ११,००० श्लोकों में किया गया है। यह समस्त पुराणों में श्रेष्ठ है। वेदव्यास कृत इस पुराण में पहले योग फिर कल्प के विषय में बताया गया है। लिंग शब्द के प्रति आधुनिक समाज में ब़ड़ी भ्रान्ति पाई जाती है। लिंग शब्द का शाब्दिक अर्थ चिन्ह अथवा प्रतीक है - जैसा कि कणाद मुनि कृत वैशेषिक दर्शन ग्रंथ में पाया जाता है। भगवान महेश्वर आदि पुरुष हैं। यह शिवलिंग उन्हीं भगवान शंकर की ज्योतिरूपा चिन्मय शक्ति का चिन्ह है। इसके उद्भव के विषय में सृष्टि के कल्याण के लिए ज्योर्ति लिंग द्वारा प्रकट होकर ब्रह्मा तथा विष्णु जैसों अनादि शक्तियों को भी आश्चर्य में डाल देने वाला घटना का वर्णन, इस पुराण के वर्ण्य विषय का एक प्रधान अंग है। फिर मुक्ति प्रदान करने वाले व्रत-योग शिवार्चन यज्ञ हवनादि का विस्तृत विवेचन प्राप्त है। यह शिव पुराण का पूरक ग्रन्थ है। .

जैन धर्म और लिङ्ग पुराण के बीच समानता

जैन धर्म और लिङ्ग पुराण आम में 0 बातें हैं (यूनियनपीडिया में)।

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

जैन धर्म और लिङ्ग पुराण के बीच तुलना

जैन धर्म 131 संबंध है और लिङ्ग पुराण 2 है। वे आम 0 में है, समानता सूचकांक 0.00% है = 0 / (131 + 2)।

संदर्भ

यह लेख जैन धर्म और लिङ्ग पुराण के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »