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जूनागढ़ बीकानेर और थार मरुस्थल

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

जूनागढ़ बीकानेर और थार मरुस्थल के बीच अंतर

जूनागढ़ बीकानेर vs. थार मरुस्थल

जूनागढ़ बीकानेर। रंगों भरा राजस्थान, जहाँ के जनजीवन का उत्साह, गढ़ी,गढ़ और राजमहलों में सिमटा है, अपने सोंदर्य और शोर्य गाथाओं को सम्मोहित करने में बेजोड़ है। इन गढो में बीकानेर का जूनागढ़ स्थापत्य शिल्प, भौगोलिक स्थिति, विलक्षण कला सज्जा का आर्श्चयजनक उदहारण है। थार के रेतीले टीलों के बीच, जो कभी जांगलू प्रदेश के नाम से जाना जाता था: एक से बढ़कर एक अट्टालिकाएँ, हवेलियाँ और महलों की कतार अपने आप में आर्श्चय है। बीकानेर किले को जूनागढ़ के नाम से भी जाना जाता है। इस शहर की स्थापना जोधपुर के शासक राव जोधा के पुत्र राव बीका ने की थी। और इसे सही रूप राजा राय सिंह ने दिया तथा इसे आधुनिक रूप देने का श्रेय महाराजा गंगा सिंह जी को दिया जाता है। बीकानेर के इस जूनागढ़ की नीवं ३० जनवरी १५८६ को रखी गयी थी और यह इसका निर्माण आठ साल बाद 17 फ़रवरी १५९४ को पूरा हुआ। गढ़ की सरंचना मध्ययुगीन स्थापत्य-शिल्प में गढ़, महल और सैनिक जरूरतों के अनुरूप बना है। जूनागढ़ बहुत कुछ आगरे के के किले से मिलता जुलता है। चतुर्भुजाकार ढांचे में डेढ़ किलोमीटर के दायरे में किला पत्थर व रोडों से निर्मित है। परकोटे की परिधि ९६८ मीटर है जिसके चारों और नौ मीटर चौडी व आठ मीटर गहरी खाई है। किले ३७ बुर्जे बनी है जिन पर कभी तोपें रखी जाती थी। किले पर लाल पत्थरों को तराश कर बनाए गए कंगूरे देखने में बहुत ही सुन्दर लगते हैं। गढ़ के पूरब और पश्चिम के दरवाजों को कर्णपोल और चांदपोल कहते हैं। मुख्य द्वार सूरजपोल के अलावा दौलतपोल, फतहपोल, तरनपोल और धुर्वपोल है। प्रवेश द्वार की चौडी गली पार करने के बाद दोनों और काले पत्थरों की बनी महावत सहित हाथियों की ऊँची प्रतिमाएं बनी है। ऊपर गणेश जी की मूर्ति और राजा राय सिंह की प्रशस्ति है। सूरजपोल जैसलमेर के पीले पत्थरों से बना है। दौलतपोल में मेहराब और गलियारे की बनावट अनूठी है। किले के भीतरी भाग में आवासीय इमारते, कुँए, महलों की लम्बी श्रंखला है जिनका निर्माण समय समय पर विभिन्न राजाओं ने अपनी कल्पना अनुरूप करवाया था। सूरजपोल के बाद एक काफी बड़ा मैदान है और उसके आगे नव दुर्गा की प्रतिमा | समीप ही जनानी ड्योढी से लेकर त्रिपोलिया तक पांच मंजिला महलों की श्रंखला है पहली मंजिल में सिलहखाना, भोजनशाला, हुजुरपोडी बारहदरिया, गुलाबनिवास, शिवनिवास, फीलखाना और गोदाम के पास पाचों मंजिलों को पार करता हुआ ऊँचा घंटाघर है। दूसरी मंजिल में जोरावर हरमिंदर का चौक और विक्रम विलास है। रानियों के लिए ऊपर जालीदार बारहदरी है। भैरव चौक, कर्ण महल और ३३ करौड़ देवी देवताओं का मंदिर दर्शनीय है। इसके बाद कुंवर-पदा है जहाँ सभी महाराजाओं के चित्र लगे हैं। जनानी ड्योढी के पास संगमरमर का तालाब है फिर कर्ण सिंह का दरबार हाल है जिसमे सुनहरा काम उल्लेखनीय है। पास में चन्द्र महल, फूल महल, चौबारे, अनूप महल, सरदार महल, गंगा निवास, गुलाबमंदिर, डूंगर निवास और भैरव चौक है। चौथी मंजिल में रतननिवास, मोतीमहल, रंगमहल, सुजानमहल और गणपतविलास है। पांचवी मंजिल में छत्र निवास पुराने महल, बारहदरिया आदि महत्वपूर्ण स्थल है। अनूप महल में सोने की पच्चीकारी एक उत्कृष्ट कृति है। इसकी चमक आज भी यथावत है। गढ़ के सभी महलों में अनूप महल सबसे ज्यादा सुन्दर व मोहक है। महल के पांचो द्वार एक बड़े चौक में खुलते हैं। महल के नक्काशीदार स्तम्भ, मेहराब आदि की बनावट अनुपम है। फूल महल और चन्द्र महल में कांच की जडाई आमेर के चन्द्र महल जैसी ही उत्कृष्ट है। फूल महल में पुष्पों का रूपांकन और चमकीले शीशों की सजावट दर्शनीय है। अनूप महल के पास ही बादल महल है। यहाँ की छतों पर नीलवर्णी उमड़ते बादलों का चित्रांकन है। बादल महल के सरदार महल है। पुराने ज़माने में गर्मी से कैसे बचा जा सकता था, इसकी झलक इस महल में है। गज मंदिर व गज कचहरी में रंगीन शीशों की जडाई बहुत अच्छी है। छत्र महल तम्बूनुमा बना है जिसकी छत लकड़ी की बनी है। कृष्ण-रासलीला की आकर्षक चित्रकारी इस महल की विशेषता है। पास ही रिहायसी इमारते हैं जिनमे राजाओं की बांदियाँ और रखैले रहती थी। इन महलों में हाथी दांत का सुन्दर काम भी देखने योग्य है। महलों में वास्तुकला राजपूत, मुग़ल गुजराती शैली का सम्मिलित रूप है। पश्चिम देशों की वास्तुकला की छाप भी कई महलों में देखि जा सकती है। इन सबको देखकर जूनागढ़ को कलात्मक-जगत का अदभूत केंद्र की संज्ञा दी जा सकती है। . थार मरुस्थल का दृष्य थार मरुस्थल भारत के उत्तरपश्चिम में तथा पाकिस्तान के दक्षिणपूर्व में स्थितहै। यह अधिकांश तो राजस्थान में स्थित है परन्तु कुछ भाग हरियाणा, पंजाब,गुजरात और पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रांतों में भी फैला है। अरावली पहाड़ी के पश्चिमी किनारे पर थार मरुस्थल स्थित है। यह मरुस्थल बालू के टिब्बों से ढँका हुआ एक तरंगित मैदान है। .

जूनागढ़ बीकानेर और थार मरुस्थल के बीच समानता

जूनागढ़ बीकानेर और थार मरुस्थल आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): राजस्थान

राजस्थान

राजस्थान भारत गणराज्य का क्षेत्रफल के आधार पर सबसे बड़ा राज्य है। इसके पश्चिम में पाकिस्तान, दक्षिण-पश्चिम में गुजरात, दक्षिण-पूर्व में मध्यप्रदेश, उत्तर में पंजाब (भारत), उत्तर-पूर्व में उत्तरप्रदेश और हरियाणा है। राज्य का क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग कि॰मी॰ (132139 वर्ग मील) है। 2011 की गणना के अनुसार राजस्थान की साक्षरता दर 66.11% हैं। जयपुर राज्य की राजधानी है। भौगोलिक विशेषताओं में पश्चिम में थार मरुस्थल और घग्गर नदी का अंतिम छोर है। विश्व की पुरातन श्रेणियों में प्रमुख अरावली श्रेणी राजस्थान की एक मात्र पर्वत श्रेणी है, जो कि पर्यटन का केन्द्र है, माउंट आबू और विश्वविख्यात दिलवाड़ा मंदिर सम्मिलित करती है। पूर्वी राजस्थान में दो बाघ अभयारण्य, रणथम्भौर एवं सरिस्का हैं और भरतपुर के समीप केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान है, जो सुदूर साइबेरिया से आने वाले सारसों और बड़ी संख्या में स्थानीय प्रजाति के अनेकानेक पक्षियों के संरक्षित-आवास के रूप में विकसित किया गया है। .

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जूनागढ़ बीकानेर और थार मरुस्थल के बीच तुलना

जूनागढ़ बीकानेर 10 संबंध है और थार मरुस्थल 7 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 5.88% है = 1 / (10 + 7)।

संदर्भ

यह लेख जूनागढ़ बीकानेर और थार मरुस्थल के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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