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जुरैसिक कल्प

सूची जुरैसिक कल्प

मध्यजीवी महाकल्प (Mesozoic era) के अंर्तगत तीन कल्प हैं, जिनमें जुरैसिक का स्थान मध्य में है। ब्रौंन्यार (Brongniart) ने सन्‌ 1829 में आल्प्स पर्वत की जुरा श्रेणी के आधार पर इस प्रणाली का नाम जुरैसिक (Jurassic) रखा। विश्व के स्तरशैल विद्या (stratigraphy) में इस प्रणाली का विशेष महत्व है, क्योंकि इसी के आधार पर विलियम स्मिथ ने, जो स्तरशैल विद्या के प्रणेता कहे जाते हैं, इस विद्या के अधिनियमों का निर्माण किया था। .

2 संबंधों: मध्यजीवी महाकल्प, स्तरिकी

मध्यजीवी महाकल्प

भूविज्ञान में लगभग २५२ मिलियन वर्ष पूर्व से ६६ मिलियन वर्ष पूर्व की अवधि मध्यजीवी महाकल्प (Mesozoic era /mɛzɵˈzoʊɪk/) कहलाती है। श्रेणी:भौमिकी.

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स्तरिकी

अर्जेंटीना में भूवैज्ञानिक तबके साइप्रस में एक चट्टान में चाक की परतें स्तरित शैलविज्ञान या स्तरिकी (Stratigraphy) भौमिकी की वह यह शाखा है जिसके अंतर्गत पृथ्वी के शैलसमूहों, खनिजों और पृथ्वी पर पाए जानेवाले जीव-जंतुओं का अध्ययन होता है। पृथ्वी के धरातल पर उसके प्रारम्भ से लेकर अब तक हुए विभिन्न परिवर्तनों के विषय में स्तरित शैलविज्ञान हमें जानकारी प्रदान करता है। शैलों और खनिजों के अध्ययन के लिए स्तरिकी, शैलविज्ञान (petrology) की सहायता लेता है और जीवाश्म अवशेषों के अध्ययन में पुराजीवविज्ञान की। स्तरित शैलविज्ञान के अध्ययन का ध्येय पृथ्वी के विकास और इतिहास के विषय में ज्ञान प्राप्त करना है। स्तरित शैलविज्ञान न केवल पृथ्वी के धरातल पर पाए जानेवाले शैलसमूहों के विषय में ज्ञान प्रदान करता है, बल्कि यह पुरातन भूगोल, जलवायु और जीव जंतुओं की भी एक झलक प्रदान करता है और हम स्तरित शैलविज्ञान को पृथ्वी के इतिहास का एक विवरण कह सकते हैं। स्तरित शैलविज्ञान को कभी कभी ऐतिहासिक भौमिकी (हिस्टोरिकल जिओलोजी) भी कहते हैं जो वास्तव में स्तरित शैलविज्ञान की एक शाखा मात्र है। इतिहास में पिछली घटनाओं का एक क्रमवार विवरण होता है; पर स्तरित शैलविज्ञान पुरातन भूगोल और विकास पर भी प्रकाश डालता है। प्राणिविज्ञानी (Zoologist), जीवों के पूर्वजों के विषय में स्तरित शैलविज्ञान पर निर्भर हैं। वनस्पतिविज्ञानी (Botanist) भी पुराने पौधों के विषय में अपना ज्ञान स्तरित शैलविज्ञान से प्राप्त करते हैं। यदि स्तरित शैलविज्ञान न होता तो भूआकृतिविज्ञानी (geomorphologists) का ज्ञान भी पृथ्वी के आधुनिक रूप तक ही सीमित रहता। शिल्पवैज्ञानिक (Technologists) को भी स्तरित शैलविज्ञान के ज्ञान के बिना अँधेरे में ही कदम उठाने पड़ते। इस प्रकार स्तरित शैलविज्ञान बहुत ही विस्तृत विज्ञान है जो शैलों और खनिजों तक ही सीमित नहीं वरन् अपनी परिधि में उन सभी विषयों को समेट लेता है जिनका संबंध पृथ्वी से है। .

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