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जी॰ पी॰ सिप्पी और भारतीय सिनेमा

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

जी॰ पी॰ सिप्पी और भारतीय सिनेमा के बीच अंतर

जी॰ पी॰ सिप्पी vs. भारतीय सिनेमा

गोपालदास परमानंद सिप्पी (14 सितंबर 1915 – 25 दिसम्बर 2007) हैदराबाद, सिंध में पैदा हुए भारतीय हिन्दी फ़िल्मों के निर्माता और निर्देशक थे। वह सीता और गीता (1972), शान (1980), सागर (1985), राजू बन गया जेंटलमैन और उनकी अमर कृति (उनके बेटे रमेश सिप्पी के साथ) शोले जैसी कई लोकप्रिय बॉलीवुड ब्लॉकबस्टर बनाने के लिए जाने जाते हैं। उनको सन् 2000 में मुंबई अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार मिला था। सिप्पी 70, 80 और 90 के दशक में फिल्म एंड टीवी प्रड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के प्रेजिडेंट भी रहे। . भारतीय सिनेमा के अन्तर्गत भारत के विभिन्न भागों और भाषाओं में बनने वाली फिल्में आती हैं जिनमें आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, जम्मू एवं कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और बॉलीवुड शामिल हैं। भारतीय सिनेमा ने २०वीं सदी की शुरुआत से ही विश्व के चलचित्र जगत पर गहरा प्रभाव छोड़ा है।। भारतीय फिल्मों का अनुकरण पूरे दक्षिणी एशिया, ग्रेटर मध्य पूर्व, दक्षिण पूर्व एशिया और पूर्व सोवियत संघ में भी होता है। भारतीय प्रवासियों की बढ़ती संख्या की वजह से अब संयुक्त राज्य अमरीका और यूनाइटेड किंगडम भी भारतीय फिल्मों के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार बन गए हैं। एक माध्यम(परिवर्तन) के रूप में सिनेमा ने देश में अभूतपूर्व लोकप्रियता हासिल की और सिनेमा की लोकप्रियता का इसी से अन्दाजा लगाया जा सकता है कि यहाँ सभी भाषाओं में मिलाकर प्रति वर्ष 1,600 तक फिल्में बनी हैं। दादा साहेब फाल्के भारतीय सिनेमा के जनक के रूप में जाना जाते हैं। दादा साहब फाल्के के भारतीय सिनेमा में आजीवन योगदान के प्रतीक स्वरुप और 1969 में दादा साहब के जन्म शताब्दी वर्ष में भारत सरकार द्वारा दादा साहेब फाल्के पुरस्कार की स्थापना उनके सम्मान में की गयी। आज यह भारतीय सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित और वांछित पुरस्कार हो गया है। २०वीं सदी में भारतीय सिनेमा, संयुक्त राज्य अमरीका का सिनेमा हॉलीवुड तथा चीनी फिल्म उद्योग के साथ एक वैश्विक उद्योग बन गया।Khanna, 155 2013 में भारत वार्षिक फिल्म निर्माण में पहले स्थान पर था इसके बाद नाइजीरिया सिनेमा, हॉलीवुड और चीन के सिनेमा का स्थान आता है। वर्ष 2012 में भारत में 1602 फ़िल्मों का निर्माण हुआ जिसमें तमिल सिनेमा अग्रणी रहा जिसके बाद तेलुगु और बॉलीवुड का स्थान आता है। भारतीय फ़िल्म उद्योग की वर्ष 2011 में कुल आय $1.86 अरब (₹ 93 अरब) की रही। जिसके वर्ष 2016 तक $3 अरब (₹ 150 अरब) तक पहुँचने का अनुमान है। बढ़ती हुई तकनीक और ग्लोबल प्रभाव ने भारतीय सिनेमा का चेहरा बदला है। अब सुपर हीरो तथा विज्ञानं कल्प जैसी फ़िल्में न केवल बन रही हैं बल्कि ऐसी कई फिल्में एंथीरन, रा.वन, ईगा और कृष 3 ब्लॉकबस्टर फिल्मों के रूप में सफल हुई है। भारतीय सिनेमा ने 90 से ज़्यादा देशों में बाजार पाया है जहाँ भारतीय फिल्मे प्रदर्शित होती हैं। Khanna, 158 सत्यजीत रे, ऋत्विक घटक, मृणाल सेन, अडूर गोपालकृष्णन, बुद्धदेव दासगुप्ता, जी अरविंदन, अपर्णा सेन, शाजी एन करुण, और गिरीश कासरावल्ली जैसे निर्देशकों ने समानांतर सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और वैश्विक प्रशंसा जीती है। शेखर कपूर, मीरा नायर और दीपा मेहता सरीखे फिल्म निर्माताओं ने विदेशों में भी सफलता पाई है। 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रावधान से 20वीं सेंचुरी फॉक्स, सोनी पिक्चर्स, वॉल्ट डिज्नी पिक्चर्स और वार्नर ब्रदर्स आदि विदेशी उद्यमों के लिए भारतीय फिल्म बाजार को आकर्षक बना दिया है। Khanna, 156 एवीएम प्रोडक्शंस, प्रसाद समूह, सन पिक्चर्स, पीवीपी सिनेमा,जी, यूटीवी, सुरेश प्रोडक्शंस, इरोज फिल्म्स, अयनगर्न इंटरनेशनल, पिरामिड साइमिरा, आस्कार फिल्म्स पीवीआर सिनेमा यशराज फिल्म्स धर्मा प्रोडक्शन्स और एडलैब्स आदि भारतीय उद्यमों ने भी फिल्म उत्पादन और वितरण में सफलता पाई। मल्टीप्लेक्स के लिए कर में छूट से भारत में मल्टीप्लेक्सों की संख्या बढ़ी है और फिल्म दर्शकों के लिए सुविधा भी। 2003 तक फिल्म निर्माण / वितरण / प्रदर्शन से सम्बंधित 30 से ज़्यादा कम्पनियां भारत के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध की गयी थी जो फिल्म माध्यम के बढ़ते वाणिज्यिक प्रभाव और व्यसायिकरण का सबूत हैं। दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग दक्षिण भारत की चार फिल्म संस्कृतियों को एक इकाई के रूप में परिभाषित करता है। ये कन्नड़ सिनेमा, मलयालम सिनेमा, तेलुगू सिनेमा और तमिल सिनेमा हैं। हालाँकि ये स्वतंत्र रूप से विकसित हुए हैं लेकिन इनमे फिल्म कलाकारों और तकनीशियनों के आदान-प्रदान और वैष्वीकरण ने इस नई पहचान के जन्म में मदद की। भारत से बाहर निवास कर रहे प्रवासी भारतीय जिनकी संख्या आज लाखों में हैं, उनके लिए भारतीय फिल्में डीवीडी या व्यावसायिक रूप से संभव जगहों में स्क्रीनिंग के माध्यम से प्रदर्शित होती हैं। Potts, 74 इस विदेशी बाजार का भारतीय फिल्मों की आय में 12% तक का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। इसके अलावा भारतीय सिनेमा में संगीत भी राजस्व का एक साधन है। फिल्मों के संगीत अधिकार एक फिल्म की 4 -5 % शुद्ध आय का साधन हो सकते हैं। .

जी॰ पी॰ सिप्पी और भारतीय सिनेमा के बीच समानता

जी॰ पी॰ सिप्पी और भारतीय सिनेमा आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): रमेश सिप्पी, शोले (1975 फ़िल्म), हिन्दी सिनेमा

रमेश सिप्पी

रमेश सिप्पी (जन्म: 23 नवंबर, 1947) हिन्दी फ़िल्मों के एक निर्देशक हैं। .

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शोले (1975 फ़िल्म)

शोले १९७५ की एक भारतीय हिन्दी एक्शन फिल्म है। सलीम-जावेद द्वारा लिखी इस फिल्म का निर्माण गोपाल दास सिप्पी ने और निर्देशन का कार्य, उनके पुत्र रमेश सिप्पी ने किया है। इसकी कहानी जय (अमिताभ बच्चन) और वीरू (धर्मेन्द्र) नामक दो अपराधियों पर केन्द्रित है, जिन्हें डाकू गब्बर सिंह (अमजद ख़ान) से बदला लेने के लिए पूर्व पुलिस अधिकारी ठाकुर बलदेव सिंह (संजीव कुमार) अपने गाँव लाता है। जया भादुरी और हेमा मालिनी ने भी फ़िल्म में मुख्य भूमिकाऐं निभाई हैं। शोले को भारतीय सिनेमा की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक माना जाता है। ब्रिटिश फिल्म इंस्टिट्यूट के २००२ के "सर्वश्रेष्ठ १० भारतीय फिल्मों" के एक सर्वेक्षण में इसे प्रथम स्थान प्राप्त हुआ था। २००५ में पचासवें फिल्मफेयर पुरस्कार समारोह में इसे पचास सालों की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार भी मिला। शोले का फिल्मांकन कर्नाटक राज्य के रामनगर क्षेत्र के चट्टानी इलाकों में ढाई साल की अवधि तक चला था। केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के निर्देशानुसार कई हिंसक दृश्यों को हटाने के बाद फ़िल्म को १९८ मिनट की लंबाई के साथ १५ अगस्त १९७५ को रिलीज़ किया गया था। हालांकि १९९० में मूल २०४ मिनट का मूल संस्करण भी होम मीडिया पर उपलब्ध हो गया था। रिलीज़ होने पर पहले तो शोले को समीक्षकों से नकारात्मक प्रतिक्रियाएं और कमजोर व्यावसायिक परिणाम मिले, लेकिन अनुकूल मौखिक प्रचार की सहायता से थोड़े दिन बाद यह बॉक्स ऑफिस पर बड़ी सफलता बनकर उभरी। फ़िल्म ने पूरे भारत में कई सिनेमाघरों में निरंतर प्रदर्शन के लिए रिकॉर्ड तोड़ दिए, और मुंबई के मिनर्वा थिएटर में तो यह पांच साल से अधिक समय तक प्रदर्शित हुई। कुछ स्त्रोतों के अनुसार मुद्रास्फीति के लिए समायोजित करने पर यह सर्वाधिक कमाई करने वाली भारतीय फिल्म है। शोले एक डकैती-वॅस्टर्न फिल्म है, जो वॅस्टर्न शैली के साथ भारतीय डकैती फिल्मों परम्पराओं का संयोजन करती है, और साथ ही मसाला फिल्मों का एक परिभाषित उदाहरण है, जिसमें कई फिल्म शैलियों का मिश्रण पाया जाता है। विद्वानों ने फिल्म के कई विषयों का उल्लेख किया है, जैसे कि हिंसा की महिमा, सामंती विचारों का परिवर्तन, सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने वालों और संगठित होकर लूट करने वालों के बीच बहस, समलैंगिक गैर रोमानी सामाजिक बंधन और राष्ट्रीय रूपरेखा के रूप में फिल्म की भूमिका। राहुल देव बर्मन द्वारा रचित फिल्म की संगीत एल्बम और अलग से जारी हुए संवादों की संयुक्त बिक्री ने कई नए बिक्री रिकॉर्ड सेट किए। फिल्म के संवाद और कुछ पात्र बेहद लोकप्रिय हो गए और भारतीयों के दैनिक रहन-सहन हिस्सा बन गए। जनवरी २०१४ में, शोले को ३डी प्रारूप में सिनेमाघरों में फिर से रिलीज़ किया गया था। .

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हिन्दी सिनेमा

हिन्दी सिनेमा, जिसे बॉलीवुड के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दी भाषा में फ़िल्म बनाने का उद्योग है। बॉलीवुड नाम अंग्रेज़ी सिनेमा उद्योग हॉलिवुड के तर्ज़ पर रखा गया है। हिन्दी फ़िल्म उद्योग मुख्यतः मुम्बई शहर में बसा है। ये फ़िल्में हिन्दुस्तान, पाकिस्तान और दुनिया के कई देशों के लोगों के दिलों की धड़कन हैं। हर फ़िल्म में कई संगीतमय गाने होते हैं। इन फ़िल्मों में हिन्दी की "हिन्दुस्तानी" शैली का चलन है। हिन्दी और उर्दू (खड़ीबोली) के साथ साथ अवधी, बम्बईया हिन्दी, भोजपुरी, राजस्थानी जैसी बोलियाँ भी संवाद और गानों में उपयुक्त होते हैं। प्यार, देशभक्ति, परिवार, अपराध, भय, इत्यादि मुख्य विषय होते हैं। ज़्यादातर गाने उर्दू शायरी पर आधारित होते हैं।भारत में सबसे बड़ी फिल्म निर्माताओं में से एक, शुद्ध बॉक्स ऑफिस राजस्व का 43% का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि तमिल और तेलुगू सिनेमा 36% का प्रतिनिधित्व करते हैं,क्षेत्रीय सिनेमा के बाकी 2014 के रूप में 21% का गठन है। बॉलीवुड भी दुनिया में फिल्म निर्माण के सबसे बड़े केंद्रों में से एक है। बॉलीवुड कार्यरत लोगों की संख्या और निर्मित फिल्मों की संख्या के मामले में दुनिया में सबसे बड़ी फिल्म उद्योगों में से एक है।Matusitz, जे, और पायानो, पी के अनुसार, वर्ष 2011 में 3.5 अरब से अधिक टिकट ग्लोब जो तुलना में हॉलीवुड 900,000 से अधिक टिकट है भर में बेच दिया गया था। बॉलीवुड 1969 में भारतीय सिनेमा में निर्मित फिल्मों की कुल के बाहर 2014 में 252 फिल्मों का निर्माण। .

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जी॰ पी॰ सिप्पी और भारतीय सिनेमा के बीच तुलना

जी॰ पी॰ सिप्पी 22 संबंध है और भारतीय सिनेमा 323 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 0.87% है = 3 / (22 + 323)।

संदर्भ

यह लेख जी॰ पी॰ सिप्पी और भारतीय सिनेमा के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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