लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

जीवाणु और माल्टा ज्वर

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

जीवाणु और माल्टा ज्वर के बीच अंतर

जीवाणु vs. माल्टा ज्वर

जीवाणु जीवाणु एक एककोशिकीय जीव है। इसका आकार कुछ मिलिमीटर तक ही होता है। इनकी आकृति गोल या मुक्त-चक्राकार से लेकर छड़, आदि आकार की हो सकती है। ये अकेन्द्रिक, कोशिका भित्तियुक्त, एककोशकीय सरल जीव हैं जो प्रायः सर्वत्र पाये जाते हैं। ये पृथ्वी पर मिट्टी में, अम्लीय गर्म जल-धाराओं में, नाभिकीय पदार्थों में, जल में, भू-पपड़ी में, यहां तक की कार्बनिक पदार्थों में तथा पौधौं एवं जन्तुओं के शरीर के भीतर भी पाये जाते हैं। साधारणतः एक ग्राम मिट्टी में ४ करोड़ जीवाणु कोष तथा १ मिलीलीटर जल में १० लाख जीवाणु पाए जाते हैं। संपूर्ण पृथ्वी पर अनुमानतः लगभग ५X१०३० जीवाणु पाए जाते हैं। जो संसार के बायोमास का एक बहुत बड़ा भाग है। ये कई तत्वों के चक्र में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं, जैसे कि वायुमंडलीय नाइट्रोजन के स्थरीकरण में। हलाकि बहुत सारे वंश के जीवाणुओं का श्रेणी विभाजन भी नहीं हुआ है तथापि लगभग आधी प्रजातियों को किसी न किसी प्रयोगशाला में उगाया जा चुका है। जीवाणुओं का अध्ययन बैक्टिरियोलोजी के अन्तर्गत किया जाता है जो कि सूक्ष्म जैविकी की ही एक शाखा है। मानव शरीर में जितनी भी मानव कोशिकाएं है, उसकी लगभग १० गुणा संख्या तो जीवाणु कोष की ही है। इनमें से अधिकांश जीवाणु त्वचा तथा अहार-नाल में पाए जाते हैं। हानिकारक जीवाणु इम्यून तंत्र के रक्षक प्रभाव के कारण शरीर को नुकसान नहीं पहुंचा पाते। कुछ जीवाणु लाभदायक भी होते हैं। अनेक प्रकार के परजीवी जीवाणु कई रोग उत्पन्न करते हैं, जैसे - हैजा, मियादी बुखार, निमोनिया, तपेदिक या क्षयरोग, प्लेग इत्यादि. माल्टा ज्वर (Malta Fever) एक अत्यन्त संक्रामक रोग है, जो ब्रूसेला (Brucella) जाति के जीवाणु द्वारा उत्पन्न होता है। इसे मेडिटरेनियन ज्वर, ब्रूसिलोलिस (Brucellosis), या अंडुलेंट (undulent) ज्वर भी कहते हैं। यह एक पशुजन्यरोग है। मनुष्यों में पालतू जानवरों, जैसे मवेशी कुत्ते या सूअर आदि, द्वारा इसका संचारण होता है। इन संक्रमित पशुओं का दूध पीने, मांस खाने या इनके स्रावों (secretions) के सम्पर्क में आने से इसका संक्रमण हो सकता है। रोग की तीव्रावस्था में ज्वर, पसीना, सुस्ती तथा शरीर में दर्द रहता है और कभी-कभी यह महीनों तक जीर्ण रूप में चलता रहता है। रोग द्वारा मृत्यु की संख्या अधिक नहीं है, किंतु रोग शीघ्र दूर नहीं होता। राइट (Wright) ने सन् १८९७ में ब्रूसलोसिस रोग के समूहन (agglntination) परीक्षण का वर्णन किया। ब्रूसेला की तीन किस्में ज्ञात हैं, जो जानवरों की तीन जातियों में पाई जाती है: बकरी में ब्रूसेला मेलिटेन्सिस (Br.Melitensis), सूअर में ब्रूसेला सूई (Br. Suis) तथा मवेशी में ब्रू० ऐबारटस (Br. Abortus)। संक्रमण जानवरों के दूध पीने से मनुष्य में रोग का संचार होता है। उद्भवन काल ५ से २१ दिन है। कभी कभी रोग के लक्षण प्रत्यक्ष होने में ६ से ९ माह तक लग जाते है। उग्र रूप में ज्वर, ठंड़ के साथ कँपकँपी तथा पसीना होता है। जीर्ण रूप में धीरे-धीरे लक्षण प्रकट होते हैं। इस रोग के तथा इंफ्लुएंजा, मलेरिया, तपेदिक, मोतीझरा आदि रोगों के लक्षण आपस में मिलने के कारण विशेष समूहन परीक्षा तथा त्वचा में टीका परीक्षण से रोग निदान होता है। चिकित्सा में उचित परिचर्या तथा सल्फोनेमाइड, स्ट्रेप्टोमाइसिन आदि का प्रयोग होता है। रोग प्रतिषेध के लिये पास्चूरीकृत दूध को काम में लाना चाहिए। .

जीवाणु और माल्टा ज्वर के बीच समानता

जीवाणु और माल्टा ज्वर आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): यक्ष्मा

यक्ष्मा

यक्ष्मा, तपेदिक, क्षयरोग, एमटीबी या टीबी (tubercle bacillus का लघु रूप) एक आम और कई मामलों में घातक संक्रामक बीमारी है जो माइक्रोबैक्टीरिया, आमतौर पर माइकोबैक्टीरियम तपेदिक के विभिन्न प्रकारों की वजह से होती है। क्षय रोग आम तौर पर फेफड़ों पर हमला करता है, लेकिन यह शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता हैं। यह हवा के माध्यम से तब फैलता है, जब वे लोग जो सक्रिय टीबी संक्रमण से ग्रसित हैं, खांसी, छींक, या किसी अन्य प्रकार से हवा के माध्यम से अपना लार संचारित कर देते हैं। ज्यादातर संक्रमण स्पर्शोन्मुख और भीतरी होते हैं, लेकिन दस में से एक भीतरी संक्रमण, अंततः सक्रिय रोग में बदल जाते हैं, जिनको अगर बिना उपचार किये छोड़ दिया जाये तो ऐसे संक्रमित लोगों में से 50% से अधिक की मृत्यु हो जाती है। सक्रिय टीबी संक्रमण के आदर्श लक्षण खून-वाली थूक के साथ पुरानी खांसी, बुखार, रात को पसीना आना और वजन घटना हैं (बाद का यह शब्द ही पहले इसे "खा जाने वाला/यक्ष्मा" कहा जाने के लिये जिम्मेदार है)। अन्य अंगों का संक्रमण, लक्षणों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रस्तुत करता है। सक्रिय टीबी का निदान रेडियोलोजी, (आम तौर पर छाती का एक्स-रे) के साथ-साथ माइक्रोस्कोपिक जांच तथा शरीर के तरलों की माइक्रोबायोलॉजिकल कल्चर पर निर्भर करता है। भीतरी या छिपी टीबी का निदान ट्यूबरक्यूलाइन त्वचा परीक्षण (TST) और/या रक्त परीक्षणों पर निर्भर करता है। उपचार मुश्किल है और इसके लिये, समय की एक लंबी अवधि में कई एंटीबायोटिक दवाओं के माध्यम से उपचार की आवश्यकता पड़ती है। यदि आवश्यक हो तो सामाजिक संपर्कों की भी जांच और उपचार किया जाता है। दवाओं के प्रतिरोधी तपेदिक (MDR-TB) संक्रमणों में एंटीबायोटिक प्रतिरोध एक बढ़ती हुई समस्या है। रोकथाम जांच कार्यक्रमों और बेसिलस काल्मेट-गुएरिन बैक्सीन द्वारा टीकाकरण पर निर्भर करती है। ऐसा माना जाता है कि दुनिया की आबादी का एक तिहाई एम.तपेदिक, से संक्रमित है, नये संक्रमण प्रति सेकंड एक व्यक्ति की दर से बढ़ रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार, 2007 में विश्व में, 13.7 मिलियन जटिल सक्रिय मामले थे, जबकि 2010 में लगभग 8.8 मिलियन नये मामले और 1.5 मिलियन संबंधित मौतें हुई जो कि अधिकतर विकासशील देशों में हुई थीं। 2006 के बाद से तपेदिक मामलों की कुल संख्या कम हुई है और 2002 के बाद से नये मामलों में कमी आई है। तपेदिक का वितरण दुनिया भर में एक समान नहीं है; कई एशियाई और अफ्रीकी देशों में जनसंख्या का 80% ट्यूबरक्यूलाइन परीक्षणों में सकारात्मक पायी गयी, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका की आबादी का 5-10% परीक्षणों के प्रति सकारात्मक रहा है। प्रतिरक्षा में समझौते के कारण, विकासशील दुनिया के अधिक लोग तपेदिक से पीड़ित होते हैं, जो कि मुख्य रूप से HIV संक्रमण की उच्च दर और उसके एड्स में विकास के कारण होता है। .

जीवाणु और यक्ष्मा · माल्टा ज्वर और यक्ष्मा · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

जीवाणु और माल्टा ज्वर के बीच तुलना

जीवाणु 33 संबंध है और माल्टा ज्वर 14 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 2.13% है = 1 / (33 + 14)।

संदर्भ

यह लेख जीवाणु और माल्टा ज्वर के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »