2 संबंधों: जापानी भाषा, जापानी साम्राज्य।
जापानी भाषा
जापानी भाषा (जापानी: 日本語 नीहोंगो) जापान देश की मुख्यभाषा और राजभाषा है। द्वितीय महायुद्ध से पहले कोरिया, फार्मोसा और सखालीन में भी जापानी बोली जाती थी। अब भी कोरिया और फार्मोसा में जापानी जाननेवालों की संख्या पर्याप्त है, परंतु धीरे धीरे उनकी संख्या कम होती जा रही है। भाषाविद इसे 'अश्लिष्ट-योगात्मक भाषा' मानते हैं। जापानी भाषा चीनी-तिब्बती भाषा-परिवार में नहीं आती। भाषाविद इसे ख़ुद की जापानी भाषा-परिवार में रखते हैं (कुछ इसे जापानी-कोरियाई भाषा-परिवार में मानते हैं)। ये दो लिपियों के मिश्रण में लिखी जाती हैं: कांजी लिपि (चीन की चित्र-लिपि) और काना लिपि (अक्षरी लिपि जो स्वयं चीनी लिपिपर आधारित है)। इस भाषा में आदर-सूचक शब्दों का एक बड़ा तंत्र है और बोलने में "पिच-सिस्टम" ज़रूरी होता है। इसमें कई शब्द चीनी भाषा से लिये गये हैं। जापानी भाषा किस भाषा कुल में सम्मिलित है इस संबंध में अब तक कोई निश्चित मत स्थापित नहीं हो सका है। परंतु यह स्पष्ट है कि जापानी और कोरियाई भाषाओं में घनिष्ठ संबंध है और आजकल अनेक विद्वानों का मत है कि कोरियाई भाषा अलटाइक भाषाकुल में संमिलित की जानी चाहिए। जापानी भाषा में भी उच्चारण और व्याकरण संबंधी अनेक विशेषताएँ है जो अन्य अलटाइ भाषाओं के समान हैं परंतु ये विशेषताएँ अब तक इतनी काफी नहीं समझी जाती रहीं जिनमें हम निश्चित रूप से कह सकें कि जापानी भाषा अलटाइक भाषाकुल में ऐ एक है। हाइकु इसकी प्रमुख काव्य विधा है। .
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जापानी साम्राज्य
अपने चरमोत्कर्ष पर जापानी साम्राज्य (१९४२ में) ०३ जनवरी १८६८ से लेकर ३ मई १९४७ तक जापान एक विश्वशक्ति था, जिसे जापानी साम्राज्य (जापानी:大日本帝國 Dai Nippon Teikoku?, शाब्दिक अर्थ: 'महान् जापानी साम्राज्य'") कहा जाता है। जापान ने 'देश को धनवान बनाओ, सेना को शक्तिमान बनाओ' (富国強兵) के नारे के तहत काम करते हुए बड़ी तेजी से औद्योगीकरण और सैन्यीकरण किया जिसके फलस्वरूप वह एक विश्वशक्ति बनकर उभरा। आगे चलकर वह 'अक्ष गठजोड़' का सदस्य बना और एशिया-प्रशान्त क्षेत्र के बहुत बड़े भाग का विजेता बन गया। १९४२ में जब जापानी साम्राज्य अपने चरमोत्कर्ष पर था तब 7,400,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र इसके अधीन इसके अधीन था जिसके हिसाब से वह इतिहास में सबसे बड़ा सामुद्रिक साम्राज्य था। .