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ज़िला न्यायालय (पाकिस्तान) और पाकिस्तान की न्यायपालिका

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

ज़िला न्यायालय (पाकिस्तान) और पाकिस्तान की न्यायपालिका के बीच अंतर

ज़िला न्यायालय (पाकिस्तान) vs. पाकिस्तान की न्यायपालिका

पाकिस्तान की जिला अदालतें, पाकिस्तान में जिला स्तर पर गतिशील हैं और अदालतें प्रांतीय न्यायालयों के अधीन संवैधानिक स्थिति में कार्य निष्पादित करते हैं। जिला अदालतें, पाकिस्तान के सभी प्रांतों के हर जिले में स्थापित की गई हैं और यह दीवानी और आपराधिक मामलों की सुनवाई के अधिकार क्षेत्र शामिल होती हैं। प्रत्येक जिले के मुख्य कार्यालयों में, जिला अदालतों के तहत कई सारे अतिरिक्त जिला और सत्र मनसनिन की तैनाती भी होती है कि जिला अदालतों में मामलों की सुनवाई करते हैं। जिला और सत्र मनसनिन को जिले भर में संबल कार और न्यायिक अधिकार होते हैं। जिला अदालतों में सत्र अदालत आमतौर पर अपराध जैसे हत्या, व्यभिचार, चोरी, चोरी आदि के मामलों की सुनवाई करती है। इसके अलावा मामूली प्रकृति के दीवानी मामलों की सुनवाई का अधिकार क्षेत्र भी अदालत को प्राप्त होता है। प्रशासनिक सेवाओं की बेहतर आपूर्ति के लिए अब हर कस्बे और शहर में जिला अदालतों के अधीन एक अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश तैनात किया गया है, जो कि हर तरह से आवंटित गए क्षेत्र में दीवानी और आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए जिम्मेदार होता है। इस अदालतें जब आपराधिक मामलों की सुनवाई करती हैं तो यह सत्र अदालत जबकि दीवानी मामलों की सुनवाई के दौरान जिला अदालत कहलाती है। मुकदमेबाजी के दौरान महत्वपूर्ण मामलों को सिर्फ जिला और सत्र न्यायाधीश की अदालत में पेश किया जाता है। जिला और सत्र न्यायाधीश, हर जिले में एक मामले में जिला न्यायाधीश उच्च माना जाता है। मुकदमेबाजी के दौरान अगर अभियोगी के किसी भी पक्ष को जिला अदालतों के फैसले पर आपत्ति हो, वे प्रांतीय न्यायालय (कोर्ट) में स्थापित एक एप्लेट बोर्ड में याचिका दायर कर सकता है, जिसका उद्देश्य जनता को पारदर्शी सबसे न्याय की आपूर्ति है। . पाकिस्तान की न्यायपालिका, एक श्रेणीबद्ध प्रणाली है जिसमें अदालतों के दो वर्गों है: श्रेष्ठतर (या उच्च) न्यायपालिका और अधीनस्थ (या निम्न) न्यायपालिका। श्रेष्ठतर न्यायपालिका, "सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तान के", "संघीय शरीयत कोर्ट" और "पाँच उच्च न्यायालयों" से बना है, जिसके शीर्ष पर "सुप्रीम कोर्ट" विराजमान है। इसके अलावा, प्रत्येक चार प्रांतों एवं इस्लामाबाद राजधानी क्षेत्र के लिये एक उच्च न्यायालय है। पाकिस्तान का संविधान, न्यायपालिका पर संविधान की रक्षा, संरक्षण व बचाव का दायित्व सौंपता है। ना उच्चतम न्यायालय, ना हीं, उच्च न्यायालय, जनजातीय क्षेत्रों(फाटा) के संबंध में अधिकारिता का प्रयोग कर सकते हैं, सिवाय अन्यथा यदी प्रदान की जाय तो। आजाद कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान के विवादित क्षेत्रों के लिये अलग न्यायिक प्रणाली है। अधीनस्थ न्यायपालिका में, सिविल और आपराधिक जनपदीय न्यायालय व अन्य अनेक विशेष अदालतें शामिल हैं, जो, बैंकिंग, बीमा, सीमा शुल्क व उत्पाद शुल्क, तस्करी, ड्रग्स, आतंकवाद, कराधान, पर्यावरण, उपभोक्ता संरक्षण, और भ्रष्टाचार संबंधित मामलों में अधिकारिता का प्रयोग करती हैं। आपराधिक अदालतों को दंड प्रक्रिया संहिता, 1898 के तहत बनाया गया था और सिविल अदालतें, पश्चिमी पाकिस्तान सिविल न्यायालय अध्यादेश, 1964 द्वारा स्थापित किए गए थे। साथ ही, राजस्व अदालतें भी हैं, जो कि पश्चिमी पाकिस्तान भू-राजस्व अधिनियम, 1967 के तहत काम कर रहे हैं। इसके अलावा, सरकार, विशिष्ट मामलों में विशिष्ट अधिकार कार्यान्वित करने हेतु प्रशासनिक अदालतों और अधिकरणों की स्थापना कर सकती है। .

ज़िला न्यायालय (पाकिस्तान) और पाकिस्तान की न्यायपालिका के बीच समानता

ज़िला न्यायालय (पाकिस्तान) और पाकिस्तान की न्यायपालिका आम में 15 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): पाकिस्तान सरकार, पाकिस्तान का सर्वोच्च न्यायालय, पाकिस्तान का संविधान, पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश, पाकिस्तान की न्यायपालिका, पाकिस्तान की राजनीति, पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायिक परिषद, पेशावर उच्च न्यायालय, बलूचिस्तान उच्च न्यायालय, मजलिस-ए-शूरा, लाहौर उच्च न्यायालय, संघीय शरियाई न्यायालय, ज़िला न्यायालय (पाकिस्तान), इस्लामाबाद उच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय (पाकिस्तान)

पाकिस्तान सरकार

पाकिस्तान सरकार (حکومتِ پاکستان.;हुक़ूमत-ए पाकिस्तान) वफ़ाक़ी संसदीय प्रणाली के तहत काम करति है जिस में राष्ट्रपति राज्य और प्रधानमंत्री सरकर के नेता होते हैं। पाकिस्तान सरकार संघीय संसदीय प्रणाली है। जिसमें राष्ट्रपति का चयन जनता की बजाय संसद अथवा निर्वाचन समिति करता है। इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान के प्रमुख राष्ट्रपति होते हैं जो पाकिस्तान की सेना के सर्वोच्च आदेशकर्ता भी होता है। प्रधानमंत्री, प्रशासनिक मामलों का प्रमुख होता है, वह संसदीय बहुमत से चुना जाता है। पाकिस्तान में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का चयन और पदग्रहण बिल्कुल भिन्न पहलू हैं और उनके शासनकाल का संवैधानिक रूप से आपस में कोई संबंध नहीं होता है। 6 सितंबर 2008 को पाकिस्तान की निर्वाचन समिति कि सेनेट(उच्चसदन), क़ौमी असेम्ब्ली (निम्नसदन) और चारों प्रांतीय विधानसभाओं से मिल कर बनता है। आम तौर पर प्रधानमंत्री निचले सदन के बहुमत दल के अंतर्गत आते हैं और देश की व्यवस्था संघीय मंत्रीमंडल की मदद से चलती है जो मजलिस-ए शूरा के दोनों सदनों, उच्च और निम्न से चुने जाते हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय विधानसभा सदस्यों और प्रांतीय विधायिका के सदस्य, जनता के मतदान के माध्यम से चुने जाते हैं। प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति उस पार्टी के चुने जाते हैं जिनका क़ौमी असेम्ब्ली में बहूमत हो। सभापति भी बहुल पार्टी का ही होता है, हालांकि विपक्षी दलों को भी बड़े उदय दी जा सकते हैं। संसदीय प्रणाली में दो पार्टियां महत्व होता है एक वह पार्टी जो सभी पार्टियों से ज़्यादा सीटें हासिल कर इसे बहुल या सरकार बनाने वाली पार्टी और दूसरी वह पार्टी जो दूसरे नंबर पे सबसे निशतें प्राप्त करे उसे विपक्षी पार्टी कहा जाता हेमतला पाकिस्तान 2013 के चुनाव में मुस्लिम लीग की सबसे ज्यादा सीटें थीं तो वह सरकार बना लिया और दूसरे नंबर पे पपल्स पार्टी थी जो विपक्ष में खड़ी होई.ागर सरकारी पार्टी कोई फैसला लिया और विपक्ष इस फैसले का विरोध किया तो सरकारी पार्टी का वह फैसला खारिज किया जाएगा। .

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पाकिस्तान का सर्वोच्च न्यायालय

पाकिस्तान का सर्वोच्च न्यायालय (عدالت عظمیٰ پاکستان; अदालत-ए उज़्मा पाकिस्तान), इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान की सर्वोच्च अदालत है और पाकिस्तान की न्यायिक व्यवस्था का शीर्ष हिस्सा है और पाकिस्तानी न्यायिक क्रम का शिखर बिन्दु है। पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय, पाकिस्तान कानूनी और संवैधानिक मामलों में फैसला करने वाली अंतिम मध्यस्थ भी है। सर्वोच्च न्यायालय का स्थायी कार्यालय पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में स्थित है, जबकि इस अदालत की कई उप-शाखाएं, पाकिस्तान के महत्वपूर्ण शहरों में कार्यशील हैं जहां मामलों की सुनवाई की जाती है। सर्वोच्च न्यायालय, पाकिस्तान को कई संवैधानिक व न्यायिक विकल्प प्राप्त होते हैं, जिनकी व्याख्या पाकिस्तान के संविधान में की गई है। देश में कई सैन्य सरकारों और असंवैधानिक तानाशाही सरकारों के कार्यकाल में भी सर्वोच्च न्यायालय ने स्वयं को स्थापित कर रखा है। साथ ही, इस अदालत ने सैन्य शक्ति पर एक वास्तविक निरीक्षक के रूप में स्वयं को स्थापित किया है और कई अवसरों में सरकारों की निगरानी की है। इस अदालत के पास, सभी उच्च न्यायालयों(प्रांतीय उच्च न्यायालयों, जिला अदालतों, और विशेष अदालतों सहित) और संघीय अदालत के ऊपर अपीलीय अधिकार है। इसके अलावा यह कुछ प्रकार के मामलों पर मूल अधिकार भी रखता है। सुप्रीम कोर्ट एक मुख्य न्यायाधीश और एक निर्धारित संख्या के वरिष्ठ न्यायाधीशों द्वारा निर्मित होता है, जो प्रधानमंत्री से परामर्श के बाद राष्ट्रपति द्वारा नामित किया जाता है। एक बार नियुक्त न्यायाधीश को, एक निर्दिष्ट अवधि को पूरा करने और उसके बाद ही रिटायर होने की उम्मीद की जाती है, जब तक कि वे दुराचार के कारण सर्वोच्च न्यायिक परिषद द्वारा निलंबित नहीं किये जाते हैं। .

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पाकिस्तान का संविधान

पाकिस्तान का संविधान (آئین پاکستان;आईन(ए) पाकिस्तान) या दस्तूरे पाकिस्तान دستور پاکستان) को १९७३ का क़ानून भी कहते हैं। यह पाकिस्तान का सर्वोच्च दस्तूर है। पाकिस्तान का संविधान संविधान सभा द्वारा १० अप्रैल १९७३ को पारित हुआ तथा 14 अगस्त 1973 से प्रभावी हुआ। इस का प्रारूप ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो की सरकार और विपक्ष ने मिल कर तैयार किया। ये पाकिस्तान का तीसरा दस्तूर है और इस में कई बार रद्दोबदल की जा चुकी है। .

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पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश

पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश(उर्दू:,;मुन्शिफ़-ए आज़म पाकिस्तान),, पाकिस्तान की न्यायपालिका के प्रमुख एवं पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश होते हैं। पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट 1947 से 1960 तक संघीय अदालत के नाम से जानी जाती थी। मुख्य न्यायाधीश पाकिस्तान की उच्चतम न्यायालय के 16 न्यायाधीशों में वरिष्ठतम होते हैं। मुख्य न्यायाधीश पाकिस्तान की न्यायिक प्रणाली के प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी है एवं यह पाकिस्तान का उच्चतम न्यायालय पद है जो संघीय न्यायपालिका की नीति निर्धारण वह उच्चतम न्यायालय में न्यायिक कार्यों का कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार है। इस पद पर नियुक्ति के लिए नामांकन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री द्वारा एवं नियुक्ति अंततः पाकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। अदालत की सुनवाई पर अध्यक्षता करते हुए मुख्य न्यायाधीश के पास न्यायालय की नीति निर्धारण के लिए अत्यंत ताकत है। साथ ही आधुनिक परंपरा अनुसार मुख्य न्यायाधीश के कार्य क्षेत्र के अंतर्गत राष्ट्रपति को शपथ दिलाने का भी महत्वपूर्ण संवैधानिक कार्य है पाकिस्तान के सर्वप्रथम मुख्य न्यायाधीश सर अब्दुल राशिद थे। .

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पाकिस्तान की न्यायपालिका

पाकिस्तान की न्यायपालिका, एक श्रेणीबद्ध प्रणाली है जिसमें अदालतों के दो वर्गों है: श्रेष्ठतर (या उच्च) न्यायपालिका और अधीनस्थ (या निम्न) न्यायपालिका। श्रेष्ठतर न्यायपालिका, "सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तान के", "संघीय शरीयत कोर्ट" और "पाँच उच्च न्यायालयों" से बना है, जिसके शीर्ष पर "सुप्रीम कोर्ट" विराजमान है। इसके अलावा, प्रत्येक चार प्रांतों एवं इस्लामाबाद राजधानी क्षेत्र के लिये एक उच्च न्यायालय है। पाकिस्तान का संविधान, न्यायपालिका पर संविधान की रक्षा, संरक्षण व बचाव का दायित्व सौंपता है। ना उच्चतम न्यायालय, ना हीं, उच्च न्यायालय, जनजातीय क्षेत्रों(फाटा) के संबंध में अधिकारिता का प्रयोग कर सकते हैं, सिवाय अन्यथा यदी प्रदान की जाय तो। आजाद कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान के विवादित क्षेत्रों के लिये अलग न्यायिक प्रणाली है। अधीनस्थ न्यायपालिका में, सिविल और आपराधिक जनपदीय न्यायालय व अन्य अनेक विशेष अदालतें शामिल हैं, जो, बैंकिंग, बीमा, सीमा शुल्क व उत्पाद शुल्क, तस्करी, ड्रग्स, आतंकवाद, कराधान, पर्यावरण, उपभोक्ता संरक्षण, और भ्रष्टाचार संबंधित मामलों में अधिकारिता का प्रयोग करती हैं। आपराधिक अदालतों को दंड प्रक्रिया संहिता, 1898 के तहत बनाया गया था और सिविल अदालतें, पश्चिमी पाकिस्तान सिविल न्यायालय अध्यादेश, 1964 द्वारा स्थापित किए गए थे। साथ ही, राजस्व अदालतें भी हैं, जो कि पश्चिमी पाकिस्तान भू-राजस्व अधिनियम, 1967 के तहत काम कर रहे हैं। इसके अलावा, सरकार, विशिष्ट मामलों में विशिष्ट अधिकार कार्यान्वित करने हेतु प्रशासनिक अदालतों और अधिकरणों की स्थापना कर सकती है। .

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पाकिस्तान की राजनीति

पाकिस्तान की राजनीति (پاکستان کی سیاست) ने सालों के दौरान कई तब्दीलियाँ देखी हैं। समय-समय पर फ़ौज मुल्क का शासन को संभाल लेता है। परन्तु वर्तमान स्थिति में मुल्क में लोकतांत्रिक व्यवस्था वापस आ गई है। पाकिस्तान एक संघीय गणराज्य है, पाकिस्तान के राष्ट्रपति राज्य के प्रमुख हैं और प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख पाकिस्तान में राजनीति को बहुत महत्व प्राप्त किया है। श्रेणी:पाकिस्तान की राजनीति.

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पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायिक परिषद

पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायिक परिषद,पाकिस्तान की न्यायपालिका की एक महत्वपूर्ण निकाय है, जो न्यायपालिका के खिलाफ दायर किए गए आवेदनों की सुनवाई करती है। पाकिस्तान के संविधान में यह के तहत काम करती है। .

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पेशावर उच्च न्यायालय

पेशावर उच्च न्यायालय,(پشاور عدالت عالیہ; अदालत-ए आला, पेशावर) ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रांत के सर्वोच्च न्यायिक संस्था है। यह प्रांतीय राजधानी पेशावर में स्थित है। यह सिविल और आपराधिक मामलों में प्रांत की सर्वोच्च अपीलय अदालत है, एवं ख़ैबर पख़तूनख़्वा के सारे जिला न्यायालय और सत्र न्यायालय इसके अधिकारक्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। .

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बलूचिस्तान उच्च न्यायालय

बलोचिस्तान उच्च न्यायालय,(بلوچستان عدالت عالیہ; अदालत-ए आला, बलोचिस्तान) बलोचिस्तान प्रांत के सर्वोच्च न्यायिक संस्था है। 1906 में स्थापित, यह प्रांतीय राजधानी क्वेटा में स्थित है। इसके अलावा सिविल और आपराधिक मामलों में सिंध के लिए अपील की सर्वोच्च अदालत जा रहा है, न्यायालय जिला न्यायालय और कराची में सत्र न्यायालय था। .

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मजलिस-ए-शूरा

मजलिस-ए-शूरा (उर्दू) यानी पाकिस्तान की संसद पाकिस्तान में संघीय स्तर पर सर्वोच्च विधायी संस्था है। इस संस्थान में दो सदन हैं, निचले सदन या कौमी एसेंबली और ऊपरी सदन या सीनेट। पाकिस्तान का संविधान की धारा 50 के मुताबिक़ राष्ट्रपति भी मजलिस-ए-शूरा का हिस्सा हैं। इसकी दोनों सदनों में से निम्नसदन नैशनल असेम्बली एक अस्थाई इकाई है, और प्रती पाँचवे वर्ष, आम निर्वाचन द्वारा यह परिवर्तित होती रहती है, वहीं उच्चसदन सेनेट एक स्थाई इकाई है, जो कभी भंग नहीं होती है, परंतु भाग-दर-भाग इसके सदस्यों को बदल दिया जाता है। संसद की दोनों सदनों हेतु सभागृह इस्लामाबाद को पार्लिआमेंट हाउस में है। 1960 में संसद के आसन को कराँची से इस्लामाबाद लाया गया था। .

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लाहौर उच्च न्यायालय

लाहौर उच्च न्यायालय,(عدالت عالیہ لاہور, अदालत-ए आला, लाहौर) लाहौर में स्थित, पंजाब, पाकिस्तान का उच्च न्यायालय है। इसे, बतौर उच्च न्यायालय, 21 मार्च 1919 में स्थापित किया गया था। इसके पार पाकिस्तान के पंजाब सूबे पर न्यायिक अधिकार है। हालाँकि, इस न्यायालय का मुख्य आसन लाहौर है, परंतु साथ ही इसके तीन न्यायचौकियाँ रावलपिंडी, मुल्तान और बहावलपुर में भी स्थित हैं, एवं साथ ही फ़ैसलाबाद, सियालकोट, गुर्जनवाला व डी जी ख़ान में भी नई चौकियाँ खुलने की बात है। .

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संघीय शरियाई न्यायालय

संघीय शरियाई न्यायालय या वफ़ाक़ी शरई अदालत, पाकिस्तान की एक न्यायिक संस्थान है, जिस्का कार्य यह जाँच व निर्धारित करना है की देश के कानून, शरिया का पालन करते हैं या नहीं। इस निकाय में कुल आठ मुसलमान न्यायाधीश होती हैं जिसमें मुख्य न्यायाधीश भी शामिल होते हैं। यह सभी न्यायाधीश, पाकिस्तान के राष्ट्रपति की मंजूरी से नियुक्त किए जाते हैं जिनका पाकिस्तान की उच्चतम न्यायालय या किसी भी प्रांतीय न्यायालय के सेवानिवृत्त या सेवारत न्यायाधीश में से चुना जाना आवश्यक है। संघीय शरीयत अदालत के मौजूदा मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रियाज अहमद खान हैं। .

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ज़िला न्यायालय (पाकिस्तान)

पाकिस्तान की जिला अदालतें, पाकिस्तान में जिला स्तर पर गतिशील हैं और अदालतें प्रांतीय न्यायालयों के अधीन संवैधानिक स्थिति में कार्य निष्पादित करते हैं। जिला अदालतें, पाकिस्तान के सभी प्रांतों के हर जिले में स्थापित की गई हैं और यह दीवानी और आपराधिक मामलों की सुनवाई के अधिकार क्षेत्र शामिल होती हैं। प्रत्येक जिले के मुख्य कार्यालयों में, जिला अदालतों के तहत कई सारे अतिरिक्त जिला और सत्र मनसनिन की तैनाती भी होती है कि जिला अदालतों में मामलों की सुनवाई करते हैं। जिला और सत्र मनसनिन को जिले भर में संबल कार और न्यायिक अधिकार होते हैं। जिला अदालतों में सत्र अदालत आमतौर पर अपराध जैसे हत्या, व्यभिचार, चोरी, चोरी आदि के मामलों की सुनवाई करती है। इसके अलावा मामूली प्रकृति के दीवानी मामलों की सुनवाई का अधिकार क्षेत्र भी अदालत को प्राप्त होता है। प्रशासनिक सेवाओं की बेहतर आपूर्ति के लिए अब हर कस्बे और शहर में जिला अदालतों के अधीन एक अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश तैनात किया गया है, जो कि हर तरह से आवंटित गए क्षेत्र में दीवानी और आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए जिम्मेदार होता है। इस अदालतें जब आपराधिक मामलों की सुनवाई करती हैं तो यह सत्र अदालत जबकि दीवानी मामलों की सुनवाई के दौरान जिला अदालत कहलाती है। मुकदमेबाजी के दौरान महत्वपूर्ण मामलों को सिर्फ जिला और सत्र न्यायाधीश की अदालत में पेश किया जाता है। जिला और सत्र न्यायाधीश, हर जिले में एक मामले में जिला न्यायाधीश उच्च माना जाता है। मुकदमेबाजी के दौरान अगर अभियोगी के किसी भी पक्ष को जिला अदालतों के फैसले पर आपत्ति हो, वे प्रांतीय न्यायालय (कोर्ट) में स्थापित एक एप्लेट बोर्ड में याचिका दायर कर सकता है, जिसका उद्देश्य जनता को पारदर्शी सबसे न्याय की आपूर्ति है। .

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इस्लामाबाद उच्च न्यायालय

इस्लामाबाद उच्च न्यायालय इस्लामाबाद, पाकिस्तान में स्थित पाकिस्तान का एक उच्च न्यायालय है। इस अदालत को पहली बार 14 दिसंबर 2007 में राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ के एक राष्ट्रपतीय आदेश के तहत स्थापित किया गया था। इस राष्ट्रपति आदेश जारी होने के बाद इस पर अमल होने में देरी हुई क्योंकि लाहौर हाईकोर्ट ने आदेश पर रोक लगा दी थी, लेकिन बाद में पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने न्यायालय को निर्णय को निलंबित करते हुए उच्च न्यायालय स्थापित करने का आदेश जारी किया। अदालत का फैसला आने के बाद अदालत ने औपचारिक रूप से फरवरी 2008 में काम शुरू किया। तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने 7 फरवरी 2008 को इस न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रदार मोहम्मद असलम से शपथ ली। http://www.app.com.pk/en/index.php?option.

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उच्च न्यायालय (पाकिस्तान)

इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान में पांच उच्च न्यायालय हैं, जिनमें से चार प्रत्येक प्रांत के मुख्यालय में स्थित हैं। पाकिस्तान ने पांचवें न्यायालय संघीय राजधानी क्षेत्र के लिए पारित किया है जो इस्लामाबाद में स्थित है। पांचवें न्यायालय की योजना लाहौर प्रांतीय न्यायालय ने रोक लगा दी थी, और इस फैसले को पाकिस्तान की न्यायालय ने 24 दिसंबर 2007 पर रोक लगा दी। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

ज़िला न्यायालय (पाकिस्तान) और पाकिस्तान की न्यायपालिका के बीच तुलना

ज़िला न्यायालय (पाकिस्तान) 15 संबंध है और पाकिस्तान की न्यायपालिका 39 है। वे आम 15 में है, समानता सूचकांक 27.78% है = 15 / (15 + 39)।

संदर्भ

यह लेख ज़िला न्यायालय (पाकिस्तान) और पाकिस्तान की न्यायपालिका के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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