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जलालाबाद (किर्गिज़स्तान)

सूची जलालाबाद (किर्गिज़स्तान)

जलालाबाद शहर का रेवोल्यूत्योन मैदानी (क्रांती मैदान) जलालाबाद, जिसे किरगिज़ भाषा में जलालाबात (किरगिज़: Жалалабат, अंग्रेज़ी: Jalalabat) कहते हैं, मध्य एशिया के किर्गिज़स्तान देश का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। यह किर्गिज़स्तान के पश्चिम में जलालाबाद प्रांत की राजधानी है और उज़बेकिस्तान के साथ लगी सरहद के पास प्रसिद्ध फ़रग़ना वादी के पूर्वोत्तरी छोर पर स्थित है। जलालाबाद अपने पानी के चश्मों के लिए मशहूर है। कहा जाता है कि इनका पानी पीने से और उसमें स्नान करने से बहुत सी बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं। सोवियत संघ के ज़माने में यहाँ बहुत से हस्पताल बनाए गए थे और यहाँ से पानी बोतलों में किर्गिज़स्तान के अन्य हिस्सों में और दुनिया के अन्य भागों में निर्यात होता है। जलालाबाद के अधिकतर लोग उज़बेक समुदाय के हैं।, Laurence Mitchell, Bradt Travel Guides, 2008, ISBN 978-1-84162-221-7,...

15 संबंधों: पानी का चश्मा, फ़रग़ना वादी, मध्य एशिया, रूसी साम्राज्य, रेल, रेशम मार्ग, सोवियत संघ, जलालाबाद प्रांत (किर्गिज़स्तान), ख़ोक़न्द, किर्गिज़ भाषा, किर्गिज़स्तान, अंग्रेज़ी भाषा, उज़बेक लोग, उज़्बेक भाषा, उज़्बेकिस्तान

पानी का चश्मा

अमेरिका के मिशिगन राज्य में स्थित मैकिनैक द्वीप पर एक चश्मा पानी का चश्मा ऐसी जगह को बोलते हैं जहाँ ज़मीन में बनी दरार या छेद से ज़मीन के भीतर के किसी जलाशय का पानी अनायास ही बाहर बहता रहता है। .

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फ़रग़ना वादी

अंतरिक्ष से फ़रग़ना वादी का दृश्य उज़्बेकिस्तान में फ़रग़ना वादी में कुछ खेत-बाग़ान फ़रग़ना वादी का क्षेत्र उज़्बेकिस्तान, किर्गिज़स्तान और ताजिकिस्तान में बंटा हुआ है फ़रग़ना वादी या फ़रग़ना घाटी (फ़ारसी:, वादी-ए-फ़रग़ना; ताजिकी: водии Фарғона, वोदी-ए-फ़रग़ोना; अंग्रेजी: Fergana Valley) मध्य एशिया का एक क्षेत्र है जो पूर्वी उज़्बेकिस्तान, किर्गिज़स्तान और ताजिकिस्तान में विस्तृत है। मध्य एशिया का यह इलाक़ा वैसे तो काफ़ी शुष्क और रेगिस्तानी है, लेकिन इस त्रिकोण अकार की वादी में नरयिन नदी, कारा दरिया और उनके विलय से बनने वाले सिर दरिया की वजह से यह घाटी हरी-भरी और उपजाऊ है। फ़रग़ना वादी की मध्य एशिया और भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहासों पर गहरी छाप है और मुग़ल साम्राज्य का पहला सम्राट बाबर इसी घाटी का एक उज़बेक निवासी था। फ़रग़ना वादी में बहुत भिन्न समुदायों के लोग रहते हैं। घाटी की कुल जनसँख्या १.२ करोड़ अनुमानित की गई है और यह मध्य एशिया की सबसे घनी आबादी वाला क्षेत्र है।, S. Frederick Starr, Baktybek Beshimov, Inomjon I. (CON) Bobokulov, M.E. Sharpe, 2011, ISBN 978-0-7656-2999-9,...

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मध्य एशिया

मध्य एशिया एशिया के महाद्वीप का मध्य भाग है। यह पूर्व में चीन से पश्चिम में कैस्पियन सागर तक और उत्तर में रूस से दक्षिण में अफ़ग़ानिस्तान तक विस्तृत है। भूवैज्ञानिकों द्वारा मध्य एशिया की हर परिभाषा में भूतपूर्व सोवियत संघ के पाँच देश हमेशा गिने जाते हैं - काज़ाख़स्तान, किरगिज़स्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़बेकिस्तान। इसके अलावा मंगोलिया, अफ़ग़ानिस्तान, उत्तरी पाकिस्तान, भारत के लद्दाख़ प्रदेश, चीन के शिनजियांग और तिब्बत क्षेत्रों और रूस के साइबेरिया क्षेत्र के दक्षिणी भाग को भी अक्सर मध्य एशिया का हिस्सा समझा जाता है। इतिहास में मध्य एशिया रेशम मार्ग के व्यापारिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। चीन, भारतीय उपमहाद्वीप, ईरान, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच लोग, माल, सेनाएँ और विचार मध्य एशिया से गुज़रकर ही आते-जाते थे। इस इलाक़े का बड़ा भाग एक स्तेपी वाला घास से ढका मैदान है हालाँकि तियान शान जैसी पर्वत शृंखलाएँ, काराकुम जैसे रेगिस्तान और अरल सागर जैसी बड़ी झीलें भी इस भूभाग में आती हैं। ऐतिहासिक रूप मध्य एशिया में ख़ानाबदोश जातियों का ज़ोर रहा है। पहले इसपर पूर्वी ईरानी भाषाएँ बोलने वाली स्किथी, बैक्ट्रियाई और सोग़दाई लोगों का बोलबाला था लेकिन समय के साथ-साथ काज़ाख़, उज़बेक, किरगिज़ और उईग़ुर जैसी तुर्की जातियाँ अधिक शक्तिशाली बन गई।Encyclopædia Iranica, "CENTRAL ASIA: The Islamic period up to the Mongols", C. Edmund Bosworth: "In early Islamic times Persians tended to identify all the lands to the northeast of Khorasan and lying beyond the Oxus with the region of Turan, which in the Shahnama of Ferdowsi is regarded as the land allotted to Fereydun's son Tur.

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रूसी साम्राज्य

सन् १८६६ में रूसी साम्राज्य (हरे रंग में) रूसी साम्राज्य (रूसी: Российская Империя, रोसिस्काया इम्पेरिया) सन् १७२१ से १९१७ तक की रूसी क्रांति तक अस्तित्व में रहने वाला एक साम्राज्य था। रूसी साम्राज्य से पहले रूस में रूसी त्सार-राज्य था और उसके बाद बहुत कम अवधि के लिए रूसी गणतंत्र चला और उसके उपरान्त सोवियत संघ स्थापित हुआ। रूसी साम्राज्य दुनिया के सब से बड़े साम्राज्यों में से एक था और केवल मंगोल और ब्रिटिश साम्राज्य ही क्षेत्रफल में उस से बड़े रहे हैं। सन् १८६६ में रूसी साम्राज्य पूर्वी यूरोप से लेकर सुदूर पूर्व एशिया तक और फिर समुद्र के पार उत्तर अमेरिका के कुछ इलाक़ों पर विस्तृत था। १८९७ में सामराज्य की जनसँख्या १२.५६ करोड़ थी।, Jane Burbank, David L. Ransel, Indiana University Press, 1998, ISBN 978-0-253-21241-2,...

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रेल

रेल अमेरिका में कोलम्बिया नदी के किनारे पटरी पर रेलगाड़ी खींचते हुए चार इंजन पहाड़ों में रेल सुरंग और पुल रेल (Rail) परिवहन का एक ज़रिया है जिसमें यात्रियों और माल को पटरियों पर चलने वाले वाहनों पर एक स्थान से दुसरे स्थान ले जाया जाता है। पारम्परिक रूप से रेल वाहनों के नीचे पहियें होते हैं जो इस्पात (स्टील) की बनी दो पटरियों पर संतुलित रूप से चलते हैं, लेकिन आधुनिक काल में चुम्बकीय प्रभाव से पटरी के ऊपर लटककर चलने वाली 'मैगलेव' (maglev) और एक पटरी पर चलने वाली 'मोनोरेल' जैसी व्यवस्थाएँ भी रेल व्यवस्था में गिनी जाती हैं। रेल की पटरी पर चलने वाले वाहन अक्सर एक लम्बी पंक्ति में एक दुसरे से ज़ंजीरों से जुड़े हुए डब्बे होते हैं जिन्हें एक या एक से अधिक कोयले, डीज़ल, बिजली या अन्य ऊर्जा से चलने वाला इंजन (engine) खेंचता है। इस तरह से जुड़े हुए डब्बों और इंजनों को 'रेलगाड़ी' या 'ट्रेन' (train) बुलाया जाता है।, Dennis Hamley, Oxford University Press, 2001, ISBN 978-0-19-910653-0 .

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रेशम मार्ग

रेशम मार्ग का मानचित्र - भूमार्ग लाल रंग में हैं और समुद्री मार्ग नीले रंग में रेशम मार्ग प्राचीनकाल और मध्यकाल में ऐतिहासिक व्यापारिक-सांस्कृतिक मार्गों का एक समूह था जिसके माध्यम से एशिया, यूरोप और अफ्रीका जुड़े हुए थे। इसका सबसे जाना-माना हिस्सा उत्तरी रेशम मार्ग है जो चीन से होकर पश्चिम की ओर पहले मध्य एशिया में और फिर यूरोप में जाता था और जिस से निकलती एक शाखा भारत की ओर जाती थी। रेशम मार्ग का जमीनी हिस्सा ६,५०० किमी लम्बा था और इसका नाम चीन के रेशम के नाम पर पड़ा जिसका व्यापार इस मार्ग की मुख्य विशेषता थी। इसके माध्यम मध्य एशिया, यूरोप, भारत और ईरान में चीन के हान राजवंश काल में पहुँचना शुरू हुआ। रेशम मार्ग का चीन, भारत, मिस्र, ईरान, अरब और प्राचीन रोम की महान सभ्यताओं के विकास पर गहरा असर पड़ा। इस मार्ग के द्वारा व्यापार के आलावा, ज्ञान, धर्म, संस्कृति, भाषाएँ, विचारधाराएँ, भिक्षु, तीर्थयात्री, सैनिक, घूमन्तू जातियाँ, और बीमारियाँ भी फैलीं। व्यापारिक नज़रिए से चीन रेशम, चाय और चीनी मिटटी के बर्तन भेजता था, भारत मसाले, हाथीदांत, कपड़े, काली मिर्च और कीमती पत्थर भेजता था और रोम से सोना, चांदी, शीशे की वस्तुएँ, शराब, कालीन और गहने आते थे। हालांकि 'रेशम मार्ग' के नाम से लगता है कि यह एक ही रास्ता था वास्तव में बहुत कम लोग इसके पूरे विस्तार पर यात्रा करते थे। अधिकतर व्यापारी इसके हिस्सों में एक शहर से दूसरे शहर सामान पहुँचाकर अन्य व्यापारियों को बेच देते थे और इस तरह सामान हाथ बदल-बदलकर हजारों मील दूर तक चला जाता था। शुरू में रेशम मार्ग पर व्यापारी अधिकतर भारतीय और बैक्ट्रियाई थे, फिर सोग़दाई हुए और मध्यकाल में ईरानी और अरब ज़्यादा थे। रेशम मार्ग से समुदायों के मिश्रण भी पैदा हुए, मसलन तारिम द्रोणी में बैक्ट्रियाई, भारतीय और सोग़दाई लोगों के मिश्रण के सुराग मिले हैं।, Susan Whitfield, British Library, pp.

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सोवियत संघ

सोवियत संघ (रूसी भाषा: Сове́тский Сою́з, सोवेत्स्की सोयूज़; अंग्रेज़ी: Soviet Union), जिसका औपचारिक नाम सोवियत समाजवादी गणतंत्रों का संघ (Сою́з Сове́тских Социалисти́ческих Респу́блик, Union of Soviet Socialist Republics) था, यूरेशिया के बड़े भूभाग पर विस्तृत एक देश था जो १९२२ से १९९१ तक अस्तित्व में रहा। यह अपनी स्थापना से १९९० तक साम्यवादी पार्टी (कोम्युनिस्ट पार्टी) द्वारा शासित रहा। संवैधानिक रूप से सोवियत संघ १५ स्वशासित गणतंत्रों का संघ था लेकिन वास्तव में पूरे देश के प्रशासन और अर्थव्यवस्था पर केन्द्रीय सरकार का कड़ा नियंत्रण रहा। रूसी सोवियत संघीय समाजवादी गणतंत्र (Russian Soviet Federative Socialist Republic) इस देश का सबसे बड़ा गणतंत्र और राजनैतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक केंद्र था, इसलिए पूरे देश का गहरा रूसीकरण हुआ। यही कारण रहा कि विदेश में भी सोवियत संघ को अक्सर गलती से 'रूस' बोल दिया जाता था। .

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जलालाबाद प्रांत (किर्गिज़स्तान)

ताश कोमुर शहर का नज़ारा ('मगरमच्छ पहाड़ी' से) जलालाबाद प्रांत (किरगिज़: Жалалабат областы, अंग्रेज़ी: Jalal-Abad Province) मध्य एशिया के किर्गिज़स्तान देश का एक प्रांत है। इस प्रांत की राजधानी भी जलालाबाद नाम का ही शहर है। .

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ख़ोक़न्द

ख़ोक़न्द में ख़ान का महल ख़ोक़न्द (उज़बेक: Қўқон, ताजिकी: Хӯқанд, फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Kokand) मध्य एशिया में पूर्वी उज़्बेकिस्तान के फ़रग़ना प्रान्त में स्थित एक शहर है। यह फ़रग़ना वादी के दक्षिण-पश्चिमी छोर पर क़ायम है। ख़ोक़न्द उबेकिस्तान की राजधानी ताशकंद से २२८ किमी दक्षिण-पूर्व में, अन्दीझ़ान शहर से ११५ किमी पश्चिम में और फ़रग़ना शहर से ८८ किमी पश्चिम में स्थित है। इसे कभी-कभी 'हवाओं का शहर' या 'जंगली सूअर का शहर' भी बुलाया जाता है। ख़ोक़न्द कुछ बहुत ही ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण व्यापर मार्गों पर स्थित है। एक तो यहाँ से पहाड़ों से होता हुआ पश्चिमोत्तर में ताशकंद को जाता है और दूसरा पश्चिम में ख़ुजन्द की ओर। फ़रग़ना वादी में यातायात का यह एक मुख्य पड़ाव है। सन् १९९९ की जनगणना में इसकी आबादी १,९२,५०० अनुमानित की गई थी।, Bradley Mayhew, Lonely Planet, 2007, ISBN 978-1-74104-614-4,...

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किर्गिज़ भाषा

किर्गिज़ एक तुर्की भाषा है और रूसी भाषा के अतिरिक्त यह किर्गिज़स्तान की आधिकारिक भाषा है। कुल के हिसाब से यह अल्तेय से बहुत निकट से और कज़ाख से दूर से जुड़ती है। हालाँकि वर्तमान समय में भाषीय सम्मिलन की वजह से किर्गिज़ और कज़ाख के बीच ज्यादा निकटता नजर आती है। किर्गिज़ भाषा किर्गिज़स्तान, चीन, अफ़गानिस्तान, कज़ाख़िस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्की, उज़्बेकिस्तान, पाकिस्तान और रूस में करीबन 40 लाख लोगों द्वारा बोली जाती है। किर्गिज़ २०वीं शताब्दी तक मूलतः संशोधित अरबी-फ़ारसी लिपि में लिखी जाती थी, जिसके बाद कुछ समय के लिए रोमन लिपि का इस्तेमाल किया जाने लगा। बाद में सोवियत संघ के प्रभाव की वजह से सिरिलिक वर्णमाला मानक बन गई और आज तक चलन में है। हालाँकि कुछ लोग आज भी अरबी लिपि का उपयोग करते हैं। सोवियत संघ के 1991 में विघटन और देश के स्वतंत्र होने के बाद से किर्गिज़ भाषा को पुनः रोमन लिपि में कुछ किर्गिज राजनीतिज्ञ बात कह रहे हैं, लेकिन इस योजना को मूर्त रूप नहीं दिया जा सका। आजकल, यह अभी भी मुख्य भाषा मुख्य शहरों में, इस तरह के रूप में बिश्केक जबकि किरगिज़ जारी है जमीन खोने विशेष रूप से युवा पीढ़ी के बीच। .

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किर्गिज़स्तान

किर्ग़िज़स्तान, आधिकारिक तौर पर किर्ग़िज़ गणतंत्र, मध्य एशिया में स्थित एक देश है। चारों तरफ जमीन और पहाड़ियों से घिरे इस देश की सीमा उत्तर में कज़ाख़िस्तान, पश्चिम में उज़्बेकिस्तान, दक्षिण पश्चिम में ताजिकिस्तान और पूर्व में चीन से मिलती है। "किरगिज़", जिससे देश का नाम पड़ा है, शब्द की उत्पति मूलतः "चालीस लड़कियां" या फिर "चालीस जनजातियां" मानी जाती है। जो संभवतः महानायक मानस की ओर इंगित करती हैं, जिन्होंने किंवदंती के अनुसार, खितान के खिलाफ चालीस जनजातियों को एकजुट किया था। किर्ग़िज़स्तान के झंडे में सूर्य की चालीस किरणें मानस के इन्हीं चालीस जनजातियों का प्रतीक हैं। .

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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उज़बेक लोग

दो उज़बेक बच्चे उज़बेक मध्य एशिया में बसने वाली एक तुर्की-भाषी जाति का नाम है। उज़बेकिस्तान की अधिकाँश आबादी इसी नसल की है, हालाँकि उज़बेक समुदाय बहुत से अन्य देशों में भी मिलते हैं, जैसे कि अफ़्ग़ानिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिज़स्तान, तुर्कमेनिस्तान, काज़ाख़स्तान, रूस, पाकिस्तान, मंगोलिया और चीन के शिनजियांग प्रान्त में। विश्व भर में लगभग २.३ करोड़ उज़बेक लोग हैं और यह पूरे विश्व की मनुष्य आबादी का लगभग ०.३% हैं। भारत में मुग़ल सलतनत की स्थापना करने वाला बाबर भी नसल से उज़बेक जाति का ही था।, Suryakant Nijanand Bal, Lancer Publishers, 2004, ISBN 978-81-7062-273-4,...

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उज़्बेक भाषा

लहजा साफ़ दिखता है - 'नादिरा' को 'नोदिरा' (НОДИРА) और 'उज़बेकिस्तान' को 'उज़बेकिस्तोन' (Ўзбекистон) लिखा जाता है उज़बेक भाषा (उज़बेक: Ўзбек тили, उज़बेक तिलि; अरबी-फ़ारसी) मध्य एशिया में और विशेषकर उज़बेकिस्तान में, उज़बेक लोगों द्वारा बोली जाने वाली एक तुर्की भाषा है। सन् १९९५ में इसे मातृभाषा के रूप में बोलने वालों की संख्या लगभग २ करोड़ अनुमानित की गई थी। हालाँकि यह एक तुर्की भाषा है, फिर भी इसमें फ़ारसी, अरबी और रूसी भाषा का प्रभाव मिलता है। उज़बेक और उइग़ुर भाषा में बहुत समानताएँ हैं, लेकिन उइग़ुर की तुलना में उज़बेक पर फ़ारसी का प्रभाव ज़्यादा गहरा है। सन् १९२७ तक उज़बेक को लिखने के लिए अरबी-फ़ारसी वर्णमाला का प्रयोग किया जाता था, लेकिन उसके बाद उज़बेकिस्तान का सोवियत संघ में विलय होने से वहाँ सिरिलिक लिपि इस्तेमाल करने पर ज़ोर दिया गया। चीन के उज़बेक समुदाय अभी भी अरबी-फ़ारसी लिपि में उज़बेक लिखते हैं। सोवियत संघ का अंत होने के बाद उज़बेकिस्तान में कुछ लोग सन् १९९२ के उपरान्त लैटिन वर्णमाला का भी प्रयोग करने लगे।, Reinhard F. Hahn, Ablahat Ibrahim, University of Washington Press, 2006, ISBN 978-0-295-98651-7 .

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उज़्बेकिस्तान

एशिया के केन्द्रीय भाग में स्थित एक देश है जो चारो ओर से जमीन से घिरा है। इतना ही नहीं, इसके चहुँदिश के देश की खुद भी समुद्र तक कोई पहुँच नहीं है। इसके उत्तर में कज़ाख़िस्तान, पूरब में ताज़िकिस्तान दक्षिण में तुर्कमेनिस्तान और अफ़गानिस्तान स्थित है। यह 1991 तक सोवियत संघ का एक घटक था। उज़्बेकिस्तान के प्रमुख शहरों में राजधानी ताशकंत के अलावा समरकंद तथा बुख़ारा का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है। यहाँ के मूल निवासी मुख्यतः उज़्बेक नस्ल के हैं, जो बोलचाल में उज्बेक भाषा का प्रयोग करते हैं। .

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