जनमेजय और परीक्षित के बीच समानता
जनमेजय और परीक्षित आम में 6 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): तक्षक, भागवत पुराण, महाभारत, हस्तिनापुर, अभिमन्यु, उत्तरा।
तक्षक
हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, तक्षक पाताल के आठ नागों में से एक नाग जो कश्यप का पुत्र था और कद्रु के गर्भ से उत्पन्न हुआ था श्रृंगी ऋषि का शाप पूरा करने के लिये राजा परीक्षित को इसी ने काटा था। इसी कारण राजा जनमेजय इससे बहुत बिगड़े और उन्होंने संसार भर के साँपों का नाश करने के लिये सर्पयज्ञ आरंभ किया। तक्षक इससे डरकर इंद्र की शरण में चला गया। इसपर जनमेजय ने अपने ऋषियों को आज्ञा दी कि इंद्र यदि तक्षक को न छोड़े, तो उसे भी तक्षक के साथ खींच मँगाओ और भस्म कर दो। ऋत्विकों के मंत्र पढ़ने पर तक्षक साथ इंद्र भी खिंचने लगे। तब इंद्र ने डरकर तक्षक को छोड़ दिया। जब तक्षक खिंचकर अग्निकुंड के समीप पहुँचा, तब आस्तीक ने आकर जनमेजय से प्रार्थना की और तक्षक के प्राण बच गए। कुछ विद्धानों का विश्वास है कि प्राचीन काल में भारत में तक्षक नाम की एक जाति ही निवास करती थी। नाग जाति के लोग अपने आपको तक्षक की संतान ही बतलाते हैं। प्राचीन काल में ये लोग सर्प का पूजन करते थे। कुछ पाश्चात्य विद्वानों का मत है कि प्राचीन काल में कुछ विशिष्ट अनायों को हिंदू लोग तक्षक या नाग कहा करते थे। और ये लोग संभवतः शक थे। तिब्बत, मंगोलिया ओरचीन के निवासी अबतक अपने आपको तक्षक या नाग के वंशधर बतलाते हैं। महाभारत के युद्ध के उपरांत धीरे धीरे तक्षकों का अधिकार बढ़ने लगा और उत्तरपश्चिम भारत में तक्षक लोगों का बहुत दिनों तक, यहाँ तक कि सिकंदर के भारत आने के समय तक राज्य रहा। इनका जातीय चिह्न सर्प था। ऊपर परीक्षित और जनमेजय की जो कथा दी गई है, उसके संबंध में कुछ पाश्चात्य विद्वानों का गत है कि तक्षकों के साथ एक बार पांडवों का बड़ा भारी युद्ध हुआ था जिसमें तक्षकों की जीत हुई थी ओर राजा परीक्षित मारे गए थे, और अंत से जनमेजय ने फिर तक्षशिला में युद्ध करके तक्षकों का नाश किया था और यही घटना जनमेजय के सर्पयज्ञ के नाम से प्रसिद्ध हुई है। तक्षक नाग की खशियत तक्षक नाग का जन्म जो की देखने में किसी फूलो की पंखुडियो के तरह दीखता है, और काफी आकरशक भी होता है। यह सांप हवा में १५० किलो मीटर प्रति घंटे के रफ़्तार से उड़ता है, यह सांप में काफी खशियत होता भी होता है, सांपो के महान जानकार लुइ मिकाल की बात माने तो इस सांप का जन्म सिर्फ भारत देशो में ही होता है और यह सांप १२० सांपो से सम्भोग से जन्म लेता है, इसी वजह से इसमें बहुत सारी खाशियत भी होती है, और इस सांप का जन्म प्रत्येक १० - १० सालों में एक बार होता है, और इस सांप का जन्म दाता दो मुह वाला मादा सांप होती है, जिसे रेड सैंड बोआ के नाम से जाना जाता है, इसे धन की देवी लक्ष्मी से भी जोड़ कर देख जाता है, यह सांप को छु लेने से मात्र लोग बहुत सारे बीमारियों से मुक्त हो जाते है। लुइ मिकाल के इस बात को नासा, एवं ब्रिटेन, भारत के कई बड़े जूलॉजिकल विभाग के बड़े - बड़े वैज्ञानिको ने माना है। इस सांप का वजन ५०० ग्राम के ही आस - पास होता है, इस सांप में एक खाश तरह का इरीडियम नामक केमिकल पाया जाता है, जिससे की इसको अन्तरराष्ट्रीय बाजार में १० - १५ करोड़ में ख़रीदा भी जाता है, इस सांप का काला बाजारी ज्यादा इस लिए नहीं हो पता है, की इसकी संख्या अब धरती पर से विलुप्त हो चूका है, लेकिन भारत में यह कहीं कहीं सपेरो के पास देखने को मिल जाया करता है। भारतीय तांत्रिक यह मानते हैं की इस सांप से TT करके सोने और पैसे की बरसात होती है, जो की आमिर बन्ने का साधन भी होता है। भारत के बड़े - बड़े उद्योगपतियों का मन्ना है की इस सांप को पालने से धन का वर्षा भी होता है, और भारत के कई उद्योगपतियों ने जैसे की अम्बानी, मित्तल और बिरला जैसे लोगो ने इस सांप को अपने ऑफिस के चेंबर में पाला हुआ है, जो की साल २०१४ के डिअर डोमेस्टिक एनिमल्स में छपा भी था। इसी वजह से दो मुह बाले सांप को भी ख़रीदा जाता है, जिससे की तक्षक नाग जन्म लेता है, और इसके इरीडियम को कंपनिया अरबो रुपियो का बिज़नस भी कर लेती है, इस तक्षक नाग में पाए जाने बाले यह इरीडियम 100, 000 रूपया प्रति ग्राम के दर से बेचा जाता है, इस 1 ग्राम इरीडियम से कंपनिया ३०० - ४०० ग्राम इरीडियम बनाती है, जिसे की बाजार में 20 - ३० हजार रूपया प्रति ग्राम के दर से बेचा भी जाता है। .
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भागवत पुराण
सन १५०० में लिखित एक भागवत पुराण मे यशोदा कृष्ण को स्नान कराते हुए भागवत पुराण (Bhaagwat Puraana) हिन्दुओं के अट्ठारह पुराणों में से एक है। इसे श्रीमद्भागवतम् (Shrimadbhaagwatam) या केवल भागवतम् (Bhaagwatam) भी कहते हैं। इसका मुख्य वर्ण्य विषय भक्ति योग है, जिसमें कृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। इसके अतिरिक्त इस पुराण में रस भाव की भक्ति का निरुपण भी किया गया है। परंपरागत तौर पर इस पुराण का रचयिता वेद व्यास को माना जाता है। श्रीमद्भागवत भारतीय वाङ्मय का मुकुटमणि है। भगवान शुकदेव द्वारा महाराज परीक्षित को सुनाया गया भक्तिमार्ग तो मानो सोपान ही है। इसके प्रत्येक श्लोक में श्रीकृष्ण-प्रेम की सुगन्धि है। इसमें साधन-ज्ञान, सिद्धज्ञान, साधन-भक्ति, सिद्धा-भक्ति, मर्यादा-मार्ग, अनुग्रह-मार्ग, द्वैत, अद्वैत समन्वय के साथ प्रेरणादायी विविध उपाख्यानों का अद्भुत संग्रह है। .
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महाभारत
महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति वर्ग में आता है। कभी कभी केवल "भारत" कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद माना जाता है। यद्यपि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह ग्रंथ प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। .
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हस्तिनापुर
हस्तिनापुर अथवा हास्तिनपुर (आजकल का हाथीपुर) कौरव-राजधानी थी। .
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अभिमन्यु
कोई विवरण नहीं।
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उत्तरा
सुमित्रानंदन पंत का कविता संग्रह.
सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब
- क्या जनमेजय और परीक्षित लगती में
- यह आम जनमेजय और परीक्षित में है क्या
- जनमेजय और परीक्षित के बीच समानता
जनमेजय और परीक्षित के बीच तुलना
जनमेजय 18 संबंध है और परीक्षित 28 है। वे आम 6 में है, समानता सूचकांक 13.04% है = 6 / (18 + 28)।
संदर्भ
यह लेख जनमेजय और परीक्षित के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: