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जठरांत्ररोगविज्ञान और मानव का पोषण नाल

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

जठरांत्ररोगविज्ञान और मानव का पोषण नाल के बीच अंतर

जठरांत्ररोगविज्ञान vs. मानव का पोषण नाल

जठरांत्ररोगविज्ञान (Gastroenterology) चिकित्सा शास्त्र का वह विभाग है जो पाचन तंत्र तथा उससे सम्बन्धित रोगों पर केंद्रित है। इस शब्द की उत्पत्ति प्राचीन ग्रीक शब्द gastros (उदर), enteron (आँत) एवं logos (शास्त्र) से हुई है। जठरांत्ररोगविज्ञान पोषण नाल (alimentary canal) से सम्बन्धित मुख से गुदाद्वार तक के सारे अंगों और उनके रोगों पर केन्द्रित है। इससे सम्बन्धित चिकित्सक जठरांत्ररोगविज्ञानी (gastroenterologists) कहलाते हैं। . मानव का पाचक तंत्र मानव का पाचक नाल या आहार नाल (Digestive or Alimentary Canal) 25 से 30 फुट लंबी नाल है जो मुँह से लेकर मलाशय या गुदा के अंत तक विस्तृत है। यह एक संतत लंबी नली है, जिसमें आहार मुँह में प्रविष्ट होने के पश्चात्‌ ग्रासनाल, आमाशय, ग्रहणी, क्षुद्रांत्र, बृहदांत्र, मलाशय और गुदा नामक अवयवों में होता हुआ गुदाद्वार से मल के रूप में बाहर निकल जाता है। .

जठरांत्ररोगविज्ञान और मानव का पोषण नाल के बीच समानता

जठरांत्ररोगविज्ञान और मानव का पोषण नाल आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): दाँत, गुदा, ग्रासनली

दाँत

दाँत (tooth) मुख की श्लेष्मिक कला के रूपांतरित अंकुर या उभार हैं, जो चूने के लवण से संसिक्त होते हैं। दाँत का काम है पकड़ना, काटना, फाड़ना और चबाना। कुछ जानवरों में ये कुतरने (चूहे), खोदने (शूकर), सँवारने (लीमर) और लड़ने (कुत्ते) के काम में भी आते हैं। दांत, आहार को काट-पीसकर गले से उतरने योग्य बनाते हैं। दाँत की दो पंक्तियाँ होती हैं,.

जठरांत्ररोगविज्ञान और दाँत · दाँत और मानव का पोषण नाल · और देखें »

गुदा

पुरुष की गुदा मलाशय एवं गुदा जीवों के पाचन तंत्र के अन्तिम छोर के द्वार (छेद) को गुदा (anus) कहते हैं। इसका कार्य मल निष्कासन का नियंत्रण करना है। .

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ग्रासनली

मानव का ग्रासनाल ग्रासनाल या ग्रासनली (ओसोफैगस) लगभग 25 सेंटीमीटर लंबी एक संकरी पेशीय नली होती है जो मुख के पीछे गलकोष से आरंभ होती है, सीने से थोरेसिक डायफ़्राम से गुज़रती है और उदर स्थित हृदय द्वार पर जाकर समाप्त होती है। ग्रासनली, ग्रसनी से जुड़ी तथा नीचे आमाशय में खुलने वाली नली होती है। इसी नलिका से होकर भोजन आमाशय में पहुंच जाता है। ग्रासनली की दीवार महीन मांसपेशियों की दो परतों की बनी होती है जो ग्रासनली से बाहर तक एक सतत परत बनाती हैं और लंबे समय तक धीरे-धीरे संकुचित होती हैं। इन मांसपेशियों की आंतरिक परत नीचे जाते छल्लों के रूप में घुमावदार मार्ग में होती है, जबकि बाहरी परत लंबवत होती है। ग्रासनली के शीर्ष पर ऊतकों का एक पल्ला होता है जिसे एपिग्लॉटिस कहते हैं जो निगलने के दौरान के ऊपर बंद हो जाता है जिससे भोजन श्वासनली में प्रवेश न कर सके। चबाया गया भोजन इन्हीं पेशियों के क्रमाकुंचन के द्वारा ग्रासनली से होकर उदर तक धकेल दिया जाता है। ग्रासनली से भोजन को गुज़रने में केवल सात सेकंड लगते हैं और इस दौरान पाचन क्रिया नहीं होती। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

जठरांत्ररोगविज्ञान और मानव का पोषण नाल के बीच तुलना

जठरांत्ररोगविज्ञान 17 संबंध है और मानव का पोषण नाल 25 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 7.14% है = 3 / (17 + 25)।

संदर्भ

यह लेख जठरांत्ररोगविज्ञान और मानव का पोषण नाल के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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