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जंतुओं के रंग

सूची जंतुओं के रंग

चित्तीदार जेब्रा प्रकृति ने इद्रंधनुष के सारे रंगों को लेकर उनके भड़कीले मिश्रण से पशु-पक्षियों को इस प्रकार सुसज्जित कर दिया है कि उन्हें देख हम अवाक्‌ रह जाते हैं। मोर तथा 'स्वर्ग का पक्षी' (Bird of Paradise) रमणीक रंगों के परिधान हैं, परंतु गोरैया तथा कुछ अन्य चिड़ियाँ साल भर भूरे रंग की ही रहती हैं। यह वर्ण-विभिन्नता क्यों? वर्ण-रमणीयता आती क्यों कर है? प्रकृति ने जंतुओं को सुंदर भड़कीले रंग दिए ही क्यों? ये प्रश्न ऐसे हैं जिनको ज्यों-ज्यों सुलझाने का प्रयास किया जाता है त्यों-त्यों उलझते जाते हैं। ग्रांट ऐलन ने अपनी पुस्तक कलर सेंस में लिखा है कि वे जंतु, जो सुंदर फल और फूल इत्यादि पर रहते हैं, प्राय: सुंदर हो जाते हैं और मांसाहारी जंतु, जो सदा मिट्टी में अथवा गंदी जगह रहते हैं, रंगीन नहीं होते। यह सत्य है कि प्राय: जंतु के रंगों पर वातावरण का प्रभाव पड़ता है, परंतु उसे एक सिद्धांत का रूप नहीं दिया जा सकता। कीचड़ में पाए जानेवाले घोघों के कवच का रंग प्राय: सुंदर होता है। गंदे वातावरण में ही रहनेवाली कुछ मकड़ियाँ बड़ी सुंदर होती हैं। रंग के प्रयोजन संबंधी खोज हमें यह बतलाती है कि यद्यपि प्राणियों में रंग का होना अनिवार्य नहीं है फिर भी हमारे चारों ओर रंगीन जंतुओं का भारी जमघट है। सर्वेक्षण करने पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि जंतुओं के अद्भुत वर्ण इनकी सुरक्षा से संबंधित हैं। परंतु यह निष्कर्ष सब प्राणियों पर लागू नहीं होता। कुछ जंतुओं में रंग आनुवंशिक रूप में अनिवार्य रहता है। उसका न किसी बाह्य वातावरण से संबंध है और न सुरक्षा से ही। उदाहरण के लिए, कोन-शेल (Cone-shell) को लीजिए। इसके कवच (shell) की बाहरी सतह पर रंग का एक निश्चित प्रतिरूप रहता है। जब तक प्राणी जीवित रहता है यह प्रतिरूप दिखलाई नहीं देता, क्योंकि यह बाह्य त्वचा को एक स्थूल परत से ढका रहता है। मृत्यु के पश्चात्‌ त्वचा सड़ जाने पर य रंगीन प्रतिरूप दिखाई देने लगता है। जीवित प्राणी का रंग इस छिपे हुए प्रतिरूप से कहीं भिन्न है। सो-आनिमोन (Sea-anemone) नामक प्राणी भी विभिन्न रंगों के होते हैं। परंतु कोई नहीं जानता कि इतने सुंदर रंग उन्होंने कहाँ से पाए। .

5 संबंधों: चार्ल्स डार्विन, प्रकृति, मोर, घरेलू गौरैया, गिरगिट

चार्ल्स डार्विन

चार्ल्स डार्विन चार्ल्स डार्विन (१२ फरवरी, १८०९ – १९ अप्रैल १८८२) ने क्रमविकास (evolution) के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। उनका शोध आंशिक रूप से १८३१ से १८३६ में एचएमएस बीगल पर उनकी समुद्र यात्रा के संग्रहों पर आधारित था। इनमें से कई संग्रह इस संग्रहालय में अभी भी उपस्थित हैं। डार्विन महान वैज्ञानिक थे - आज जो हम सजीव चीजें देखते हैं, उनकी उत्पत्ति तथा विविधता को समझने के लिए उनका विकास का सिद्धान्त सर्वश्रेष्ठ माध्यम बन चुका है। संचार डार्विन के शोध का केन्द्र-बिन्दु था। उनकी सर्वाधिक प्रसिद्ध पुस्तक जीवजाति का उद्भव (Origin of Species (हिंदी में - 'ऑरिजिन ऑफ स्पीसीज़')) प्रजातियों की उत्पत्ति सामान्य पाठकों पर केंद्रित थी। डार्विन चाहते थे कि उनका सिद्धान्त यथासम्भव व्यापक रूप से प्रसारित हो। डार्विन के विकास के सिद्धान्त से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि किस प्रकार विभिन्न प्रजातियां एक दूसरे के साथ जुङी हुई हैं। उदाहरणतः वैज्ञानिक यह समझने का प्रयास कर रहे हैं कि रूस की बैकाल झील में प्रजातियों की विविधता कैसे विकसित हुई। .

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प्रकृति

प्रकृति, व्यापकतम अर्थ में, प्राकृतिक, भौतिक या पदार्थिक जगत या ब्रह्माण्ड हैं। "प्रकृति" का सन्दर्भ भौतिक जगत के दृग्विषय से हो सकता हैं, और सामन्यतः जीवन से भी हो सकता हैं। प्रकृति का अध्ययन, विज्ञान के अध्ययन का बड़ा हिस्सा हैं। यद्यपि मानव प्रकृति का हिस्सा हैं, मानवी क्रिया को प्रायः अन्य प्राकृतिक दृग्विषय से अलग श्रेणी के रूप में समझा जाता हैं। .

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मोर

मोर अथवा मयूर एक पक्षी है जिसका मूलस्थान दक्षिणी और दक्षिणपूर्वी एशिया में है। ये ज़्यादातर खुले वनों में वन्यपक्षी की तरह रहते हैं। नीला मोर भारत और श्रीलंका का राष्ट्रीय पक्षी है। नर की एक ख़ूबसूरत और रंग-बिरंगी फरों से बनी पूँछ होती है, जिसे वो खोलकर प्रणय निवेदन के लिए नाचता है, विशेष रूप से बसन्त और बारिश के मौसम में। मोर की मादा मोरनी कहलाती है। जावाई मोर हरे रंग का होता है। .

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घरेलू गौरैया

घरेलू गौरैया (पासर डोमेस्टिकस) एक पक्षी है जो यूरोप और एशिया में सामान्य रूप से हर जगह पाया जाता है। इसके अतिरिक्त पूरे विश्व में जहाँ-जहाँ मनुष्य गया इसने उनका अनुकरण किया और अमरीका के अधिकतर स्थानों, अफ्रीका के कुछ स्थानों, न्यूज़ीलैंड और आस्ट्रेलिया तथा अन्य नगरीय बस्तियों में अपना घर बनाया। शहरी इलाकों में गौरैया की छह तरह ही प्रजातियां पाई जाती हैं। ये हैं हाउस स्पैरो, स्पेनिश स्पैरो, सिंड स्पैरो, रसेट स्पैरो, डेड सी स्पैरो और ट्री स्पैरो। इनमें हाउस स्पैरो को गौरैया कहा जाता है। यह शहरों में ज्यादा पाई जाती हैं। आज यह विश्व में सबसे अधिक पाए जाने वाले पक्षियों में से है। लोग जहाँ भी घर बनाते हैं देर सबेर गौरैया के जोड़े वहाँ रहने पहुँच ही जाते हैं। .

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गिरगिट

गिरगिट (Chameleons, कैमीलियन) एक प्रकार का पूर्वजगत छिपकली का क्लेड है जिसकी जून २०१५ तक २०२ जीववैज्ञानिक जातियाँ ज्ञात थी। गिरगिटें कई रंगों की होती हैं और उनमें से कई में रंग बदलने की क्षमता होती है। .

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