चारा और साइलेज के बीच समानता
चारा और साइलेज आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): तृण, प्रोटीन, यूरिया उपचार।
तृण
धान की पुआल उन्नत विधि से निर्मित तृण का बण्डल धान, गेहूँ, जौ, राई आदि फसलों के डण्ठल को तृण (Straw) कहते हैं। यह कृषि का एक सह-उत्पाद है। तृण बहुत से कार्यों के लिये उपयोगी है जैसे, पशुओं का चारा, ईंधन, पशुओं का बिछौना, छप्पर बनाना, टोकरी बनाना, घर की दीवारें बनाना आदि। तृण को तरह-तरह के गुटके (बण्डल) बनाकर या एक बडी ढेरी बनाकर भण्डारित किया जाता है। .
प्रोटीन
रुधिरवर्णिका(हीमोग्लोबिन) की संरचना- प्रोटीन की दोनो उपइकाईयों को लाल एंव नीले रंग से तथा लौह भाग को हरे रंग से दिखाया गया है। प्रोटीन या प्रोभूजिन एक जटिल भूयाति युक्त कार्बनिक पदार्थ है जिसका गठन कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन एवं नाइट्रोजन तत्वों के अणुओं से मिलकर होता है। कुछ प्रोटीन में इन तत्वों के अतिरिक्त आंशिक रूप से गंधक, जस्ता, ताँबा तथा फास्फोरस भी उपस्थित होता है। ये जीवद्रव्य (प्रोटोप्लाज्म) के मुख्य अवयव हैं एवं शारीरिक वृद्धि तथा विभिन्न जैविक क्रियाओं के लिए आवश्यक हैं। रासायनिक गठन के अनुसार प्रोटीन को सरल प्रोटीन, संयुक्त प्रोटीन तथा व्युत्पन्न प्रोटीन नामक तीन श्रेणियों में बांटा गया है। सरल प्रोटीन का गठन केवल अमीनो अम्ल द्वारा होता है एवं संयुक्त प्रोटीन के गठन में अमीनो अम्ल के साथ कुछ अन्य पदार्थों के अणु भी संयुक्त रहते हैं। व्युत्पन्न प्रोटीन वे प्रोटीन हैं जो सरल या संयुक्त प्रोटीन के विघटन से प्राप्त होते हैं। अमीनो अम्ल के पॉलीमराईजेशन से बनने वाले इस पदार्थ की अणु मात्रा १०,००० से अधिक होती है। प्राथमिक स्वरूप, द्वितीयक स्वरूप, तृतीयक स्वरूप और चतुष्क स्वरूप प्रोटीन के चार प्रमुख स्वरुप है। प्रोटीन त्वचा, रक्त, मांसपेशियों तथा हड्डियों की कोशिकाओं के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। जन्तुओं के शरीर के लिए कुछ आवश्यक प्रोटीन एन्जाइम, हार्मोन, ढोने वाला प्रोटीन, सिकुड़ने वाला प्रोटीन, संरचनात्मक प्रोटीन एवं सुरक्षात्मक प्रोटीन हैं। प्रोटीन का मुख्य कार्य शरीर की आधारभूत संरचना की स्थापना एवं इन्जाइम के रूप में शरीर की जैवरसायनिक क्रियाओं का संचालन करना है। आवश्यकतानुसार इससे ऊर्जा भी मिलती है। एक ग्राम प्रोटीन के प्रजारण से शरीर को ४.१ कैलीरी ऊष्मा प्राप्त होती है। प्रोटीन द्वारा ही प्रतिजैविक (एन्टीबॉडीज़) का निर्माण होता है जिससे शरीर प्रतिरक्षा होती है। जे.
चारा और प्रोटीन · प्रोटीन और साइलेज ·
यूरिया उपचार
सूखे चारे जैसे भूसा (तूड़ी), पुआल आदि में पौष्टिक तत्व लिगनिन के अंदर जकड़े रहते हैं जो पशु के पाचन तन्त्र द्वारा नहीं लिए जा सकते। इन चारों का कुछ रासायनिक पदार्थों द्वारा उपचार करके इनके पोषक तत्वों को लिगनिन से अलग कर लिया जाता है। इसके लिए यूरिया उपचार की विधि सबसे सस्ती तथा उत्तम है। सामान्यत: धान और गेंहूँ का भूसा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध रहता है। लेकिन इनमें पोषक तत्व बहुत कम होते हैं। प्रोटीन की मात्रा 4 प्रतिशत से भी कम होती है। भूसे का यूरिया से उपचार करने से उसकी पौष्टिकता बढती है और प्रोटीन की मात्रा उपचारित भूसे में लगभग 9 प्रतिशत हो जाती है। पशु को यूरिया उपचारित चारा खिलाने पर उसको नियमित दिये जाने वाल पशुआहार में 30 प्रतिशत तक की कमी की जा सकती है।0 .
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चारा और साइलेज के बीच तुलना
चारा 20 संबंध है और साइलेज 14 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 8.82% है = 3 / (20 + 14)।
संदर्भ
यह लेख चारा और साइलेज के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: