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चरागाह

सूची चरागाह

300px चरागाह उस भूमि को कहते हैं जिस पर घास लगी हो और जो पशुओं के चरने के काम आती हो। .

3 संबंधों: चारा, प्राणी, भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी

चारा

घास चर रही गाय सायकिल से हरा चारा घर लाया जा रहा है गाय, बैल, भैंस, बकरी, घोड़ा आदि पालतू पशुओं को खिलाये जाने योग्य सभी चीजें चारा या 'पशुचारा' या 'पशु आहार' कहलातीं हैं। पशु को 24 घंटों में खिलाया जाने वाला आहार (दाना व चारा) जिसमें उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु भोज्य तत्व मौजूद हों, पशु आहार कहते हैं। जिस आहार में पशु के सभी आवश्यक पोषक तत्व उचित अनुपात तथा मात्रा में उपलव्ध हों, उसे संतुलित आहार कहते हैं। .

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प्राणी

प्राणी या जंतु या जानवर 'ऐनिमेलिया' (Animalia) या मेटाज़ोआ (Metazoa) जगत के बहुकोशिकीय और सुकेंद्रिक जीवों का एक मुख्य समूह है। पैदा होने के बाद जैसे-जैसे कोई प्राणी बड़ा होता है उसकी शारीरिक योजना निर्धारित रूप से विकसित होती जाती है, हालांकि कुछ प्राणी जीवन में आगे जाकर कायान्तरण (metamorphosis) की प्रकिया से गुज़रते हैं। अधिकांश जंतु गतिशील होते हैं, अर्थात अपने आप और स्वतंत्र रूप से गति कर सकते हैं। ज्यादातर जंतु परपोषी भी होते हैं, अर्थात वे जीने के लिए दूसरे जंतु पर निर्भर रहते हैं। अधिकतम ज्ञात जंतु संघ 542 करोड़ साल पहले कैम्ब्रियन विस्फोट के दौरान जीवाश्म रिकॉर्ड में समुद्री प्रजातियों के रूप में प्रकट हुए। .

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भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी

300px भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान (Indian Grassland and Fodder Research Institute) उत्तर प्रदेश के झांसी में स्थित है। इसकी स्थापना 1962 में हुई थी। झांसी में इस संस्थान की स्थापना करने का मुख्य कारण यहाँ सभी प्रमुख घासों का पाया जाना भी था। तत्पश्चात् सन् 1966 में इसका प्रशासनिक नियंत्रण भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली को सौंपा गया। संस्थान ने अपने स्थापना काल से ही चारा उत्पादन व उपयोग के विभिन्न पहलुओं पर अनुसंधान कर राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसका प्रचार-प्रसार करने और समन्वित विकास करने में अहम् भूमिका निभायी है। इसके अतिरिक्त संस्थान में अखिल भारतीय चारा समन्वित परियोजना का संचालन भी किया जा रहा है। साथ ही संस्थान के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए देश-विदेश के सहयोग से अन्य परियोजनाएं सफलतापूर्वक संचालित की जा रहीं हैं। जलवायु तथा कृषि की क्षेत्रीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर भारत के अन्य भागों में इस संस्थान के तीन क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र स्थापित किए गए हैं जो अंबिका नगर (राजस्थान), धारवाड़ (कर्नाटक) एवं पालमपुर (हिमाचल प्रदेश) में स्थित हैं। .

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